Dhan nishkasan se aap kya samajhte hain

  1. धर्म से आप क्या समझते हैं? » Dharam Se Aap Kya Samajhte Hain
  2. मुल्यांकन (Mulyankan) का अर्थ परिभाषा और प्रकार
  3. भारत में धन
  4. धन निष्कासन से आप क्या समझते हैं
  5. शहरीरण से आप क्या समझते हैं? Shahrikaran Se Aap Kya Samajhte Hai?
  6. आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास
  7. Hindi Mind
  8. धन निष्कासन का सिद्धांत क्या है? धन निष्कासन के प्रभाव, स्त्रोंत, मात्रा


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धर्म से आप क्या समझते हैं? » Dharam Se Aap Kya Samajhte Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। लिखित धर्म होता है कि एक मालिक होता है जिसमें ईश्वर अल्लाह भगवान सब एक ही होता है सबका मालिक एक होता है और अलग-अलग का स्तुति से हिंदू सिख और मुस्लिम तो सबका मालिक ही एक ही होता है हमें बस मानना है अलग अलग तरीके से उसी को धर्म कहते हैं likhit dharm hota hai ki ek malik hota hai jisme ishwar allah bhagwan sab ek hi hota hai sabka malik ek hota hai aur alag alag ka stuti se hindu sikh aur muslim toh sabka malik hi ek hi hota hai hamein bus manana hai alag alag tarike se usi ko dharm kehte hain लिखित धर्म होता है कि एक मालिक होता है जिसमें ईश्वर अल्लाह भगवान सब एक ही होता है सबका माल

मुल्यांकन (Mulyankan) का अर्थ परिभाषा और प्रकार

मुल्यांकन (Mulyankan) : यह दो शब्दों से मिलकर बना हैं- मूल्य-अंकन। यह अंग्रेजी के Evaluation शब्द का हिंदी रूपांतरण हैं। मापन जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति के गुणों को अंक प्रदान करता हैं, वही मुल्यांकन उन अंकों का विश्लेषण करता हैं और उनकी तुलना दूसरों से करके एक सर्वोत्तम वस्तु या व्यक्ति का चयन करता हैं। आज हम जनिंगे की मूल्यांकन क्या हैं, मूल्यांकन का अर्थ और परिभाषा, मूल्यांकन के प्रकार और मूल्यांकन और मापन में अंतर। Table of Contents • • • • मूल्यांकन (Mulyankan) क्या हैं? मूल्यांकन का महत्व हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा हैं। वर्तमान समय में इसका उपयोग शिक्षा में, आर्मी में, या सम्मानित पदों में किया जाता हैं। इसके द्वारा एक उत्तम नागरिक का निर्धारण किया जा सकता हैं। मूल्यांकन Evaluation मापन द्वारा प्राप्त अंकों का विस्तृत अध्ययन करता हैं और यह अध्ययन वह सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक आधार पर करता हैं। मूल्यांकन दो व्यक्तियों के मध्य उनके गुणों में व्याप्त भिन्नता को ज्ञात करने का भी कार्य करता हैं। इसके द्वारा यह पता चलता हैं कि किस व्यक्ति के अंदर कौन से गुण की मात्रा अधिक हैं। मूल्यांकन की परिभाषा मूल्यांकन की परिभाषा विभिन्न लोगों ने दी हैं जिसमें से कुछ परिभाषा इस प्रकार हैं- किसी वस्तु अथवा क्रिया के महत्व को कुछ सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मानदण्डों के आधार पर चिन्ह विशेषों में प्रकट करने की प्रक्रिया हैं। ब्रेडफील्ड मुल्यांकन mulyankan के प्रकार 1- संरचनात्मक मुल्यांकन 2- योगात्मक मुल्यांकन 1- संरचनात्मक मुल्यांकन – निर्माणाधीन कार्यो के मध्य जब किसी का मूल्यांकन किया जाता है उसे संरचनात्मक मुल्यांकन कहते हैं शिक्षा से इसको देखा जाए तो जब छात्र किसी कक्ष...

भारत में धन

महादेव गोविन्द रानाडे के अनुसार ‘‘राष्ट्रीय पूंजी का एक-तिहाई हिस्सा किसी-न-किसी रूप में ब्रिटिश शासन द्वारा भारत के बाहर ले जाया जाता है।’ भारत पर ब्रिटेन के आर्थिक नियन्त्रण का सबसे पहला परिणाम यह हुआ कि परम्परागत भारतीय हस्तशिल्प उद्योग समाप्त होते चले गये। भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में इस प्रक्रिया को ‘अनौद्योगीकरण’ के रूप में जाना जाता है। 1800-1850 फ्रांसीसी यात्री बर्नियर के अनुसार ‘यह भारत एक अथाह गड्ढ़ा है, जिसमें संसार का अधिकांश सोना और चांदी चारों तरफ से अनेक रास्तों से आकर जमा होता है… यह मिस्र से भी अधिक धनी देश हैं।’ धन का बहिर्गमन/सम्पत्ति का अपवाह Drain Of Wealth ब्रिटेन द्वारा भारत के कच्चे माल, संसाधनों और धन की निरन्तर लूट को दादाभाई नौरोजी, एम.जी. रानाडे जैसे राष्ट्रवादियों ने भारत से ‘धन के बहिर्गमन’ के सिद्धांत को प्रतिपादित किया। बहिर्गमन की राष्ट्रवादी परिभाषा का तात्पर्य भारत से धन-सम्पत्ति एवं माल का इंग्लैण्ड में हस्तान्तरण था, जिसके बदले में भारत को इसके समतुल्य कोई भी आर्थिक, वाणिज्यिक या भौतिक प्रतिलाभ प्राप्त नहीं होता था। यह भी पढ़े – रोज़ धन ऐप से करें अतिरिक्त कमाई धन के बहिर्गमन का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत ब्रिटिश प्रशासनिक सैनिक और रेलवे अधिकारियों के वेतन, आय और बचत के एक भाग के भेजा जाना और भारत सरकार द्वारा अंग्रेज अधिकारियों की पेंशन तथा अवकाश भत्तों को इंग्लैण्ड में भुगतान करना था। धन का बहिर्गमन समस्त बुराइयों की जड़ था और यह भारतीय निर्धनता का मुख्य कारण है, क्योंकि अंग्रेजों से पहले जितने भी शासक भारत में रहे, कितनी ही लूटमार की, फिर भी देश का धन देश में ही रहा, किन्तु भारत में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना के साथ ही देश का धन बाहर जा...

धन निष्कासन से आप क्या समझते हैं

नमस्कार दोस्तों! परीक्षा में एक प्रश्न अधिकतर पूछा जाता है कि धन निष्कासन से आप क्या समझते हैं? यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है। अगर आप किसी प्रकार की सरकारी परीक्षा की तेयारी कर रहे है तो आपको इस प्रश्न का उत्तर जरुर पता होना चाहिए। आइये जानते है इस प्रश्न का उत्तर क्या है? धन निष्कासन से आप क्या समझते हैं? धन निष्कासन का अर्थ है जब भारत पर अंग्रेजो का शासन था तब वे भारतीय उत्पाद का कुछ हिस्सा बाहर भेज देते थे और इसके बदले में हमें यानिकी भारत को कुछ नही दिया जाता था उसे धन निष्कासन कहा गया है। धन निष्कासन में किसी देश से सोने, चाँदी जैसी कीमती धातुएँ देश से बाहर भेजा जाता है, ऐसा होने का मुख्य कारण था भारत में विदेशी नियम और प्रशासन का होना तथा धन के निष्कासन के कारण भारत में पूँजी संचय नहीं हो पाया जिस कारण औद्योगिक विकास नहीं हो सका और देश में गरीबी तेजी से बढ़ने लगी। धन निष्कासन के कारण बहुत जी जगहों पर निवेश नही हो पाता है जैसे शिक्षा, कृषि, उद्योग, उपचार आदि जो देश को विनाश की तरफ ले जा सकते है। कुछ और महत्वपूर्ण लेख – • • •

शहरीरण से आप क्या समझते हैं? Shahrikaran Se Aap Kya Samajhte Hai?

शहरीकरण (urbanization) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा ग्रामीण बस्तियों कस्बों व शहरों में बदल जाती है। शहरीकरण की कुछ विशेषताएं इस प्रकार है- • इससे एक नई अर्थव्यवस्था उत्पन्न हुई जिसमें कृषि-पशुपालन का स्थान व्यापार, शिल्प और उद्योग-धंधों ने ले। • कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था का स्थान मुद्राप्रधान अर्थव्यवस्था ने ले। • शहर राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र तथा आधुनिकता के प्रतीक बन गए। by AnjaliYadav

आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास

sthayi bandobast • REDIRECT is vyavastha ko 'zamiandari pratha', ' mahalava di vyavastha • REDIRECT mahalava di vyavastha ka prastav sarvapratham 'h aault maikeanji' dvara laya gaya tha. is vyavastha ke aantargat bhoomi par gram samuday ka samoohik adhikar hota tha. is samuday ke sadasy alag-alag ya phir sanyukt roop se lagan ki adayagi kar sakate the. sarakari lagan ko ekatr karane ke prati poora 'mahal' ya 'kshetr' samoohik roop se zimmedar hota tha. mahal ke aantargat chhote v b de sabhi star ke zamiandar ate the. raiyyatava di vyavastha • REDIRECT is vyavastha mean pratyek panjikrit bhoomidar bhoomi ka svami hota tha, jo sarakar ko lagan dene ke lie uttaradayi hota tha. isake pas bhoomi ko rakhane v bechane ka adhikar hota tha. bhoomi kar n dene ki sthiti mean use bhoosvamitv ke adhikar se vanchit hona p data tha. is vyavastha ke antargat sarakar ka raiyyat se sidha sampark hota tha. krishi ka vyaparikaran british bharat mean p de akal varsh akal prabhavit kshetr uttar bihar • j aaun sulavin ke kathan ke anusar, "hamari pranali ek aise spanj ke roop mean kam karati hai, jo kisanoan ka shoshan 1850 ee. ke bad desh mean reloan ki vyavastha ne bhi vanijyik fasaloan ke utpadan ko protsahit kiya. is suvidha ka labh uthakar bharatiy kisan ab vishv bazar se sampark sadhane lage. naqad paise ke lalach mean bharatiy kisan apani fasaloan ko nimn dar par bechane laga, jisase usake shoshan ko badhava mila. vyaparik fasaloan ki kheti karane se niahsandeh kuchh kisanoan ki sthiti pa...

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धन निष्कासन का सिद्धांत क्या है? धन निष्कासन के प्रभाव, स्त्रोंत, मात्रा

1.8 Related धन निष्कासन से तात्पर्य भारतीय धन-संपदा का विदेशों में गमन और उसके बदले भारत को कुछ भी प्राप्त न होने से है! सर्वप्रथम दादा भाई नौरोजी ने 1867 ई. में “ धन निष्कासन के स्त्रोंत (dhan nishkasan ke strot) – धन निष्कासन की समस्या प्लासी के युद्ध के पश्चात प्रारंभ हुई! प्लासी के युद्ध के पूर्व यूरोप के व्यापारी बाहर से धन लाकर भारत में वस्तुओं को खरीदकर इन वस्तुओं को विदेशी बाजारों में अधिक कीमत पर बेचते थे, किंतु प्लासी और बक्सर के युद्ध के पश्चात बंगाल में कंपनी की सत्ता स्थापित हो गई! अब भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं की खरीदी के लिए बंगाल से प्राप्त लूट का धन, व्यापार से प्राप्त लाभांश एवं बंगाल से प्राप्त दीवानी का उपयोग किया जाने लगा! इस प्रकार धन की निकासी की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई! आगे धन की निकासी के रूप में अनेक मदें शामिल होती गई, जैसे – (1) भारत में साम्राज्य विस्तार और विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजी सरकार द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज! (2) अंग्रेजी अधिकारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन आदि! (3) कंपनी के शेयरधारकों को दिया जाने वाला लाभांश! (4) व्यापार, उद्योग, बागान में निवेश की गई निजी पूंजी की आय! (5) गृह व्यय के अंतर्गत रेलवे पर प्रत्याभूत ब्याज, भारत सचिव के ऑफिस का खर्च आदि हो रखा गया! धन निष्कासन की मात्रा (dhan nishkasan ki matra) – दादाभाई नौरोजी के अनुसार 1757 ई. से 1865 ई. के बीच भारत भारत से 150 करोड़ पौंड का निष्कासन हुआ! उसी प्रकार दिनशा वाचा के अनुसार 1860 ई. से 1920 ई. के बीच भारत से 30-40 करोड़ रूपया प्रतिवर्ष का निष्कासन हुआ! कुल मिलाकर भारत से कितना धन इंग्लैंड जाता था इसका आकलन करना कठिन है! किंतु यह निश्चित है कि भारत से इंग्लैंड एक बहुत बड़ी...