दहेज

  1. दहेज की शिकायत किससे और कहाँ करें? दहेज निषेध अधिनियम
  2. दहेज प्रथा : एक अभिशाप
  3. कौशांबी में विवाहिता की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, परिजनों ने लगाया दहेज हत्या का आरोप – ThePrint Hindi
  4. Gadar 2 Teaser Released: 'दहेज में लाहौर' लेने आए Sunny Deol, रोंगटे खड़े कर देगा श्मशान का ये सीन
  5. दहेज प्रथा क्या है ? (What is Dowry?)
  6. दहेज प्रथा पर निबंध
  7. भारत में दहेज मृत्यु: एक कानूनी अध्ययन


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दहेज की शिकायत किससे और कहाँ करें? दहेज निषेध अधिनियम

दहेज केस के नियम 2023, दहेज का केस कितने साल तक लगता है, दहेज केस के नियम 2023, दहेज उत्पीड़न पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले, दहेज हत्या कानून, दहेज़ निषेध अधिनियम-1961, दहेज कानून से बचाव, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 दहेज प्रथा समाज के लिए कलंक है। आज की तारीख में लड़कियां पढ़ लिख रही हैं एवं हर क्षेत्र में आगे जा रही हैं, किंतु शादी ब्याह की बात आती है तो आज भी दहेज उनकी शादी में एक प्रमुख बाधा बनकर खड़ा रहता है। दहेज हत्याओं में पहले की अपेक्षा कमी अवश्य आई है, किंतु वह बंद नहीं हुई हैं। आज भी देश में हर दूसरे घंटे एक विवाहिता दहेज की बलिवेदी पर चढ़ा दी जाती है। 1.27 Spread the love दहेज क्या है? [What is dowry?] दहेज प्रथा को हमने कलंक बताया है। क्यों? इस सवाल के जवाब के लिए सबसे पहले जान लेते हैं कि दहेज क्या है? दहेज विवाह के समय वधु के परिवार की ओर से वर को दी जाने वाली संपत्ति है। इसमें नकद के साथ ही अन्य सामान भी शामिल है। इसे वर दक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है। इसे उर्दू में जहेज के नाम से भी पुकारा जाता है। • दहेज निषेध अधिनियम-1961 की आवश्यकता क्यों पड़ी? भारत देश में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास रहा है। प्राचीन काल में विवाह के समय कन्या को वर के साथ अन्य सामान देकर विदा करने की प्रथा थी। इसे उसकी गृहस्थी जमाने में मदद करने के तौर पर दिया जाता था, किंतु कालांतर में इस इतना ही नहीं उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप तो हिंसा झेलनी ही पड़ी, उन्हें दहेज के लिए जलाया जाने लगा। इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए 1961 में दहेज निषेध अधिनियम पारित किया गया। इसके तहत दहेज के लेन-देन को दंड के दायरे में लाया गया एवं सजा का प्रावधान किया गया...

दहेज प्रथा : एक अभिशाप

निबंध की रूपरेखा • • • • • • • • दहेज प्रथा : एक अभिशाप प्रस्तावना वर्तमान भारतीय समाज में जो कुप्रथाएं प्रचलित हैं उनमें सर्वाधिक बुरी प्रथा है— दहेज प्रथा। जिसके कारण आम भारतीय त्रस्त, आशंकित एवं कुण्ठित हो रहा है। निश्चय ही दहेज प्रथा एक ऐसा अभिशाप बन गई है जो निरन्तर विकट रूप धारण करती जा रही है तथा प्रतिदिन अनेक युवतियाँ दहेज की बलिवेदी पर अपना बलिदान देने को विवश हो रही हैं। यदि इस दहेज रूपी भयंकर कोढ़ का हमने समय रहते उपचार न किया तो यह हमारे समाज के नैतिक मल्यों का क्षरण कर देगा और मानवता सिसकने लगेगी तथा मानवीय मूल्य समाप्त हो जाएंगे। प्रसिद्ध उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द ने इस समस्या को आधार बनाकर ‘निर्मला’ नामक उपन्यास लिखा जिसमें दहेज प्रथा के दुष्परिणामों को भोगने वाली नायिका निर्मला की व्यथा की मार्मिक अभिव्यक्ति कुशलता से की गई है। इसी उपन्यास में दहेज प्रथा पर टिप्पणी करते हुए प्रेमचन्द कहते हैं : “दहेज बुरा रिवाज है, बेहद बुरा। बस चले तो दहेज लेने वालों और देने वालों को ही गोली मार देनी चाहिए, फिर चाहे फांसी ही क्यों न हो जाए। पूछो, आप लड़के का विवाह करते हैं कि उसे बेचते हैं?” प्रेमचन्द की ये पंक्तियां हमें इस ज्वलन्त समस्या पर सोचने को विवश करती हैं। उनके हृदय में इस कुप्रथा के प्रति कितना आक्रोश है यह भी यहाँ व्यंजित हो रहा है। देखें – दहेज का अर्थ दहेज का शाब्दिक अर्थ है वह सम्पत्ति या वस्तू जो विवाह हेतु एक पक्ष (प्रायः कन्या पक्ष) द्वारा दूसरे पक्ष (प्रायः वर पक्ष) को दी जाती है। आज दहेज प्रथा भारतीय समाज की एक ऐसी अनिवार्य बुराई है, जिससे बच पाना बहुत कठिन है। दहेज बस्तुतः ‘वर मूल्य’ के रूप में प्रचलित हो गया है और बाकायदा इसे विवाह पूर्व ही निश्चित ए...

कौशांबी में विवाहिता की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, परिजनों ने लगाया दहेज हत्या का आरोप – ThePrint Hindi

कौशांबी (उप्र) 11 जून (भाषा) कौशांबी जिले के सैनी थाना क्षेत्र में संदिग्ध परिस्थिति में एक विवाहिता की मौत हो गई है, जिसके बाद उसके परिजनों (मायके वालों) ने दहेज के लिए हत्या का आरोप लगाया है। पुलिस ने रविवार को बताया कि परिजनों की तहरीर पर मृतका के पति सहित ससुराल वालों के विरुद्ध अभियोग दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। पुलिस के अनुसार नरवर पट्टी गांव की कांति देवी (23) की शादी दो साल पहले अजुहा के शिव बाबू के साथ हुई थी। रविवार की सुबह कांति देवी का शव संदिग्ध परिस्थितियों में घर के अंदर एक कमरे में पाया गया। पुलिस के मुताबिक सूचना मिलने पर विवाहिता के मायके वाले उसकी ससुराल पहुंचे। कांति देवी की मां ने पुलिस से शिकायत की है कि उन्होंने शादी के दौरान अपनी हैसियत के हिसाब से दहेज दिया था, लेकिन उसकी बेटी के ससुराल वाले लगातार अतिरिक्त दहेज की मांग कर रहे थे और आए दिन उसे प्रताड़ित करते थे। पुलिस के अनुसार उन्होंने (मृतका की मां ने) आरोप लगाया कि दहेज नहीं दे पाने की स्थिति में ससुराल वालों ने उसकी बेटी की शनिवार की रात गला दबाकर हत्या कर दी। उन्होंने कांति के पति शिव बाबू ,ससुर शिवचंद, जेठ शिवपूजन एवं शिवरतन तथा बेटी की जेठानी, सास एवं ननद सहित आठ लोगों के विरुद्ध अपनी बेटी की हत्या करने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी। सिराथू के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) अवधेश विश्वकर्मा ने बताया कि रविवार को थाना क्षेत्र के अजुहा कस्बे में कमरे के अंदर कांति देवी का शव मिला है। उन्होंने बताया कि शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया गया है। सीओ ने कहा कि मृतका के परिजनों की तहरीर पर अभियोग दर्ज किया गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर जांच कर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जाएगी। भाषा सं आनन्...

Gadar 2 Teaser Released: 'दहेज में लाहौर' लेने आए Sunny Deol, रोंगटे खड़े कर देगा श्मशान का ये सीन

डीएनए हिंदी: सनी देओल (Sunny Deol) और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'गदर 2' (Gadar 2 Teaser Released) को लेकर चर्चाएं तो काफी समय से से है लेकिन अब जाकर इस फिल्म का धमाकेदार टीजर रिलीज हो गया है. इस टीजर में 'तारा सिंह' को ही हाईलाइट किया गया है. डायलॉग्स और कुछ पावरफुल सीन्स के जरिए इस फिल्म की एक झलक दिखाई गई है. इस टीजर में दिखाए गए एक सीन ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है. ये सीन श्मशान पर इमोशनल होते तारा सिंह से जुड़ा है. इसके अलावा टीजर में डायलॉग्स की भी खूब तारीफें हो रही हैं. ' इस टीजर के एक सीन को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं. इस सीन में सनी देओल किसी श्मशान में बैठे दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़े हुए हैं और आंखों में आंसू हैं. इस सीन में उनके सामने दो लाशें रखी दिखाईे रही हैं. लोग इस सीन को देखकर कई तरह के कयास लगा रहे हैं. कई लोगों ने पूछा है क्या कि 'क्या तारा सिंह अपने परिवार को खो देखा?'. एक अन्य ने पूछा 'क्या फिल्म में सकीना की मौत हो जाएगी?'. हालांकि, सीन आखिर क्या है, ये तो ट्रेलर या फिल्म में ही देखने को मिलेगा. ये भी पढ़ें- बता दें कि ये फिल्म 11 अगस्त 2023 को रिलीज होने जा रही है. फिल्म में सनी देओल, अमीषा पटेल के अलावा उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर, मनीष वाधवा और लव सिन्हा जैसे स्टार्स दिखाई देने वाले हैं. अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में कई धमाकेदार एक्शन सीन्स देखने को मिलेंगे. देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में

दहेज प्रथा क्या है ? (What is Dowry?)

दहेज प्रथा क्या है ? (What is Dowry?) Posted on March 24th, 2020 दहेज का अर्थ उस सम्पत्ति और धन से है जो विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है। दहेज को उर्दू में जहेज़ भी कहा जाता है। यूरोप, भारत, अफ्रीका और दुनिया के अन्य भागों में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास रहा है। भारत में इस प्रथा को दहेज, हुँडा या वर-दक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के परिवार इसे नक़द या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू के साथ देता है। आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई व्यापक है। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा का स्वरुप अभी भी विकराल है। दहेज प्रथा के मामलों में दहेज न देने पर तो लड़की का उत्पीड़न किया ही जाता है,दहेज देने के बाद भी वर पक्ष इस बात को लगातार शिकायत करता है कि उसे अपेक्षा से कम दिया गया। इसके बाद से लड़की का उत्पीड़न शुरू हो जाता है और इसका प्रभाव वधू के मूल परिवार पर भी पड़ता है। अनेक मामलों में यह उत्पीड़न जलाकर या अन्य बर्बर कृत्यों द्वारा उसकी हत्या तक पहुँच जाता है। वधू को अक्सर जीवित जला कर मार दिया जाता है। दहेज हत्या के अनेक मामले ऐसे होते हैं, जिसमें लड़की यातना एवं उत्पीड़न सह नहीं पाती हैं और आत्महत्या कर लेती है। एक समय था, जब दहेज हत्या के मामले केवल हिन्दुओं में ही देखने को मिलते थे लेकिन आज ये मामले सिखों, मुसलमानों तथा ईसाइयों में भी देखने को मिलने लगे हैं। भारत में गरीब किसानों द्वारा दहेज की मांग को पूरा करने के लिए कर्ज़ लिए जाते हैं, इसका खामियाजा उन्हें कर्ज जाल में फँसकर अपनी जिंदगी गुजारने में चुकानी पड़ती है। भारत में गरीब घर की महिलाओं से उनकी ससुराल में कमरतोड़ शारीरिक मेहनत कारवाई जाती है क्योंकि उनके माता-प...

दहेज प्रथा पर निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry System in Hindi! भारत में दहेज एक पुरानी प्रथा है । मनुस्मृति मे ऐसा उल्लेख आता है कि माता-कन्या के विवाह के समय दाय भाग के रूप में धन-सम्पत्ति, गउवें आदि कन्या को देकर वर को समर्पित करे । यह भाग कितना होना चाहिए, इस बारे में मनु ने उल्लेख नहीं किया । समय बीतता चला गया स्वेच्छा से कन्या को दिया जाने वाला धन धीरे-धीरे वरपक्ष का अधिकार बनने लगा और वरपक्ष के लोग तो वर्तमान समय में इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार ही मान बैठे हैं । अखबारों में अब विज्ञापन निकलते है कि लड़के या लडकी की योग्यता इस प्रकार हैं । उनकी मासिक आय इतनी है और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत सम्माननीय है । ये सब बातें पढ़कर कन्यापक्ष का कोई व्यक्ति यदि वरपक्ष के यहा जाता है तो असली चेहरा सामने आता है । वरपक्ष के लोग घुमा-फिराकर ऐसी कहानी शुरू करते हैं जिसका आशय निश्चित रूप से दहेज होता है । दहेज मांगना और देना दोनों निन्दनीय कार्य हैं । जब वर और कन्या दोनों की शिक्षा-दीक्षा एक जैसी है, दोनों रोजगार में लगे हुए हैं, दोनों ही देखने-सुनने में सुन्दर हैं, तो फिर दहेज की मांग क्यों की जाती है? कन्यापक्ष की मजबूरी का नाजायज फायदा क्यों उठाया जाता है? ADVERTISEMENTS: शायद इसलिए कि समाज में अच्छे वरों की कमी है तथा योग्य लड़के बड़ी मुश्किल से तलाशने पर मिलते हैं । हिन्दुस्तान में ऐसी कुछ जातियां भी हैं जो वर को नहीं, अपितु कन्या को दहेज देकर ब्याह कर लेते हैं; लेकिन ऐसा कम ही होता है । अब तो ज्यादातर जाति वर के लिए ही दहेज लेती हैं । दहेज अब एक लिप्सा हो गई है, जो कभी शान्त नहीं होती । वर के लोभी माता-पिता यह चाह करते हैं कि लड़की अपने मायके वालों से सदा कुछ-न-कुछ लाती ही रहे और उनका घर भर...

भारत में दहेज मृत्यु: एक कानूनी अध्ययन

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • सार (अब्स्ट्रैक्ट) जब एक महिला एक बंधन में प्रवेश करती है तो उसे कई तरह की अपेक्षाएं (एक्सपेक्टेशंस) होती हैं। वह एक सुखी वैवाहिक जीवन चाहती है। वह किसी दिन माँ बनने और फिर सास, दादी-नानी वगैरह बनने की उम्मीद करेगी, और यह महिला समाज में एक सम्मानजनक स्थिति की पात्र भी हैं। लेकिन ये सब कुछ दहेज से संबंधित मौतों के क्रूर हाथों से खत्म हो जाती हैं। दहेज हत्या पति और उसके परिवार द्वारा, एक महिला के खिलाफ समय-समय पर मांगे गए उपहारों और अन्य चीज़ों को ज़बरदस्ती से पाने के मकसद से की जाने वाली हिंसा है। भारतीय समाज में कुछ समय पहले विवाहित महिलाओं की अप्राकृतिक (अननेचुरल) मृत्यु, दहेज के अर्थ के माध्यम से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन समय के साथ-साथ उत्पीड़न और क्रूरता कुछ हद तक अभी भी वही बनी हुई है। महिलाओं को इस सामाजिक बुराई से बचाना राज्य की जिम्मेदारी है। सरकार ने दहेज के खिलाफ, दहेज निषेध अधिनियम, 1961 (डाउरी प्रोहिबिशन एक्ट, 1961) आदि जैसे कई कानून बनाए हैं। 21वें विधि आयोग (लॉ कमीशन) की रिपोर्ट की सिफारिश पर कुछ दंडात्मक प्रावधान (पीनल प्रोविजन) भी जोड़े गए है। दहेज मृत्यु दर (रेट) को कम करने के उद्देश्य से सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों (नॉन-गवर्नमेंटल आर्गेनाइजेशन) द्वारा कई शैक्षिक और जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए है। इस क्रूर प्रकार की सामाजिक बुराई से निपटने के लिए धारा 304 B (दहेज मृत्यु), धारा 498 A (पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता यानी घरेलू हिंसा), धारा 113 B (दहेज मौत के बारे में अनुमान) को भारतीय दंड कानूनों में 1986 के आसपास, इस बुराई को मिटाने के लिए शामिल किया गया था। परिचय (इंट्रोडक्शन) हमारे सामाजिक संस्था ...