धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं

  1. class 11th Political Science chapter 18 धर्मनिरपेक्षता solution
  2. धर्मनिरपेक्षता (Secularism) NCERT Solutions
  3. धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? क्या इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से की जी सकती है?
  4. आपने पूछा: धर्मनिरपेक्षता और धर्म से आप क्या समझते हैं?
  5. भारत में धर्मनिरपेक्षता
  6. जीवन कौशल
  7. आदर्शवाद


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class 11th Political Science chapter 18 धर्मनिरपेक्षता solution

● प्राचीन धारणा धर्मनिरपेक्षता का तात्पर्य राजनीतिक कार्यों हेतु धर्म को आधार न बनाना है। ● धर्मनिरपेक्षता के दो महत्वपूर्ण पहलू- अंतर धार्मिक वर्चस्व का विरोध तथा धर्म के अंदर छुपे वर्चस्व का विरोध करना है। ● धर्मनिरपेक्षता ऐसा नियामक सिद्धांत है, जो धर्म के आंतरिक एवं बाह्य दोनों ही वर्चव्यों से रहित समाज का निर्माण चाहता है। ● समस्त धर्मनिरपेक्ष राज्य किसी धर्म विशेष की स्थापना से दूर रहते हुए धार्मिक कानूनों द्वारा संचालित नहीं होते हैं। ● हालांकि भारतीय धर्मनिरपेक्षता पर पाश्चात्य धर्मनिरपेक्षता का अंधानुकरण करने का आरोप लगाया जाता है परंतु वास्तविक रूप से हमारी धर्मनिरपेक्षता पाश्चात्य धर्मनिरपेक्षता के मूलभूत रूप से अलग है। ● भारतीय धर्मनिरपेक्षता का संबंध व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता से ना होकर अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक आजादी से है। ● 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द जोड़कर देश को स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। प्रश्न 1. धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? क्या इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से की जा सकती है? उत्तर- धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा नियामक सिद्धांत है जो विभिन्न धर्मों के मध्य तथा अनेक धर्मों के भीतर उठने वाले वर्चस्व की प्रतिस्पर्धा से रहित समाज का निर्माण करना चाहता है पूर्णब्रह्म यह एक ऐसी धारणा है जो धर्मों के भीतर आजादी तथा विभिन्न धर्मों के मध्य और उनके भीतर समानता को बढ़ावा देती है। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि धर्मनिरपेक्षता में सभी धर्मों को समान समझा जाता है तथा लोगों को धर्म की स्वतंत्रता मिलती है। शासन किसी भी धर्म को विशेष महत्व नहीं देता है तथा सभी धर्मों पर ए...

धर्मनिरपेक्षता (Secularism) NCERT Solutions

प्रश्न.1. निम्नलिखित में से कौन-सी बातें धर्मनिरपेक्षता के विचार से संगत हैं? कारण सहित बताइए। (क) किसी धार्मिक समूह पर दूसरे धार्मिक समूह का वर्चस्व न होना। (ख) किसी धर्म को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता देना। (ग) सभी धर्मों को राज्य का समान आश्रय होना। (घ) विद्यालयों में अनिवार्य प्रार्थना होना। (ङ) किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अपने पृथक शैक्षिक संस्थान बनाने की अनुमति होना। (च) सरकार द्वारा धार्मिक संस्थाओं की प्रबन्धन समितियों की नियुक्ति करना। (छ) किसी मन्दिर में दलितों के प्रवेश के निषेध को रोकने के लिए सरकार का हस्तक्षेप। (ङ)किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अपने पृथक् शैक्षिक संस्थान बनाने की अनुमति होना, धर्मनिरपेक्षता के विचार से संगत है। क्योंकि इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए सरकार सहायता कर रही है। यह कार्य भारतीय संविधान द्वारा भी मान्यता प्राप्त है। (छ)किसी मन्दिर में दलितों के प्रवेश के निषेध को रोकने के लिए सरकार का हस्तक्षेत्र उचित है, क्योंकि सरकार का यह व्यवहार धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को प्रकट करता है। प्रश्न.2. धर्मनिरपेक्षता के पश्चिमी और भारतीय मॉडल की कुछ विशेषताओं का आपस में घालमेल हो गया है। उन्हें अलग करें और एक नई सूची बनाएँ। प्रश्न.3. धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? क्या इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से की जी सकती है धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि उस राज्य में विभिन्न धर्मों तथा मत मतान्तरों को मानने वाले रहते हैं। लेकिन राज्य का अपना कोई विशिष्ट धर्म नहीं होगा तथा वह धार्मिक कार्यों में भाग भी नहीं लेगा और किसी के धर्म में रुकावट भी उत्पन्न नहीं करेगा। इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से नहीं की जा सकती है। राष्ट्र की एकता, अखण्डता तथा सुदृढ़ता...

धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? क्या इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से की जी सकती है?

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि उस राज्य में विभिन्न धर्मों तथा मत मतान्तरों को मानने वाले रहते हैं। लेकिन राज्य का अपना कोई विशिष्ट धर्म नहीं होगा तथा वह धार्मिक कार्यों में भाग भी नहीं लेगा और किसी के धर्म में रुकावट भी उत्पन्न नहीं करेगा। इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से नहीं की जा सकती है। राष्ट्र की एकता, अखण्डता तथा सुदृढ़ता के लिए धर्मनिरपेक्षता को ही अपनाना उचित है। सभी नागरिकों से एकसमान न्याय करने के उद्देश्य से भी धर्मनिरपेक्षता की नीति तर्क संगत है।

आपने पूछा: धर्मनिरपेक्षता और धर्म से आप क्या समझते हैं?

धर्मनिरपेक्ष सुधार और लोकतंत्र का क्या अर्थ है? एक राज्य लाइको यह है कि वह जनता की स्वायत्तता और धार्मिक स्वायत्तता दोनों की रक्षा करता है; वह जो किसी नैतिक विकल्प का समर्थन या प्रचार न करके समान व्यवहार प्रदान करता हो। इसके बजाय, एक गणतंत्र में लौकिकस्वतंत्रता की कल्पना न केवल गैर-हस्तक्षेप के रूप में की जाती है, बल्कि स्वायत्तता के रूप में भी की जाती है। धर्मनिरपेक्षता समाज को कैसे प्रभावित करती है? धर्मनिरपेक्षता सीमाओं की भावना और दूसरे से सीखने की क्षमता है। NS धर्मनिरपेक्षता यह एक मुक्ति आंदोलन है, उनमें से एक ने वर्चस्व का मुकाबला करने और बहुलवाद के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने में सबसे अधिक योगदान दिया है। करने के लिए धन्यवाद धर्मनिरपेक्षता हमारे पास कलीसियाई वर्चस्व और अधिक बहुवचन से मुक्त समाज हैं। Afrikaans Shqip አማርኛ العربية Հայերեն Azərbaycan dili Euskara Беларуская мова বাংলা Bosanski Български Català Cebuano Chichewa 简体中文 繁體中文 Corsu Hrvatski Čeština‎ Dansk Nederlands English Esperanto Eesti Filipino Suomi Français Frysk Galego ქართული Deutsch Ελληνικά ગુજરાતી Kreyol ayisyen Harshen Hausa Ōlelo Hawaiʻi עִבְרִית हिन्दी Hmong Magyar Íslenska Igbo Bahasa Indonesia Gaelige Italiano 日本語 Basa Jawa ಕನ್ನಡ Қазақ тілі ភាសាខ្មែរ 한국어 كوردی‎ Кыргызча ພາສາລາວ Latin Latviešu valoda Lietuvių kalba Lëtzebuergesch Македонски јазик Malagasy Bahasa Melayu മലയാളം Maltese Te Reo Māori मराठी Монгол ဗမာစာ नेपाली Norsk bokmål پښتو فارسی Polski Português ਪੰਜਾਬੀ Română Русский Samoan Gàidhlig Српски језик Sesotho Shona سنڌي සිංහල Slovenčina Slovenščina Afsoomaali Español Basa Sunda Kiswahil...

भारत में धर्मनिरपेक्षता

[ धर्म शब्द का अर्थ पंथ नही होता। इसलिए धर्म निरपेक्ष शब्द ही गलत है। सेक्युलर शब्द का अर्थ धर्मनिरपेक्ष नही अपितु पंथनिरपेक्ष होता है । धर्म शब्द का विश्व में किसी भी समृद्ध भाषा मे पर्यायवाची शब्द नही है। इसलिए पंथनिरपेक्ष या सेक्युलर कहना उचित है। धर्मनिरपेक्षता असंभव है। धर्म एक ही होता है। ईसाई, इस्लाम, जैन, बौद्ध, सिख ये धर्म नही है अपितु पंथ मजहब या संप्रदाय है। धर्म के 10 लक्षण होते हैं जो मनुस्मृति मे दर्ज है। धर्मनिरपेक्ष शब्द, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारतीय पन्थनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताएँ [ ] ध्यातव्य है कि ४२वें संविधान संशोधन के बाद भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'पंथनिरपेक्ष' शब्द जोड़ा गया, लेकिन 'पन्थनिरपेक्ष' शब्द का प्रयोग भारतीय संविधान के किसी अन्य भाग में नहीं किया गया है। वैसे संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद मौजूद हैं जिनके आधार पर भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य कहा जा सकता है- • (१) भारत में संविधान द्वारा नागरिकों को यह विश्वास दिलाया गया है कि उनके साथ • (२) संविधान में भारतीय राज्य का कोई धर्म घोषित नहीं किया गया है और न ही किसी खास धर्म का समर्थन किया गया है। • (३) संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार भारतीय राज्य क्षेत्र में सभी व्यक्ति कानून की दृष्टि से समान होगें और धर्म, जाति अथवा लिंग के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। • (४) अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, जाति, नस्ल, लिंग और जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव पर पाबंदी • • • लगाई गई है। • (५) अनुच्छेद 16 में सार्वजनिक रोजगार के क्षेत्र में सबको एक समान अवसर प्रदान करने की बात की गई है (कुछ अपवादों के साथ) । इसके साथ भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 25 से 28 तक धार...

जीवन कौशल

अनुक्रम • 1 आग्रहिता (Assertiveness) • 2 समय प्रबंधन • 3 स्वयं की देखभाल • 4 आहार • 5 व्यायाम • 6 कुछ जरुरी जीवन कौशल • 7 सन्दर्भ आग्रहिता (Assertiveness) [ ] आग्रहिता एक ऐसा व्यवहार या कौशल है जो हमारी भावनाओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं तथा विचारों के सुस्पष्ट तथा विश्वासपूर्ण संप्रेपषण में सहायक होता है। यह ऐसी योग्यता है जिसके द्वारा किसी के निवेदन को अस्वीकार करना, किसी विषय पर बिना आत्मचेतन के अपने मत को अभिव्यक्त करना , या फिर खुल कर ऐसे संगवेगो जैसै … प्रेम ' क्रोध इत्यादि को अभिव्यक्त करना संभव होता हैं। यदि आप आग्रही हैं तो आपमें उच्च आत्म-विश्वास एव्ं आत्म- सम्मान तथा अपनी अस्मिता की एक अटूट भावना होती है। जीवन कोशल मानव जीवन मे उपयोगी सिद्ध होता है समय प्रबंधन [ ] आप अपना स्वयं की देखभाल [ ] यदि हम स्वयं को स्वस्थ, दुरुस्त तथा विश्रात रखते हैं तो हम दैनिक जीवन के दबावों का सामना करने के लिए शारीरिक एवं सांवेगिक रूप से और अच्छी तरह तैयार रहते हें। हमारे श्वसन का प्रतिरूप हमारी मानसिक तथा सांवेगिक स्थिति को परिलक्षित करता है। जब हम दबाव मे होते हैं तो हमारा श्वसन और तेज़ हो जाता है, जिसके बीच-बीच में अक्सर आहें भी निकलती रहती हैं। सबसे अधिक विश्रात श्वसन मंद, मध्यपट या डायाफ्राम, अर्थात सीना और उदर गुहिका के बीच एवं गुंबदाकार पेशी, से उदर-केंद्रित श्वसन होता है। पर्यावरणी दबाव, जैसै शोर, प्रदूषण, दिक्, प्रकाश, वर्ण इत्यादि सब हमारी मनोस्थिति क्रो प्रभावित कर सकते हे। इनका निश्चित प्रभाव आहार [ ] संतुलित आहार व्यक्ति की मन: स्थिति को ठीक कर सकता है, ऊर्जा प्रदान कर सकता है , माँसपेशियों का पोषण कर सकता हे,रक्त परिसंचरण को समुन्नत कर सकता है, रोगों से संतुलित आहार व्यक्ति...

आदर्शवाद

अनुक्रम • 1 प्रत्यय और आदर्श • 2 निःश्रेयस का स्वरूप • 3 आदर्शवाद की मान्य धारणाएँ • 3.1 स्वार्थ और सर्वार्थ • 3.2 आध्यात्मिक और प्राकृतिक मूल्य • 3.3 नैतिक स्वाधीनता • 4 श्रेष्ठ, श्रेष्ठतर और श्रेष्ठतम • 5 शिक्षा में आदर्शवाद • 5.1 शिक्षा के उद्देश्य तथा आदर्शवाद • 5.2 पाठ्यक्रम तथा आदर्शवाद • 5.3 शिक्षा पद्धति तथा आदर्शवाद • 5.4 शिक्षक तथा आदर्शवाद • 5.5 अनुशासन तथा आदर्शवाद • 6 आदर्शवाद का मूल्यांकन • 6.1 दोष • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ प्रत्यय और आदर्श [ ] कुछ विचारकों के अनुसार मुनष्य और अन्य प्राणियों में प्रमुख भेद यह है कि मनुष्य प्रत्ययों का प्रयोग कर सकता है और अन्य प्राणियों में यह क्षमता विद्यमान नहीं। कुत्ता दो मनुष्यों को देखता है, परंतु 2 को उसने कभी नहीं देखा। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं- वैज्ञानिक और नैतिक। संख्या, गुण, मात्रा आदि वैज्ञानिक प्रत्ययों का अस्तित्व तो असंदिग्ध है, परंतु नैतिक प्रत्ययों का अस्तित्व विवाद का विषय बना रहा है। हम कहते हैं- 'आज मौसम बहुत अच्छा है'। यहाँ हम अच्छेपन का वर्णन करते हैं और इसके साथ अच्छाई के अधिक न्यून होने की ओर संकेत करते हैं। इसी प्रकार का भेद कर्मो के संबंध में भी किया जाता है। नैतिक प्रत्यय को आदर्श भी कहते हैं। आदर्श एक ऐसी स्थिति है, जो- • (1) वर्तमान में विद्यमान नहीं, • (2) वर्तमान स्थिति की अपेक्षा अधिक मूल्यवान् है, • (3) अनुकरण करने के योग्य है, और • (4) वास्तविक स्थिति का मूल्य जांचने के लिए मापक का काम देती है। आदर्श के प्रत्यय में मूल्य का प्रत्यय निहित है। मूल्य के अस्तित्व की बाबत हम क्या कह सकते हैं? कुछ लोग मूल्य को मानव कल्पना का पद ही देते हैं। जो वस्तु किसी कारण से हमें आकर...