धर्मवीर भारती द्वारा लिखित उपन्यास है

  1. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएं
  2. पुस्तक समीक्षा : धर्मवीर भारती द्वारा रचित 'सूरज का सातवाँ घोड़ा'
  3. मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय
  4. धर्मवीर भारती (Author of गुनाहों का देवता)
  5. श्री धर्मवीर भारती
  6. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय
  7. धर्मवीर भारती (Author of गुनाहों का देवता)
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धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएं

धर्मवीर भारती का जीवन परिचय प्रारंभिक जीवन जन्म 25 दिसंबर 1926 में जन्म स्थान इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में मृत्यु 4 सितंबर 1997 में पिता का नाम श्री चिरंजीलाल रचनाएं गुनाहों का देवता, नीली झील, ठेले पर हिमालय आदि भाषा शुद्ध साहित्यिक, भावपूर्ण धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद के अत्तर सुइया मोहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम चिरंजी लाल और माता का नाम चंदा देवी था। अचानक से माँ की तबियत खराब होने लगी और इससे उनके पिता कर्ज में डूब गये थे. माता की मौत के बाद ही पिता की असमय मृत्यु के बाद परिवार को काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उनकी एक बहन थी जिनका नाम डॉ. वीरबाला था। धर्मवीर भारती की शिक्षा धर्मवीर भारती को पढने लिखने का काफी शौक था वे हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी उपन्यास पढने के भी शौकीन थे। स्कूल से छुट्टी होने के बाद वे देर तक किताबे पढ़ते है। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्रयाग के हाई स्कूल से हुई थी और फिर उन्होंने 1946 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया और हिंदी में सर्वोच्च अंक हासिल करने के लिए “चिंतामणि घोष पुरस्कार” जीता था। वैवाहिक जीवन डॉ भारती ने 1954 में शादी की थी। और बाद में श्रीमती कांता भारती को तलाक दे दिया, जिनसे उनकी एक बेटी परमिता थी। कुछ साल बाद उन्होंने पुनर्विवाह किया और श्रीमती पुष्पा भारती के साथ उनका एक बेटा किंशुक भारती और एक बेटी प्रज्ञा भारती थी। डॉ. भारती को हृदय रोग हो गया और 1997 में एक लम्बी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। पढ़ें… पढ़ें… करियर धर्मवीर भारती इस अवधि के दौरान “अभ्युदय” और संगम” पत्रिकाओं के उप-संपादक थे। बाद में उन्होंने अपनी पी.एच.डी. 1954 में डॉ. धीरेंद्र वर्मा के अधीन “सिद्ध...

पुस्तक समीक्षा : धर्मवीर भारती द्वारा रचित 'सूरज का सातवाँ घोड़ा'

'सूरज का सातवाँ घोड़ा' उपन्यास की भूमिका श्री अज्ञेय जी ने लिखी है और इस भूमिका में अज्ञेय जी ने कहा है कि वो भारती जी को जीनियस नहीं कहेंगे क्योंकि किसी को जीनियस कह देना उसकी विशेषज्ञता को एक भारी भरकम शब्ददेकर उड़ा देना है। जीनियस क्या है हम जानते ही नहीं है, बस लक्षणों को ही जानते हैं जैसे - अथक श्रम-सामर्थ्य और अध्यवसाय, बहुमुखी क्रियाशीलता, प्राचुर्य, चिरजाग्रत चिर-निर्माणशील कल्पना, सतत जिज्ञासा और पर्यवेक्षण, देश-काल या युग-सत्य के प्रति सतर्कता, परम्पराज्ञान, मौलिकता, आत्मविश्वास और - हाँ, - एक गहरी विनय। और अज्ञेय जी का मूल्यांकन है कि भारती जी में ये सब लक्षण विद्यमान हैं। प्रख्यात समकालीन लेखकों द्वारा अपने समकालीन लेखकों के लिए भूमिका या प्रस्तावना लिखना उस समय कम ही होता था, तथापि अज्ञेय जी ने भूमिका लिखना सहर्ष स्वीकार किया और भारती जी को हिंदी साहित्य का उगता हुआ सितारा बताया। 'सूरज का सातवाँ घोड़ा' धर्मवीर भारती जी का एक प्रयोगात्मक और मौलिक उपन्यास है। प्रयोगात्मक इसलिए क्योंकि इसके बहुत से गुण परम्परागत हिंदी उपन्यासों से अलग थे मसलन कहानी में कम पात्रों का होना, उपन्यास का बहुत विशाल न होना, किसी पात्र के विकास के लिए बहुत अधिक समय और घटनाएं नहीं देना, शुरुआत में पृथक दिखने वाली कहानियों का आपस में सम्बन्ध होना, स्मृति पर आधारित पात्रों में पर्याप्त विविधता होना इत्यादि। मौलिक इसलिए क्योंकि जिस विधा में यह उपन्यास लिखा गया है वह समकालीन हिंदी साहित्य में कम देखने को मिलता है और, हितोपदेश और पंचतंत्र की कथा शैली की याद अधिक दिलाता है जैसे कि छोटी छोटी कहानियों के माध्यम से उपन्यास को आगे बढ़ाते रहना जबकि कहानी के पात्रों में और उनके द्वारा सुनाई गयी कहानियों...

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय के प्रश्न उत्तर मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय प्रश्न उत्तर मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ का लेखक कौन है mera chota sa niji pustkaalay story संचयन hindi book Mera Chota Sa Niji Pustakalaya Class 9 Explanation Mera Chota Sa Niji Pustakalaya Class 9 Explanation Line by Line Explained mera chota sa niji pustakalaya mera chota sa niji pustakalay class 9 mera chota sa niji pustakalay summary in hindi mera chota sa niji pustakalaya mera chota sa niji pustakalaya extra question answers mera chota sa niji pustakalaya summary in hindi mera chota sa niji pustakalaya full chapter मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय NCERT Solutions for Class 9th पाठ 4 - मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय Hindi Sanchayan questions and answers of Class 9 Hindi Mera Chhota Sa Niji Pustkalay class 9 मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ का सारांश प्रस्तुत पाठ या आत्मकथा मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय लेखक धर्मवीर भारती जी के द्वारा लिखित है | वास्तव में देखा जाए तो यह पाठ लेखक धर्मवीर भारती जी की आत्मकथा है | इस पाठ के अनुसार, वर्ष 1989 में लेखक को लगातार तीन हार्ट-अटैक का सामना करना पड़ा था |सम्भवतः उनकी साँसें, नब्ज़, धड़कन आदि की सक्रियता समाप्त हो चुकी थी | लगभग सभी डॉक्टरों ने तो उन्हें मृत मान लिया था | लेकिन उन्हीं डॉक्टरों में एक 'डॉक्टर बोर्जेस' थे, जिसने अब तक अपनी हिम्मत नहीं हारी थी | डॉक्टर बोर्जेस ने लेखक के मृत पड़ चुके शरीर को नौ सौ वॉल्ट्स के शॉक दिए, जिसके कारण उनका प्राण तो वापस लौट गया, लेकिन लेखक के हार्ट का लगभग साठ प्रतिशत भाग ख़राब हो चुका था | केवल चालि...

धर्मवीर भारती (Author of गुनाहों का देवता)

See धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। उन्हें आर्यसमाज की चिंतन और तर्कशैली भी प्रभावित करती है और रामायण, महाभारत और श्रीमदभागवत। प्रसाद और शरत्चन्द्र का साहित्य उन्हें विशेष प्र See धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। उन्हें आर्यसमाज की चिंतन और तर्कशैली भी प्रभावित करती है और रामायण, महाभारत और श्रीमदभागवत। प्रसाद और शरत्चन्द्र का साहित्य उन्हें विशेष प्रिय था। आर्थिक विकास के लिए...

श्री धर्मवीर भारती

प्रयोगवाद के प्रवर्त्तक अज्ञेय जी द्वारा संपादित ‘दूसरा सप्तक’ 1951 ई. के साथ ही डॉ. धर्मवीर भारती का हिन्दी साहित्य में आगमन हुआ । भारती जी उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, कवि और ‘धर्मयुग’ के संपादक के रूप में जाने जाते हैं । इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारती जी को एक प्रख्यात निबंधकार के रूप में भी जाना जाता है । धर्मवीर भारती की प्रशंसा करते हुए अज्ञेय लिखते हैं - ‘‘प्रतिभाएॅं और भी हैं, कृतित्व औरों का भी उल्लेखनीय है, पर उनसे धर्मवीर भारती में एक विशेषता है । वे केवल अच्छे, परिश्रमी, रोचक लेखक नहीं हैं, वे नयी पौध के सबसे मौलिक लेखक हैं ।’’1 भारती के निबंधकार के रूप को स्पष्ट करने से पहले एक बात बता देनी चाहिए कि उनके निबंधों को निबंध की शिल्पगत व्याख्या के अनुकूल माना जाए अथवा नहीं, इस बारे में यदा-कदा प्रश्न उठते रहे हैं । उनको निबंधकार के रूप में उतनी ख्याति नहीं प्राप्त हुई, जितनी कवि के रूप में । अतः कहा जा सकता है कि निबंधकार डॉ. भारती पर अभी तक सम्यक् विवेचन होना शेष है । डॉ. वेदवती राठी मानती है कि, ‘‘हिन्दी गद्य की ललित लेखन परम्परा में उनकी तीन गद्यकृतियॉं विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं । जिनमें ‘पश्यन्ती’, ‘कहनी-अनकहनी’ में दी गयी ललित निबंधनुमा गद्यरचनाएॅं उनके आत्मकथात्मक प्रयोगों के सुन्दर निदर्शन कहीं जा सकती हैं । ‘ठेले पर हिमालय’ तीसरी रचना है, जिससे यात्रा-विवरण, डायरी, पत्र, शब्द-चित्र, संस्मरण, कैरीकेचर, व्यंग्य, रूपक, श्रद्धांजलि और आत्म व्यंग्य जैसे शीर्षकों के अंतर्गत जो गद्यरचनाएॅं दी गयी हैं, वे अपने रूप में ललित गद्य के सुन्दर उदाहरण हैं ।’’2 अतः यहॉं इन रचनाओं को ‘ललित निबंधनुमा गद्य रचनाएॅं’ कहा गया है । उसी प्रकार डॉ. जयचंद्र राय का मत है - ‘धर्म...

धर्मवीर भारती का जीवन परिचय

डॉ धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, Dharmveer Bharti ka Jeevan Parichay, Dharamvir bharti biography in Hindi, धर्मवीर भारती का जीवन परिचय हिंदी में, धर्मवीर भारती का योगदान, धर्मवीर भारती की कहानियां, धर्मवीर भारती की प्रमुख रचनाएं, धर्मवीर भारती कौन हैं? धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के जाने माने कवि, लेखक, नाटककार तथा सामाजिक चिंतक थे। प्रसिद्ध कवि धर्मवीर भारती का जीवन परिचय से ज्ञात होता है की वे बहुमुखी प्रतिभा के घनी थे। इन्होंने अपनी लेखनी से हिन्दी साहित्य के हर आयाम को छुआ। इन्होंने हिन्दी साहित्य में काव्य रचना, कहानी, निबंध, उपन्यास, नाटक और संपादन सभी क्षेत्रों में अपने प्रतिभा का परिचय दिया। इन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक समस्यायों को बड़े ही जीवन्त रूप में वर्णन किया है। उनके द्वारा लिखित प्रसिद्ध उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ उनकी अमरकृति कही जाती है। धर्मवीर भारती ने कई पत्र पत्रिकाओं का सम्पादन किया। उन्होंने अपने समय के सबसे प्रसिद्ध साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग का सम्पादन किया। भारत सरकार ने हिन्दी जगत में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए देश के बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री प्रदान किया। धर्मवीर भारती की जीवनी संक्षेप में – Dharamvir Bharti Biography in Hindi पूरा नाम – धर्मवीर भारती जन्म – 25 दिसंबर 1926 जन्म स्थान – प्रयागराज, उत्तर प्रदेश मृत्यु – 4 सितंबर, 1997(मुम्बई, महाराष्ट्र) पत्नी – कांता कोहली, पुष्पलता शर्मा (पुष्पा भारती) पत्नी – कांता कोहली, पुष्पलता शर्मा (पुष्पा भारती) मुख्य रचनाएँ -‘गुनाहों का देवता’, ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ आदि डॉ धर्मवीर भारती का जीवन परिचय – Dharmveer Bharti ka Jeevan Parichay हिन्दी साहित्य जगत के प्रसिद्ध लेखक धर्मवीर भार...

धर्मवीर भारती (Author of गुनाहों का देवता)

See धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। उन्हें आर्यसमाज की चिंतन और तर्कशैली भी प्रभावित करती है और रामायण, महाभारत और श्रीमदभागवत। प्रसाद और शरत्चन्द्र का साहित्य उन्हें विशेष प्र See धर्मवीर भारती (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को १९७२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। उन्हें आर्यसमाज की चिंतन और तर्कशैली भी प्रभावित करती है और रामायण, महाभारत और श्रीमदभागवत। प्रसाद और शरत्चन्द्र का साहित्य उन्हें विशेष प्रिय था। आर्थिक विकास के लिए...

धर्मवीर भारती का जीवन परिचय

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मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय

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धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएं

धर्मवीर भारती का जीवन परिचय प्रारंभिक जीवन जन्म 25 दिसंबर 1926 में जन्म स्थान इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में मृत्यु 4 सितंबर 1997 में पिता का नाम श्री चिरंजीलाल रचनाएं गुनाहों का देवता, नीली झील, ठेले पर हिमालय आदि भाषा शुद्ध साहित्यिक, भावपूर्ण धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद के अत्तर सुइया मोहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम चिरंजी लाल और माता का नाम चंदा देवी था। अचानक से माँ की तबियत खराब होने लगी और इससे उनके पिता कर्ज में डूब गये थे. माता की मौत के बाद ही पिता की असमय मृत्यु के बाद परिवार को काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उनकी एक बहन थी जिनका नाम डॉ. वीरबाला था। धर्मवीर भारती की शिक्षा धर्मवीर भारती को पढने लिखने का काफी शौक था वे हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी उपन्यास पढने के भी शौकीन थे। स्कूल से छुट्टी होने के बाद वे देर तक किताबे पढ़ते है। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्रयाग के हाई स्कूल से हुई थी और फिर उन्होंने 1946 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया और हिंदी में सर्वोच्च अंक हासिल करने के लिए “चिंतामणि घोष पुरस्कार” जीता था। वैवाहिक जीवन डॉ भारती ने 1954 में शादी की थी। और बाद में श्रीमती कांता भारती को तलाक दे दिया, जिनसे उनकी एक बेटी परमिता थी। कुछ साल बाद उन्होंने पुनर्विवाह किया और श्रीमती पुष्पा भारती के साथ उनका एक बेटा किंशुक भारती और एक बेटी प्रज्ञा भारती थी। डॉ. भारती को हृदय रोग हो गया और 1997 में एक लम्बी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। पढ़ें… पढ़ें… करियर धर्मवीर भारती इस अवधि के दौरान “अभ्युदय” और संगम” पत्रिकाओं के उप-संपादक थे। बाद में उन्होंने अपनी पी.एच.डी. 1954 में डॉ. धीरेंद्र वर्मा के अधीन “सिद्ध...