धर्मवीर भारती का साहित्य में स्थान

  1. Notable Writer of Hindi Literature Dharamvir Bharati
  2. Hindi sahitya : धर्मवीर धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय और जीवन परिचय
  3. धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए। from Hindi धर्मवीर भारती Class 12 CBSE
  4. Dharmveer Bharti Ka Jivan Parichay Kritiyan
  5. आज का शब्द:पहर और धर्मवीर भारती की कविता
  6. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएं, नाटक, कहानी, भाषा शैली, पत्रिका
  7. धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए। from Hindi धर्मवीर भारती Class 12 CBSE
  8. आज का शब्द:पहर और धर्मवीर भारती की कविता
  9. Notable Writer of Hindi Literature Dharamvir Bharati
  10. Dharmveer Bharti Ka Jivan Parichay Kritiyan


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Notable Writer of Hindi Literature Dharamvir Bharati

आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक डॉ. धर्मवीर भारती। वे साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक थे। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, गीतिनाट्य और रिपोतार्ज हिंदी साहित्य की उपलब्धियाँ हैं। भारती जी के लेखन की एक खासियत यह भी है की हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के बीच उनकी अलग-अलग रचनाएँ लोकप्रिय है। वे मूल रूप से व्यक्ति स्वातंत्र्य, मानवीय संकट एवं रोमानी चेतना के रचनाकार हैं। तमाम सामाजिकता एवं उत्तरदायित्वों के बावजूद उनकी रचनाओं में व्यक्ति की स्वतंत्रता ही सर्वोपरि है। रुमानियत उनकी रचनाओं में संगीत में ले की तरह मौजूद है। उनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास गुनाहों का देवता एक सरस और भावप्रवण प्रेम कथा है। दूसरे लोकप्रिय उपन्यास सूरज का सातवाँ घोड़ा पर हिंदी फ़िल्म भी बन चुकी है। इस उपन्यास में प्रेम को केंद्र में रखकर निम्न मध्यवर्ग की हताशा, आर्थिक संघर्ष, नैतिक विचलन और अनाचार को चित्रित किया गया है। स्वतंत्रता के बाद गिरते हुए जीवन मूल्य, अनास्था, मोहभंग, विश्वयुद्धों से उपजा हुआ डर और अमानवीयता की अभिव्यक्ति अंधा युग में हुई है। अंधा युग गीतिसाहित्य के श्रेष्ठ गीतिनाट्यों में है। मानव मूल्य और साहित्य पुस्तक समाज-सापेक्षिता को साहित्य के अनिवार्य मूल्य के रूप में विवेचित करती है। प्रत्येक संस्कृति की जानकारी प्राप्त कराने में ‘साहित्य’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साहित्य से हम अपनी विरासत के बारें में सीख सकते हैं। आज की भागती दौड़ती जिंदगी में यदि इंसान किसी चीज़ से सबसे ज़्यादा दूर हो रहा है तो वह है ‘साहित्य’। इसके दुष्परिणाम भी साफ़ तौर पर देखे जा सकते हैं। लोगो के बारे में किसी के द्वारा अच्छा कहने-सुनने की, एक-दूसरे ...

Hindi sahitya : धर्मवीर धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय और जीवन परिचय

इस ब्लॉग में हिंदी साहित्य की सभी विधाओं के लिए कथाकार, कवि, साहित्यकार ,लेखक सब संबंधित जानकारी प्राप्त होगी।पीजीटी ,टीजीटी हिंदी की तैयारी हेतु सामग्री विभिन्न ट्रिक्स के माध्यम से प्राप्त होगी।आलोचक, भाषण कला, निबंध कला, पत्र लेखन और व्याकरण संबंधी लेख मिलेंगे। कक्षा दसवीं ,बारहवीं ,बीए प्रथम ,वर्ष द्वितीय, तृतीय से संबंधित प्रश्नोत्तर पाठ्यक्रम पिछले वर्षों के पेपर आधी जानकारी इस पर प्राप्त होगी।हरियाणवी संस्कृति से संबंधित है लेख यहां प्राप्त होंगे। धर्मवीर भारती चेतना के प्रतिनिधि कवि हैं यह जीवन की सच्ची अनुभूतियों के शहद शिल्पी हैं उनके काव्य में न तो किसी प्रकार का सैद्धांतिक दुराग्रह है नहीं शिल्पगत दुराव इनकी कविताओं में प्रयोगवाद तथा नई कविता के संदर्भ के बारे में महत्वपूर्ण उपलब्धि समझी जाती हैं। इनके काव्य की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं रूमानियत की भावना प्राकृतिक चित्रण अनाज था निराशा और पराजय की भावना आस्था और निर्माण का स्वर उनकी जो भाषा शैली है वह चित्रात्मक वर्णनात्मक तथा आत्मकथात्मक भी रही है प्रेम वासना निराशा नाश्ता के स्वरों के अतिरिक्त भारती के काव्य में आस्था विश्वास पर निर्माण की गूंज भी दिखाई दी है। डॉ भारती का साहित्य कई मोड़ो से गुजर कर आज का एक विशिष्ट मुकाम हासिल कर चुका है अपनी कावर यात्रा के प्रारंभिक मोड पर डॉ भारती छायावादी गीतकार के रूप में अवतरित हुए परंतु अगले ही मोड़ पर उनके साहित्य में मांस लता प्रेम रूप यौवन और आनंद के दर्शन होते हैं डॉ भारती ने अपने ग्रंथ साथ गीत वर्ष में अपनी वास्तविक राह पाकर पूर्णता प्राप्त कर लेते हैं इनकी रचनाओं में सिद्धू का रिवाज वैष्णव का महा भाव अस्तित्व वादियों का संवाद छायावाद का रोमांच संभ्रांत वर्ग का...

धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए। from Hindi धर्मवीर भारती Class 12 CBSE

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- मैं असल में था तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमार-सुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था- सो समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस से तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। आयु में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हे कुमार-सुधार सभा का वह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था। दीवाली है तो गोबर और कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाने में लगा हूँ, जन्माष्टमी है तो रोज आठ दिन की झाँकी तक की सजाने और पंजीरी बाँटने में लगा हूँ, हर-छठ है तो छोटी रंगीन कुल्हियों में भूजा भर रहा हूँ। किसी में भुना चना, किसी में भुनी मटर, किसी में भुने अरवा चावल, किसी में भुना गेहूँ। जीजी यह सब मेरे हाथों से करातीं, ताकि उनका पुण्य मुझे मिले। केवल मुझे। 1. लेखक बचपन में कैसा था? 2. बचपन में वह क्या काम करता घूमता था? 3. जीजी कौन थी? उसके साथ लेखक के कैसे सबंध थे? 4. जीजी के लिए लेखक को क्या-क्या काम करने पड़ते थे? 1. लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों वाला था। उसे कुमार सभा का उपमंत्री बना दिया गया था। 2. लेखक अंधविश्वासो के खिलाफ प्रचार करता हुआ घूमता था। उस समय उस पर समाज-सुधार का जोश ज्यादा चढ़ा रहता था। 3. वैसे त...

Dharmveer Bharti Ka Jivan Parichay Kritiyan

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आज का शब्द:पहर और धर्मवीर भारती की कविता

ये शरद के चाँद से उजले धुले-से पाँव, मेरी गोद में! ये लहर पर नाचते ताज़े कमल की छाँव, मेरी गोद में! दो बड़े मासूम बादल, देवताओं से लगाते दाँव, मेरी गोद में! रसमसाती धूप का ढलता पहर, ये हवाएँ शाम की झुक झूम कर बिखरा गईं रोशनी के फूल हरसिंगार से प्यार घायल साँप-सा लेता लहर, अर्चना की धूप-सी तुम गोद में लहरा गईं, ज्यों झरे केसर तितलियों के परों की मार से, सोन-जूही की पंखुरियों पर पले ये दो मदन के बान मेरी गोद में! हो गए बेहोश दो नाज़ुक मृदुल तूफ़ान मेरी गोद में! विशेष • Kavya Cafe: Rachit Dixit Poetry- ब्रेक अप के बाद लड़के • Hindi Kavita: नवीन सागर की कविता 'अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ' • Urdu Poetry: नसीर तुराबी की ग़ज़ल 'दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ' • Parveen Shakir Poetry: वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया • अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता- समय का फेर • Social Media Shayari: ढक कर चलता हूं, ज़ख्मों को आजकल

धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएं, नाटक, कहानी, भाषा शैली, पत्रिका

धर्मवीर भारती का जीवन परिचय धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद में हुआ। धर्मवीर भारती ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में M.A. करने के उपरांत पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात साहित्यक पत्र संगम का संपादन किया। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रधान अध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य किया। इन्होंने सन 1959 से सन 1987 तक मुंबई से प्रकाशित साप्ताहिक धर्मयुग का संपादन भी किया। यह प्रतिभा संपन्न कवि, विचारक एवं कथाकार है। सन 1972 मे भारत सरकार ने इन्हे पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत किया गया। इसके अतिरिक्त इन्हें व्यास सम्मान एवं साहित्य के अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। सन 1997 मे इनका देहावसान हो गया। धर्मवीर भारती का जीवन परिचय धर्मवीर भारती की रचनाएं धर्मवीर भारती की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित है। 1. उपन्यास– सूरज का सातवा घोड़ा, गुनाहों का देवता। 2. नाटक –नदी प्यासी थी(एकांकी), अंधायुग (काव्य नाटक) 3. निबंध संग्रह – ठेले पर हिमालय, कहनी अनकही, पश्यंती 4. कहानी संग्रह – बन्द गली का आखिरी मकान। 5. आलोचना – सिद्ध साहित्य, मानव मूल्य और साहित्य। 6. काव्य ग्रंथ – ठंडा लोहा, कनुप्रिया, सात गीत, वर्षा। 7. रिपोर्ताज – ब्रह्मपुत्र की मॉर्चेबनदी। 8. अनूदित –देशान्तर। धर्मवीर भारती का साहित्य परिचय जन्म 25 दिसंबर 1926 को जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में पिता का नाम श्री चिरंजीलाल शिक्षा M.A. और पी.एच.डी. रचनाएं विधाएं उपन्यास, कहानी, नाटक एवं एकांकी, निबंध, आलोचना, काव्य संपादन धर्मयुग उपन्यास गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा कहानी चांद और टूटे हुए लोग नाटक नदी प्यासी थी, नीली झील निबंध ठेले पर हिमालय, कहनी अनकहनी, पश्यन्ती म...

धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए। from Hindi धर्मवीर भारती Class 12 CBSE

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए। पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्टा करके रखा हुआ पानी बाल्टी-बाल्टी कर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। वेश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता हे इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं, नहीं यह सब पाखंड हे। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए। 1. वर्षा के बादलों का स्वामी कौन है? उसकी सेना क्या माँगती फिरती थी। 2. लेखक की समझ में क्या बात नहीं आती? 3. लेखक किस अंधविश्वास पर दु:खी होता? 4. अंधविश्वासों का क्या नतीजा हमें भुगतना पड़ा? 1. वर्षा के बादलों का स्वामी इंद्र माना जाता है। इंद्र की सेना अर्थात् लडुकों की टोली मेघों से पानी माँगती फिरती थी। 2. लेखक की समझ में यह बात नहीं आती कि चारों ओर पानी की इतनी कमी है और लोगों ने बड़ी कठिनाई से पानी इकट्ठा करके रखा हुआ है फिर वे उस पानी को इन लड़कों पर फेंककर क्यों बर्बाद करते हैं? उन्हें उस पानी का उपयोग अपने लिए करना चाहिए। 3. लेखक इस अधविश्वास से दु:खी है कि लोग इन लड़कों को इंद्र की सेना मानकर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। यदि इंद्र महाराज से ये लड़के (इंद्र की सेना) पानी दिलवा सकते तो ये खुद उस...

आज का शब्द:पहर और धर्मवीर भारती की कविता

ये शरद के चाँद से उजले धुले-से पाँव, मेरी गोद में! ये लहर पर नाचते ताज़े कमल की छाँव, मेरी गोद में! दो बड़े मासूम बादल, देवताओं से लगाते दाँव, मेरी गोद में! रसमसाती धूप का ढलता पहर, ये हवाएँ शाम की झुक झूम कर बिखरा गईं रोशनी के फूल हरसिंगार से प्यार घायल साँप-सा लेता लहर, अर्चना की धूप-सी तुम गोद में लहरा गईं, ज्यों झरे केसर तितलियों के परों की मार से, सोन-जूही की पंखुरियों पर पले ये दो मदन के बान मेरी गोद में! हो गए बेहोश दो नाज़ुक मृदुल तूफ़ान मेरी गोद में! विशेष • Kavya Cafe: Rachit Dixit Poetry- ब्रेक अप के बाद लड़के • Hindi Kavita: नवीन सागर की कविता 'अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ' • Urdu Poetry: नसीर तुराबी की ग़ज़ल 'दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ' • Parveen Shakir Poetry: वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया • अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता- समय का फेर • Social Media Shayari: ढक कर चलता हूं, ज़ख्मों को आजकल

Notable Writer of Hindi Literature Dharamvir Bharati

आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक डॉ. धर्मवीर भारती। वे साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक थे। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, गीतिनाट्य और रिपोतार्ज हिंदी साहित्य की उपलब्धियाँ हैं। भारती जी के लेखन की एक खासियत यह भी है की हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के बीच उनकी अलग-अलग रचनाएँ लोकप्रिय है। वे मूल रूप से व्यक्ति स्वातंत्र्य, मानवीय संकट एवं रोमानी चेतना के रचनाकार हैं। तमाम सामाजिकता एवं उत्तरदायित्वों के बावजूद उनकी रचनाओं में व्यक्ति की स्वतंत्रता ही सर्वोपरि है। रुमानियत उनकी रचनाओं में संगीत में ले की तरह मौजूद है। उनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास गुनाहों का देवता एक सरस और भावप्रवण प्रेम कथा है। दूसरे लोकप्रिय उपन्यास सूरज का सातवाँ घोड़ा पर हिंदी फ़िल्म भी बन चुकी है। इस उपन्यास में प्रेम को केंद्र में रखकर निम्न मध्यवर्ग की हताशा, आर्थिक संघर्ष, नैतिक विचलन और अनाचार को चित्रित किया गया है। स्वतंत्रता के बाद गिरते हुए जीवन मूल्य, अनास्था, मोहभंग, विश्वयुद्धों से उपजा हुआ डर और अमानवीयता की अभिव्यक्ति अंधा युग में हुई है। अंधा युग गीतिसाहित्य के श्रेष्ठ गीतिनाट्यों में है। मानव मूल्य और साहित्य पुस्तक समाज-सापेक्षिता को साहित्य के अनिवार्य मूल्य के रूप में विवेचित करती है। प्रत्येक संस्कृति की जानकारी प्राप्त कराने में ‘साहित्य’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साहित्य से हम अपनी विरासत के बारें में सीख सकते हैं। आज की भागती दौड़ती जिंदगी में यदि इंसान किसी चीज़ से सबसे ज़्यादा दूर हो रहा है तो वह है ‘साहित्य’। इसके दुष्परिणाम भी साफ़ तौर पर देखे जा सकते हैं। लोगो के बारे में किसी के द्वारा अच्छा कहने-सुनने की, एक-दूसरे ...

Dharmveer Bharti Ka Jivan Parichay Kritiyan

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