धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय

  1. सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिये।
  2. डॉ धर्मवीर भारती का जीवन परिचय
  3. डॉ. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, सम्मान एवं पुरस्कार
  4. धर्मवीर भारती की जीवनी
  5. डॉ. धर्मवीर भारती का संक्षिप्त परिचय
  6. Dharmveer Bharti ka Jeevan Parichay
  7. डॉ धर्मवीर भारती का जीवन परिचय
  8. धर्मवीर भारती की जीवनी
  9. डॉ. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, सम्मान एवं पुरस्कार
  10. सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिये।


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सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिये।

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिये। सूरदास का जीवन परिचय | Surdas Biography in Hindi महात्मा सूरदास का जन्म सन् 1478 ई. (संवत् 1535 वि.) में महात्मा सूरदास जन्मान्ध थे, यह अभी तक विवादास्पद है, सूर की रचनाएँ यह सिद्ध करती हैं कि एक जन्मान्ध द्वारा इतना सजीव और उत्तम कोटि का वर्णन नहीं किया जा सकता। एक किंवदन्ती के अनुसार, वे किसी स्त्री से प्रेम करते थे, परन्तु प्रेम की सम्पूर्ति में बाधा आने उन्होंने अपने दोनों नेत्रों को स्वयं फोड़ लिया। परन्तु जो भी कुछ तथ्य रहा हो, हमारे मतानुसार तो सूरदाब में ही अन्धे हुए हैं। वे जन्मान्ध नहीं थे। सूरदास का देहावसान सन् 1583 ई. (संवत्वि.) में मथुरा के समीप पारसोली नामक ग्राम में गोस्वामी विट्ठलनाथ जी की उपस्थिति में हुआ था। कहा जाता है कि अपनी मृत्यु के समय सूरदास “खंजन नैन रूप रस माते” पद का गान अपने तानेपूरे पर अत्यन्त मधुर स्वर में कर रहे थे। रचनाएँ विद्वानों के मतानुसार सूरदास ने तीन कृतियों का ही सृजन किया था, वे हैं- (1) सूरसागर, (2) सूर सारावली, (3) साहित्य लहरी। (1) इनमें सूरसागर ही उनकी अमर कृति है। सूरसागर में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से सम्बन्धित सवा लाख गेय पद हैं। परन्तु अभी तक या 7 हजार से अधिक पद प्राप्त नहीं हुए हैं। (2) सूर सारावली में ग्यारह सौ सात छन्द संग्रहीत हैं। यह सूरसागर का सार रूप ग्रन्थ है। (3) साहित्य लहरी में एक सौ अठारह पद संग्रहीत हैं। इन सभी पदों में सूर के दृष्ट-कूट पद सम्मिलित हैं। इन पदों में रस का सर्वश्रेष्ठ परिपाक हुआ है। सूरदास सगुण भक्तिधारा के कृष्णोपासक कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि थे। उनके काव्य में तन्मयता और सहज अभिव्यक्ति होने ...

डॉ धर्मवीर भारती का जीवन परिचय

जीवन परिचय डॉ. धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबाद के अतरसुईया मोहल्ले में हुआ। आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं, इनका हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके पिता का नाम चरंजीवी लाल तथा माता का नाम चंदी देवी था। बचपन में ही उनके पिता का असामयिक निधन हो गया। फलस्वरूप बालक धर्मवीर को अनेक कष्ट झेलने पड़े। सन् 1942 में उन्होंने कायस्थ पाठशाला के इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, जिसके कारण उनकी पढ़ाई एक वर्ष के लिए रुक गई। सन् 1945 में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के कारण इन्हें 'चिंतामणि घोष मंडल' पदक मिला। सन् 1947 में उन्होंने हिंदी में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। 1954 में उन्होंने 'सिद्ध साहित्य' पर पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की और प्रयाग विश्वविद्यालय में ही प्राध्यापक नियुक्त हुए, परंतु शीघ्र ही वे "धर्मयुग" के संपादक बन गए। सन् 1961 में उन्होंने“कॉमन वेल्थ रिलेशंस कमेटी” के निमंत्रण पर इंग्लैंड की यात्रा की। उन्हें पश्चिमी जर्मनी जाने का भी मौका मिला। सन् 1966 में भारतीय दूतावास के अतिथि बनकर इंडोनेशिया व थाईलैंड की यात्रा की। आगे चलकर उन्होंने भारत-पाक युद्ध के काल में बंगला देश की गुप्त यात्रा की और 'धर्मयुग' में युद्ध के रोमांच का वर्णन किया। साहित्यिक सेवाओं के कारण सन् 1972 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया। 5 सितंबर, 1997 मुंबई में उनका निधन हो गया। प्रारंभिक जीवन डॉ धरमवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबद (उत्तरप्रदेश) में हुआ था। धर्मवीर भारती जी का प्रारंभिक जीव...

डॉ. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, सम्मान एवं पुरस्कार

डॉ. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, सम्मान एवं पुरस्कार : डॉ. धर्मवीर भारती हिंदी के एक महान लेखक तथा गद्यकार तथा उपन्यासकार थे। उन्होंने 'गुनाहों का देवता' (1949) और 'सूरज का सातवां घोड़ा' (1952) जैसे उपन्यास लिखे। उनकी कृति ' सूरज का सातवां घोड़ा' पर फिल्म बनी और ' कनुप्रिया' तथा 'अंधायुग' ने साहित्य के क्षेत्र में नयी बहस शुरू की। तो आइये जानते हैं लेखक धर्मवीर भारती के जीवन परिचय( JEEVAN PARICHAY)तथा रचनाओं के बारे में। लेखक , कवि , नाटककार स्कूली शिक्षा डी. ए. वी. हाई स्कूल में हुई और उच्च शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में। घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद और विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु और उससे उत्पन्न आर्थिक संकट इन सबने उन्हें अतिसंवेदनशील, तर्कशील बना दिया। वर्ष 1945 में उन्होंने बी.ए. किया और वर्ष 1947 में एम.ए. में तथा वर्ष 1954 में सिद्ध साहित्य पर पीएचडी की। इलाहाबाद से प्रकाशित साहित्यिक पत्र 'संगम' के सहायक संपादक के पद पर कार्य किया। एक वर्ष तक हिंदुस्तानी अकादमी के उपसचिव रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वर्ष 1960 तक हिंदी विभाग में अध्यापक की नौकरी की। देखते-ही-देखते लोकप्रिय अध्यापकों में उनकी गिनती होने लगी। वे वर्ष 1960 में धर्मयुग के संपादक होकर मुंबई चले गए और 1987 तक उसका संपादन किया। उनका कहना था कि सच्चा पत्रकार स्वभाव से प्रगतिशील होता है। वर्ष 1952 में प्रकाशित दसरा सप्तक में उनकी रोमानी कविताएं अज्ञेय जी ने एक साथ छापी। उनका अंतिम कविता, संग्रह 'सपना अभी भी' वर्ष 1993 में प्रकाशित हुआ। नयी कविता आंदोलन के लिए उन्होंने 'निकष' पत्रिका भी निकाली और '...

धर्मवीर भारती की जीवनी

धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ सदाबहार रचना मानी जाती है। ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ की कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, ‘अंधा युग’ उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको धर्मवीर भारती की जीवनी – Dharamvir Bharati Biography Hindi के बारे में बताएगे। 2 पुरस्कार धर्मवीर भारती की जीवनी – Dharamvir Bharati Biography Hindi जन्म धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इ लाहाबाद के अतरसुइया मुहल्ले में हुआ। उनके पिता का नाम श्री चिरंजीव लाल वर्मा और उनकी माँ का नाम श्रीमती चंदादेवी था। शिक्षा धर्मवीर भारती ने स्कूली शिक्षा डी. ए वी हाई स्कूल से प्राप्तकी और उच्च शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर उन्होंने पी-एच०डी० की उपधि प्राप्त की। घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद और विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु और उससे उत्पन्न हुए आर्थिक संकट इन सबने उन्हें अतिसंवेदनशील, तर्कशील बना दिया। विशेष रुचि उन्हें बचपन से दो ही शौक थे : अध्ययन और यात्रा। भारती के साहित्य में उनके विशद अध...

डॉ. धर्मवीर भारती का संक्षिप्त परिचय

नई कविता के यशस्वी कवि, कथाकार, निबन्धकार एवं “ धर्मयुग ” सप्ताहिक के संपादक डॉ. धर्मवीर भारती से हिंदी जगत भली भाँति परिचित है. डॉ. धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 में प्रयाग के अतरसुइया मुहल्ले में हुआ था. पिता चिरंजीवलाल वर्मा और माता श्रीमती चन्दा देवी है. शाहजहांपुर के निकट खुदागंज कस्बें के पुराने जमींदार परिवार में चिरंजीविलाल वर्मा ने जन्म लिया. उन्होंने पुशतैनी जमींदारी तथा रहन सहन छोड़कर रुडकी के थामसन कालेज आफ इंजिनीयरिंग में ओवरसीयरी की शिक्षा पाई. धर्मवीर भारती के पिता कुछ दिन बर्मा में रहकर सरकारी नौकरी और ठेकेदारी करते रहे, पुनः उत्तर प्रदेश में लौटकर पहले मिर्जापुर में रहें, तत्पश्चात् स्थायी रुप से इलाहाबाद में बस गए. इसी कारण भारती जी का अधिक समय इलाहाबाद में ही व्यतीत हुआ. आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई. बाद में चौथे दर्जे से डी.ए.वी.हाई स्कूल में भर्ती हुए. भारती आठवीं कक्षा में थे, तब उनके पिती का देहान्त हो गया. भारती ही घर के पोषक होने के कारण उन्हें अधिक कठिनाइयाँ भोगनी पडीं. लेकिन मामा के प्रोत्साहन सहायता से फिर पढ़ाई शुरु की. सन् 1941 में कायस्थ पाठशाला, इण्डर कालेज इलाहाबाद में इण्टर परीक्षा में उत्तीर्ण हुये. सन् 1942 में उन्होंने स्वतांत्रता आंदोलन में भाग लिया. शिक्षा स्थगित हुई. धर्मवीर भारती ने कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी बी.ए. में सफलता प्राप्त की. बी.ए. में “ चिन्तामणिघोष ” पतक प्राप्त हुई. बाद में संपादक श्री पद्मकान्त मालवीय के पत्र अभ्युदय में नौकरी करके उन्होंने एम.ए उपाधि प्राप्त की. सन् 1948 में कवि ने इलाचन्द्र जोशी के पत्र “ संगम ” में सहकारी संपदक का काम भी किया है. बाद में हिन्दुस्थानी एकादमी के उपसचिव भी बन गया. ...

Dharmveer Bharti ka Jeevan Parichay

Table of Contents • • • • • • • • Dharmveer Bharti ka Jeevan Parichay संक्षिप्त जीवनपरिचय जन्म- 25 दिसंबर 1926, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश मृत्यु- 4 सितंबर 1997 मुंबई में, शिक्षा- M.A. हिंदी, पी-एच-डी उच्च शिक्षा की प्राप्ति- इलाहाबाद विश्वविद्यालय राष्ट्रीयता- भारतीय पिता- श्री चिरंजीव लाल वर्मा माता- श्रीमती चंदा देवी व्यवसाय- लेखक( कवि, निबंधकार व उपन्यासकार) उल्लेखनीय कार्य- गुनाहों का देवता( उपन्यास) सूरज का सातवां घोड़ा( उपन्यास) अंधा युग( नाटक) पत्नी (जीवनसाथी)- प्रथम पत्नी- कांता भारती, दूसरी पत्नी- पुष्पा भारती संतान- पुत्री परमिता( प्रथम पत्नी कांता से) पुत्र किंशुक भारती और पुत्री प्रज्ञा भारती( दूसरी पत्नी पुष्पा से) जीवन परिचय हिंदी साहित्य के प्रख्यात लेखक डॉ. धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti) का जन्म इलाहाबाद शहर के अतरसुइया मोहल्ले में 25 दिसंबर 1926 को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम चिरंजीव लाल वर्मा तथा माता का नाम चंदा देवी था। परिवार का माहौल आर्य समाज में ढला होने के कारण धर्मवीर भारती के ऊपर धार्मिकता का गहरा प्रभाव पड़ा. शिक्षा डॉ. धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti) की प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के डी0ए0वी0 कालेज में हुई, तथा इनकी उच्च शिक्षा भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही संपन्न हुई। प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर इन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही इन्होने पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त की। घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, और बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु तथा उससे उत्पन्न आर्थि...

डॉ धर्मवीर भारती का जीवन परिचय

जीवन परिचय डॉ. धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबाद के अतरसुईया मोहल्ले में हुआ। आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं, इनका हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके पिता का नाम चरंजीवी लाल तथा माता का नाम चंदी देवी था। बचपन में ही उनके पिता का असामयिक निधन हो गया। फलस्वरूप बालक धर्मवीर को अनेक कष्ट झेलने पड़े। सन् 1942 में उन्होंने कायस्थ पाठशाला के इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, जिसके कारण उनकी पढ़ाई एक वर्ष के लिए रुक गई। सन् 1945 में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के कारण इन्हें 'चिंतामणि घोष मंडल' पदक मिला। सन् 1947 में उन्होंने हिंदी में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। 1954 में उन्होंने 'सिद्ध साहित्य' पर पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की और प्रयाग विश्वविद्यालय में ही प्राध्यापक नियुक्त हुए, परंतु शीघ्र ही वे "धर्मयुग" के संपादक बन गए। सन् 1961 में उन्होंने“कॉमन वेल्थ रिलेशंस कमेटी” के निमंत्रण पर इंग्लैंड की यात्रा की। उन्हें पश्चिमी जर्मनी जाने का भी मौका मिला। सन् 1966 में भारतीय दूतावास के अतिथि बनकर इंडोनेशिया व थाईलैंड की यात्रा की। आगे चलकर उन्होंने भारत-पाक युद्ध के काल में बंगला देश की गुप्त यात्रा की और 'धर्मयुग' में युद्ध के रोमांच का वर्णन किया। साहित्यिक सेवाओं के कारण सन् 1972 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया। 5 सितंबर, 1997 मुंबई में उनका निधन हो गया। प्रारंभिक जीवन डॉ धरमवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबद (उत्तरप्रदेश) में हुआ था। धर्मवीर भारती जी का प्रारंभिक जीव...

धर्मवीर भारती की जीवनी

धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ सदाबहार रचना मानी जाती है। ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ की कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, ‘अंधा युग’ उनका प्रसिद्ध नाटक है।। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको धर्मवीर भारती की जीवनी – Dharamvir Bharati Biography Hindi के बारे में बताएगे। 2 पुरस्कार धर्मवीर भारती की जीवनी – Dharamvir Bharati Biography Hindi जन्म धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इ लाहाबाद के अतरसुइया मुहल्ले में हुआ। उनके पिता का नाम श्री चिरंजीव लाल वर्मा और उनकी माँ का नाम श्रीमती चंदादेवी था। शिक्षा धर्मवीर भारती ने स्कूली शिक्षा डी. ए वी हाई स्कूल से प्राप्तकी और उच्च शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर उन्होंने पी-एच०डी० की उपधि प्राप्त की। घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद और विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु और उससे उत्पन्न हुए आर्थिक संकट इन सबने उन्हें अतिसंवेदनशील, तर्कशील बना दिया। विशेष रुचि उन्हें बचपन से दो ही शौक थे : अध्ययन और यात्रा। भारती के साहित्य में उनके विशद अध...

डॉ. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, सम्मान एवं पुरस्कार

डॉ. धर्मवीर भारती का जीवन परिचय, रचनाएँ, सम्मान एवं पुरस्कार : डॉ. धर्मवीर भारती हिंदी के एक महान लेखक तथा गद्यकार तथा उपन्यासकार थे। उन्होंने 'गुनाहों का देवता' (1949) और 'सूरज का सातवां घोड़ा' (1952) जैसे उपन्यास लिखे। उनकी कृति ' सूरज का सातवां घोड़ा' पर फिल्म बनी और ' कनुप्रिया' तथा 'अंधायुग' ने साहित्य के क्षेत्र में नयी बहस शुरू की। तो आइये जानते हैं लेखक धर्मवीर भारती के जीवन परिचय( JEEVAN PARICHAY)तथा रचनाओं के बारे में। लेखक , कवि , नाटककार स्कूली शिक्षा डी. ए. वी. हाई स्कूल में हुई और उच्च शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में। घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद और विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु और उससे उत्पन्न आर्थिक संकट इन सबने उन्हें अतिसंवेदनशील, तर्कशील बना दिया। वर्ष 1945 में उन्होंने बी.ए. किया और वर्ष 1947 में एम.ए. में तथा वर्ष 1954 में सिद्ध साहित्य पर पीएचडी की। इलाहाबाद से प्रकाशित साहित्यिक पत्र 'संगम' के सहायक संपादक के पद पर कार्य किया। एक वर्ष तक हिंदुस्तानी अकादमी के उपसचिव रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वर्ष 1960 तक हिंदी विभाग में अध्यापक की नौकरी की। देखते-ही-देखते लोकप्रिय अध्यापकों में उनकी गिनती होने लगी। वे वर्ष 1960 में धर्मयुग के संपादक होकर मुंबई चले गए और 1987 तक उसका संपादन किया। उनका कहना था कि सच्चा पत्रकार स्वभाव से प्रगतिशील होता है। वर्ष 1952 में प्रकाशित दसरा सप्तक में उनकी रोमानी कविताएं अज्ञेय जी ने एक साथ छापी। उनका अंतिम कविता, संग्रह 'सपना अभी भी' वर्ष 1993 में प्रकाशित हुआ। नयी कविता आंदोलन के लिए उन्होंने 'निकष' पत्रिका भी निकाली और '...

सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिये।

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं साहित्यिक योगदान का वर्णन कीजिये। सूरदास का जीवन परिचय | Surdas Biography in Hindi महात्मा सूरदास का जन्म सन् 1478 ई. (संवत् 1535 वि.) में महात्मा सूरदास जन्मान्ध थे, यह अभी तक विवादास्पद है, सूर की रचनाएँ यह सिद्ध करती हैं कि एक जन्मान्ध द्वारा इतना सजीव और उत्तम कोटि का वर्णन नहीं किया जा सकता। एक किंवदन्ती के अनुसार, वे किसी स्त्री से प्रेम करते थे, परन्तु प्रेम की सम्पूर्ति में बाधा आने उन्होंने अपने दोनों नेत्रों को स्वयं फोड़ लिया। परन्तु जो भी कुछ तथ्य रहा हो, हमारे मतानुसार तो सूरदाब में ही अन्धे हुए हैं। वे जन्मान्ध नहीं थे। सूरदास का देहावसान सन् 1583 ई. (संवत्वि.) में मथुरा के समीप पारसोली नामक ग्राम में गोस्वामी विट्ठलनाथ जी की उपस्थिति में हुआ था। कहा जाता है कि अपनी मृत्यु के समय सूरदास “खंजन नैन रूप रस माते” पद का गान अपने तानेपूरे पर अत्यन्त मधुर स्वर में कर रहे थे। रचनाएँ विद्वानों के मतानुसार सूरदास ने तीन कृतियों का ही सृजन किया था, वे हैं- (1) सूरसागर, (2) सूर सारावली, (3) साहित्य लहरी। (1) इनमें सूरसागर ही उनकी अमर कृति है। सूरसागर में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से सम्बन्धित सवा लाख गेय पद हैं। परन्तु अभी तक या 7 हजार से अधिक पद प्राप्त नहीं हुए हैं। (2) सूर सारावली में ग्यारह सौ सात छन्द संग्रहीत हैं। यह सूरसागर का सार रूप ग्रन्थ है। (3) साहित्य लहरी में एक सौ अठारह पद संग्रहीत हैं। इन सभी पदों में सूर के दृष्ट-कूट पद सम्मिलित हैं। इन पदों में रस का सर्वश्रेष्ठ परिपाक हुआ है। सूरदास सगुण भक्तिधारा के कृष्णोपासक कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि थे। उनके काव्य में तन्मयता और सहज अभिव्यक्ति होने ...