धरती को स्वर्ग बनाना है

  1. Shravan Nakshatra People skilled speakers completing work shravana nakshatra me janme log
  2. World Environment Day 2020:धरती को फिर से स्वर्ग बनाने के लिए इस पर्यावरण दिवस लें ये 5 संकल्प
  3. स्वर्ग बना सकते है
  4. धरती पर स्वर्ग


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Shravan Nakshatra People skilled speakers completing work shravana nakshatra me janme log

Shravan Nakshatra People skilled speakers completing work shravana nakshatra me janme log| Nakshatra: कुशल वक्ता होते हैं इस नक्षत्र में जन्मे लोग, शुरू काम को पूरा करके ही लेते हैं दम | Hindi News, ऐस्ट्रो Nakshatra: कुशल वक्ता होते हैं इस नक्षत्र में जन्मे लोग, शुरू काम को पूरा करके ही लेते हैं दम Shravana Nakshatra Zodiac Sign: श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन वाले दिन चंद्रमा श्रवण नक्षत्र पर होता है. कहा जाता है कि वामन अवतार में भगवान विष्णु ने जब तीन पग भूमि मांगी थी तो उनका पांव आकाश में श्रवण नक्षत्र पर ही पड़ा था. विद्वानों ने श्रवण नक्षत्र के तीन तारों को भगवान विष्णु के तीन चरण माना है. उनका विचार है कि राजा बलि का यज्ञ भंग कर देवताओं का स्वर्ग पर अधिकार बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने ऐसा किया था. वह वामन बनकर यज्ञ भूमि में पधारे व तीन पग भूमि की याचना की. एक पग में समूची धरती, दूसरे में आकाश नापकर, तीसरा पग स्वयं राजा बलि के शीश पर रखकर उसे पाताल का राज्य प्रदान किया. श्रवण शब्द का अर्थ है सुनना, अध्ययन, ख्याति और कीर्ति. श्रवण से ही श्रुति व स्मृति बना, जो कि पुराण साहित्य का मूल आधार है. कुछ विद्वान तीन तारों में त्रिलोक, त्रिकाल व त्रिगुण देखते हैं. कहीं-कहीं श्रवण नक्षत्र के तीन तारों को भगवान शिव का त्रिशूल माना गया है. कभी-कभी श्रवण नक्षत्र की तुलना मनुष्य के कान से भी की जाती है, क्योंकि श्रवण का अर्थ सुनना है. श्रवण नक्षत्र का देवता भगवान विष्णु को माना गया है. संसार का भरण-पोषण, प्रबंधन व्यवस्था व विभिन्न शक्तियों का संतुलन बनाए रखना ही भगवान विष्णु का कार्य है, इसलिए भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं. यह नक्षत्र मकर राशि में पड़ता है, इसल...

World Environment Day 2020:धरती को फिर से स्वर्ग बनाने के लिए इस पर्यावरण दिवस लें ये 5 संकल्प

हम भोजन के तौर पर जो कुछ भी खाते हैं, हम जो पानी पीते हैं, जिस हवा में हम सभी लोग सांस लेते हैं और जो वातावरण हमारी धरती को जीने के अनुकूल बनाती है यह सब हमें प्रकृति से प्राप्त होता है। ब्रह्मांड को चलाने में पर्यावरण का खास महत्व है। पर्यावरण से जब हमें इतनी चीजें मिल रही हैं, तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि इसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करें। कोरोना वायरस महामारी से बचने के इंसान अपने घरों में बंद है वहीं जाने अनजाने में ये महामारी हमें यह सीख दे गई कि हमें पर्यावरण को किस तरह से सुरक्षित रखना चाहिए। बढ़ती जनसंख्या, ग्लोबल वॉर्मिंग, मरीन पॉल्यूशन के बढ़ते खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। अगर आप धरती को फिर से स्वर्ग बनाना चाहते हैं तो आपको आज ही ये 5 संकल्प लेना चाहिए। पहला संकल्प आधुनिक काल में हर तरफ उद्योग फैक्ट्रियां खुल गई हैं, जिससे बहुत ज्यादा मात्रा में कचरा निकलने लगा है। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे को खुले में या फिर नदियों में बहा दिया जाता है। इस चीज का अनुकरण आम लोग भी करने लगे हैं और कचरे को जहां-तहां फेंक दे रहे हैं। ऐसा करने से प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। इस पर्यावरण दिवस आप संकल्प लें कि अपने यहां से निकलने वाले कचरे को सही स्थआन पर पहुंचाएंगे।

स्वर्ग बना सकते है

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियोंमें कवि रामधारी सिंह दिनकर जी कहते है कि यह धरती किसी की खरीदी हुई दासी नहीं है .इस पर जन्म लेने वाले सभी एक सामान है . उन सभी को खुला आसमान चाहिए ,जिससे वे धूप और चाँदनी सभी का समान आनंद ले सके . कवि कहते है कि सभी को विकास का अवसर मिलना चाहिए और किसी प्रकार की बाधा उसके विकास को न रोके और न ही किसी के मन में किसी के लिए कोई संदेह नहीं होगा .कवि का कहना है कि इस धरती को स्वर्ग बनाने के लिए यही एक मात्र तरीका है . धरती ,आसमान ,हवा सबके लिए एक समान है और उन पर सबका समान अधिकार है . व्याख्या - कवि का कहना है कि इस धरती को स्वर्ग बनाने के लिए अनेक बाधाएँ खड़ी हैं . विभिन्न वर्गों में बटें हुए समाज में बराबरी को लाना कठिन है .सभी को न्यायपूर्ण सुख प्राप्त नहीं हो सकता है .जब तक मनुष्य को न्यायरुपी सुख नहीं मिलेगा तब तक उसे चैन नहीं आएगा .अतः कवि ऐसा संसार बनाना चाहता है जहाँ सभी को न्यायोचित सुख के साथ चैन और शान्ति मिले . व्याख्या - कवि का मानना है कि जब तक जीवन में समता का सुख नहीं होगा ,तब तक मनुष्य के मन में असंतोष रहेगा और असंतोष के कारण अशांति बनी रहेगी . अन्याय के विरुद्ध मानवता का आन्दोलन का शोर तब तक कम नहीं होगा जब तक प्रकृति के साधन सबको समान रूप से नहीं मिल जाते .समाज में एक दूसरे पर भी संदेह करते हैं .स्वार्थी भावना लाते हैं .अतः इसी भावना के कारण मनुष्य लालचवश भोग और संचय में लगा हुआ है . व्याख्या - कवि का कहना है कि ईश्वर ने मनुष्य को अनेक प्रकार के सुख दिए है .वन ,पर्वत ,नदियाँ ,धरती ,सोना उलगने वाली कृषि भूमि ,सोना चाँदी ,जल,मिटटी ,पेड़ -पौधे ,किसी भी साधन की धरती पर कमी नहीं है .धरती पर प्रचुर मात्रा में सुख के साधन है . मनुष्य स्वा...

धरती पर स्वर्ग

धरती पर स्वर्ग | lesson:12 | Class 11 Hindi | Question and Answer | 1st Year Question and Answer Hindi | HS Question and Answer Hindi | NCRET Question and Answer ~ Daily Assam धरती पर स्वर्ग | lesson:12 | Class 11 Hindi | Question and Answer | 1st Year Question and Answer Hindi | HS Question and Answer Hindi | NCRET Question and Answer धरती पर स्वर्ग | lesson:12 | Class 11 Hindi | Question and Answer | 1st Year Question and Answer Hindi | HS Question and Answer Hindi | NCRET Question and Answer धरती पर स्वर्ग | lesson:12 | Class 11 Hindi | Question and Answer | 1st Year Question and Answer Hindi | HS Question and Answer Hindi | NCRET Question and Answer lesson:12 (धरती पर स्वर्ग) 1. आर्यों का आदर्श क्या था? उत्तर: भगवान श्री राम ने मानव का अवतार लेकर आर्यों का आदर्श बताने आए थे। लोगों में सुख शांति बनी रहे, जन-जन को निज रक्षा का अधिकार मिले, लोगों में विश्वास बनी रहे यही राम का आदर्श था। भगवान राम ने धन संपत्ति को धूल के समान माना है। उनके अनुसार लोग त्यागी बने, परस्पर विश्वास करें, प्रेम करें तथा मानवता की हित की सोचे तभी धरती पर स्वर्ग का निर्माण हो पाएगा। 2. कवि गुप्तजी ने कैसी क्रान्ति की बात कही है? उत्तर: गुप्तजी ने भगवान राम के माध्यम से इस धरती पर क्रान्ति लाने की बात कही है। कवि के अनुसार भगवान राम ही धरती को स्वर्ग बना सकते हैं। इस संसार में जितने भी बुरे कर्म है उसे दूर करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाना जरूरी है। और वह क्रांतिकारी कदम श्री राम ने मानव अवतार लेकर उठाया है। राम का एक… 3. दीन-हीन की रक्षा कवि क्यों करना चाहते हैं? उत्तर: कवि ने अपने काव्यों के द्वा...