दिगम्बर का अर्थ

  1. दिगम्बर
  2. दिगम्बर जैन मुनि लिस्ट
  3. एक क्लिक में पढ़ें, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र और स्तुति
  4. Difference Between Shwetambar and Digambar Jain 2022 Hindi (With Table)
  5. दिगम्बर और श्वेताम्बर में अंतर बताइए


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दिगम्बर

विषय सूची • 1 जैन धर्म का विभाजन • 1.1 शाखाएँ • 2 मान्यताएँ • 3 अनुयायी • 4 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 5 संबंधित लेख जैन धर्म का विभाजन 'दिगम्बर' एक शाखाएँ • मंदिरमार्गी • मूर्तिपूजक • तेरापंथी मान्यताएँ निर्वस्त्र रहने के अलावा दिगम्बरों की कुछ ऐसी मान्यताएं हैं, जिनसे श्वेताम्बर मतभेद रखते हैं, यथा- • पूर्ण संत (केवलिन) को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्कता नहीं • • कोई महिला, पुरुष के रूप में पुनर्जन्म लिए बिना मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकती • सभी तीर्थंकरों की मूर्ति बनाते समय उन्हें नग्न, आभूषणहीन और नीचे की ओर दृष्टि किए हुए दिखाना चाहिए। अनुयायी पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख

दिगम्बर जैन मुनि लिस्ट

जैन धर्म के बारें में (About Jainism In Hindi) : दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को "श्रमणों का धर्म" कहा जाता है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की जैन शब्द जिन शब्द से बना है। जिन बना है 'जि' धातु से जिसका अर्थ है जीतना। जिन अर्थात जीतने वाला। जिसने स्वयं को जीत लिया उसे जितेंद्रिय कहते हैं। जैन धर्म के संस्थापक (jainism founder) कौन है? जैन धर्म का संस्थापक "ऋषभ देव" (jainism founder) को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे और भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि वैदिक साहित्य में जिन यतियों और व्रात्यों का उल्लेख मिलता है वे ब्राह्मण परंपरा के न होकर श्रमण परंपरा के ही थे। जैन धर्म की शिक्षा व्यवस्था (Education System in Jainism) : जैसा की हम सब जानते है जैन धर्म की शिक्षाएँ (teachings of jainism) समानता, अहिंसा, आध्यात्मिक मुक्ति और आत्म-नियंत्रण के विचारों पर बल देती हैं। महावीर ने युगों को जो पढ़ाया है उसका आधुनिक जीवन में अभी भी महत्व है। जैन एक महत्वपूर्ण धार्मिक समुदाय हैं और जैन धर्म जनसंख्या को समृद्ध करने वाले पुण्य के विभिन्न सिद्धांतों पर प्रचार करता है। जैन धर्म में दिगम्बर & श्वेताम्बर का अर्थ : ये दोनों सम्प्रदाय है और दोनों संप्रदायों में मतभेद दार्शनिक सिद्धांतों से ज्यादा चरित्र को लेकर है। दिगंबर (jainism god) आचरण पालन में अधिक कठोर हैं जबकि श्वेतांबर कुछ उदार हैं। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की श्वेतांबर संप्रदाय के मुनि श्वेत वस्त्र पहनते हैं जबकि दिगंबर मुनि निर्वस्त्र रहकर साधना करते हैं। यह नियम केवल मुनियों पर लागू होता है। तीर्थकर किसे कहते है ? जै...

एक क्लिक में पढ़ें, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र और स्तुति

एक क्लिक में पढ़ें, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र और स्तुति • आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम। जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।। महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्। विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।। गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्। भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।। शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्। त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।। परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्। यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।। न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा। न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।। अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्। तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।। नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते। नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।। प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्। शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।। शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्। काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।। त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ। त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितो वेदसारशिवस्तवः स...

Difference Between Shwetambar and Digambar Jain 2022 Hindi (With Table)

difference between Shwetambar and Digambar Jain 2022 Hindi, श्वेताम्बर और दिगम्बर जैन में अंतर, Shwetamber aur Digamber Jain me antar – जैन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो उस दर्शन में निहित है जो सभी जीवित प्राणियों को अनुशासित अहिंसा के माध्यम से मुक्ति का मार्ग और आध्यात्मिक शुद्धता और आत्मज्ञान का मार्ग सिखाता है। जैन दो प्रमुख संप्रदायों में विभाजित हैं; दिगंबर संप्रदाय (अर्थ जो ये मानते है की हमने आकाश के आलावा कुछ नही पहना हुआ है) और श्वेतांबर संप्रदाय (अर्थात् जो सफेद कपडे पहनते है)। इनमें से प्रत्येक संप्रदाय को उपसमूहों में भी विभाजित किया गया है। इन दोनों प्रमुख संप्रदाय, दिगंबर और श्वेतांबर, की उत्पत्ति महावीरजी के निर्वाण के लगभग दो सौ साल बाद हुई। आज के लेख में हम इन दोनों सम्प्रदाय में क्या अंतर है उस पर बात करेंगे – दिगंबरभिक्षुओंकोकिसीभीप्रकारकीसंपत्तिरखनेकीअनुमतिनहींहै।उनकामाननाहैकिएकसच्चेसाधुकाजीवनजीनेकेलिएसबकुछत्यागनाआवश्यकहै।हालाँकि, वेआमतौरपरतीनचीजेंअपनेसाथरखतेहैं: 1. पिची - मोरकेगिरेहुएपंखोंसेबनीझाड़ू।वेइसझाड़ूकाइस्तेमालछोटे-छोटेकीड़ोंकोबिनानुकसानपहुंचाएनिकालनेकेलिएकरतेहैं। 2. कमंडल - आयताकारपानीकाबर्तनशुद्धऔरनिष्फलपेयजललेजानेकेलिएउपयोगकियाजाताहै। 3. शास्त्र। श्वेतांबरजैनमानतेहैंकिमहावीरकेभ्रूणकानिर्माणसबसेपहलेब्राह्मणमहिलादेवानंदमेंहुआथा।लेकिनभ्रूणकापरिवर्तनगर्भाधानके 83 वेंदिनभगवानइंद्रकेसेनापति, हरि- नाइगामेसिन (जिसेकार्तिकेयकेनामसेभीजानाजाताहै) नेकियाथा।औरभ्रूणकोएकक्षत्रियमहिला, त्रिशलाकोस्थानांतरितकरदियाजाताहै , जोराजासिद्धार्थकीपत्नीहै। साथहीश्वेतांबरजैनियोंकामाननाहैकिमहावीरकीमांनेउनकेजन्मसेपहले 14 शुभस्वप्नदेखेथे। दिगंबरजैनमेंदिगंबरभिक्षुएकदमसख्तहो...

दिगम्बर और श्वेताम्बर में अंतर बताइए

difference between digambar and shwetambar in hindi दिगम्बर और श्वेताम्बर में अंतर बताइए ? जैन धर्म में दो प्रमुख विचारधाराएँ (शाखाएं) या सम्प्रदाय हैंः जैन धर्म की दो प्रमुख प्राचीन उप-परम्पराएँ या परिपाटियां हैंः 1. दिगम्बर ख्उप-सम्प्रदायों में मूल संघ ;मूल समुदायद्ध और तेरापंथी, तारणपंथी और बीसपंथी सम्मलित हैं ;इन तीनों को आधुनिक समुदाय माना जाता हैद्ध, 2. श्वेताम्बर ;उप-सम्प्रदायों में स्थानकवासी और मूर्तिपूजक सम्मलित हैंद्ध कई अन्य छोटे उप-परम्पराएँ हैं जो दूसरी सहस्राब्दी में उभरींः दिगम्बर शाखा (विचारधारा)ः ऽ दिगम्बर संप्रदाय के भिक्षु वस्त्रा नहीं धारण करते, क्योंकि यह पंथ पूर्ण नग्नता का समर्थन करता है। ऽ महिला भिक्षु ;भिक्षुणियांद्ध बिना सिली हुई श्वेत साड़ी पहनती हैं और उन्हें अर्यिकाएं कहा जाता है। ऽ श्वेताम्बरों के विपरीत, दिगम्बर महावीर की शिक्षा के अनुसार सभी पांचों निग्रहों का पालन करते हैं ;अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्यद्ध ऽ भद्रबाहू दिगम्बर पंथ के प्रतिपादक थे और लम्बे आकाल की भविष्यवाणी करने के बाद वह अपने अनुयायियों को लेकर कर्नाटक चले गए थे। ऽ दिगम्बर मान्यताओं का पहला अभिलेख कुंडाकुंडा की प्राकृत सुत्तापहुदा में मिलता है। ऽ दिगम्बर जैनियों की मान्यता है कि महिलाएं तीर्थंकर नहीं हो सकतीं और मल्ली एक पुरुष था। ऽ दिगम्बर पंथ में मठ सम्बन्धी नियम अत्यधिक कठोर हैं। श्वेताम्बर शाखा (विचारधारा)ः ऽ श्वेताम्बर पारसनाथ के उपदेशों का पालन करते हैं अर्थात् उनका विश्वास है कि कैवल्य प्राप्त करने के लिए केवल चार निग्रह (ब्रह्मचर्य को छोड़ कर) का ही पालन किया जाना चाहिए। ऽ श्वेताम्बर, दिगम्बरों की सोच के विपरीत यह मानते हैं कि 23वें और 24वें तीर्थंकर वि...