दीपावली पूजन विधि

  1. दीपावली पूजन विधि और मंत्र
  2. Diwali Puja Vidhi, दीपावली पूजन की विधि
  3. दीपावली पूजा की विधि
  4. दीपावली पूजन विधि मंत्र सहित
  5. दीपावली 2021: जानिये पूजन की सम्पूर्ण विधि एवं शुभ मुहुर्त
  6. Diwali Laxmi Ganesh Puja: दिवाली की संपूर्ण पूजा विधि


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दीपावली पूजन विधि और मंत्र

यह स्वंय शिवजी द्वारा माता जगदम्बा से कही गई एक पवित्र कथा है। आप भी विस्तार पूर्वक पढ़े: दीपावाली पूजन के लिए जरूरी सामग्री: कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन। दीपावाली पूजन की इस तरह करें तैयारी: दीपावली पूजन शुरू करने से पहले श्री गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर मनमोहक रंगोली बनाएं। आप जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक अवश्य जलाएं। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें और फिर गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। मान्यता है इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति भी उपलब्ध हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें। शास्त्रों मे ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी ही रहती है। इसलिए भगवान विष्ण के बायीं ओर रखकर ही देवी लक्ष्मी की पूजा करें। दीपावाली पूजन विधि और मंत्र: दिपावाली पूजन पवित्र मंत्र से आरंभ करें: “ॐ अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं। अब आचमन करें:- ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं। अब इस मंत्र से आसन शुद्ध करें: ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं...

Diwali Puja Vidhi, दीपावली पूजन की विधि

दीपावली के दिन प्रत्येक व्यक्ति, वो चाहे व्यवसाय से हो, सेवा कार्य से हो या नौकरी से, प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवायीक स्थान एवं घर पर मां लक्ष्मी एवं गणेश जी का विधिवत पूजन कर धन कि देवी लक्ष्मी से सुख-समृद्धि अवं गणेश जी से बुद्धि की कामना करते हैं। दीपावली के दिन प्रत्येक व्यक्ति, वो चाहे व्यवसाय से हो, सेवा कार्य से हो या नौकरी से, प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवायीक स्थान एवं घर पर मां लक्ष्मी एवं गणेश जी का विधिवत पूजन कर धन कि देवी लक्ष्मी से सुख-à...

दीपावली पूजा की विधि

।। दीपावली पूजा की विधि ।। (व्रततिथि निर्णय से उद्धृत) दुकान या बड़े फर्म के वसना मुहूर्त-लक्ष्मी पूजन करने के पूर्व अष्टद्रव्य तैयार कर चैकियों पर रख लें। एक चैकी पर मंगल कलश की स्थापना करें। गद्दी पर बहीखाता, दवात-कलम, नवीन वस्त्र, रूपयों की थैली आदि रखें। प्रथम मंगलाष्टक पढ़कर रखी हुई सभी वस्तुओं पर पुष्प अर्पण करें। अनन्तर स्वस्ति विधान, देवशास्त्र-गुरू का अर्घ, पंचपरमेष्ठी पूजन, नवदेवता पूजन, महावीर स्वामी पूजन, गणधर पूजन करें। अनन्तर बहियों पर साथिया बनाने के उपरांत ’’श्री ऋषभाय नमः’’, ’’श्री महावीराय नमः’’ ’’श्री गौतम गणधराय नमः’’, ’’श्री केवलज्ञानसरस्वत्यै नमः’’ और ’’श्री लक्ष्म्यै नमः’’ लिखकर ’’श्रीवर्द्धताम्’’ लिखें। अनन्तर निम्नाकार में श्री का पर्वत बनावें।। थैली में स्वस्तिक बनाने का नियम इसके पश्चात् ’’श्री देवाधिदेव श्री महावीरनिर्वाणात्...............तमें वीराब्दे श्री................तमे विक्रमाब्दे.........................ईसवीय संवत्सरे शुभलग्ने स्थिर मुहूर्ते श्री जिनार्चन विधाय उद्य कार्तिक-कुष्णामावस्यायां शुभवासरे लाभवेलायां नूतनवसनामुहूर्तं करिष्ये’’। सब बहियों परयह लिखकर पान, लड्डू, सुपाड़ी, पीली सरसो, दूर्वा और हल्दी रखें पश्चात् ’’श्री वर्धमानाय नमः, श्री महालक्ष्म्यै नमः, ऋद्धिः सिद्धिर्भवतुतराम्,’’ केवलज्ञानलक्ष्मीदेव्यै नमः मम सर्वसिद्धिर्भवतु, काममांगल्योत्सवाः सन्तु, पुण्यं वर्द्धताम्’’ पढ़कर बहीखातों पर अघ्र्य चढ़ावें अनन्तर मंगल कलश वाली चैक पर रूपयों की थैली को रखकर उसमें ’’श्री लीलायतनं महीकुलगृहं कीर्तिप्रमोदास्पंद वाग्देवीनिकेतनं जयरमाक्रीडानिधानं महत्। सः स्यात्सर्वमहोत्सवैकभवनं यः प्राथितार्थप्रदं प्रातः पश्यति कल्पपादपदलच्छायं जिनांघ्...

दीपावली पूजन विधि मंत्र सहित

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • दीपावली पूजन विधि पूजन के लिये किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर गणेशजी के दाहिने भाग में माता महालक्ष्मी को स्थापित करना चाहिये। पूजन के दिन घर को स्वच्छ कर पूजा स्थान को भी पवित्र कर लेना चाहिये एवं स्वयं भी पवित्र होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक सायंकाल इनका पूजन करना चाहिये। मूर्तिमयी श्रीमहालक्ष्मीजी के पास ही किसी पवित्र पात्र में केसरयुक्त चन्दन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर द्रव्य लक्ष्मी ( रुपयों ) को भी स्थापित करके एक साथ ही दोनों की पूजा करनी चाहिये। सर्वप्रथम पूर्वाभिमुख अथवा उत्तराभिमुख हो आचमन, पवित्री धारण, मार्जन प्राणायाम कर अपने ऊपर तथा पूजा सामग्री पर निम्न मन्त्र पढ़कर जल छिड़के। ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥ संकल्प इसके बाद जल, अक्षत आदि लेकर पूजन का संकल्प करे। ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्य मासोत्तमे मासे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे पुण्यायाममावास्यायां तिथौ ( आज का दिन रवि, सोम आदि ) वासरे ( आपका गोत्र ) गोत्रोत्पन्नः ( आपका नाम ) गुप्तोऽहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलावाप्तिकामनया ज्ञाताज्ञातकायिकवाचिकमानसिकसकलपापनिवृत्तिपूर्वकं स्थिरलक्ष्मीप्राप्तये श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थं महालक्ष्मीपूजनं कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये। तदङ्गत्वेन गौरीगणपत्यादिपूजनं च करिष्ये। ऐसा कहकर संकल्प का जल आदि छोड़ दे। प्रतिष्ठा पूजन से पूर्व नूतन प्रतिमा की निम्न रीति से प्राण प्रतिष्ठा कर ले। बायें हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मन्त्रों को पढ़ते हुए दाहिने हाथ से उन अक्षतों को प्रतिमा पर छोड़ता जाये। ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिमं दधातु । ...

दीपावली 2021: जानिये पूजन की सम्पूर्ण विधि एवं शुभ मुहुर्त

दीपावली पर ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश का पूजन दीपावली पर विधि-विधान से किया गया लक्ष्मी-गणेश पूजन आने वाले पूरे वर्ष परिवार में धन्य-धान्य एवं सुख-समृद्धि के लिये शुभ माना जाता है । आईये जानते हैं दीपावली पूजन की सम्पूण विधि । क्यों मनाते हैं दीपावली ? भगवान श्रीराम चैदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर सीताजी एवं लक्ष्मण जी के साथ कार्तिक अमावस्या को अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों प्रसन्नता प्रकट करते हुये राजा राम के स्वागत में अपने घरों के बाहर घी के दीपक जलाए। तब से आज तक सनातनधर्म प्रेमी प्रति वर्ष प्रकाश के इस पर्व पर अपने घरों पर दीपक जलाकर सनातन धर्म परम्परा और भगवान श्रीराम के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करते हैं । क्यों किया जाता है लक्ष्मी-गणेश जी का पूजन ? माता लक्ष्मी धन की देवी हैं, हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मीजी की उत्पत्ति हुई थी। इसीलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सभी कार्य शुभ और निर्विघ्न हों इसलिये लक्ष्मी जी से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है । श्री गणेश जी हमें सद्बुद्धि दें और उस सद्बुद्धि का आश्रय लेकर हम धनोपार्जन करें और उस धन का सही दिशा में उपभोग करें ऐसी प्रार्थना करनी चाहिये । देवी सरस्वती हमें ज्ञान का प्रकाश और उच्च शिक्षा का वरदान दें इस कामना के साथ दिवाली पर माँ सरस्वती की पूजा भी की जाती है। दीपावली पूजन के लिये यह चाहिये पूजन सामग्री – दीपावली पूजन के लिये कमल गट्टा, साबुत हल्दी गाँठ, साबुत धनिया, कौड़ी, पीली सरसों, सुपाड़ी, लौंग-इलायची, सिंदूर, रोली, जनेऊ, गुड़, अक्षत (चावल), कपूर, जौ, शहद, पंचमेवा, खील बताशे-खिलोने, चंदन, कलावा, गंगाजल, गाय का...

Diwali Laxmi Ganesh Puja: दिवाली की संपूर्ण पूजा विधि

डीएनए हिंदींः कार्तिक कृष्ण अमावस्या (Kartik Krish Amavasya) तिथि पर दिवाली (Diwali) होती है और दिवाली पूजा हमेशा प्रदोष काल (Pradosh Kal) में स्थिर लग्न में करनी चाहिए, तभी अन्न-धन और सौभाग्य (Food And Luck) की प्राप्ति होती है. इस दिन देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) की कृपा सदैव बनी रहे इसके लिए शाम को भगवान गणेश (Ganpati Ji) और कुबेर जी (Kuber Ji) के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. दिवाली की रात तंत्र पूजा (Tantra Puja on Diwali) भी होती है और जो लोग तंत्र विद्या से देवी की पूजा करते हैं उन्हें आधी रात के समय निशीथ काल (Nishith Kal) में पूजा करनी चाहिए. तो चलिए जानें कि गृहस्थ लोग दिवाली पर किस विधि से पूजा करें. यह भी पढ़ेंः दिवाली पूजन के लिए जरूरी सामग्री हल्दी, अगरबत्ती, इत्र, दीपक, रूई की बाती, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन, कलावा, रोली, सिंदूर, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, घी, कलश, कलश के लिए आम के पत्ते, आसन के लिए चौकी, समिधा , हवन सामग्री और कुण्ड के साथ ही कमल गट्टे, पंचामृत के लिए दूध, घी, गंगाजल,दही, शहद. वहीं प्रसाद के लिए फल, बताशे, खील या लावा, मिठाईयां, दिवाली पूजा की इस तरह करें तैयारी गणेश-लक्ष्मी के पूजा स्थल पर रंगोली या चौक बना लें. जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीप जरूर जलाएं. इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर अक्षत यानी कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें. इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान होता है इसलिए उनकी भी प्रतिमा या तस्वीर रख लें. याद रखें भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा...