दिलबर शाही का नात शरीफ


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शायरी

दुनिया में पादशह है सो है वह भी आदमी और मुफ़्लिसो-गदा है सो है वह भी आदमी ज़रदार, बे-नवा है सो है वह भी आदमी नेअमत जो खा रहा है सो है वह भी आदमी टुकड़े चबा रहा है सो है वह भी आदमी॥1॥ अब्दाल, कुत्ब, ग़ौस, वली आदमी हुए मुनकिर भी आदमी हुए और कुफ़्र के भरे क्या-क्या करिश्मे कश्फ़ो-करामात के लिए हत्ता कि अपने जुहदो-रियाज़त के ज़ोर से ख़ालिक से जा मिला है सो है वह भी आदमी॥2॥ फ़रऔन ने किया था जो दावा खुदाई का शद्दाद भी बिहिश्त बनाकर खुदा हुआ नमरूद भी खुदा ही कहाता था बरमला यह बात है समझने की आगे कहूं मैं कया यां तक जो हो चुका है सो है वह भी आदमी॥3॥ यां आदमी ही नार है और आदमी ही नूर यां आदमी ही पास है और आदमी ही दूर कुल आदमी का हुस्नो-कबह में है यां ज़हूर शैतां भी आदमी है जो करता है मक़्रो-ज़ोर और हादी रहनुमा है सो है वह भी आदमी॥4॥ मसजिद भी आदमी ने बनायी है यां मियां बनते हैं आदमी ही इमाम और खुत्बा-ख़्वां पढ़ते हैं आदमी ही कुरान और नमाज़ यां और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियां जो उनको ताड़ता है सो है वह भी आदमी॥5॥ यां आदमी पे जान को वारे है आदमी और आदमी पे तेग़ को मारे है आदमी पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुन के दौड़ता है सो है वह भी आदमी॥6॥ नाचे है आदमी ही बजा तालियों को यार। और आदमी ही डाले है अपने इज़ार उतार॥ नंगा खड़ा उछलता है होकर जलीलो ख़्वार। सब आदमी ही हंसते हैं देख उसको बार-बार॥ और वह जो मसखरा है सो है वह भी आदमी॥7॥ चलता है आदमी ही मुसाफ़िर हो, ले के माल और आदमी ही मारे है फांसी गले में डाल यां आदमी ही सैद है और आदमी ही जाल सच्चा भी आदमी ही निकलता है, मेरे लाल ! और झूठ का भरा है सो है वह भी आदमी॥8॥ यां आदमी ही शादी है और आदमी विवाह काज़ी, वकील आदमी और आद...

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दुनिया में पादशह है सो है वह भी आदमी और मुफ़्लिसो-गदा है सो है वह भी आदमी ज़रदार, बे-नवा है सो है वह भी आदमी नेअमत जो खा रहा है सो है वह भी आदमी टुकड़े चबा रहा है सो है वह भी आदमी॥1॥ अब्दाल, कुत्ब, ग़ौस, वली आदमी हुए मुनकिर भी आदमी हुए और कुफ़्र के भरे क्या-क्या करिश्मे कश्फ़ो-करामात के लिए हत्ता कि अपने जुहदो-रियाज़त के ज़ोर से ख़ालिक से जा मिला है सो है वह भी आदमी॥2॥ फ़रऔन ने किया था जो दावा खुदाई का शद्दाद भी बिहिश्त बनाकर खुदा हुआ नमरूद भी खुदा ही कहाता था बरमला यह बात है समझने की आगे कहूं मैं कया यां तक जो हो चुका है सो है वह भी आदमी॥3॥ यां आदमी ही नार है और आदमी ही नूर यां आदमी ही पास है और आदमी ही दूर कुल आदमी का हुस्नो-कबह में है यां ज़हूर शैतां भी आदमी है जो करता है मक़्रो-ज़ोर और हादी रहनुमा है सो है वह भी आदमी॥4॥ मसजिद भी आदमी ने बनायी है यां मियां बनते हैं आदमी ही इमाम और खुत्बा-ख़्वां पढ़ते हैं आदमी ही कुरान और नमाज़ यां और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियां जो उनको ताड़ता है सो है वह भी आदमी॥5॥ यां आदमी पे जान को वारे है आदमी और आदमी पे तेग़ को मारे है आदमी पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुन के दौड़ता है सो है वह भी आदमी॥6॥ नाचे है आदमी ही बजा तालियों को यार। और आदमी ही डाले है अपने इज़ार उतार॥ नंगा खड़ा उछलता है होकर जलीलो ख़्वार। सब आदमी ही हंसते हैं देख उसको बार-बार॥ और वह जो मसखरा है सो है वह भी आदमी॥7॥ चलता है आदमी ही मुसाफ़िर हो, ले के माल और आदमी ही मारे है फांसी गले में डाल यां आदमी ही सैद है और आदमी ही जाल सच्चा भी आदमी ही निकलता है, मेरे लाल ! और झूठ का भरा है सो है वह भी आदमी॥8॥ यां आदमी ही शादी है और आदमी विवाह काज़ी, वकील आदमी और आद...

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दुनिया में पादशह है सो है वह भी आदमी और मुफ़्लिसो-गदा है सो है वह भी आदमी ज़रदार, बे-नवा है सो है वह भी आदमी नेअमत जो खा रहा है सो है वह भी आदमी टुकड़े चबा रहा है सो है वह भी आदमी॥1॥ अब्दाल, कुत्ब, ग़ौस, वली आदमी हुए मुनकिर भी आदमी हुए और कुफ़्र के भरे क्या-क्या करिश्मे कश्फ़ो-करामात के लिए हत्ता कि अपने जुहदो-रियाज़त के ज़ोर से ख़ालिक से जा मिला है सो है वह भी आदमी॥2॥ फ़रऔन ने किया था जो दावा खुदाई का शद्दाद भी बिहिश्त बनाकर खुदा हुआ नमरूद भी खुदा ही कहाता था बरमला यह बात है समझने की आगे कहूं मैं कया यां तक जो हो चुका है सो है वह भी आदमी॥3॥ यां आदमी ही नार है और आदमी ही नूर यां आदमी ही पास है और आदमी ही दूर कुल आदमी का हुस्नो-कबह में है यां ज़हूर शैतां भी आदमी है जो करता है मक़्रो-ज़ोर और हादी रहनुमा है सो है वह भी आदमी॥4॥ मसजिद भी आदमी ने बनायी है यां मियां बनते हैं आदमी ही इमाम और खुत्बा-ख़्वां पढ़ते हैं आदमी ही कुरान और नमाज़ यां और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियां जो उनको ताड़ता है सो है वह भी आदमी॥5॥ यां आदमी पे जान को वारे है आदमी और आदमी पे तेग़ को मारे है आदमी पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुन के दौड़ता है सो है वह भी आदमी॥6॥ नाचे है आदमी ही बजा तालियों को यार। और आदमी ही डाले है अपने इज़ार उतार॥ नंगा खड़ा उछलता है होकर जलीलो ख़्वार। सब आदमी ही हंसते हैं देख उसको बार-बार॥ और वह जो मसखरा है सो है वह भी आदमी॥7॥ चलता है आदमी ही मुसाफ़िर हो, ले के माल और आदमी ही मारे है फांसी गले में डाल यां आदमी ही सैद है और आदमी ही जाल सच्चा भी आदमी ही निकलता है, मेरे लाल ! और झूठ का भरा है सो है वह भी आदमी॥8॥ यां आदमी ही शादी है और आदमी विवाह काज़ी, वकील आदमी और आद...

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दुनिया में पादशह है सो है वह भी आदमी और मुफ़्लिसो-गदा है सो है वह भी आदमी ज़रदार, बे-नवा है सो है वह भी आदमी नेअमत जो खा रहा है सो है वह भी आदमी टुकड़े चबा रहा है सो है वह भी आदमी॥1॥ अब्दाल, कुत्ब, ग़ौस, वली आदमी हुए मुनकिर भी आदमी हुए और कुफ़्र के भरे क्या-क्या करिश्मे कश्फ़ो-करामात के लिए हत्ता कि अपने जुहदो-रियाज़त के ज़ोर से ख़ालिक से जा मिला है सो है वह भी आदमी॥2॥ फ़रऔन ने किया था जो दावा खुदाई का शद्दाद भी बिहिश्त बनाकर खुदा हुआ नमरूद भी खुदा ही कहाता था बरमला यह बात है समझने की आगे कहूं मैं कया यां तक जो हो चुका है सो है वह भी आदमी॥3॥ यां आदमी ही नार है और आदमी ही नूर यां आदमी ही पास है और आदमी ही दूर कुल आदमी का हुस्नो-कबह में है यां ज़हूर शैतां भी आदमी है जो करता है मक़्रो-ज़ोर और हादी रहनुमा है सो है वह भी आदमी॥4॥ मसजिद भी आदमी ने बनायी है यां मियां बनते हैं आदमी ही इमाम और खुत्बा-ख़्वां पढ़ते हैं आदमी ही कुरान और नमाज़ यां और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियां जो उनको ताड़ता है सो है वह भी आदमी॥5॥ यां आदमी पे जान को वारे है आदमी और आदमी पे तेग़ को मारे है आदमी पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुन के दौड़ता है सो है वह भी आदमी॥6॥ नाचे है आदमी ही बजा तालियों को यार। और आदमी ही डाले है अपने इज़ार उतार॥ नंगा खड़ा उछलता है होकर जलीलो ख़्वार। सब आदमी ही हंसते हैं देख उसको बार-बार॥ और वह जो मसखरा है सो है वह भी आदमी॥7॥ चलता है आदमी ही मुसाफ़िर हो, ले के माल और आदमी ही मारे है फांसी गले में डाल यां आदमी ही सैद है और आदमी ही जाल सच्चा भी आदमी ही निकलता है, मेरे लाल ! और झूठ का भरा है सो है वह भी आदमी॥8॥ यां आदमी ही शादी है और आदमी विवाह काज़ी, वकील आदमी और आद...