Dragon fruit ki kheti

  1. Dragon Fruit Farming: इस फल की खेती से सालाना कमा सकते हैं 8 से 10 लाख रुपए, जानिए कैसे होती है खेती
  2. किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकती है ड्रैगन फ्रूट की खेती,जानिए इसकी खेती करने का सही तरीका
  3. Dragon Fruit Farming ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करें?
  4. Dragon Fruit in Hindi
  5. Dragon Fruit Ki Kheti
  6. Dragon Fruit Vavetar I Khedut Portal Sahay Yojana: An Initiative to Boost Dragon Fruit Farming in Gujarat
  7. Dragon Fruit Ki Kheti Se Uttar Pradesh Ke Kisan Ne Kamaye Lakhon


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Dragon Fruit Farming: इस फल की खेती से सालाना कमा सकते हैं 8 से 10 लाख रुपए, जानिए कैसे होती है खेती

Telegram Group (Join Now) Dragon Fruit Farming: भारत में साल दर साल विदेशी फलों का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से भारतीय किसान भी इन फलों की खेती करने के लिए इच्छुक हो रहे हैं। इन्हीं विदेशी फलों में से एक है ड्रैगन फ्रूट, जो थाईलैंड, वियतना, श्रीलंका और इजराइल जैसे देशों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। हालांकि अब भारतीय किसानों के बीच भी ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) करने का रूझान बढ़ रहा है, जो खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बाज़ार में महंगी कीमत पर बिकता है। ऐसे में अगर आप भी चाहे तो ड्रैगन फ्रूट की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जिससे कई प्रकार के प्रोडक्टस तैयार किए जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) ड्रैगन फ्रूट को Pitaya के नाम से भी जानते हैं, जिसके बाहर का छिलका पिंक कलर का होता है। इस फल के अंदर भी कीवी की तरह छोटे-छोटे काले रंग के बीज होते हैं, जिसका सेवन करना सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती करना बहुत ही आसान है, जिसकी सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती है। ड्रैगन फ्रूट की फसल उगाने के लिए ज्यादा उपजाऊ मिट्टी की जरूरत नहीं होती है, इसलिए इसे किसी भी जगह पर आसानी से उगाया जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट को 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान वाली जगहों पर सबसे ज्यादा उगाया जाता है, जिसे ज्यादा धूप या पानी की जरूरत नहीं होती है। ड्रैगन फ्रूट के लिए मिट्टी (Dragon Fruit Soil) ड्रैगन फ्रूट के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए, जिसमें बालुई मिट्टी भी शामिल हो सकती है। इस फल की खेती करने के लिए कार्बनिक पदार्थ और रेतीली मिट्टी भी काफी अच्छी साबित होती है, जिसमें ड्रैगन ...

किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकती है ड्रैगन फ्रूट की खेती,जानिए इसकी खेती करने का सही तरीका

आजकल भारत में ड्रैगन फ्रूट की मांग काफी ज्यादा बढ़ने लगे क्योंकि ड्रैगन फ्रूट कई तरह की बीमारियों से दूर करता है. उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में किसान और ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती करके किसान काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं. ड्रैगन फ्रूट की खेती विदेशी फसल की श्रेणी में आता है लेकिन भारत में दिन पर दिन इसकी मांग बढ़ रही है. आपको बता दें कि इस समय गुजरात महाराष्ट्र हरियाणा आंध्र प्रदेश तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जाती है. किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकती है ड्रैगन फ्रूट की खेती,जानिए इसकी खेती करने का सही तरीका ड्रैगन फल की कई किस्में होती है और यह कई तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलाती है. आपको बता दें कि ड्रैगन फ्रूट काफी महंगा बिकता है यही वजह है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती करके काफी. Also Read: ड्रैगन फल के पौधों को सीमेंट और कंक्रीट से बने पिलर के सहारे बड़ा किया जाता है और इसका पौधा 25 वर्षों तक फल देता है. आपको बता दें कि इसकी खेती में अधिक पानी की भी जरूरत नहीं होती है. आपको बता दें कि इसके लिए गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट अच्छी मानी जाती है. किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकती है ड्रैगन फ्रूट की खेती,जानिए इसकी खेती करने का सही तरीका इसकी खेती करके आप बहुत जल्द अमीर बन सकते हैं और सबसे बड़ी बात है कि इसकी खेती करने में आपको ज्यादा परेशान भी नहीं होना पड़ेगा. आपको बता दें कि आजकल ड्रैगन की मांग बढ़ गई है इसलिए इसकी खेती करके लोग अमीर बन रहे हैं.

Dragon Fruit Farming ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करें?

हेल्लो दोस्तों नमस्कार आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे ( Dragon Fruit Farming) ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करे जैसा की दोस्तों आप सभी जानते हो की यदि किसान पारंपरिक फसले और पुराने तरीके से खेती करेगा तो आज के युग में पिछड़ जायेगा इसलिए आज किसान को हाई टेक तरीके और नई फसलो पर ध्यान देना होगा मेरा भी हमेशा से इस साइड www.mykisandost.com के माध्यम से प्रयास रहता है की में अपने पाठको को लेटेस्ट जानकारी प्रदान करता रहूँ। इसके पोधो में मौसमी परिवर्तन यानि तापमान का उतार चढ़ाव को आसानी से सहन कर सकते है 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए उपयुक्त रहता है इसके पोधो को ज्यादा धुप वाली उँची जगह पर नही लगाना चाहिए! इसकी खेती 50% वार्षिक औसत बरसात होने वाली जगह पर आसानी से की जा सकती है! ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी के प्रकार ⟹ इसके कमल पोधों को लगाने के लिए एक कतार में 2 मीटर की दूरी छोड़ कर 60 सेमी चोडा और 60 सेमी गहरा गड्डा खोदा जाना चाहिए फिर कलम वाले पोधों को सूखे गोबर और बालू रेत को 1:1 :2 के अनुपात में मिला कर गड्डे में रोपे गड्डो में मिट्टी के साथ प्रति गड्डे में 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और कम्पोस्ट मिला कर भर दे! इस तरह एक एकड़ ज़मीन में 1700 पौधे लग जायेंगे ड्रैगन फ्रूट के पौधे काफी तेजी के साथ विकसित होते है उन्हें सहारा देने के लिए सीमेंट का पोल और तख्त लगाना चाहिए! ड्रैगन फ्रूट की सिचाई ⟹ जब पोधों में फल लगना शुरू हो जाये तब नाइट्रोजन की मात्रा कम कर के पोटाश की मात्रा बड़ा देनी चाहिए जिससे अधिक उपज प्राप्त हो सके फूल आने से पहले और फल आने के समय प्रति पौधे में 50 ग्राम यूरिया 50 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 100 ग्राम पोटाश देना चाहिए प्रति वर्ष प्रति पोधे में 22...

Dragon Fruit in Hindi

हैदराबाद के कुकटपल्ली के रहने वाले श्रीनिवास राव माधवराम पेशे से एक डॉक्टर हैं। हर दिन सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक मरीजों का इलाज करते हैं। इसके बाद वे निकल पड़ते हैं अपने खेतों की तरफ। पिछले चार साल से वे ड्रैगन फू्रट (Dragon Fruit in Hindi) की श्रीनिवासन कहते हैं, हमारा परिवार बहुत पहले से ही खेती से जुड़ा रहा है। मेरे दादा जी किसान थे, सब्जियां उगाते थे। मेरे पिता उनके काम में हाथ बंटाते थे। बाद में उनकी नौकरी लग गई तो भी वे खेती से जुड़े रहे। इसलिए खेती को लेकर दिलचस्पी शुरू से रही है। मैं हमेशा से सोचता था कि खेती को लेकर लोगों का नजरिया बदला जाए। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • पहली बार ड्रैगन फू्रट साल 2016 में देखा। उनके भाई एक पारिवारिक आयोजन के लिए ड्रैगन फू्रट लेकर आए थे। मुझे यह फू्रट पसंद आया और इसके बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। फिर मैंने इसको लेकर रिसर्च करना शुरू किया कि यह कहां बिकता है, कहां से इसे इम्पोर्ट किया जाता है और इसकी फार्मिंग कैसे होती है। रिसर्च के बाद उन्हें पता चला कि इसकी सैकड़ों प्रजातियां होती हैं। लेकिन, भारत में कम ही किसान इसकी खेती करते हैं। सिर्फ दो तरह के ही ड्रैगन फू्रट यहां उगाए जाते हैं। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के एक किसान से 1000 ड्रैगन फू्रट के पौधे खरीदे, लेकिन उनमें से ज्यादातर खराब हो गए। वजह यह रही कि वो प्लांट इंडिया के क्लाइमेट में नहीं उगाए जा सकते थे। 70 से 80 हजार रुपए का नुकसान हुआ। थोड़ा दुख जरूर हुआ, लेकिन पिता जी ने हिम्मत बंधाई कि अब पीछे नहीं मुड़ना है। इसके बाद श्रीनिवास ने गुजरात, कोलकाता सहित कई शहरों का दौरा किया। वहां की नर्सरियों में गए। सब यही कहते थे कि ये इम्पोर्टेड है, यहां इसकी खेती नहीं...

Dragon Fruit Ki Kheti

Dragon Fruit Ki Kheti–आज के इस समय में हर कोई सोचता है की उसका अपना खुद का कोई बिज़नेस हो और अगर बिज़नेस नहीं तो इसका बस एक ही अच्छा दूसरा उपाए है खेती किसानी लेकिन इसमें भी अगर हम कुछ नया कर सकें तो अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इन दिनों देश में कई किसान विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर के अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। कहने को तो ये विदेशी फल है लेकिन अब इसकी खेती भारत में भी की जाने लगी है. ड्रैगनफ्रूट का इस्तेमाल आइसक्रीम, जेली, जूस, वाइन आदि बनाने में होता है. इसके फल में किवी की तरह बीज पाए जाते हैं. यह कई विटामिन्स से भरा होता है.बाजार में यह फल 200 से 250 रुपए प्रति किलो तक बिकता है. भारत के कई किसान ड्रैगनफ्रूट की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. आईए जानते हैं ड्रैगनफ्रूट की खेती कैस करें. ड्रैगन फ्रूट सफेद, लाल गुलाबी और पीले रंग में पाया जाता है. भारत में सबसे ज्यादा सफेद ड्रैगन फ्रूट उगाया जाता है, क्योंकि इसका पौधा आसानी से मिल जाता है. हालांकि इसका भाव अन्य किस्मों से कम होता है. लाल गुलाबी किस्म का ड्रैगन फ्रूट भारत में कम देखने को मिलता है, इसका फल बाहर और अंदर दोनों जगह गुलाबी होता है. इसका बाज़ार भाव सफ़ेद वाले ड्रैगन फ्रूट से ज्यादा होता है. पीला रंग का ड्रैगनफ्रूट बहुत महंगा होता है, ये भारत में बहुत कम ही मिलता है. इसका रंग बाहर से पीला, अंदर से सफेद होता है. आप सफेद ड्रैगनफ्रूट की खेती से शुरुआत कर सकते हैं. भारत में ड्रैगनफ्रूट की की खेती सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में होती है. इसके अलावा कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में भी किसान इसकी खेती करते हैं. इस वातावरण में में होती है ड्रैगन फ्रूट की खेती ड्रैगनफ्रूट की खेती करने से पहले अपने स्...

Dragon Fruit Vavetar I Khedut Portal Sahay Yojana: An Initiative to Boost Dragon Fruit Farming in Gujarat

Dragon Fruit Vavetar I Khedut Portal Sahay Yojana ek yojana hai jo Gujarat sarkar ne chalayi hai, jisse dragon fruit ki kheti ko badhava diya jata hai aur kisanon ko arthik sahayata pradan ki jati hai. Yojana ke labh prapt karne ke liye, yahan diye gaye kadamon ko follow karna hoga: Registration: Kisanon ko Dragon Fruit Vavetar I Khedut Portal Sahay Yojana ki website (https://ikhedut.gujarat.gov.in/) par register karna hoga, yahan par apane vyaktigat aur kheti se sambandhit jaankariyan deni hogi. Eligibility: Yojana ke liye, kisanon ko Gujarat ke nivasi aur ek sahi Aadhaar card hona jaruri hai. Unke paas dragon fruit ki kheti ke liye khud ka zameen hona chahiye ya phir patta lena chahiye. Application: Registration ke baad, kisanon ko yojana ke liye online aavedan karna hoga. Yahan par unhen kheti ke area, dragon fruit ki pedhon ki sankhya aur aane wali fasal ke baare mein jaankari deni hogi. Inspection: Aavedan prapt hone ke baad, yojana ke adhikariyon dwara zameen ki jaanch ki jayegi, taki kisan dwara di gayi jaankari sahi ho. ટ્રેકટર સહાય યોજના માટે ક્લિક કરો Approval: Agar jaanch safal hoti hai, to kisanon ke aavedan ko manzoori di jayegi aur unhe yojana ke antargat arthik sahayata pradan ki jayegi. Financial Assistance: Dragon Fruit Vavetar I Khedut Portal Sahay Yojana ke antargat, kisan 50% tak ki subsidy prapt kar sakte hai, jiski kul maatra 4.5 lakh rupees prati hektear tak ho sakti hai. Subsidy teen installments mein di jayegi, jismein dusre saal se shuru hoti hai....

Dragon Fruit Ki Kheti Se Uttar Pradesh Ke Kisan Ne Kamaye Lakhon

31 वर्षीय रविंद्र पांडेय, एक प्रगतिशील किसान हैं। वह कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) जिले के सिराथू तहसील में, टेंगाई गाँव के रहने वाले हैं। उन्हें ‘ड्रैगन फ्रूट’ की सफल खेती के लिए, काफी पहचान मिल रही है। अपनी एक एकड़ जमीन के चौथाई भाग में ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Ki Kheti) करके, वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही, वह दूसरे किसानों को भी, ड्रैगन फ्रूट के पौधे तैयार करके दे रहे हैं। कानून की पढ़ाई करने के बाद, रविंद्र ने कुछ समय पहले ही, वकालत की प्रैक्टिस शुरू की है। वह कई सालों से अपने पिता, सुरेश चंद्र पांडेय के साथ, खेती भी कर रहे हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “हमारे पास 20 बीघा जमीन है। पहले हम गेहूं, धान और आलू की खेती करते थे, जिसमें कभी मुनाफा होता था और कभी नुकसान। लेकिन साल 2016 में, पिताजी ने एक अखबार में ‘ड्रैगन फ्रूट’ की खेती के बारे में पढ़ा। दरअसल, तत्कालीन जिला कलेक्टर, अखंड प्रताप सिंह जी ने इस इलाके में, ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Ki Kheti) शुरू करवाने का फैसला किया था।” सिराथू तहसील में घटते भूजल स्तर को देखते हुए, जिला प्रशासन ने फैसला किया था कि इस इलाके में, किसानों को ‘ड्रैगन फ्रूट’ की खेती के लिए प्रेरित किया जाए। क्योंकि, ड्रैगन फ्रूट की खेती कम पानी में की जा सकती है। प्रशासन की इस योजना के बारे में जानकर, रविंद्र ने ड्रैगन फ्रूट के बारे में रिसर्च की। उन्हें पता चला कि ड्रैगन फ्रूट, पोषण से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके सभी फायदे जानने के बाद, उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Ki Kheti) करने का फैसला किया। Ravindra Pandey कैसे की शुरुआत: जिला प्रशासन की प्रेरणा से, रविंद्र और उनके ...