दशहरा कब है 2023

  1. Ganga Dussehra 2023:कब है गंगा दशहरा, 29 या 30 मई को? जानें सही तिथि, मुहूर्त और महत्व
  2. दशहरा 2023 कब है? दशहरा का महत्व
  3. दशहरा 2023, विजयादशमी ,कब है दशहरा,रावण पुतला


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Ganga Dussehra 2023:कब है गंगा दशहरा, 29 या 30 मई को? जानें सही तिथि, मुहूर्त और महत्व

Ganga Dussehra 2023 Date: गंगा दशहरा देवी गंगा के सम्मान में भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सवों में से एक है, जो गंगावतरण के रूप में भी लोकप्रिय है। यह दिन भूमि (पृथ्वी) पर गंगा के अवतरण को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। पवित्र गंगा के पृथ्वी पर आने के कारण वह पवित्र हो गई और उसे स्वर्ग का दर्जा प्राप्त हो गया। गंगा दशहरा दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो निर्जला एकादशी से एक दिन पहले शुरू होता है। हिंदू कैलेंडर 2023 के अनुसार, गंगा दशहरा का उत्सव ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्ष के दसवें दिन (दशमी तिथि) को होता है। गंगा दशहरा तिथि दशमी तिथि प्रारम्भ - मई 29, 2023, प्रातः 11:49 से दशमी तिथि समाप्त - मई 30, 2023, दोपहर 01:07 तक हस्त नक्षत्र प्रारम्भ - मई 30, 2023, प्रातः 04:29 से हस्त नक्षत्र समाप्त - मई 31, 2023,प्रातः 06:00 तक व्यतीपात योग प्रारम्भ -मई 30, 2023,रात्रि 08:55 से व्यतीपात योग समाप्त - मई 31, 2023, रात्रि 08:15 तक गंगा दशहरा का क्या महत्व है? गंगा दशहरा कर्म, वाणी और विचारों से संबंधित दस पापों को शुद्ध करने के लिए पवित्र गंगा की क्षमता को दर्शाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त इस दिन देवी गंगा की पूजा करते हैं तो उन्हें अपने वर्तमान और पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यह निवेश करने, नई घर की संपत्ति, वाहन आदि खरीदने और नए घर में प्रवेश करने के लिए भी एक शुभ दिन माना जाता है। गंगा दशहरा की पूजा विधि • सुबह जल्दी उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगा घात में स्नान करने के लिए जाएं। • अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो घर में ही सामान्य पानी में गंगा जल डालकर मां गंगा को याद स्नान करें। • यदि गंगा घात पर स...

दशहरा 2023 कब है? दशहरा का महत्व

Dussehra 2023 Date, Time in Hindi: दशहरा रावण पर भगवान राम की विजय का उत्सव है। हमारे देश भारत में धार्मिकता का अति महत्व है और इन्हीं धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के आधार पर देश में बहुत से त्यौहार हर्षोल्लाष से मनाये जाते हैं। यूं तो देश में मनाये जाना लगभग हर त्यौहार, बुराई पर अच्छाई एवं असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है, परन्तु बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में एक त्यौहार पूरे देश में प्रसिद्ध है, वह है “दशहरा”। दशहरा त्यौहार रावण पर भगवान् पूरे देश में भिन्न भिन्न स्थानों पर इसे मनाने का तरीका अलग अलग है। उत्तर भारत में कुल्लू में मनाये जाना वाला महोत्सव विश्व भर में प्रसिद्ध है। दशहरे का त्यौहार हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार भगवान श्री राम के अद्भुत पराक्रम की कहानी दर्शाता है जिन्होंनें रावण की लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया था और माता सीता को उसके बंधन से मुक्त करवाया था तथा इस प्रकार सारे विश्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश दिया। साथ ही साथ इस दिन मां दुर्गा ने भी एक लम्बे युद्ध के पश्चात राक्षस महिषासुर का संहार किया था इसलिये भी इस दशमी को विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भगवान शिव के साथ साथ माँ दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था। माँ दुर्गा को आह्वान का भान होने पर उन्होंने भगवान श्री राम की परीक्षा लेने हेतु पूजा के लिये रखे गये कमल के पुष्पों में से एक फूल को गायब कर दिया। भगवान श्री राम को “राजीवनयन” अर्थात कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया। जैसे...

दशहरा 2023, विजयादशमी ,कब है दशहरा,रावण पुतला

दशहरा यानि विजयादशमी, जिसका मतलब विजय का दिन होता है। इस दिन ही भगवान राम ने रावण को मार कर विजय हासिल की थी। राम अच्छाई और रावण बुराई का प्रतीक माने जाते हैं। राम की रावण पर विजय को अच्छाई की बुराई पर जीत के तौर पर देखा जाता है। इसी दिन माता दुर्गा ने महिषासुर पर भी विजय पाई थी। दशहरे से 14 दिन पहले तक रामलीला दिखाई जाती है, जिसमें भगवान राम की जीवन लीला स्टेज पर दर्शाई जाती है। आखिरी दिन रावण का वध होता है और इसी के साथ रामलीला भी खत्म हो जाती है। दशहरे का दिन काफी अच्छा माना जाता है। कहते हैं अगर किसी कि शादी का कोई मुहूर्त ना हो तो इस दिन वो शादी कर सकते हैं। दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी। पूरे साल में तीन सबसे शुभ घड़ियां होती हैं, एक है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी है कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरा है दशहरा। इस दिन कोई भी नया काम शुरू किया जाता है और उसमें अवश्य ही विजय मिलती है। दशहरे के दिन नकारात्मक शक्तियां खत्म होकर आसामान में नई ऊर्जा भर जाती है। जीवन में सकरात्मकता का संचार होता है। दशहरा पूजा विधि - सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें -आंगन में गोबर के गोल बर्तन जैसे बनाएं। -इनको श्रीराम समेत अनुजों की छवि मानें। -इन चार बर्तनों में गीला धान और चांदी रखें। - बर्तनों को कपड़े से ढंक दें। - धूप, दीप, ज्योत, फूलों से उनकी पूजा करें - सच्चे मन से भगवान का ध्यान करें - पूजा के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं - सबसे बाद खुद भोजन करें रावण का पुतला दशहरे का धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन इसको लेकर बच्चों और युवाओं में खासी उत्सुकता रहती है। सबसे पहले तो दशहरे के साथ दीवाली की आहट भी शुरू हो जाती है और बच्चों को पटाखे, रोशनी चलाने...