द्वितीय ब्रह्मचारिणी मंत्र

  1. ब्रह्मचारिणी
  2. द्वितीय दुर्गा माँ ब्रह्मचारिणी
  3. माँ ब्रह्मचारिणी, माता के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी का महत्व और शक्तियां
  4. chaitra navratri 2022 second day brahmcharini puja vidhi mantra arti and upay
  5. navratri 2022 maa brahmacharini pujan vidhi mantra bhog money related problem will solve
  6. नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीय नवरात्र
  7. द्वितीय दुर्गा : श्री ब्रह्मचारिणी पूजा, मंत्र, कथा विधी
  8. ब्रह्मचारिणी: नवदुर्गा का द्वितीय रूप, Brahmacharini Devi In Hindi, 2nd Navdurga


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ब्रह्मचारिणी

अनुक्रम • 1 श्लोक • 2 शक्ति • 3 फल • 4 उपासना • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ श्लोक [ ] दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || शक्ति [ ] इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। फल [ ] माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। उपासना [ ] प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए। या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अर्थ: हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। सन्दर्भ [ ] • NDTVIndia (हिन्दी भाषा में). १९ मार्च 2020. . अभिगमन तिथि...

द्वितीय दुर्गा माँ ब्रह्मचारिणी

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ द्वितीय दुर्गा माँ ब्रह्मचारिणी Dwitiya Durga Maa Brahmacharini ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) का अर्थ है तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ति कथा पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि इस दिन सु...

माँ ब्रह्मचारिणी, माता के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी का महत्व और शक्तियां

माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini): माँ ब्रह्मचारिणी का माता दुर्गा के नौ रूपों में दूसरा स्वरूप माना जाता है। इसलिए ब्रह्मचारिणी देवी को द्वितीय दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। नवदुर्गाओं में यही दूसरी दुर्गा हैं। इस स्वरुप में माता ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए बिना अन्न और जल के 5000 वर्षों तक घोर तपस्या की, जिसके कारण माता के इस स्वरुप को‘ब्रह्मचारिणी’ कहा जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini), महत्व और शक्तियां Maa Brahmacharini नवरात्रि का दूसरा दिन देवी पुराण के अनुसार ब्रह्मचारिणी माता सदैव तपस्या में लीन देवी हैं जिसकी वजह से उनके तप तेज की तीव्रता बढ़ गई और ये गौर वर्ण की हो गयी । शब्द विग्रह, ‘ब्रह्मा’ का अर्थ है तपस्या, एक स्वयंभू आत्मा, पूर्ण वास्तविक और शुद्ध ज्ञान। ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करना, पालन करना और व्यवहार करना। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्या करने वाली। नवरात्रि पूजा के दूसरे दिन इनकी ही उपासना और आराधना की जाती है। माँ दुर्गा के इस स्वरुप के दाहिने हाथ में जप की माला है और बाये हाथ में कमंडलु सुशोभित है। दूसरे दिन की पूजा में योगी अपने मन को ‘स्वाधिष्ठान’ चक्र में स्थापित करते हैं। यह उनकी योग साधना का दूसरा दिन होता है। इसके सिद्ध होने से जल तत्व का पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है। ब्रह्मचारिणी का मंत्र या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। माता के इस स्वरुप की आराधना से व्यक्ति के जीवन मे संयम, सदाचार, आत्मविश्वास, तेज, बल व सात्विक बुद्धि का विकास निरंतर होता रहता है, तथा अविवेक, असंतोष, लोभ आदि दुर्गुणों का अंत होता। जीवन में उत्साह, धैर्य व साहस में बढ़ोत्तरी ...

chaitra navratri 2022 second day brahmcharini puja vidhi mantra arti and upay

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसे में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 3 अप्रैल को होगी. माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति और बुद्धि का विकास होता है. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत शुभ फलदायी साबित होती है. ऐसे में जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और खास उपाय. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले या सफेद रंग का विशेष महत्व है. ऐसे में माता की पूजा पीले या सफेद वस्त्र पहनकर करें. साथ ही माता को सफेद चीजें अर्पित करें. पूजन में शक्कर, मिश्री या पंचामृत का का इस्तेमाल करना शुभ है. पूजा के दौरान 'ओम् ऐं नमः' मंत्र का जाप कर सकते हैं. इसके अलावा फलाहार में मखाना या सिंघारे का इस्तेमाल कर सकते हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन करें ये उपाय इस दिन सफेद वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए. माता के मंत्रों के साथ उनकी पूजा और उसके बाद इन मंत्रों का जाप करें. माता को चांदी की वस्तुएं भी समर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा इस माता को शक्कर का भोग लगाएं. साथ ही उस प्रसाद को परिवार के सदस्यों के बीच बांटें. ऐसा करने से परिवार के सभी सदस्यों को लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है. मां ब्रह्मचारिणी मंत्र (Brahmcharini Mantra) ध्यान मंत्र वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम् जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम् गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम् परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीनपयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम् या देवी ...

navratri 2022 maa brahmacharini pujan vidhi mantra bhog money related problem will solve

धनसंबंधी परेशानी दूर करने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन कन्याओं को फलों का दान करें. इसके बाद कन्याओं का पूजन करें. फलों का दान करने से व्यक्ति की स्वास्थ्य और धन संबंधी कामनाएं पूर्ण होती हैं. ध्यान रखें कि फल खट्टे नहीं होना चाहिए, मीठे फलों का दान करें. इसे भी पढ़ें- देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीय नवरात्र

नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीय नवरात्र-Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, द्वितीय ब्रह्मचारिणी मंत्र, ब्रह्मचारिणी के मंत्र, ब्रह्मचारिणी की कथा, ब्रह्मचारिणी की आरती, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Brahmacharini Mantra, Brahmacharini Ki Aarti, Mata Brahmacharini Ki Katha in Hindi - The Public नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीय नवरात्र-Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, द्वितीय ब्रह्मचारिणी मंत्र, ब्रह्मचारिणी के मंत्र, ब्रह्मचारिणी की कथा, ब्रह्मचारिणी की आरती, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Brahmacharini Mantra, Brahmacharini Ki Aarti, Mata Brahmacharini Ki Katha in Hindi नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीय नवरात्र- Navratri 2nd Day नवरात्रि के दूसरे दिन माता दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. मां ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा करने से ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ से भटकता नहीं है. मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती व कथा आदि के बारे में… नवरात्र के दूसरे दिन कैसी हो आपकी दिनचर्या नवरात्रि में आहार और दिनचर्या का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बिना इसके नवरात्रि का शुभ फल नहीं मिल पाता. नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते हैं. नवरात्र में पूरे नौ दिन तक व्रत रखना आसान बात नहीं है इसलिए यह व्र...

द्वितीय दुर्गा : श्री ब्रह्मचारिणी पूजा, मंत्र, कथा विधी

द्वितीय दुर्गा : श्री ब्रह्मचारिणी (Maa Bramhcharini) पूजा, मंत्र, कथा विधी “दधना कर पद्याभ्यांक्षमाला कमण्डलम। देवी प्रसीदमयी ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥“ श्री दुर्गा का द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारिणी हैं। यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चारिणी है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। अतः ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी के नाम से विख्यात हैं। नवरात्रि के द्वितीय दिन इनकी पूजा औरअर्चना की जाती है। जो दोनो कर-कमलो मे अक्षमाला एवं कमंडल धारण करती है। वे सर्वश्रेष्ठ माँ भगवती ब्रह्मचारिणी मुझसे पर अति प्रसन्न हों। माँ ब्रह्मचारिणी सदैव अपने भक्तो पर कृपादृष्टि रखती है एवं सम्पूर्ण कष्ट दूर करके अभीष्ट कामनाओ की पूर्ति करती है। नवरात्री दुर्गा पूजा दूसरे तिथि – माता ब्रह्मचारिणी की पूजा : नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना का विधान है. देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है. देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है. ब्रह्मचारिणी – नवरात्री दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है. मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी. यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं. मुख पर कठोर तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है. देवी ब्रह्मचा...

ब्रह्मचारिणी: नवदुर्गा का द्वितीय रूप, Brahmacharini Devi In Hindi, 2nd Navdurga

नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का विधान हैं जिनमे उनका दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Mata) के नाम से विख्यात है। माँ दुर्गा का यह रूप हमें तपस्या व वैराग्य का भाव दिखाता हैं जिससे मनुष्य में सांसारिक मोहमाया के जाल से मुक्ति मिलती है (Brahmacharini Devi)। माँ ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ ही हमेशा ब्रह्म में लीन रहने वाली माता से हैं। आइये माता ब्रह्मचारिणी के बारे में जानते हैं। देवी ब्रह्मचारिणी के बारे में जानकारी (Brahmacharini Devi) ब्रह्मचारिणी नाम का अर्थ (Brahmacharini Meaning In Hindi) ब्रह्मचारिणी दो शब्दों के मेल से बना हैं जिसमें ब्रह्म का अर्थ तपस्या या ब्रह्म में लीन होने से होता हैं व चारिणी का अर्थ आचरण करने से हैं। अर्थात जो देवी सदैव ब्रह्म में लीन रहने वाली तथा उनका आचरण करने वाली होती हैं उसे ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया। यह भक्तों को तपस्या, त्याग, सदाचार व वैराग्य का संदेश देती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी का रूप (Maa Brahmacharini Navdurga) जैसा कि हमनें आपको बताया कि ब्रह्मचारिणी माँ हमेशा तप पर बल देती हैं इसलिये वे अपने दाहिने हाथ में जप की माला तथा बाहिने हाथ में कमंडल को धारण किए रहती हैं। वे किसी वाहन पर सवार न होकर सीधे खड़ी रहकर अपने भक्तों को निहार रही होती है। उनके हाथ में जप की माला यह प्रदर्शित करती हैं कि वे हमेशा तपस्या पर बल देती है। माँ ब्रह्मचारिणी के अन्य नाम (Mata Brahmacharini Names) तपस्या की देवी होने के कारण इन्हें तपश्चारिणी के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की आराधना करते समय इन्होने पत्तों को भी खाना छोड़ दिया था तथा निर्जला व्रत किया था, इसलिये इनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा (Brahmacharini Mata Ki Katha)। इसके अ...