एक ही जाति के लघु और दीर्घ स्वरों को मिलाकर दीर्घ होना किस संधि का लक्षण है-

  1. दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा और उदाहरण
  2. दीर्घ सन्धि MCQ [Free PDF]
  3. जाति (जीवविज्ञान)
  4. दीर्घ संधि की परिभाषा और उदाहरण
  5. Dirgh Swar Kitne Hote Hain
  6. Class 6 Hindi Grammar Chapter 3 Sandhi Updated for 2023
  7. दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी
  8. संस्कृत व्याकरण : संधि स्वर सन्धि (अच् सन्धि) के प्रकार एवं उदाहरण । Sanskrit Vyakran Swar Sandhi


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दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा और उदाहरण

इस पेज पर आप दीर्घ स्वर सन्धि की जानकारी पढ़ेंगे और समझेंगे। पिछले पेज पर संधि विच्छेद की जानकारी पढ़ चुके है आप उसे भी जरुर पढ़े। चलिए आज हम दीर्घ स्वर सन्धि को पढ़ते और समझते है। दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा दीर्घ संधिस्वरसंधिका एक भेद अथवा प्रकार है। जब दो शब्दों कीसंधिकरते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ’ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ई’ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ऊ’ बनता है। इससंधिको हम ह्रस्वसंधिभी कह सकतेहैं। दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ स्वर आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, ऊ और ऋ हो जाते हैं। इस मेल से बनने वाली संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं। दीर्घ संधि स्वर संधि का एक प्रकार है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है। इस मात्रा या स्वर की वृद्धि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता है। दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण दीर्घ संधि में (अ + अ = आ ) के उदाहरण :- धर्म + अर्थ धर्मार्थ स्व + अर्थी स्वार्थी मत + अनुसार मतानुसार देव + अर्चन देवार्चन मत + अनुसार मतानुसार वेद + अंत वेदांत परम + अर्थ परमार्थ धर्म + अधर्म धर्माधर्म अन्न + अभाव अन्नाभाव सत्य + अर्थ सत्यार्थ दीर्घ संधि में (अ + आ = आ) के उदाहरण :- देव + आलय देवालय देव + आगमन देवागमन नव + आगत नवागत सत्य + आग्रह सत्याग्रह गज + आनन गजानन हिम + आलय हिमालय शिव + आलय शिवालय परम + आनंद परमानंद धर्म + आत्मा धर्मात्मा रत्न + आकर रत्नाकर दीर्घ संधि में ( आ + अ = आ ) के उदाहरण :- सीमा + अंत सीमांत रेखा + अंश रेखांश परीक्षा + अर्थी परीक्षार्थी दिशा + अंतर दिशांतर शिक्षा + अर्थी शिक्षार्थी विद्या + अर्थी विद्यार्थी दीक्षा + अंत दीक्षांत यथा +...

दीर्घ सन्धि MCQ [Free PDF]

प्रश्न का हिन्दी अनुवाद -'वधूत्सवः' इसका सन्धि विच्छेद है - स्पष्टीकरण - • शब्द - वधूत्सवः • संधिविच्छेद - वधू + उत्सवः सूत्र - 'अकः सवर्णे दीर्घः ' सूत्र के अनुसार यदि ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वर हो तो वहाँ दोनों के संयोग से दीर्घ स्वर आदेश होता है। नियम - • अ/आ + अ/आ = आ, • इ/ई + इ/ई = ई • उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ • ऋ/ऋृ + ऋ/ऋृ = ॠृ उदाहरण - • पुस्तक + आलय = पुस्तकालय • दैत्य + अरि = दैत्यारि • सु + उक्ति = सूक्ति • वधू + उत्सवः = वधूत्सवः स्पष्टीकरण - ‘वधू + उत्सवः’ में ‘वधू’ पद के ‘ऊ’ के पश्चाद् सवर्ण स्वर ‘ऊ’ आया है। अतः उसके स्थान पर ‘ऊ ’ होकर वधूत्सवः पद बनता है। प्रश्नानुवाद - ' रवि + ईशः' यहाँ सन्धि है- शब्द - रवीशः संधिविच्छेद - रवि + इव सूत्र - 'अकः सवर्णे दीर्घः ' सूत्र के अनुसार दो सवर्ण ह्रस्व दीर्घ स्वरों के संयोग से दीर्घ स्वर प्राप्त होता है। नियम - • अ + अ = आ • इ + इ = ई • उ + उ = ऊ • ऋ + ऋ = ॠ उदाहरण - • कार्य + अर्थम् = कार्यार्थम् • दैत्य + अरि = दैत्यारि • सु + उक्ति = सूक्ति • रवि + इव = रवीशः स्पष्टीकरण - ‘रवि + इव’ में ‘रवि’ पद के ‘इ’ के पश्चाद् सवर्ण स्वर ‘इ’ आया है, अतः उसके स्थान पर ‘ई ’ होकर ' रवीशः' पद बनता है। प्रश्नार्थ - विद्या आलयः इनकी संधि कीजिये- संधिविच्छेद - विद्या+ आलयः शब्द - ' विद्यालयः' सूत्र - 'अकः सवर्णे दीर्घः ' सूत्र के अनुसार दो सवर्ण ह्रस्व दीर्घ स्वरों के संयोग से दीर्घ स्वर प्राप्त होता है। नियम - • अ + अ = आ, • इ + इ = ई • उ + उ = ऊ • ऋ + ऋ = ॠ उदाहरण - • विद्या + आलय = विद्यालयः • लक्ष्मी + ईश्वर = लक्ष्मीश्वर • सु + उक्ति = सूक्ति • भानु + उदयः = भानूदयः स्पष्टीकरण - विद्या + आलय में ‘विद्या’ पद के ‘आ’ ...

जाति (जीवविज्ञान)

अनुक्रम • 1 कामचलाऊ /व्यवहार्य /कार्य-प्रणाली • 1.1 सामान्य नाम और जातियाँ • 1.2 वंश-वर्ग में स्थापन • 1.3 संक्षिप्त नाम • 2 "जाति" को परिभाषित करने और उन विशेष जातियों की पहचान करने में कठिनाई • 3 जातियों की परिभाषाएँँ • 4 जातियों की संख्या • 5 जैविक वर्गीकरण में महत्व • 6 जाति स्थिति के निर्धारण का आशय • 7 जातियों के ऐतिहासिक विकास की अवधारणा • 8 इन्हें भी देखें • 9 नोट्स और संदर्भ • 10 बाहरी कड़ियाँ कामचलाऊ /व्यवहार्य /कार्य-प्रणाली [ ] "जाति" शब्द के लिए प्रयोग की जाने वाली परिभाषा और जाति की पहचान करने की विश्वसनीय पद्धतियां जीव-विज्ञान संबंधी परीक्षणों और कुछ जीव विज्ञानी सांख्यिकीय घटना को प्राणियों में देखी गई जातियों के वर्ग के साथ परंपरागत विचार के विरुद्ध देख सकते हैं। ऐसी स्थिति में किसी जाति को पृथक रूप से शामिल वंश के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एकल सामान्य नाम और जातियाँ [ ] आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले पौधे और पशुओं के नाम को टक्सा कभी-कभी इन जातियों के समान होते हैं: जैसे, " दुनिया में दोनों को परिभाषित करने और उनकी कुल संख्या की गणना करने में कठिनाइयों के कारण, यह अनुमान लगाया जाता है कि कहीं पर भी इस प्रकार की दो एवं 100 मिलियन/2 से 100 मिलियन के बीच भिन्न -भिन्न जातियाँ हो सकती हैं। वंश-वर्ग में स्थापन [ ] आदर्श रूप में, किसी जाति को एक औपचारिक रूप से वैज्ञानिक नाम दिया जाता है, हालांकि व्यवहार में ऐसी बहुत सी जातियाँ हैं (जिनकी केवल व्याख्या ही की गई है, नाम नहीं बताए गए हैं). किसी जाति का नाम तब रखा जाता है, जब इसे जैविक नामकरण में, किसी जाति के नाम ( केनिस लेट्रांस से, गोल्डन लोमड़ी केनिस ओरस आदि से संबंधित हैं और वे सभी जीनस यह द्विपदी नामकर...

दीर्घ संधि की परिभाषा और उदाहरण

Image : Dirgh Sandhi Kise Kahte Hai अतः संधि भी एक ऐसा ही भाषायी व्यवहार है, जो कि ना सिर्फ भाषा को कर्णप्रिय बनाता है बल्कि उसमें संक्षिप्तीकरण भी लाता है। संधि का प्रयोग गद्य में ही नहीं वरन पद्य में भी किया जाता है। यहाँ पर हम स्वर संधि के भेद दीर्घ संधि के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें दीर्घ संधि किसे कहते हैं (dirgha sandhi kise kahate hain), दीर्घ संधि के उदाहरण (Dirgh Sandhi Ke Udaharan) आदि मुख्य रूप से जानेंगे। हिंदी व्याकरण के बारे में जानने के लिए यहाँ विषय सूची • • • • • • • • • • • • संधि के बारे में संधि से तात्पर्य जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि संधि का अर्थ क्या है। संधि शब्द को हमने पहले कईं बार सुना है, कभी दो देशों की संधि के लिए, कभी दो नायकों या दो व्यक्तियों की संधि के लिए, कभी दो नदियों की संधि कि लिए, कभी दो देशों की सीमाओं की संधि के लिए और कभी दो मौसमों की संधि के लिए तो कभी दिन के दो पहरों की संधि के लिए आदि। संधि का अर्थ होता है जुड़ाव, मिलाप, बंध, एकात्मकता या संविलयन आदि। भाषा में संधि दो शब्दों के तकनीकी जुड़ाव को कहते हैं। जब दो शब्दों को जोड़कर एक बनाया जाता है तो इन दोनों शब्दों के संधि स्थलों पर जो कि वर्ण हैं अब नव निर्मित शब्द में एक परिवर्तन विद्यमान होता है। संधि की परिभाषा जब दो शब्दों का मेल होता है, तब उन दोनों शब्दों के संधि स्थल पर एक विकार उत्पन्न होता है, जो नवीन शब्द के उच्चारण में कुछ न कुछ परिवर्तन लाता है। अब ये समझते हैं कि ऐसे कैसे होता है। जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो प्रारंभिक शब्द का अंतिम वर्ण तथा अंतिम शब्द का प्रारंभिक वर्ण आपस में मिलकर एक भिन्न ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जिसके कारन नवीन शब्द के उच्च...

Dirgh Swar Kitne Hote Hain

आज हम इस पोस्ट में दीर्घ स्वर कितने होते हैं ( दीर्घ स्वर के बारे में सर्च कर रहे हैं, और दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल निचे तक अवश्य ही पढ़ें। दीर्घ स्वर के बारे में बताने से पहले हम आपको पहले स्वर के बारे में बता दें चाहते हैं। क्यूंकि दीर्घ स्वर के ही तीन भेद में से एक भेद हैं। वो सभी स्वर के उच्चारण में तालु, कंठ का प्रयोग किया जाता हैं, स्वर को उच्चारित करते समय जिह्व/जीभ या होठ का प्रयोग नहीं होता हैं। हम आपको बता दें की, हिंदी वर्णमाला में कुल 16 स्वर होते हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं जैसे: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, ऋ, ॠ, ऌ और ॡ। • 1 Dirgh Swar Kitne Hote Hain • 2 दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण • 3 Last Word: Dirgh Swar Kitne Hote Hain वे सभी स्वर जिनको उच्चारित करने वक़्त में आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, और औ। हम आपको ये भी बताना चाहेंगे की, बहुत सरे लोग दीर्घ जैसा के हमने आपको ऊपर में ही बताया की, हिंदी व्याकरण के पुस्तकों के आधार पर,दीर्घ स्वरों की कुल संख्या सात की होती हैं। साथ ही हम आपको बता दें की, हिंदी वर्णमाला में टोटल 11 स्वर होते हैं, और उनमें से आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ और औ यानि की कुल चार (7) दीर्घ दीर्घ स्वर कितने होते हैं अ + अ = आ इ + इ = ई उ + उ = ऊ अ + इ = ए अ + ए = ऐ अ + उ = ओ अ + ओ = औ दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण जैसे की, आपको पता ही है की, आ का मात्रा ा जैसे काम। वहीं ई का मात्रा ी है जैसे की इसका उदाहरण में से एक खीर हैं। और ऊ का मात्रा ू है जैसे की इसका उदाहरण में से एक भूल हैं। एवं ए का मात्रा े है जैसे की इसका उदाहरण में से एक केश होता हैं। वहीं ऐ का मात्रा ै है जैसे की इसका उदाहरण में से एक दै...

Class 6 Hindi Grammar Chapter 3 Sandhi Updated for 2023

Class 6 Hindi Grammar Chapter 3 संधि. Here, we will learn about the types of संधि, its definition, explanation with examples, and different kinds of संधि and its use. We know that the joining of two or more words is known as संधि. Practice about संधि for CBSE Exams and school unit tests based on standard 6 Hindi Grammar. संधि दो वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है, उसे “संधि” कहते हैं। संधि शब्द का अर्थ है- मेल। व्याकरण में दो ध्वनियों अथवा वर्गों के मेल से होने वाले विकार या परिवर्तन को संधि कहते हैं, जैसे: सूर्य + उदय = सूर्योदय (यहाँ अ का उ से मेल होने से ओ बना है) पुस्तक + आलय = पुस्तकालय (यहाँ अ का आ से मेल होने से आ बना है) उपर्युक्त उदाहरणों में वर्णां के परस्पर मेल से विकार उत्पन्न हुआ है। संधि के भेद संधि के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं: (क) à...

दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी

संधि तीन प्रकार की मानी गई है स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि । दीर्घ संधि स्वर संधि का एक भेद है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है। इस मात्रा या स्वर की वृद्धि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता है। आज के लेख में आप दीर्घ संधि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। इसे सरल बनाने के लिए हमने विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को ध्यान में रखा है। दीर्घ संधि की संपूर्ण जानकारी परिभाषा:- दो सजातीय स्वर और मिलकर दीर्घ स्वर के रूप में परिवर्तित होते हैं, ऐसी संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं। अ + अ = आ वेद + अंत वेदांत स्व + अर्थ स्वार्थ परम + अर्थ परमार्थ धर्म + अधर्म धर्माधर्म सत्य + अर्थ सत्यार्थ धर्म + अर्थ धर्मार्थ अन्न + अभाव अन्नाभाव अ + आ = आ गज + आनन गजानन हिम + आलय हिमालय सत्य + आनंद सत्यानंद शिव + आलय शिवालय परम + आनंद परमानन्द धर्म + आत्मा धर्मात्मा रत्न + आकर रत्नाकर आ + अ = आ शिक्षा + अर्थी शिक्षार्थी विद्या + अर्थी विद्यार्थी सीमा + अंत सीमान्त दीक्षा + अंत दीक्षांत यथा + अर्थ यथार्थ रेखा + अंकित रेखांकित सेवा + अर्थ सेवार्थ आ + आ = आ कारा + आवास कारावास दया + आनंद दयानन्द दया + आलु दयालु श्रद्धा + आनद श्रद्धानन्द महा + आत्मा महात्मा वार्ता + आलाप वार्तालाप विद्या + आलय विद्यालय इ + इ = ई कवि + इंद्र कवीन्द्र रवि + इंद्र रविंद्र कपि + इंद्र कपीन्द्र अति + इव अतीव गिरि + इंद्र गिरीन्द्र अभि + इष्ट अभीष्ट मुनि + इंद्र मुनींद्र इ +ई = ई प्रति + ईक्षा प्रतीक्षा मुनि + ईश्वर मुनीश्वर कवि + ईश्वर कवीश्वर कवि + ईश कवीश परि + ईक्षा परीक्षा हरि + ईश हरीश रवि + ईश रवीश ई + इ = ई योगी + इंद्र योगीन्द्र पत्नी + इच्छा पत्नीच्छा मही + इंद्र महीन्द्र नारी ...

संस्कृत व्याकरण : संधि स्वर सन्धि (अच् सन्धि) के प्रकार एवं उदाहरण । Sanskrit Vyakran Swar Sandhi

सन्धि किसे कहते हैं ➽ व्याकरण के संदर्भ में सन्धि ' शब्द का अर्थ है वर्ण विकार। यह वर्ण विधि है। दो पदों या एक ही पद में दो वर्णों के परस्पर व्यवधानरहित सामीप्य अर्थात् संहिता में जो वर्ण विकार ( परिवर्तन) होता है , उसे सन्धि कहते हैं. ➽यथा — विद्या + आलय: = विद्यालय: । ➽यहाँ पर विद्य् + आ + आ + लय: आ आ की में अत्यन्त समीपता के कारण दो दीर्घ वर्णो के स्थान पर एक ' आ ' वर्ण रूप दीर्घ एकादेश हो गया है। सन्धि के मुख्यतया तीन भेद होते 1. स्वर सन्धि (अच् सन्धि) , 2. व्यंजन सन्धि ( हल् सन्धि) , एवं 3. विसर्ग सन्धि 1. स्वर सन्धि (अच् सन्धि) , ➽ दो स्वर वर्णों की अत्यंत समीपता के कारण यथाप्राप्त वर्ण विकार को स्वर सन्धि कहते हैं। स्वर सन्धि के निम्नलिखित भेद हैं 1. दीर्घ सन्धि (अक: सवर्णे दीर्घः) – ➽ यदि ह्रस्व या दीर्घ अ , इ , उ तथा ' ऋ ' स्वरों के पश्चात् ह्रस्व या दीर्घ अ , इ , उ या ऋ स्वर आएँ तो दोनों मिलकर क्रमश: आ , ई , ऊ तथा ॠ हो जाते हैं। • अ/आ + आ/अ = आ • इ/ई + ई/इ = ई • उ/ऊ + ऊ/उ = ऊ • ऋ/ऋ + ॠ/ऋ = ॠ उदाहरण • पुस्तक + आलय: = पुस्तकालय: • देव + आशीष: = देवाशीष: • दैत्य + अरि: = दैत्यारि: • च + अपि = चापि • विद्या + अर्थी = विद्यार्थी • गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्रः • कपि + ईश: = कपीश: • मही + ईश:= महीश: • नदी + ईश:= नदीश: • लक्ष्मी + ईश्वर: = लक्ष्मीश्वरः • सु + उक्ति: = सूक्तिः • भानु + उदय: = भानूदय: • पितृ + ऋणम् = पितृ णम् 2 गुण( अ , ए एवं ओ वर्णों को ' गुण ' वर्ण कहा जाता है।) सन्धि ( आद् गुण:) – ➽ यदि ' अ ' या ' आ ' के बाद ' इ ' या ' ई ' आए। दोनों के स्थान पर ए एकादेश हो जाता है। इसी तरह यदि ' अ ' या ' आ ' के बाद ' उ ' या ' ऊ ' आए तो दोनों के स्थान पर ' ओ ' एकादेश हो जा...