Ekadashi ke din chawal kyon nahin khana chahie

  1. एकादशी की सुबह भूलकर भी ना करें ये काम!
  2. एकादशी विशेष : क्यों नहीं खाते हैं चावल इस दिन? यह जानकारी नई है,जरूर पढ़ें..
  3. एकादशी व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं / एकादशी के दिन सिर धोना चाहिए या नहीं
  4. Apara/ achala ekadshi 2022..
  5. एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...
  6. Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी के दिन चावल खाना क्यों होता है निषेध? जानें व्रत से जुड़ा ये महत्वपूर्ण नियम
  7. ekadashi ko chawal kyon nahin khana chahie
  8. Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी के दिन चावल खाना क्यों होता है निषेध? जानें व्रत से जुड़ा ये महत्वपूर्ण नियम
  9. Apara/ achala ekadshi 2022..
  10. एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...


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एकादशी की सुबह भूलकर भी ना करें ये काम!

व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या तथा एकादशी के हैं. उसमे भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है, हारमोन की समस्या भी ठीक होती है तथा मनोरोग दूर होते हैं. परन्तु एकादशी का लाभ तभी हो सकता है जब इसके नियमों का पालन किया जाए. इस बार वरुत्थिनी एकादशी 12 अप्रैल को है.आइए जानते हैं इस दिन कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए... एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, इसे खाने से व्यक्ति का मन चंचल होता है और प्रभु भक्ति में मन नहीं लगता है. पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया. चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है.

एकादशी विशेष : क्यों नहीं खाते हैं चावल इस दिन? यह जानकारी नई है,जरूर पढ़ें..

वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है।

एकादशी व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं / एकादशी के दिन सिर धोना चाहिए या नहीं

हर महीने में दों एकादशी आती हैं. एक कृष्ण पक्ष में आती है. तो दूसरी शुक्ल पक्ष में आती हैं. एकादशी का व्रत करने में भी कुछ नियम का पालन करना होता हैं. जिसके बारे में शायद ही सभी को पता होता हैं. अगर आप भी एकादशी व्रत में रखे जाने वाले नियम के बारे में जानना चाहते है. तो यह आर्टिकल पूरा पढ़े. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की एकादशी व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं. तथा इस व्रत से जुड़े अन्य और नियम के बारे में भी बताने वाले हैं. • • • • • • • • एकादशी व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं जी हां, एकादशी व्रत में दूध पी सकते हैं. एकादशी व्रत में चाय पीना चाहिए या नहीं जी हां, एकादशी व्रत में चाय पिया जा सकता हैं. लेकिन चाय का अधिक मात्रा में उस दिन सेवन न करे तो बेहतर होगा. क्योंकि एकादशी के दिन आपका उपवास होता है. और ऐसे में हमारा पेट खाली होता है. तो अधिक मात्रा में चाय का सेवन करने से एसिडिटी की तथा अन्य समस्या हो सकती हैं. इससे अच्छा आप एकादशी व्रत में दूध का सेवन करे. कलयुग का कड़वा सच क्या है – सम्पूर्ण जानकारी घर में कौन कौन सी मूर्ति रखनी चाहिए / घर में कितने इंच की मूर्ति रखनी चाहिए इसके अलावा एकादशी के दिन नाख़ून और बाल काटना भी वर्जित माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की इस दिन यह सभी वर्जित काम करने से भगवान विष्णु अप्रसन्न होते हैं. और हमारे घर में धन की हानि होती हैं. एकादशी व्रत के पारण में क्या खाना चाहिए एकादशी व्रत के पारण में आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता आदि अमृत फलों का सेवन कर सकते हैं. ekadashi ke din kya nahi khana chahiye / एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए एकादशी के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, गोभी, पालक, शलजम बैंगन, सेमफली, जौ आद...

Apara/ achala ekadshi 2022..

Hindu mahinon ke hisab se jeshth mahine me Krishna Paksh mein aane wali Ekadashi ko apra ya Achala Ekadashi Kahate Hain. 2022 mein apra Ekadashi guruwar 26 May 2022 ko Aaegi. Aaj ke din bahut Sare log Vrat Bhi Karte Hain. Kahate Hain Ki Ekadashi ka Vrat karne se Sidhe Swarg ki Prapti Hoti Hai, Moksh Milta Hai. Hindu panchang Ke anusar Har Sal 24 Ekadashi Aati Hai. 1 mahine Mein Do Ekadashi Aati Hai Pahli Krishna Paksh ki aur dusri Shukla Paksh ki. Hindi mahine ke jeshth mah Mein Krishna Paksh mein jo Ekadashi Aati Hai use apra ya Achala Ekadashi Kaha jata hai. yah Ekadashi 26 May 2022 guruwar ko manae ja rahi hai. Jaisa ki Ham Jante Hain Hamare Bharat mein Ekadashi ka alag Ek mahatva Hai iske liye jyotishi Kuchh Salah Dete Hain Ki is din kya karna chahie aur kya nahin karna chahiye. To aaiye niche Jante Hain Ki Hamen Ekadashi ke din kaunsi Baaton Ka Dhyan Rakhna chahiye. Aisa Kaha jata hai ki Ekadashi ke din chawal Nahin khana chahiye. yah Niyam jitni bhi Ekadashi Aati Hai usmein Sab Mein Lagu Hota Hai. Aisa Kaha gaya hai ki Mata Shakti ke Krodh se bachne ke liye mahrshi medha Ne Sharir ka Tyag kar diya tha aur Unka Ansh Prithvi Mein Sama gaya tha. Fir chawal aur jo ke roop Mein mahrshi Medha utpann Hue The. Uske liye chawal aur jo ko Jeev Ka darja Diya Gaya aur uske bad Ekadashi Mein chawal aur jo khana khane ke liye Mana Kiya gaya hai. Ekadashi ke din falahari ya Jise Satvik bhojan bhi Kahate Hain Vahi bhojan karna chahiye. Is Din lahsun Aur pyaj ka Sevan nahin karna cha...

एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...

एकादशी (Ekadashi)व्रत कैसे प्रारंभ हुआ? भगवती एकादशी कौन है, इस संबंध में पद्म पुराण में कथा है कि एक बार पुण्यश्लोक धर्मराज युधिष्ठिर को लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण ने समस्त दुःखों, त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाने, हजारों यज्ञों के अनुष्ठान की तुलना करने वाले, चारों पुरुषार्थों को सहज ही देने वाले एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया। How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद श्रावण माह आता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे माह की व्रत रखते हैं परंतु इस माह में सोमवार के दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है। आओ जानते हैं कि श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ, कितने सोमवार रहेंगे इस माह में? Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। How to Care for Indoor Plants in Hindi : घर में हरेभरे पौधा के होने से मन प्रसन्न रहता है और सकारात्मकता फैलती है। क्या आपके गमले में पौधे पनप नहीं पा रहे हैं? जल्दी से मुरझा जाते हैं या पौधों की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पा रही है? ऐसे में जानिए हमारे द्वारा बताए गए मात्र 3 टिप्स। इन टिप्स को आजमाएंगे तो आपके पौधे भी हरेभरे होकर महकने लगेंगे। Lal kitab karj mukti ke upay : यदि आप कर्ज के तले दबे हुए हैं और इससे छुटकारा पाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। हम...

Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी के दिन चावल खाना क्यों होता है निषेध? जानें व्रत से जुड़ा ये महत्वपूर्ण नियम

सभी व्रतों में सर्वोपरि एकादशी व्रत को मना जाता है. चावल की उत्पत्ति की कथा महर्षि मेधा से जुड़ी है. Ekadashi Vrat Niyam: हिन्दू धर्म में सभी व्रत-उपवास का विशेष महत्व माना जाता है, परंतु इन सभी में सर्वोपरि एकादशी को मना जाता है क्योंकि स्वयं भगवान कृष्ण ने एकादशी को उपवासों में सर्वश्रेष्ठ बताया है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं, हर महीने दो एकादशियां आती हैं. एक कृष्ण पक्ष की एवं एक शुक्ल पक्ष की. भक्ति मार्ग में आगे बढ़ने के लिए एकादशी व्रत सबसे उत्तम माना जाता है तथा हर एकादशी का अपना अलग महत्व, कथा और सभी एकादशियों का भिन्न-भिन्न फल भी माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों को भोग अंत में मोक्ष का अधिकारी होता है. एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है परंतु चावल तो व्यक्ति को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, चाहे वह एकादशी व्रत रखे या ना रखे. एकादशी के दिन चावल खाने से मांस खाने का अपराध लगता है. परंतु क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है? अगर नहीं तो आइये जानते है क्यों है एकादशी के दिन चावल खाना निषेध. एकादशी को चावल क्यों नहीं खाते? पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां भागवती के क्रोध से बचने हेतु महर्षि मेधा ने अपने शरीर का ही त्याग कर दिया था, जिसके बाद उनके शरीर के अंश पृथ्वी में समा गए थे. मान्यता है उन अंशों के धरती में समाने के परिणाम स्वरूप धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई. यही कारण है कि चावल को पौधा नहीं अपितु जीव माना जाता है. कथानुसार जिस दिन महर्षि मेधा ने शरीर त्यागा था, उस दिन एकादशी थी. इसके चलते ही एकादशी को चावल खाना निषेध मना गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि...

ekadashi ko chawal kyon nahin khana chahie

• • • • • • • About ekadashi ko chawal kyon nahin khana chahie Ekadashi ko chawal kyo nahi khana chahiye, एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाते, एकादशी के दिन चावल खाना क्यों वर्जित है| आइये जानें यह मान्यता क्यों है. Filed Under: Parmpara, Religion Tagged With: Ekadashi, Ekadashi Ke Din Chawal Kyon Nahi Khate, Lord Vishnu « ये है विदेशों में. People Also Read: Ekadashi vrat के कुछ नियम हैं, उनमें से एक है चावल नहीं खाना, इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण है. Ekadashi Ke Din Chawal Kyun Nahi Khate- सनातन धर्म में कई व्रत त्योहार आते हैं लेकिन एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat. What is एकादशी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए: इस दिन क्या करें और क्या नहीं एकादशी के नियम, इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए और तुलसी पत्र न तोड़ें | What not to eat on Ekadashi: what to do and what not to do on this day, शनिवार, 4 अप्रैल को यानी आज कामदा एकादशी का व्रत किया जाएगा। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा. सनातन धर्म की परंपराएं और मान्यताएं किसी न किसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होती हैं। यह पूर्वजों का. How to use एकादशी के दिन चावल खाना क्यों वर्जित है ? – NewsMug एकादशी के दिन चावल खाना क्यों वर्जित है . ekadashi ke din chawal kyon nahin khana chahie bataiye वर्ष के प्रत्येक माह में एकादशी आती है. ekadashi 2018 rama ekadashi 2018 why to eat rice on ekadashi in hindi ekadashi ke din chawal kyu nahi khana chahiye ekadashi ko chawal kyu nahi khate ekadashi ke din kya khana chahiye ekadashi ke din kya nahi karna chahiye ekadashi ko chawal kyo nahi khate ekadashi ko kya nahi karna chahiye eka...

Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी के दिन चावल खाना क्यों होता है निषेध? जानें व्रत से जुड़ा ये महत्वपूर्ण नियम

सभी व्रतों में सर्वोपरि एकादशी व्रत को मना जाता है. चावल की उत्पत्ति की कथा महर्षि मेधा से जुड़ी है. Ekadashi Vrat Niyam: हिन्दू धर्म में सभी व्रत-उपवास का विशेष महत्व माना जाता है, परंतु इन सभी में सर्वोपरि एकादशी को मना जाता है क्योंकि स्वयं भगवान कृष्ण ने एकादशी को उपवासों में सर्वश्रेष्ठ बताया है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं, हर महीने दो एकादशियां आती हैं. एक कृष्ण पक्ष की एवं एक शुक्ल पक्ष की. भक्ति मार्ग में आगे बढ़ने के लिए एकादशी व्रत सबसे उत्तम माना जाता है तथा हर एकादशी का अपना अलग महत्व, कथा और सभी एकादशियों का भिन्न-भिन्न फल भी माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों को भोग अंत में मोक्ष का अधिकारी होता है. एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है परंतु चावल तो व्यक्ति को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, चाहे वह एकादशी व्रत रखे या ना रखे. एकादशी के दिन चावल खाने से मांस खाने का अपराध लगता है. परंतु क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है? अगर नहीं तो आइये जानते है क्यों है एकादशी के दिन चावल खाना निषेध. एकादशी को चावल क्यों नहीं खाते? पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां भागवती के क्रोध से बचने हेतु महर्षि मेधा ने अपने शरीर का ही त्याग कर दिया था, जिसके बाद उनके शरीर के अंश पृथ्वी में समा गए थे. मान्यता है उन अंशों के धरती में समाने के परिणाम स्वरूप धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई. यही कारण है कि चावल को पौधा नहीं अपितु जीव माना जाता है. कथानुसार जिस दिन महर्षि मेधा ने शरीर त्यागा था, उस दिन एकादशी थी. इसके चलते ही एकादशी को चावल खाना निषेध मना गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि...

Apara/ achala ekadshi 2022..

Hindu mahinon ke hisab se jeshth mahine me Krishna Paksh mein aane wali Ekadashi ko apra ya Achala Ekadashi Kahate Hain. 2022 mein apra Ekadashi guruwar 26 May 2022 ko Aaegi. Aaj ke din bahut Sare log Vrat Bhi Karte Hain. Kahate Hain Ki Ekadashi ka Vrat karne se Sidhe Swarg ki Prapti Hoti Hai, Moksh Milta Hai. Hindu panchang Ke anusar Har Sal 24 Ekadashi Aati Hai. 1 mahine Mein Do Ekadashi Aati Hai Pahli Krishna Paksh ki aur dusri Shukla Paksh ki. Hindi mahine ke jeshth mah Mein Krishna Paksh mein jo Ekadashi Aati Hai use apra ya Achala Ekadashi Kaha jata hai. yah Ekadashi 26 May 2022 guruwar ko manae ja rahi hai. Jaisa ki Ham Jante Hain Hamare Bharat mein Ekadashi ka alag Ek mahatva Hai iske liye jyotishi Kuchh Salah Dete Hain Ki is din kya karna chahie aur kya nahin karna chahiye. To aaiye niche Jante Hain Ki Hamen Ekadashi ke din kaunsi Baaton Ka Dhyan Rakhna chahiye. Aisa Kaha jata hai ki Ekadashi ke din chawal Nahin khana chahiye. yah Niyam jitni bhi Ekadashi Aati Hai usmein Sab Mein Lagu Hota Hai. Aisa Kaha gaya hai ki Mata Shakti ke Krodh se bachne ke liye mahrshi medha Ne Sharir ka Tyag kar diya tha aur Unka Ansh Prithvi Mein Sama gaya tha. Fir chawal aur jo ke roop Mein mahrshi Medha utpann Hue The. Uske liye chawal aur jo ko Jeev Ka darja Diya Gaya aur uske bad Ekadashi Mein chawal aur jo khana khane ke liye Mana Kiya gaya hai. Ekadashi ke din falahari ya Jise Satvik bhojan bhi Kahate Hain Vahi bhojan karna chahiye. Is Din lahsun Aur pyaj ka Sevan nahin karna cha...

एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...

एकादशी (Ekadashi)व्रत कैसे प्रारंभ हुआ? भगवती एकादशी कौन है, इस संबंध में पद्म पुराण में कथा है कि एक बार पुण्यश्लोक धर्मराज युधिष्ठिर को लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण ने समस्त दुःखों, त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाने, हजारों यज्ञों के अनुष्ठान की तुलना करने वाले, चारों पुरुषार्थों को सहज ही देने वाले एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया। Pitro ki shanti ke upay : हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। आषाढ़ माह की अमावस्या के दिन का बहुत महत्व माना गया है। इस हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं। इसके बाद गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हो जाता है। इस अमावस्या को दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण के लिए बहुत ही उत्तम एवं विशेष फलदायी माना गया है। Vastu tips fro shoe and slipper: पहले के जमाने में लोग अपने जूते चप्पल घर के बाहर उतारक ही घर में जाते थे। घर में सभी बगैर चप्पल के रहते थे। परंतु आजकल कई लोग घर में चप्पल पहनकर रहते हैं। कुछ लोग तो घर में ही ही बाहर के जूते पहनकर आ जाते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वास्तु के अनुसार घर में चप्पल पहनना चाहिए या नहीं। अशोक बहुत पवित्र पेड़ माना जाता है। इसके पत्तों का पूजा में इ्तेमाल होता है। अ शोक-अशोक नाम से ही स्पष्ट है कि जो शोक मिटाता है। दुख दूर करता है, संताप हरता है। कष्टों से मुक्ति देता है। अशोक के वृक्ष के कई लाभ हैं सबसे पहला तो यही कि शोक यानी दुख को सोख लेता है। अगर यह घर में है तो नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं। चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक है, जिन्होंने भी इस नीति का पालन किया वह सुखी हो गया है। आचार्य चाणक्य ने धर्म, राजनीति, अर्थ, राज्य, देश, जीवन, स्त्री, पुरुष सभी विषयों...