गंदा काम किसे कहते हैं

  1. पदबंध : परिभाषा, भेद और उदाहरण
  2. हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ
  3. अव्यय क्या है, इसे कैसे पहचाने और इसके भेद कितने सब जानें यहां
  4. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core
  5. क्रिया किसे कहते हैं
  6. क्रिया विशेषण
  7. क्रिया की परिभाषा एवं प्रकार
  8. जानिए अनुस्वार क्या है और अनुनासिक शब्द कौन कौन से हैं
  9. पुरुषार्थ
  10. क्रिया किसे कहते हैं


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पदबंध : परिभाषा, भेद और उदाहरण

पदबंधकिसेकहतेहैं।– Padbandh in Hindi Grammar परिभाषा–वाक्यमेंजबएकसेअधिकपदमिलकरएकव्याकरणिकइकाईकाकामकरतेहैंतबउसबंधीहुईइकाईको पदबंधकहतेहैं। दूसरेशब्दोंमेंकहाजासकताहैकिवाक्यकावहसार्थकअंश, जिसमेंसमापिका पदकहतेहैं। जैसे– 1 . पाँचवीकक्षामेंपढ़नेवालाछात्रसुरेशबहुतबुद्धिमानहै। 2 . हिंदीपढ़ानेवालेगुरुजीनेमुझेएकअतिसुंदरऔरउपयोगीपुस्तकदी। 3 . किसीव्यक्तियासमाजकाउत्थानअनुशासनपरनिर्भरहै। ऊपरदिएगएवाक्योंमेंहरेरंगकाअंश पदबंधहै। —उपर्युक्तपरिभाषासेपदबंधकेनिम्नलिखितविशेषताएँपरिलक्षितहोतीहैं– (क.) इसमेंपदोंकासंबंधइसप्रकारहोताहैकिवहएकइकाईबनजाताहै। (ख.) पदबंधमेंएकसेअधिकपदहोतेहैं। (ग.) पदबंधकेशब्द-क्रमनिश्चितहोतेहैं। (घ.) पदबंधसदाकिसीवाक्यकाअंशहोताहै। (च.) एकशब्दकेअनेकशब्दप्रायःपदबंधहोतेहैं। (छ.) मुहावरेप्रायःपदबंधहोतेहैं, लेकिनसभीपदबंधमुहावरेनहींहोते। (ज.) समस्तपदोंकेविग्रहप्रायःपदबंधहोजातेहैं। पदबंधकेभेदयाप्रकार– Padbandh Ke Bhed Ya Prakar in Hindi पदबंधमेंविकारीऔरअविकारीदोनोंप्रकारकेशब्दहोसकतेहैंऔरवेमिलकरव्याकरणिकइकाईपदकाकार्यकरतेहैं।पदबंधकेआठभेदहोतेहैंजोकीनिम्नलिखितहैं– 1 . संज्ञापदबंध 2 . सर्वनामपदबंध 3 . क्रियापदबंध 4 . विशेषणपदबंध 5 . क्रियाविशेषणपदबंध 6 . संबंधबोधकपदबंध 7 . समुच्चयबोधकपदबंध 8 . विस्मयादिबोधकपदबंध। 1 . संज्ञापदबंध परिभाषा–जबकोईपदसमूहवाक्यमें जैसे– (क.) पासकेमकानमेंरहनेवालीऔरतमेरीपरिचितहै। (ख.) यहपेड़तोकिसीबड़ेऔरतेजधारवालेकुल्हाड़ीसेहीकटसकताहै। (ग.) लंकाकाराजारावणबहुतविद्वानथा। अतःऊपरदिएगएवाक्योंमेंहरेरंगकाअंश संज्ञापदबंधहै। —इसकीप्रमुखरचनारीतियाँहै। (क.) विशेषण– (गुणवाचीविशेषण) सभ्यपुरुष; सुंदरफूल; (संख्यावाची) तीनमकान, चारघोड़े; (परिमाणवाची) दोकिलोआटा, एकलीटरदूध; (सर्वनामि...

हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ

आज इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के “ हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ” के बारे में अध्ययन करेंगे।इसमे हम “ मुहावरे व लोकोक्ति की परिभाषा ,इनके उदाहरण ,अर्थ और वाक्य व इनकी विशेषता” के बारे में जानेंगे। और यदि आप इन दोनों को एक ही मानते है तो “ हिंदी मुहावरे व लोकोक्ति में अंतर” भी आपको इस आर्टिकल में स्प्ष्ट हो जाएगा। नौ दो ग्यारह होना- भाग जाना मुहावरे की विशेषताएँ • ये वाक्य या उपवाक्य न होकर वाक्यांश होते है। • इनका शाब्दिक अर्थ न होकर सांकेतिक अर्थ होता है। • ये अपना अर्थ प्रकट करने के लिए किसी वाक्य पर निर्भर करते हैं। • मुहावरों में प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर पर्यायवाची शब्द प्रयोग नहीं किए जा सकते है। • मुहावरों के अन्त में प्राय: ‘ना’ जुड़ा रहता है। महत्वपूर्ण मुहावरे और अर्थ • आँसू पोंछना – धीरज देना • आक की बुढ़िया – बहुत बूढ़ी स्त्री जिसके आक की रुई या रेशें के समान सफेद बाल हो गए हो। • आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचा होना। • हवा से बातें करना – बहुत तेज दौड़ना • आफत का मारा – बहुत दुःखी व्यक्ति • आँसू पी जाना – भीतर ही भीतर रोना • आसू पीकर रह जाना – अति शोक में चुप रहना • आँधी के आम होना – बहुत सस्ती वस्तु होना • आकाश के तारे तोड़ना – असम्भव कार्य करना • आँखों में खून उतरना – बहुत क्रुद्ध होना • इंद्र की परी – बहुत सुन्दर स्त्री • ईंट से ईंट बजाना – नष्ट भ्रष्ट कर देना / सर्वनाश करना • ईमान बेचना – बेईमानी करना / झूठा व्यवहार करना • उल्टी गंगा बहाना – विपरीत कार्य करना • उड़ती चिड़िया पहचानना – बहुत अनुभवी होना • उठा न रखना- कोई कमी नहीं छोड़ना • उड़न छू होना – गायब हो जाना • उंगली पर नचाना – पूरी तरह से वश में करना • ऊँट के मुँह में जीरा- बहुत ही कम वस्तु। • अच...

अव्यय क्या है, इसे कैसे पहचाने और इसके भेद कितने सब जानें यहां

Source : Goyal Brothers Prakashan जरूर पढ़ें: अव्यय के उदाहरण अव्यय के उदाहरण निम्नलिखित है :- • वे यहाँ से चले गये। • घोडा तेज दौड़ता है। • अब खाना बंद करो। • बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे। • रोहन प्रतिदिन खेलने जाता है। • वह यहाँ रखा है। • रमेश प्रतिदिन पढ़ता है। • राधा सुंदर दिखती है। • मैं बहुत थक गया हूँ। • वह अपना काम कर रहा है l • वह नित्य नहाता है। • वे कब गए। • मीना कल जाएगी। • वह प्रतिदिन पढ़ता है l • मैं कहाँ जाऊं ? • राधा कहाँ गई ? • राहुल नीचे बैठा है। • इधर -उधर मत जाओ। • वह आगे चला गया। • उधर मत जाओ। अव्यय के भेद अव्यय शब्दों के मुख्य तक पांच भेद होते हैं: • क्रिया विशेषण अव्यय • संबंधबोधक अव्यय • समुच्चयबोधक अव्यय • विस्मयादिबोधक अव्यय • निपातअव्यय जरूर पढ़ें: क्रियाविशेषण अव्यय किसे कहते हैं? जो अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।जैसे- जल्दी, अचानक, कल आदि। जैसे-अचानक आ गया। परसों घर जाओगे। शीघ्र जाओ। इन वाक्यों में अचानक, परसों व शीघ्र क्रिया विशेषण अव्यय हैं। जरूर पढ़ें: क्रिया विशेषण अव्यय के भेद क्रिया विशेषण अव्यय के भेद निम्नलिखित है :- • कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय • स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय • परिमाणवाचक क्रिया विशेषण अव्यय • रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय जिन शब्दों से क्रिया होने के समय का पता चलता है उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- शाम, सुबह, दोपहर आदि। • रमेश परसों चला जायेगा। • अजय कल जयपुर जायेगा। स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय जिन अव्यय शब्दों से क्रिया के होने के स्थान का पता चलता है उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- यहां, वहां,जहां,तहां, क...

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Core – जनसंचार माध्यम और लेखन – पत्रकारिता के विविध आयाम पाठ के इस खंड में हम पढ़ेंगे और जानेंगे • पत्रकारिता पत्रकारिता क्या है? • समाचार समाचार की कुछ परिभाषाएँ समाचार क्या है? • समाचार के तत्त्व • संपादन संपादनके सिद्धांत • पत्रकारिता के अन्य आयाम संपादकीय फोटो पत्रकारिता कार्टून कोना रेखांकन और कार्टोग्राफ़ी • पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार खोजपरक पत्रकारिता विशेषीकृत पत्रकारिता एडवोकेसी पत्रकारिता वैकल्पिक पत्रकारिता • समाचार माध्यमों के मौजूदा रुझान पत्रकारिता-एक परिचय पत्रकारिता का संबंध सूचनाओं को संकलित और संपादित करके आम पाठकों तक पहुँचाने से है। लेकिन हर सूचना समाचार नहीं है। पत्रकार कुछ ही घटनाओं, समस्याओं और विचारों को समाचार के रूप में प्रस्तुत करते हैं। किसी घटना के समाचार बनने के लिए उसमें नवीनता, जनरुचि, निकटता, प्रभाव जैसे तत्वों का होना जरूरी है। • पत्रकारिता समाचारों के संपादन संबंधी सिद्धांतों पर विश्वसनीयता अर्जित करती है। • पत्रकारिता में संपादकीय, लेख, कार्टून और फोटो भी प्रकाशित होते हैं। • पत्रकारिता कई प्रकार की होती है। पत्रकारिता अपने आसपास की चीजों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताजा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी, तो समाचार की भी जरूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी सहज जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश के रूप में हुआ। वह आज भी इसी मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती है। पत्रकारिता क्या है? हम अपने पास-पड़ोस, शहर, राज्य और देश-दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं। ये सूचनाएँ हमारे दै...

क्रिया किसे कहते हैं

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क्रिया विशेषण

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • • • • • क्रियाविशेषणकीपरिभाषा वहशब्दजोहमेंक्रियाओंकीविशेषताकाबोधकरातेहैंवेशब्दक्रियाविशेषणकहलातेहैं।दुसरेशब्दोंमेंकहेंतोजिनशब्दोंसेक्रियाकीविशेषताकापताचलताहै, उनशब्दोंकोहमक्रियाविशेषणकहतेहैं। जैसे:हिरणतेज़भागताहै।इसवाक्यमेंभागनाक्रियाहै।तेज़शब्दहमेंक्रियाकिविशेषताबतारहाहैकिवहकितनीतेज़भागरहाहै।अतःतेज़शब्दक्रियाविशेषणहै। क्रियाविशेषणकेउदाहरण • वह धीरे-धीरेचलताहै। • खरगोश तेज़दौड़ताहै। • शेर धीरे-धीरेआगेबढ़ताहै। ऊपरदिएगएउदाहरणोंमेंजैसाकिआपदेखसकतेहैंधीरे-धीरे, तेज़आदिशब्दचलना, दौड़ना, बढनाआदिक्रियाओंकीविशेषताबतानेकाकामकररहेहै।अतःयहशब्दक्रियाविशेषणकहलातेहैं। क्रियाविशेषणकेभेद अर्थकेआधारपरक्रियाविशेषणकेभेद: अर्थकेआधारपरक्रियाविशेषणकेचारभेदहोतेहैं: • कालवाचकक्रियाविशेषण • रीतिवाचकक्रियाविशेषण • स्थानवाचकक्रियाविशेषण • परिमाणवाचकक्रियाविशेषण 1. कालवाचकक्रियाविशेषण: वोक्रियाविशेषणशब्दजोक्रियाकेहोनेकेसमयकेबारेमेंबतातेहैं, कालवाचकक्रियाविशेषणकहलातेहैं। जैसे: • श्यामू कलमेरेघरआयाथा। • परसोंबरसातहोगी। • मैंने सुबहखानाखायाथा। • मैं शामकोखेलताहूँ। ऊपरदिएगएउदाहरणोंसेहमेंनिश्चितहीक्रियाकेहोनेकेसमयकेबारेमेंपताचलरहाहैऐसेशब्दकालवाचकक्रियाविशेषणकेअंतर्गतआतेहैं। • मैं सुबहजल्दीउठताहूँ। • मैं दोपहरमेंस्कूलसेलौटताहूँ। • हमअक्सर शामकोखेलनेजातेहैं ऊपरदिएगएउदाहरणोंमेंआपदेखसकतेहैंकिक्रियाशब्दजैसेआना, खाना, होना, उठना, लौटनाआदिकेहोनेकसमयकेबारेमेंकल, सुबह, शाम, दोपहरआदिशब्दबतारहेहैं।अतःयहशब्दकालवाचकक्रियाविशेषणकेअंतर्गतआयेंगे। 2. रीतिवाचकक्रियाविशेषण ऐसेक्रियाविशेषणशब्दजोकिसीक्रियाकेहोनेकीविधियातरीकेकाबोधकरातेहैं, वहशब्दरीतिवाचकक्रियाविशेषणकहलातेहैं। जैसे: • सुरेश ध्यानसेचलताहै...

क्रिया की परिभाषा एवं प्रकार

क्रिया की परिभाषा जिस शब्द से किसी काम का करना या होना प्रकट होता हो , उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- पढ़ना , लिखना , खाना , आना इत्यादि। क्रिया विकारी शब्द है , जिसके रूप , लिंग , वचन और पुरुष के अनुसार बदल जाते हैं। जैसे- राम पढ़ता है। (एक वचन , पुल्लिग) राधा पढ़ती है। (एक वचन , स्त्रीलिंग) वे पढ़ते हैं। (बहुवचन) धातु किसे कहते हैं • धातु- क्रिया के मूल रूप को ' धातु ' कहते हैं। यह रूप क्रिया के प्राय: सभी रूपों में पाया जाता है। जैसे- ' पढ़ना ' क्रिया में ' पढ़ ' धातु है और ' ना ' प्रत्यय है। क्रिया के भेद रचना की दृष्टि से क्रिया के सामान्यतः भेद हैं 1. सकर्मक क्रिया 2. अकर्मक क्रिया। सकर्मक क्रिया ( Transitive Verb ) • ' सकर्मक क्रिया ' उसे कहते हैं , जिसका कर्म हो या जिसके साथ कर्म की सम्भावना हो , अर्थात् जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो , पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु , अर्थात् कर्म पर पड़े। उदाहरणार्थ- राम आम खाता है। इस वाक्य में राम कर्ता है , ' खाने ' के साथ उसका कर्तृरूप से सम्बन्ध है। प्रश्न होता है , क्या खाता है ? उत्तर है , ' आम ' । इस तरह ' आम ' का सीधा ' खाने ' से सम्बन्ध है। अतः , ' आम ' कर्मकारक है। यहाँ राम के खाने का फल ' आम पर , अर्थात् कर्म पर पड़ता है। इसलिए , ' खाना क्रिया सकर्मक है। अकर्मक क्रिया ( Intransitive Verb) जिन क्रियाओं का व्यापार और फल कर्ता पर हो , वे अकर्मक ' कहलाती हैं।अकर्मक क्रियाओं का ' कर्म ' नहीं होता , क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पड़कर कर्ता पर पड़ता है। उदाहरण के लिए- रमेश सोता है। इसमें ' सोना ' क्रिया अकर्मक है। ' रमेश ' कर्ता है , ' सोने ' की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः सोने...

जानिए अनुस्वार क्या है और अनुनासिक शब्द कौन कौन से हैं

This Blog Includes: • • • • • • • • • • • अनुस्वार की परिभाषा अनुस्वार का अर्थ होता है, स्वर के बाद आने वाला। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्वर के बाद आने वाला व्यंजन अनुस्वार कहलाता है। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा के अनुसार अनुस्वार का प्रयोग चिन्ह बिंदु (ं)के रूप में अलग-अलग जगह पर प्रयोग किया जाता है। अन्य शब्दों में समझें तो अनुस्वारएक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इसको कभी-कभी ‘म’ अक्षर द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि। अनुस्वार के उदाहरण Anuswar in Hindi के उदाहरण इस प्रकार हैं: • पंख • गंदा • तिरंगा • अंदर • मंत्र • बांग्ला • चंदन • लंबे • पंजाब • भंडारा • पलंग • अंडा • पंडित • संजय • संगीता • संतरा • संतोष • संदेश • अंगूर • मंगल • मंजन • फिरंगी • मनोरंजन • नारंगी • घंटी अनुस्वार का प्रयोग अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म ये पंचाक्षर कहलाए जाते हैं) के जगह पर किया जाता है। • गङ्गा = गंगा • चञ्चल = चंचल • डण्डा = डंडा • गन्दा = गंदा • कम्पन = कंपन अब हम यह बात तो जान गए हैं कि अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म) के स्थान पर किया जाता है। • परन्तु ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि प्रत्येक पंचाक्षर के स्थान पर (ं) अनुस्वार का प्रयोग एक समान है। • ऐसे में हमें इस बात का कैसे पता चले कि कौन सा अनुस्वार (ं) किस पंचाक्षर का उच्चारण कर रहा है? यह भी पढ़ें : संपूर्ण हिंदी व्याकरण सीखें अनुस्वार को पंचाक्षर में बदलने का नियम Anuswar in Hindi के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण जिस वर्ग का होगा अनुस्वार का चिह्न उसी वर्ग के पंचम-वर्ण का स्थान लगे...

पुरुषार्थ

मुख्य लेख: प्राचीन काल में ही भारतीय मनीषियों ने यतो अभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः। (कणाद, वैशेषिकसूत्र, १.१.२) 'अभ्युदय' से लौकिक उन्नति का तथा 'निःश्रेयस' से पारलौकिक उन्नति एवं कल्याण का बोध होता है। अर्थात जीवन के ऐहिक और पारलौकिक दोनों पक्षों से धर्म को जोड़ा गया था। धर्म की इससे अधिक उदार परिभाषा और क्या हो सकती है? धर्म शब्द का अर्थ अत्यन्त गहन और विशाल है। इसके अन्तर्गत मानव जीवन के उच्चतम विकास के साधनों और नियमों का समावेश होता है। धर्म कोई उपासना पद्घति न होकर एक विराट और विलक्षण जीवन-पद्घति है। यह दिखावा नहीं, दर्शन है। यह प्रदर्शन नहीं, प्रयोग है। यह चिकित्सा है मनुष्य को आधि, व्याधि, उपाधि से मुक्त कर सार्थक जीवन तक पहुँचाने की। यह स्वयं द्वारा स्वयं की खोज है। धर्म, ज्ञान और आचरण की खिड़की खोलता है। धर्म, आदमी को पशुता से मानवता की ओर प्रेरित करता है। अनुशासन के अनुसार चलना धर्म है। हृदय की पवित्रता ही धर्म का वास्तविक स्वरूप है। धर्म का सार जीवन में संयम का होना है। अर्थ [ ] मुख्य लेख: मनुष्याणां वृत्तिः अर्थः । ( अर्थात जो भी विचार और क्रियाएं भौतिक जीवन से संबंधित है उन्हें 'अर्थ' की संज्ञा दी गयी है। धर्म के बाद दूसरा स्थान अर्थ का है। अर्थ के बिना, धन के बिना संसार का कार्य चल ही नहीं सकता। जीवन की प्रगति का आधार ही धन है। उद्योग-धंधे, व्यापार, कृषि आदि सभी कार्यो के निमित्त धन की आवश्यकता होती है। यही नहीं, धार्मिक कार्यो, प्रचार, शास्त्रों ने अर्थ को मानव की सुख-सुविधाओं का मूल माना है। धर्म का भी मूल, अर्थ है (चाणक्यसूत्र १/२) । सुख प्राप्त करने के लिए सभी अर्थ की कामना करते हैं। इसलिए आचार्य कौटिल्य त्रिवर्ग में अर्थ को प्रधान मानते हुए इसे धर्म औ...

क्रिया किसे कहते हैं

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