गंगा एक्शन प्लान

  1. गंगा में प्रदुषण के कारण व उसके निवारण के उपाय
  2. Namami Gange Project in Hindi, नमामि गंगे परियोजना
  3. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन
  4. गंगा नदी
  5. कैसे साफ हो गंगा : पांच साल में सिर्फ एक बार बैठी गंगा परिषद, पीएम मोदी की अध्यक्षता में हर साल होनी थी बैठक
  6. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन
  7. गंगा नदी
  8. कैसे साफ हो गंगा : पांच साल में सिर्फ एक बार बैठी गंगा परिषद, पीएम मोदी की अध्यक्षता में हर साल होनी थी बैठक
  9. Namami Gange Project in Hindi, नमामि गंगे परियोजना
  10. गंगा में प्रदुषण के कारण व उसके निवारण के उपाय


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गंगा में प्रदुषण के कारण व उसके निवारण के उपाय

गंगा को साफ़ करने का इतिहास: • निर्मल गंगा के संकल्प ने ठीक 30 साल पहले ‘गंगा एक्शन प्लान’ के रूप में मूर्त रूप लिया था • गंगा एक्शन प्लान के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को वाराणसी में गंगा को निर्मल बनाने के लिए इस प्लान की शुरुआत की थी। पुराने कार्यक्रमों से सीख वर्तमान केंद्र सरकार ने गंगा के लिए अलग मंत्रलय के गठन और 20 हजार करोड़ की बड़ी धनराशि का नियोजन करते हुए गंगा निर्मलीकरण के कार्यो और परियोजनाओं को नए सिरे से नमामि गंगे के प्रारूप में पुनर्जीवित किया है, किंतु गंगा एक्शन प्लान की विफलता की समीक्षा कर और इससे सीख लेकर आगे बढ़ने का प्रश्न आज सबसे बड़ा प्रश्न है।करोड़ों की राशि बहाने और इसकी बंदरबांट के बाद भी गंगा की सफाई का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका गंगा एक्शन प्लान का एक अवलोकन : प्लान के प्रथम चरण की समाप्ति के बाद भी गंगा जल की गुणवत्ता में खास परिवर्तन न दिखाई पड़ने का प्रमुख कारण इसमें प्रयुक्त प्रौद्योगिकी का जटिल होना था। जनजागरूकता का अभाव भी प्रमुख कारण था। गंगा में प्रदुषण के कारण • गंगा अपनी धारा के साथ मिट्टी ढोने वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। यह मिट्टी ही नहीं, औद्योगिक कचरा और सीवेज भी अपनी धारा में समेटने को बाध्य है। • गंगा के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है कल-कारखानों के जहरीले रसायनों को नदी में बिना रोक-टोक के गिराया जाना। साढ़े सात सौ से अधिक प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषण आज भी गंगा में मिल रहा है • जब कल-कारखानों या थर्मल पावर स्टेशनों का गर्म पानी तथा रसायन या काला या रंगीन एफ्लुएंट नदी में जाता है, तो नदी के पानी को जहरीला बनाने के साथ-साथ नदी के स्वयं के शुद्धिकरण की क्षमता को भी ...

Namami Gange Project in Hindi, नमामि गंगे परियोजना

गंगा नदी भारत की राष्ट्रीय नदी है। इस नदी को भारतवासी सबसे पवित्र मानते हैं। गंगा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है, इसकी लंबाई 2,525 किलोमीटर है। गंगा उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है। गंगा नदी को पर्यावरण मंत्रालय ने सबसे अधिक प्रदूषित और खतरे में वाली नदी घोषित किया था। गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण योजना नमामि गंगे परियोजना बनाई गई थी। नरेंद्र मोदी जब वाराणसी से मई 2014 में संसद के लिए निर्वाचित हुए तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में ह...

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

गंगा कार्य योजना-I के बारे में I गंगा नदी का उद्गम गढ़वाल हिमालय में समुद्र तल से लगभग 4100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री हिमखण्ड से भगीरथी के नाम से होता है | यह नदी हिमालय के पर्वतों से बहती हुई आगे बढ़ती है तथा देवप्रयाग में इसका संगम दो अन्य धाराओं, अलकनंदा और मंदाकिनी से होता है| इस संगम के बाद से यह नदी अपने गंगा नाम से जानी जाती है | गंगा नदी-घाटी, जो देश की सबसे विशालतम नदी-घाटी है, में भारत की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है | अपने उद्गम-स्थल से लगभग 2525 किमी. का सफर तय करने के बाद यह नदी पश्चिम बंगाल में गंगा सागर में बंगाल की खाड़ी में समा जाती है | पर्वतों से लेकर सागर तक के अपने सफर के दौरान बड़े शहरी केन्द्रों की नगर-पालिकाओं की जल-मल निकासी, उद्योगों का व्यापारिक बहि:स्राव तथा अनेक अन्य गैर-स्थलीय स्रोतों से प्रदूषणकारी अपशिष्ट इस नदी में बहाया जाता है जिसके फलस्वरूप इसका प्रदूषण होता है| गंगा कार्य योजना I का उद्देश्य : लॉन्च करने के समय,जीएपी का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण लोड नदी तक पहुंचने से रोकने के लिए गंगा की स्वीकार्य मानकों की गुणवत्ता को सुधारना था। हालांकि, जैसा कि जून, 1987 में प्रो। एम। जी। के मेनन की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया था,तब सदस्य, योजना आयोग, जीएपी का उद्देश्य 'स्नान वर्ग' के लिए नदी की गुणवत्ता को बहाल करने के रूप में पुनर्स्थापित किया गया था मानक जो निम्नानुसार है: बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 3 मिलीग्राम / एल अधिकतम भंग ऑक्सीजन (डीओ) 5 मिलीग्राम / एल न्यूनतम कुल कॉलिफ़ॉर्म 10,000 प्रति 100 मिलीलीटर फेशल कॉलिफॉर्म प्रति 100 मिलीलीटर प्रति 25,00 गंगा एक्शन प्लान I में शामिल राज्यों उत्तर प्रद...

गंगा नदी

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कैसे साफ हो गंगा : पांच साल में सिर्फ एक बार बैठी गंगा परिषद, पीएम मोदी की अध्यक्षता में हर साल होनी थी बैठक

गंगा में 60 फीसदी सीवेज की निकासी जारी है वह भी तब जब राष्ट्रीय नदी के बिगड़े रंग-रूप को बदलने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का बजट बनाया गया था। स्थिति यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय गंगा परिषद के गठन को करीब छह वर्ष बीतने वाले हैं और अभी तक सिर्फ एक बार ही बैठक की जा सकी है। केंद्र सरकार की ओर से 7 राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के मुताबिक गंगा से जुड़ी परियोजनाओं के बजट और क्रियान्वयन को लेकर कार्यकारी समिति (एग्जीक्यूटिव कमेटी) की बैठकें जारी हैं। 2017 से लेकर जुलाई, 2022 तक कुल 43 बैठकेंसंपन्न हुई हैं। हालांकि, तय आदेश के मुताबिक गंगा परिषद को इनकी समीक्षा करना चाहिए था। 2014 में सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने गंगा की स्वच्छता को अपनी उच्च प्राथमिकता वाला काम बताया था और इसके लिए नमामि गंगे नाम योजना की घोषणा की गई थी, जिसका मकसद गंगा के बिगड़े रंग-रूप को बदलना और प्रदूषण पर रोकथाम था। हालांकि, इस पर काम 2016,अक्तूबर के आदेश के बाद से ही शुरु हुआ। वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2020-2021 तक इस नमामि गंगे योजना के तहत पहले 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का रोडमैप तैयार किया गया था जो कि बाद में बढाकर 30 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया। हालांकि, अभी इस स्वीकृत बजट में से करीब 50 फीसदी बजट ही आवंटित हो पाया है। नमामि गंगे के तहत बड़े बजट की घोषणा दरअसल गंगा एक्शन प्लान की विफलता के बाद लाया गया था जिससे जनता में गंगा की सफाई की उम्मीद जगाई गई थी। विफल रहे गंगा एक्शन प्लान को 14 जनवरी, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शुरु किया था। इसके दो चरण कई वर्षों तक चले और नतीजा कुछ नहीं निकला। इसके बाद 2009 में राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण ...

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

गंगा कार्य योजना-I के बारे में I गंगा नदी का उद्गम गढ़वाल हिमालय में समुद्र तल से लगभग 4100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री हिमखण्ड से भगीरथी के नाम से होता है | यह नदी हिमालय के पर्वतों से बहती हुई आगे बढ़ती है तथा देवप्रयाग में इसका संगम दो अन्य धाराओं, अलकनंदा और मंदाकिनी से होता है| इस संगम के बाद से यह नदी अपने गंगा नाम से जानी जाती है | गंगा नदी-घाटी, जो देश की सबसे विशालतम नदी-घाटी है, में भारत की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है | अपने उद्गम-स्थल से लगभग 2525 किमी. का सफर तय करने के बाद यह नदी पश्चिम बंगाल में गंगा सागर में बंगाल की खाड़ी में समा जाती है | पर्वतों से लेकर सागर तक के अपने सफर के दौरान बड़े शहरी केन्द्रों की नगर-पालिकाओं की जल-मल निकासी, उद्योगों का व्यापारिक बहि:स्राव तथा अनेक अन्य गैर-स्थलीय स्रोतों से प्रदूषणकारी अपशिष्ट इस नदी में बहाया जाता है जिसके फलस्वरूप इसका प्रदूषण होता है| गंगा कार्य योजना I का उद्देश्य : लॉन्च करने के समय,जीएपी का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण लोड नदी तक पहुंचने से रोकने के लिए गंगा की स्वीकार्य मानकों की गुणवत्ता को सुधारना था। हालांकि, जैसा कि जून, 1987 में प्रो। एम। जी। के मेनन की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया था,तब सदस्य, योजना आयोग, जीएपी का उद्देश्य 'स्नान वर्ग' के लिए नदी की गुणवत्ता को बहाल करने के रूप में पुनर्स्थापित किया गया था मानक जो निम्नानुसार है: बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 3 मिलीग्राम / एल अधिकतम भंग ऑक्सीजन (डीओ) 5 मिलीग्राम / एल न्यूनतम कुल कॉलिफ़ॉर्म 10,000 प्रति 100 मिलीलीटर फेशल कॉलिफॉर्म प्रति 100 मिलीलीटर प्रति 25,00 गंगा एक्शन प्लान I में शामिल राज्यों उत्तर प्रद...

गंगा नदी

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कैसे साफ हो गंगा : पांच साल में सिर्फ एक बार बैठी गंगा परिषद, पीएम मोदी की अध्यक्षता में हर साल होनी थी बैठक

गंगा में 60 फीसदी सीवेज की निकासी जारी है वह भी तब जब राष्ट्रीय नदी के बिगड़े रंग-रूप को बदलने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का बजट बनाया गया था। स्थिति यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय गंगा परिषद के गठन को करीब छह वर्ष बीतने वाले हैं और अभी तक सिर्फ एक बार ही बैठक की जा सकी है। केंद्र सरकार की ओर से 7 राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के मुताबिक गंगा से जुड़ी परियोजनाओं के बजट और क्रियान्वयन को लेकर कार्यकारी समिति (एग्जीक्यूटिव कमेटी) की बैठकें जारी हैं। 2017 से लेकर जुलाई, 2022 तक कुल 43 बैठकेंसंपन्न हुई हैं। हालांकि, तय आदेश के मुताबिक गंगा परिषद को इनकी समीक्षा करना चाहिए था। 2014 में सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने गंगा की स्वच्छता को अपनी उच्च प्राथमिकता वाला काम बताया था और इसके लिए नमामि गंगे नाम योजना की घोषणा की गई थी, जिसका मकसद गंगा के बिगड़े रंग-रूप को बदलना और प्रदूषण पर रोकथाम था। हालांकि, इस पर काम 2016,अक्तूबर के आदेश के बाद से ही शुरु हुआ। वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2020-2021 तक इस नमामि गंगे योजना के तहत पहले 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का रोडमैप तैयार किया गया था जो कि बाद में बढाकर 30 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया। हालांकि, अभी इस स्वीकृत बजट में से करीब 50 फीसदी बजट ही आवंटित हो पाया है। नमामि गंगे के तहत बड़े बजट की घोषणा दरअसल गंगा एक्शन प्लान की विफलता के बाद लाया गया था जिससे जनता में गंगा की सफाई की उम्मीद जगाई गई थी। विफल रहे गंगा एक्शन प्लान को 14 जनवरी, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शुरु किया था। इसके दो चरण कई वर्षों तक चले और नतीजा कुछ नहीं निकला। इसके बाद 2009 में राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण ...

Namami Gange Project in Hindi, नमामि गंगे परियोजना

गंगा नदी भारत की राष्ट्रीय नदी है। इस नदी को भारतवासी सबसे पवित्र मानते हैं। गंगा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है, इसकी लंबाई 2,525 किलोमीटर है। गंगा उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है। गंगा नदी को पर्यावरण मंत्रालय ने सबसे अधिक प्रदूषित और खतरे में वाली नदी घोषित किया था। गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण योजना नमामि गंगे परियोजना बनाई गई थी। नरेंद्र मोदी जब वाराणसी से मई 2014 में संसद के लिए निर्वाचित हुए तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में ह...

गंगा में प्रदुषण के कारण व उसके निवारण के उपाय

गंगा को साफ़ करने का इतिहास: • निर्मल गंगा के संकल्प ने ठीक 30 साल पहले ‘गंगा एक्शन प्लान’ के रूप में मूर्त रूप लिया था • गंगा एक्शन प्लान के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को वाराणसी में गंगा को निर्मल बनाने के लिए इस प्लान की शुरुआत की थी। पुराने कार्यक्रमों से सीख वर्तमान केंद्र सरकार ने गंगा के लिए अलग मंत्रलय के गठन और 20 हजार करोड़ की बड़ी धनराशि का नियोजन करते हुए गंगा निर्मलीकरण के कार्यो और परियोजनाओं को नए सिरे से नमामि गंगे के प्रारूप में पुनर्जीवित किया है, किंतु गंगा एक्शन प्लान की विफलता की समीक्षा कर और इससे सीख लेकर आगे बढ़ने का प्रश्न आज सबसे बड़ा प्रश्न है।करोड़ों की राशि बहाने और इसकी बंदरबांट के बाद भी गंगा की सफाई का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका गंगा एक्शन प्लान का एक अवलोकन : प्लान के प्रथम चरण की समाप्ति के बाद भी गंगा जल की गुणवत्ता में खास परिवर्तन न दिखाई पड़ने का प्रमुख कारण इसमें प्रयुक्त प्रौद्योगिकी का जटिल होना था। जनजागरूकता का अभाव भी प्रमुख कारण था। गंगा में प्रदुषण के कारण • गंगा अपनी धारा के साथ मिट्टी ढोने वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। यह मिट्टी ही नहीं, औद्योगिक कचरा और सीवेज भी अपनी धारा में समेटने को बाध्य है। • गंगा के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है कल-कारखानों के जहरीले रसायनों को नदी में बिना रोक-टोक के गिराया जाना। साढ़े सात सौ से अधिक प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषण आज भी गंगा में मिल रहा है • जब कल-कारखानों या थर्मल पावर स्टेशनों का गर्म पानी तथा रसायन या काला या रंगीन एफ्लुएंट नदी में जाता है, तो नदी के पानी को जहरीला बनाने के साथ-साथ नदी के स्वयं के शुद्धिकरण की क्षमता को भी ...