गाय की बीमारी

  1. गाय का वायरल बीमारी लम्पी का आयुर्वेदिक इलाज (Lumpy)
  2. ये कैसी बीमारी... जिसे हो जाए वो खुद को गाय समझता है और घास चरने लगता है!
  3. Lampi Death of four milch cows in Barakot
  4. राजस्थान में लम्पी बीमारी के प्रकोप से दहशत में पशुपालक
  5. ayurvedic best home remedies to get rid of constipation,


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गाय का वायरल बीमारी लम्पी का आयुर्वेदिक इलाज (Lumpy)

आजकल पशुओं जैसे गाय या भैंस को वायरल बीमारी लम्पी (Lumpy Virus) के वजह से लोग परेशान हैं और इससे हजारों गायों की मौत हो रही है। इस पोस्ट में हम वायरल बीमारी लम्पी का सफल आयुर्वेदिक इलाज बताएंगे जिसको अपना के आप अपने पशुओं का जान बचा सकते हैं। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि गाय का वायरल बीमारी लम्पी क्या है और इसका आयुर्वेदिक इलाज में कौन-कौन से आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है तो चलिए शुरू करते हैं। वायरल बीमारी लम्पी/Lumpy क्या है? लम्पी (Lumpy) एक ऐसा वायरल बीमारी है जिसे पशुओं में हो जाने के बाद उनके शरीर में फफोले होते हैं और फिर उन पशुओं की मौत हो जाती है। अभी तक हजारों गायों लम्पी बीमारी के चपेट में आ चुकी है लेकिन इस बीमारी का सफल इलाज आयुर्वेद में है और जो दवाएं हम मनुष्य के लिए बने हैं उन्हीं दवाओं का डोज बढ़ाकर इन पशुओं को दिया जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं से पशुओं में हो रहे लम्पी बीमारी का सफल इलाज हो रहा है और आप इन दवाओं को या तो पशुओं का वायरल बीमारी लम्पी का आयुर्वेदिक इलाज अगर आपके पशु भी Lumpy Virus के चपेट में आ चुका है तो उसे खाली पेट आयुर्वेदिक औषधि कायाकल्प क्वाथ देना शुरु करें। ये औषधि आपको पतंजलि स्टोर पर मिल जाएगी और अगर आपके आसपास पतंजलि स्टोर नहीं है तो फिर आप ऑनलाइन patanjaliayurved.net से मंगा सकते हैं। कायाकल्प क्वाथ को पतंजलि ने इंसानों के लिए बनाया है इसलिए इसे पशु को देते समय डोज का ध्यान रखना होता है। क्योंकि पशुओं का वेट हमारे वेट से काफी ज्यादा होता है इसलिए उसी अनुसार आप उनको डोज दे सकते हैं या फिर आप पतंजलि वैद्य से भी परामर्श ले सकते हैं। इसके अलावा आप आयुर्वेदिक औषधि Psorogrit का 20-20 गोली खाने के बाद दें। वैसे इंसानों के लिए च...

ये कैसी बीमारी... जिसे हो जाए वो खुद को गाय समझता है और घास चरने लगता है!

ये तो अक्सर होता है कि जब कोई उल्टी सीधी हरकत करता है तो लोग उसे कह देते हैं कि यह इंसान नहीं जानवर है. हो सकता है कि आपने भी किसी को कहा हो या आपको किसी ने कहा हो. वैसे घर-परिवार में लोग एक दूसरे को कहते रहते हैं. लेकिन, सोचिए कि कभी कोई आदमी आपके पास आए और बोलने लगे कि मैं इंसान नहीं जानवर हूं और वैसी ही हरकत करने लगे तो आपको कैसा लगेगा? अगर हरकतों की बात करें तो वो जानवर की तरह हाथ और पांव के सहारे चलने लगे या फिर खाने में घास चरने लगे तो कैसा लगेगा. वैसे ऐसा कम देखने को मिलता है, लेकिन आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि ऐसा कुछ लोगों में होता है और वो भी किसी डिसऑर्डर की वजह से होता है. यानी उन्हें ऐसी ही बीमारी होती है, जिसमें इंसान खुद को आदमी नहीं बल्कि जानवर समझने लगता है और उसी की तरह व्यवहार करता है. जी हां, ये बिल्कुल सच बात है कि कुछ इंसानों को एक मानसिक डिसऑर्डर होता है, इसमें इंसान खुद को गाय या बैल समझने लगता है और उसी की तरह हरकत करने लगता है. यह एक तरह की बीमारी होती है, जिसके केस काफी कम होते हैं. क्या है ये डिसऑर्डर? इस मानसिक डिसऑर्डर का नाम है बोनथ्रॉपी, जो कि जोनथ्रॉपी का एक प्रकार है. यह काफी रेयर डिसऑर्डर होता है यानी इसके केस काफी कम देखने को मिलते हैं. यह साइकोलॉकिल डिसऑर्डर इंसान को जानवर की तरह रिएक्ट करने पर मजबूर करता है. इसमें क्या होता है? अगर किसी को ये डिसऑर्डर होता है, वो गाय की तरह व्यवहार करता है. इस डिसऑर्डर में इंसान जानवर की तरह चार पांव पर चलता है, घास खाता है, गाय का खाना पसंद करने लगता है. इतना ही इस स्थिति में इंसान बोलना बंद करता है और चारागाह की तरह झुंड में खाना पसंद करने लगता है. उन्हें लगता है कि वो गाय ही है और उसके हिसाब से अप...

Lampi Death of four milch cows in Barakot

आंगनबाड़ी कार्यकत्री संगठन की जिलाध्यक्ष मीना बोहरा ने बताया कि लंपी वायरस से गांव के त्रिलोक सिंह, पूरन सिंह, शंकर सिंह, आनंदी देवी की गाय की मौत हो गई है। पशुपालक किसी तरह दूध बेच कर परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन गाय की मौत होने के कारण परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया है। ग्राम प्रधान रंजीत सिंह, प्रकाश सिंह, विक्रम सिंह, दीवान सिंह, राम सिंह, पार्वती देवी, हीरा देवी, जानकी देवी ने सरकार और जिला प्रशासन से पशुपालकों को मुआवजा देने और टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की मांग की। ग्रामीणों ने दावा किया है कि लंपी वायरस से लोहाघाट और बाराकोट क्षेत्र में एक महीने के अंदर 50 से अधिक गाय की मौत हो गई है। कई पशु बीमार पड़े हुए हैं। नगर से लगे रायनगर चौड़ी में अब तक 15 दुधारु गाये, फोर्ती गांव में 8, गुमदेश क्षेत्र में 20, सुंई गांव में 8 गायों की मौत हो गई है। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीके चंद ने कहा जानवरों में लंपी वायरस की रोकथाम के लिए टीकाकरण किया जा रहा है।

राजस्थान में लम्पी बीमारी के प्रकोप से दहशत में पशुपालक

राजस्थान के जोधपुर के पल्ली गांव में पिछले एक महीने में लम्पी बीमारी से 50 से अधिक गाय की मौत हो चुकी है। पशुओं में फैली इस बीमारी ने पशुपालकों को चिंता में डाल दिया है। पल्ली गांव निवासी शारदा देवी कहती हैं कि उनके पास दो विदेशी नस्ल की गाय थीं जो करीब 50 लीटर दूध देती थीं। शारदा देवी बताती हैं कि करीब 15-20 दिन पहले उनकी एक गाय बीमार पड़ी। डॉक्टर ने बताया कि गाय को लम्पी बीमारी है। इलाज शुरू किया लेकिन गाय नहीं बची। इस दौरान दूसरी गाय भी संक्रमित हो गई। दोनों गाय के इलाज पर करीब 30 हजार रुपए खर्च हो गए हैं। उनका कहना है कि दूसरी गाय बचेगी या नहीं, पता नहीं। शारदा देवी के पति तीन साल पहले गुजर गए। उनके पांच बच्चे हैं जो जोधपुर में पढ़ते हैं। गाय मरने से उनकी आर्थिक हालत खराब हो चुकी है। उन्हें डर है कि कहीं बच्चों की पढ़ाई न रोकनी पड़े। इसी गांव की बख्तावरी देवी की 20 गाय थीं। वह रोजाना 80 लीटर दूध बेचती थीं और इससे उन्हें करीब 2,500 रुपए रोजाना आमदनी होती थी। लेकिन अब पूरी आमदनी बंद हो गई है। लंपी की चपेट में आकर उनकी एक गाय की मौत हो गई है, 3 गाय का गर्भपात हो गया और 9 गाय बीमार हैं। बीमार गाय के इलाज में 15,000 रुपए खर्च हो गए हैं। यह स्थिति पश्चिमी राजस्थान के लाखों पशुपालकों की है। इस संक्रामक बीमारी में पशुओं के शरीर पर गांठे बनने लगती हैं। सिर, गर्दन और जननांगों के पास गांठों का प्रभाव ज्यादा होता है। दो से पांच सेंटीमीटर व्यास वाली गांठें पशुओं के लंबे समय तक अस्वस्थता का कारण बनती हैं। ये गांठें धीरे-धीरे बड़ी होती जाती हैं। पशुओं को तेज बुखार आता है। पशु दूध देना बंद कर देते हैं और चारा-पानी लेना भी बंद कर देते हैं। बीमारी के प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है। ...

ayurvedic best home remedies to get rid of constipation,

हमारी अच्छी सेहत के लिए अच्छी गट हेल्थ बेहद जरूरी है। आपकी गट हेल्थ पूरे शरीर का पॉवर हाउस है। अनहेल्दी गट हमारी इम्युनिटी को कमजोर बनाती है और कई बीमारियों का शिकार बनाती है। कब्ज एक ऐसी गट की बीमारी है जो किसी भी इंसान की फ्रेशनेस छीन लेती है। कब्ज की वजह से इंसान भारीपन,गैस,एसिडिटी और भारीपन महसूस करता है। कब्ज की परेशानी की वजह से इंसान असहज महसूस करता है और उसका मन ठीक नहीं रहता है। कब्ज़ कोई रोग नहीं है ये सिर्फ खराब लाइफस्टाइल का लक्षण है। कब्ज की परेशान की लिए हमारी खराब डाइट जैसे बर्गर,नूडल्स,मोमोज,तला भुना खाना और मसालेदार फूड्स जिम्मेदार हैं। मैदे से बने ये फूड्स कब्ज का कारण बनते हैं। ये फूड पेट के अंदर जाकर जाम कर देते हैं। इन फूड्स के अलावा रात में देर से खाना खाने से, हैवी फूड्स खाने से और कोल्ड ड्रिंक का अधिक सेवन करने से कब्ज की परेशानी हो सकती है। कब्ज का लम्बे समय तक रहना पाइल्स का कारण बन सकता है। आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर समर भूषण के मुताबिक आप अगर खान-पान और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर लें तो सालों पुरानी कब्ज से भी निजात पा सकते हैं। कब्ज का अगर समय रहते उपचार किया जाए तो पाइल्स की बीामरी से भी बचाव किया जा सकता है। पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जो कब्ज की वजह से ही पनपती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए कौन-कौन से उपायों को अपना सकते हैं। फलों और सब्जियों का सेवन छिलकों के साथ करें: आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक कब्ज से रिलीफ पाने के लिए डाइट में फाइबर का अधिक सेवन करें। फाइबर की कमी को पूरा करने के लिए आप फलों और सब्जियों का सेवन छिलकों के साथ करें। छिलकों वाले फल और सब्जियां कब्ज से राहत देते हैं और...