Geeta ke 14 adhyay mein kitne shlok hain

  1. गीता के दूसरे अध्याय में कितने श्लोक हैं?
  2. श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में छिपा है हर सवाल का जवाब
  3. भगवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक हिंदी अर्थ सहित
  4. गीता के श्लोक एवं भावार्थ : गीता का प्रथम अध्याय
  5. भगवत गीता के दिव्य श्लोक अर्थ सहित Bhagavad Gita Slokas In Hindi
  6. Manusmriti in Hindi Language मनुस्मृति हिंदी अर्थ सहित


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गीता के दूसरे अध्याय में कितने श्लोक हैं?

Table of Contents Show • • • • • • • • • भगवद्गीता - एक ऐंसा ग्रंथ जिसका नाम लेने मात्र से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का हृदय ❤ है यह भगवद्गीता। साक्षात् भगवान् के मुख से निकली गीता को सुनना व पढना भला कौन नहीं चाहेगा! वास्तव में हमारे भगवान् श्रीकृष्ण ने इस गीता के माध्यम से दुनिया को बहुत कुछ बताने की कोशिश की है। ज्ञान, कर्म व भक्ति तीनों का संगम है- यह भगवद्गीता। इसे भी दबाएँ- रामायण के रचयिता कौन थे? सच्चाई जान लो 💚 तो आइये, आज हम जानेंगे- भगवद्गीता की रोचक रहस्यमय बातें और भगवद्गीता में कितने श्लोक हैं?कुल कितने श्लोक हैं एवं प्रत्येक अध्याय की श्लोक संख्या- हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये! खूब ज्ञान पाइये! इसे भी दबाएँ- महाभारत के रचयिता कौन हैं? पूरा इतिहास जानने के लिए दबाएँ 💚 भगवत गीता में कितने अध्याय हैं? भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली व वेद व्यास द्वारा विरचित- श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 18 अध्याय हैं। यह 18 संख्या भगवान श्रीकृष्ण व वेदव्यास जी से बहुत बड़ा सम्बंध रखती हैं। शायद इसी कारण वेदव्यास जी ने अठारह 18 संख्या को बहुत ज्यादा प्रयोग किया है। इसके कुछ रहस्य देखिए- श्रीमद्भगवद्गीता से जुड़ी रोचक बातें • भगवत गीता में 18 अध्याय हैं। • महाभारत में 18 पर्व हैं। • महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला। • पुराणों की संख्या- 18 है। • उपपुराणों की संख्या भी- 18 है। • महाभारत में अक्षौहिणी सेना का परिमाण भी- 18 था। अब आपको अठारह 18 संख्या का रहस्य पता चल गया होगा। तो चलिए, हम अपने विषय पर आते हैं- हम आपको यंहा भगवद्गीता में कितने श्लोक हैं व प्रत्येक अध्याय की श्लोक संख्या क्या है यह स्पष्ट करने जा रहे हैं। भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं यह तो आपने जान लि...

श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में छिपा है हर सवाल का जवाब

• 2 hours ago • 5 hours ago • 5 hours ago • 6 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 9 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 12 hours ago • 13 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 17 hours ago • 19 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 38.8°C ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video) सभी ग्रंथों में से श्रीमद् भगवद् गीता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के जीवन का सार है और इसमें महाभारत काल से लेकर द्वापर में कृष्ण की सभी लीलाओं का वर्णन किया गया है। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। भगवद्गीता पूर्णत: अर्जुन और उनके सारथी श्रीकृष्ण के बीच हुए संवाद पर आधारित पुस्तक है। गीता में ज्ञानयोग, कर्म योग, भक्ति योग, राजयोग, एकेश्वरवाद आदि की बहुत सुंदर ढंग से चर्चा की गई है। गीता मनुष्य को कर्म का महत्व समझाती है। गीता में श्रेष्ठ मानव जीवन का सार बताया गया है। इसमें 18 ऐसे अध्याय हैं जिनमें आपके जीवन से जुड़े हर सवाल का जवाब और आपकी हर समस्या का हल मिल सकता है। पहला अध्याय : गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोकों द्वारा अर्जुन की मन: स्थिति का वर्णन किया गया है कि किस तरह अर्जुन अपने सगे-संबंधियों से युद्ध करने से डरते हैं और किस तरह भगवान कृष्ण उन्हें समझाते हैं। दूसरा अध्याय : गीता के दूसरे अध्याय सांख्य-योग+ में कुल 72 श्लोक हैं जिसमें श्रीकृष्ण, अर्जुन को कर्मयोग, ज्ञानयोग, सांख्ययोग, बुद्धि योग और आत्म का ज्ञान देते हैं। यह अध्याय वास्तव में पूरी गीता का सारांश है। इसे बेहद म...

भगवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक हिंदी अर्थ सहित

Geeta Shlok in Sanskrit: श्री कृष्ण भगवान के द्वारा महाभारत युद्ध से पहले जो उपदेश दिए गये, वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जाने जाते हैं। जब महाभारत के समय अर्जुन युद्ध करने से मना कर देते हैं तब भगवान श्री कृष्ण उपदेश देकर धर्म और कर्मे के सच्चे ज्ञान से अवगत करवाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के इन सभी उपदेशों को भगवत गीता ग्रन्थ में संकलित किया हुआ है। गुरूनहत्वा हि महानुभवान श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके। हत्वार्थकामांस्तु गुरुनिहैव भुञ्जीय भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।। भावार्थ: महाभारत युद्ध के दौरान जब उनके रिश्तेदार और शिक्षक अर्जुन के सामने खड़े थे, तो अर्जुन दुखी हो गए और श्री कृष्ण से कहा कि अपने महान शिक्षक को मारकर जीने की तुलना में भीख मांगकर जीना बेहतर है। भले ही वह लालच से बुराई का समर्थन करता है, लेकिन वह मेरा शिक्षक है, भले ही मैं उसे मारकर कुछ हासिल कर लूं, तो यह सब उसके खून से रंगा होगा। Bhagwat Geeta Shlok in Hindi न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरियो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु:। यानेव हत्वा न जिजीविषाम- स्तेSवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः।। भावार्थ: अर्जुन कहते हैं कि मैं यह भी नहीं जानता कि क्या सही है और क्या नहीं – हम उन पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं या उनसे जीतना चाहते हैं। धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हम कभी नहीं जीना चाहेंगे, फिर भी वे सभी हमारे सामने युद्ध के मैदान में खड़े हैं। कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्म सम्मूढचेताः। यच्छ्रेयः स्यान्निश्र्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्।। भावार्थ: अर्जुन श्रीकृष्ण से कहते हैं कि मेरी दुर्बलता के कारण मैं अपना धैर्य खो रहा हूं, मैं अपने कर्तव्यों को भूल रहा हूं। अब आप भी मुझे सही बताओ जो ...

गीता के श्लोक एवं भावार्थ : गीता का प्रथम अध्याय

भावार्थ : जिनकी आकृति अतिशय शांत है, जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं, जिनकी नाभि में कमल है, जो देवताओं के भी ईश्वर और संपूर्ण जगत के आधार हैं, जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है, अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ। भावार्थ : ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्‍गण दिव्य स्तोत्रों द्वारा जिनकी स्तुति करते हैं, सामवेद के गाने वाले अंग, पद, क्रम और उपनिषदों के सहित वेदों द्वारा जिनका गान करते हैं, योगीजन ध्यान में स्थित तद्‍गत हुए मन से जिनका दर्शन करते हैं, देवता और असुर गण (कोई भी) जिनके अन्त को नहीं जानते, उन (परमपुरुष नारायण) देव के लिए मेरा नमस्कार है। भावार्थ : इस सेना में बड़े-बड़े धनुषों वाले तथा युद्ध में भीम और अर्जुन के समान शूरवीर सात्यकि और विराट तथा महारथी राजा द्रुपद, धृष्टकेतु और चेकितान तथा बलवान काशिराज, पुरुजित, कुन्तिभोज और मनुष्यों में श्रेष्ठ शैब्य, पराक्रमी युधामन्यु तथा बलवान उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र- ये सभी महारथी हैं॥4-6॥ Germany and South Korea: खुफिया सूचनाओं को साझा करने संबंधी नए समझौते के जरिए जर्मनी और दक्षिण कोरिया यूक्रेन में संघर्ष और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव के बीच अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना चाहते हैं। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स दक्षिण कोरिया में महज कुछ घंटों के लिए रुके लेकिन उनकी यह यात्रा और वहां के राष्ट्रपति यून सुक-योल के साथ हुई बातचीत में कई समझौते हुए। monsoon in...

भगवत गीता के दिव्य श्लोक अर्थ सहित Bhagavad Gita Slokas In Hindi

Bhagavad Gita Slokas In Hindi इस पोस्ट में हमने भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित दिए हुए है. इन्हें पढने से हमारी जिंदगी में चल रही बहुत सी समस्याओं का समाधान हमे मिल जाता है और सबसे महत्वपूर्ण बात गीता के श्लोक हमारे मन के भीतर एक अदभुत शांति का निर्माण करते है. दोस्तों यही है ब्रह्मांड का सच्चा ज्ञान. इसे अवश्य पढ़े जय श्री कृष्ण. Bhagavad Gita Slokas In Hindi भगवद गीता के दिव्य श्लोक भगवत गीता श्लोक 13 अध्याय 2 देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा। तथा देहान्तरप्राप्तिधीरस्तत्र न मुह्यति॥ अर्थ: एक शरीरधारी अंतहीन आत्मा जिस तरह इस शरीर में बाल्यावस्था से युवावस्था तक और युवावस्था से वृद्धावस्था में जाता है. उसी तरह मृत्यु के बाद जीवात्मा दुसरे शरीर में प्रवेश करता है. इस बात को समझने (मानाने) वाला धैर्यशील मनुष्य कभी विचलित नहीं होता. भगवत गीता श्लोक 14 अध्याय 2 मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः। आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥ अर्थ: हे कुन्ती पुत्र अर्जुन कुछ समय के लिए निर्माण होने वाले और समय के साथ ही नष्ट होने वाले जो सुख और दुःख है. वह शरद ऋतु (सर्दी) और ग्रीष्म ऋतु (गर्मी) के जैसे आनेजाने वाले होते है. हे भरतवंशज! वो सुख दुःख इन्द्रियों को महसूस होने की वजह से निर्माण होते है. इसलिए मनुष्य ने इनसे परेशान ना होते हुए, इन्हें सहना सीखना चाहिए. भगवत गीता श्लोक 15 अध्याय 2 यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ। समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥ अर्थ: हे मानवश्रेष्ठ अर्जुन! जो मनुष्य सुख और दुख से विचलित नहीं होता है. और दोनों परिस्थितियों में स्थिर रहता है. तो वह मोक्ष प्राप्ति के लिय निश्चित ही योग्य है. भगवत गीता श्लोक 22 अध्याय 2 वासांसि जीर्णानि...

Manusmriti in Hindi Language मनुस्मृति हिंदी अर्थ सहित

• मनुस्मृति हिंदी अर्थ सहित • पाषण्डिनो विकर्मस्थान्बैडालव्रतिकांछठान्। हैतुकान्वकवृत्तींश्च वाड्मात्रेणापि नार्चयेत्।। अर्थ- पाखंडी, बुरे कर्म करने वाला, दूसरों को बेवकूफ बनाकर उनका धन ठगने वाला, दूसरों को दुख पहुंचाने वाला और वेदों में श्रद्धा न रखने वाला. इन 5 प्रकार के लोगों को अपना अतिथि नहीं बनाना चाहिए. और इनसे जल्द-से-जल्द छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए. • स्त्रियो रत्नान्यथो विद्या धर्मः शौचं सुभाषितम्। विविधानि च शिल्पानि समादेयानि सर्वतः।। अर्थ- सुंदर स्त्री, रत्न, ज्ञान, धर्म, पवित्रता, उपदेश और अलग-अलग प्रकार के शिल्प ये चीजें, जहाँ कहीं भी, जिस किसी से भी मिलती हो पाने की कोशिश करनी चाहिए. • मृगयाक्षदिवास्वप्नः परिवादः स्त्रियों मदः। तौर्यत्रिकं वृथाद्या च कामजो दशको गणः।। अर्थ- शिकार खेलना, जुआ खेलना, दिन में भी कोरे सपने देखना, परनिंदा करना, स्त्रियों के साथ रहना, शराब पीना, नाचना, श्रृंगारिक कविताएं या गीत गाना, बाजा बजाना, बिना किसी उद्देश्य के घूमना. ये 10 बुरी आदतें काम भावना के कारण जन्म लेती है. इसलिए हमें काम से बचकर रहना चाहिए. • पैशुन्यं साहसं मोहं ईर्ष्यासूयार्थ दूषणम्। वाग्दण्डजं च पारुष्यं क्रोधजोपिगणोष्टकः।। अर्थ- चुगली करना, जरूरत से ज्यादा साहस, द्रोह, ईर्ष्या करना, दूसरों में दोष देखना, दूसरों के धन को छीन लेना, गलियाँ देना, और दूसरों से बुरा व्यवहार करना. ये 8 बुरी आदतें क्रोध से उत्पन्न होती है, इसलिए हमें क्रोध को नियन्त्रण में रखना चाहिए. ऋत्विक्पुरोहिताचार्यैर्मातुलातिथिसंश्रितैः। बालवृद्धातुरैर्वैधैर्ज्ञातिसम्बन्धिबांन्धवैः।। मातापितृभ्यां यामीभिर्भ्रात्रा पुत्रेण भार्यया। दुहित्रा दासवर्गेण विवादं न समाचरेत्।। अर्थ- यज्ञ करने वाले, ...

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