गेहूं का बीज

  1. [ 322 गेहूं की जानकारी 2023 ] भरपूर पैदावार जानिए
  2. Simple Tips To Identify Good Quality Wheat For Cultivation
  3. गेहूं की उन्नत किस्में
  4. गेहूं की खेती कैसे करें (Wheat Farming)
  5. गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग
  6. गेहूं बीज उत्पादन तकनीक
  7. [ HI 1544 गेहूं का बीज 2023 ] जानें 1544 गेहूं की जानकारी
  8. [ Top ] गेहूं की प्रजातियाँ 2023
  9. गेहूं बीज उत्पादन तकनीक
  10. Simple Tips To Identify Good Quality Wheat For Cultivation


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[ 322 गेहूं की जानकारी 2023 ] भरपूर पैदावार जानिए

322 गेहूं की जानकारी | 322 गेहूं का उत्पादन | 322 gehu price | gehu 322 kism | gw 322 wheat variety | gw 322 गेहूं किस्म विशेषताओं | 322 Gehu ki kheti ki jankari hindi | उन्नतशील गेहूं बीज पूरे भारत मे गेहूं की भरपूर पैदावार के लिए जानी जाती है, गेहूं बीज 322 उच्च शोध और तकनीकी से विकसित इस बीज को भारत के सभी राज्यों में बोया जा सकता है| इस बीज की पैदावार को देखकर पिछले कुछ सालों से मध्यप्रदेश मे इसकी सर्वोधिक बिजाई की जा रही है | 5.2 उन्नतशील 322 गेहूं बीज price ? 322 गेहूं की जानकारी – गेहूं उत्पादक क्षेत्रों मे काफी पोपुलर वैराइटी मानी जाती है, इसका दाना काफी चमकीला और आकार मे मोटा होता है| GW 322 गेहूं के बीज की सर्वोत्तम किस्म और कड़े मानकों पर परीक्षण की गई वैराइटी है भारत मे यह सर्वोधिक मध्यप्रदेश और उतरप्रदेश मे बोई जाती है | गेहूं का भंडारण कैसे करें – 322 गेहूं का उत्पादन (322 gehu ki paidawar) ? अच्छी देखरेख के साथ 60-65 क्विंटल/हेक्टेयर तक लिया जा सकता है| देशभर के आटा उद्धोगओ मे इसका ज्यादा मांग रहती है क्योंकि इसकी ब्रेड और रोटी/चपाती काफी स्वादिष्ट होती है | गेहूं की बुआई का समय ? जी.डब्ल्यू 322 गेहूं की बुवाई का सबसे उत्तम समय – रबी का मौसम मे समय पर बुवाई उचित मानी गई है, जो अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह तक कर सकते है पूरी फसल के पकने की अवधि 115-120 दिन | बवाई कैसे करें ? बिजाई के समय बीज की मात्रा 30-35 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयुक्त होगी सीड़ ड्रिल मशीन से कतार से कतार की दूरी 20 सेमी ओर 2-3 सें.मी. गहराई में बोना चाहिए, जिससे अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी मिलती है | GW 322 गेहूं किस्म की विशेषताए ? • जेडब्ल्यू 322 अच्छी देखरेख से यह किस्म ...

Simple Tips To Identify Good Quality Wheat For Cultivation

Tips for Wheat Identification: भारत की प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं (Wheat) का नाम टॉप पर आता है. भारत में घरेलू खपत से लेकर बेकरी उत्पादों में गेहूं का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. यही कारण है कि इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. गेहूं की बिजाई (Wheat farming) 20 अक्टूबर से ही शुरू हो जाती है. हर किसान चाहता है कि उसकी फसलों से बेहतर उत्पादन (Wheat Production) मिल और बेहतर उत्पादन के लिये जरूरी है अच्छी क्वालिटी के बीजों (Quality Check of Wheat Seeds) से बुवाई करना. वैसे तो बाजार में कई देसी और हाइब्रिड किस्में (Wheat Hybrid Varieties) मिल जाती है, लेकिन अकसर कुछ बीज भंडार और दुकानदार किसानों को नकली यानी घटिया गेहूं का बीज पकड़ा देते हैं. जागरुकता की कमी के कारण किसान भी बिना परीक्षण किये उन्हीं बीजों को खरीदकर खेती करते हैं, लेकिन बुवाई के कुछ दिन बाद ही नकली बीजों का सच सामने आ जाता है और किसानों को भारी नुकसान भुगतना पड़ता है. अच्छा गेहूं-बुरा गेहूं सही मायनों में अच्छा बीज वही है, जिसकी अंकुरण क्षमता अधिक हो, कीट-रोगों का प्रकोप ना हो, साथ ही खरपतवार और जोखिमों से भी फसल पर बुरा असर ना पड़े. वहीं अगर बीज की क्वालिटी खराब होगी तो ना बीजों का जमाव होगा और ना ही अंकुरण ठीक से हो पायेगा. इससे पौधे भी कम संख्या में बनेंगे, साथ ही फसल को खाद-उर्वरकों की ज्यादा जरूरत पडेगी. इसके अलावा, खेत में बीज डालने के बाद खरपतवारों के साथ-साथ कीट-रोगों का भी प्रकोप रहेगा. इससे किसानों की पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है. क्या है अच्छे बीज की पहचान कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अच्छी किस्म की गेहूं के बीजों की पहचान करना बेहद आसान है. इसके लिये बीज खरीदने से पहले प्रमाणित बीज भं...

गेहूं की उन्नत किस्में

Contents • 1 गेहूं की उन्नत किस्में से सम्बंधित जानकारी • 1.1 गेहूँ की उन्नत किस्मे (Wheat Improved Varieties) • 1.2 Types of Wheat Grains • 1.3 गेहूँ के बीजो की बुवाई का समय, बीज दर व उर्वरक की सही मात्रा • 1.4 गेहूंकी उच्च उर्वरता में पोषण प्रबंधन • 1.5 फ़सल की जीरो टिलेज व टर्बो हैप्पी सीडर से बुवाई का तरीका • 1.6 गेहूं की खेती में सिंचाई प्रबंधन कितना जरूरी है • 1.7 गेहूं की फ़सल में कटाई और भंडारण का तरीका गेहूं की उन्नत किस्में से सम्बंधित जानकारी देश में अधिक जनसँख्या वृद्धि होने के कारण गेहूँ के उत्पादन व उत्पादकता में निरंतर वृद्धि की आवश्यकता होती है | देश में सभी लोगो को नियमित रूप से अनाज प्राप्त हो इसके लिए किसान द्वारा फसल का उत्पादन उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके खेती की जा रही है | फसल की अच्छी उपज हो इसके लिए किसानोद्वारा उत्तम किस्मो को उपयोग में लाया जा रहा है | इस पोस्ट में आपको गेहूं की उन्नत किस्में, Types of Wheat Grains, Varieties of Wheat in Hindi,से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है | गेहूँ की उन्नत किस्मे ( Wheat Improved Varieties) गेहूँ की अच्छी फसल प्राप्त हो इसके लिए गेहूँ की उन्नत किस्मो का चयन करना होता है | किसान द्वारा चुनी गई उन्नत किस्म यह निर्धारित करती है उपज कितनी होगी | आपको गेहूँ की ऐसी की कुछ किस्मो के बारे में बताया जा रहा है, जो उच्च उत्पादकता व रोगरोधी क्षमता वाली होती है | सिंचित व समय से बीजाई के लिए एडीबीडब्ल्यू 303, डब्ल्यूएच 1270, पीबीडब्ल्यू 723 और सिंचित व देर से बुवाई के लिए डीबीडब्ल्यू 173, डीबीडब्ल्यू 71, पीबीडब्ल्यू 771, डब्ल्यूएच 1124, डीबीडब्ल्यू 90 व एचडी 3059 की उन्नत और प्रसिद्द किस्मो को चुना जा सकता ...

गेहूं की खेती कैसे करें (Wheat Farming)

गेहूं की वैज्ञानिक खेती के बारे में जानकारी, हर किसान भाई गेहूं की वैज्ञानिक और उन्नत खेती करके लाखों कमा सकता है। गेहूं की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करें, जिसे सरल भाषा में गेहूं के रूप में भी जाना जाता है। यदि वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए तरीके से गेहूं की खेती की जाए, तो किसानों को बहुत लाभ हो सकता है, बस कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा जैसे कि खेती के लिए भूमि का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए, जलवायु क्या होनी चाहिए, कब सिंचाई करनी चाहिए और बुवाई आदि कब की जानी चाहिए। Table of Contents • • • • • • • • • • • गेहूं की खेती कैसे करें? How to Do Wheat Farming आज के दौर में किसान वैज्ञानिक तरीके से गेहूं की खेती कर आसानी से लाखों कमा सकते हैं। अगर गेहूँ की खेती सही तरीके से की जाए तो आप एक अच्छा लाभ बचा सकते हैं। इसके अलावा आप हल्दी की खेती करके भी महत्वपूर्ण लाभ कमा सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे करें गेहूं की खेती: भूमि का चयन और तैयारी गेहूं की खेती करने समय भूमि का चुनाव अच्छे से कर लेना चाहिए। गेहूँ की खेती में अच्छे फसल के उत्पादन के लिए मटियार दुमट भूमि को सबसे सर्वोतम माना जाता है। लेकिन पौधों को अगर सही मात्रा में खाद दी जाए और सही समय पर उसकी सिंचाई की जाये तो किसी भी हल्की भूमि पर गेहूँ की खेती कर के अच्छे फसल की प्राप्ति की जा सकती है। खेती से पहले मिट्टी की अच्छे से जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए। फिर उस मिट्टी पर ट्रेक्टर चला कर उसे समतल कर देना चाहिए। जलवायु कैसी हो? कटाई के समय गेहूं की खेती के लिए कम तापमान और शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। इसलिए, गेहूं की खेती ज्यादातर अक्टूबर या नवंबर के महीनों में की जाती है। बुआई कैसे और कब करे...

गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग

• Home • गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग-व्याधियों की पहचान एवं उनका एकीकृत प्रबंधन गेहूं भारत देश की प्रमुख खाद्य फसल है, यह कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का प्राचुर श्रोत है, भारत में मुख्यतः गेहूं की तीन प्रजातियों की खेती की जाती है, इस समय भारतीय कृषक गेहूं की फसल के लिए खेत की तैयारी कर रहे हैं, परन्तु गेहूं का विविध रोग-व्याधियों के प्रकोप के कारणस्वरूप आर्थिक उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग-व्याधियों की पहचान एवं उनका एकीकृत प्रबंधन गेहूं ( ट्रिटिकम प्रजाति) रबी मौसम की प्रमुख धान्य फसलों में से एक है। भारत एक प्रमुख कृषि प्रधान देश है। भारत 1.27 अरब की आबादी के साथ दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आवादी वाले देश की श्रेणी में आता है, यहाँ की लगभग 70% ग्रामीण जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। गेहूं भारत देश की प्रमुख खाद्य फसल है, यह कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का प्राचुर श्रोत है, भारत में मुख्यतः गेहूं की तीन प्रजातियों की खेती की जाती है, जिसमे ट्रिटिकम एस्टिवम, ट्रि० ड्यूरम एवं ट्रि० वल्गेयर है। इस समय भारतीय कृषक गेहूं की फसल के लिए खेत की तैयारी कर रहे हैं, परन्तु गेहूं का विविध रोग-व्याधियों के प्रकोप के कारणस्वरूप आर्थिक उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गेहूं के कुल उत्पादन में लगभग 20% प्रतिशत तक क्षति का प्रमुख कारण रोगों के बताया गया है। इस लेख का प्रमुख उद्देश्य किसानों तक गेहूं के रोगों की पहचान एवं प्रबंधन के संदर्भ में सटीक जानकारी को पहुंचाना हैं, जिससे वह समय रहते रोग-व्याधियों के प्रति उचित कदम उठा सकें। वर्तमान आंकड़े: भारतवर्ष विश्व स्तर पर चीन के बाद गेहूं का दूसरा प्रमुख उत्पादक देश है (वैश्विक उत्पादन 779 मिलिय...

गेहूं बीज उत्पादन तकनीक

बीज एक वैज्ञानिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है। सही ढंग से उपचारित, पैक, चिंहित एवं उचित ढेर प्रदर्शित करता है। वह अपनी जाति व गुणों के मानकों के अनुरूप होता है। अच्छे बीज रोग, कीट, खरपतवार व अन्य फसल के बीज व अन्य बाहरी पदार्थो से मुक्त रहता है। यह भौतिक व आनुवांशिक रूप से शुद्ध होता है। इसका अंकुरण प्रतिशत, नमी प्रतिशत मानकों के अनुरूप होती है। किसान भाई खराब गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग कर कृषि के अन्य कार्यो पर जैसे खाद, खरपतवारनाशी, कीट- रोग व्याधि नाशी रसायनों आदि पर खर्च करते हैं परंतु यदि किसान खराब बीज न बोकर शुद्ध बीज, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज बोयें तो कृषि के अन्य खर्चों में कमी कर सकते हैं। आईये हम जाने कि अच्छा गेहूं बीज उत्पादन प्राप्त कैसेे करे। बीज स्त्रोत:- आधार बीज तैयार करने के लिए प्रजनक या आधार बीज और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये आधार बीज किसी प्रमाणीकरण संस्था के मान्य स्त्रोत से प्राप्त किया जाता है। बोने से पूर्व बीज थैलों पर लगे लेबिल आदि से बीज की किस्म की शुद्धता की जांच कर लेनी चाहिये और लेबिल संभालकर रखना चाहिए। पृथक्करण दूरी:-गेहंू एक स्व-परागित फसल हैं अत: गेहंू की सभी जातियों को आपस में अच्छे बीज उत्पादन हेतु 3 मीटर पृथक्करण दूरी अन्य जातियों से रखना चाहिए, लेकिन अनावृत कंड रोग से बचाव के लिये न्यूनतम पृथक्करण दूरी 150 मीटर रखी जाती हैं। बीजोपचार:- 2.5-3 ग्राम थायरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। लूज स्मट की रोकथाम के लिए वीटावैक्स 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज उपचारित करना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण:- खरपतवार वे अवान्छित पौधे होते हैं जो कि वहंा उगते हैं जहंा इनकी आवश्यकता नहीं होती है। खरपतवार आर्थिक दृष्टि से हानिकारक होते हैं ज...

[ HI 1544 गेहूं का बीज 2023 ] जानें 1544 गेहूं की जानकारी

वर्तमान समय में HI 1544 गेहूं का बीज बुवाई को लेकर काफी चर्चा में माना जा रहा है, इस गेहूं की स्वादिष्टता के आगे बाजार और खाध्य उत्पाद उद्धोग में अच्छी डिमांड है | गेहूं उत्पाद आधारित कंपनियों में इसका उपयोग किया जाता है, इस गेहूं से पास्ता, मेदा, टोस्ट, बिस्किट, आदि प्रोडक्ट देश-विदेश में बेच रही है| किसान भाइयों, इसकी पैदावार अच्छी ओर बाजार में डिमांड अच्छी होने के कारण खेती करना मुनाफे का सौदा बन सकती है, आइए जानते है – 1544 गेहूं का बीज की खेती को लेकर सम्पूर्ण जानकारी – 6.2 HI 1544 गेहूं कितने दिन में आता है/फसल अवधि? HI 1544 गेहूं का बीज जानकारी – यह गेहूं अपनी विशेषताओ और डिमांड के नाम पर जाना जाता है | 1544 गेहूं का आकार अन्य गेहूं के दानों से बड़ा और चमकीला होता है | इस फसल के पौधे मजबूत, पत्तियां गहरे हरे रंग, उपज के दाने वजनदार होते है | HI 1544 गेहूं के पौधे की ऊंचाई अधिकतम 100 सेंटीमीटर तक की होती है | गेहूं 1544 बोने का समय ? प्रिय, किसान भाईयो यदि आप इस किस्म की बुआई सही समय पर करते है, तो आपको इस किस्म की पैदावार अच्छी दिखाई देगी| गेहूं 1544 को 30 अक्टूबर से नवंबर के मध्य का समय बुवाई के लिए सबसे उत्तम माना गया है| समय पर बुआई करने से गेहूं में रोग-कीट लगने की समस्या कम होती है| घर के लिए सबसे अच्छा इन्वर्टर 2023 1544 गेहूं का बीज विशेषता ? • इस किस्म को ज्यादातर इसकी पैदावार के लिए जाना जाता है, पैदावार की बात करें तो, 60 कुंटल प्रति एकड़ तक ली जा सकती है| • इस किस्म को केवल 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है| • जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में शमिल, जो 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है | • इस वेरायटी का बीज रोग-कीट के प्रति उच्च सहनशील होने के कारण...

[ Top ] गेहूं की प्रजातियाँ 2023

gehu ki kisme in india | गेहूं की प्रजातियाँ | गेहूं की उन्नत किस्में 322, 343, 2967 | गेहूं की उन्नत किस्में 1544 | गेहूं की उन्नत किस्में 2023 | gehu ki prajati ke naam | गेहूं तेजस | गेहूं की सबसे बढ़िया वैरायटी | गेहूं की संकर किस्म आज के समय के अनुसार कोई भी फसल की बुआई करनी हो, बीज का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है| गेहूँ की प्रजातियों का चुनाव भूमि एवं बुवाई समय, सिंचाई जैसे कारकों पर निर्भर करता है | 4.2 सबसे ज्यादा पैदावार वाली गेहूं कौन सा है? गेहूं की सबसे अच्छी वैरायटी कौन-कौनसी है – बुवाई के अनुसार जानिए गेहूं की हाइब्रिड किस्में – गेहूं की अगेती किस्में समय पर बुवाई वाली प्रमुख हाइब्रिड किस्में गेहूं की पछेती किस्में – HD 2967 – WH -542 – UP 2338 – HD 2687 – WH 1105 – देसी गेहूं C-306 – देवा K 9107 – H P 1731 -राजश्य लक्ष्मी – नरेन्द्र गेहूँ1012 – उजियार के 9006 – DL 784-3 / वैशाली – HUW 468, HUW510 – H D 2888, 2967, 2824 – U P 2382 – P B W 443 / 343 – तेजस – त्रिवेणी के 8020 – सोनाली H P 1633 – H D 2643 – गंगा, – D V W 14 – H P 1744 – नरेन्द्र गेहूँ1014, 2036, 1076 – U P 2425, K 9423, K 9903, – H W 2045 – P B W 373, 16 गेहूं की नई किस्में 2023 ? 2023 मे नई विकसित बीज की बात करें तो हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए तीन नई किस्में – • DBW-296 (डीबीडब्ल्यू-296) • DBW-327 (डीबीडब्ल्यू-327) • DBW-332 (डीबीडब्ल्यू-332) भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की और से ये किस्में हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए सबसे उत्तम है | खरपतवार नाशक दवाईयो के नाम – जानिए उपयोग, फायदे, प्राइस भारत प्रचलित गेहूं की वैरायटीयों की सूची ? रबी की फसल हेतु गे...

गेहूं बीज उत्पादन तकनीक

बीज एक वैज्ञानिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है। सही ढंग से उपचारित, पैक, चिंहित एवं उचित ढेर प्रदर्शित करता है। वह अपनी जाति व गुणों के मानकों के अनुरूप होता है। अच्छे बीज रोग, कीट, खरपतवार व अन्य फसल के बीज व अन्य बाहरी पदार्थो से मुक्त रहता है। यह भौतिक व आनुवांशिक रूप से शुद्ध होता है। इसका अंकुरण प्रतिशत, नमी प्रतिशत मानकों के अनुरूप होती है। किसान भाई खराब गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग कर कृषि के अन्य कार्यो पर जैसे खाद, खरपतवारनाशी, कीट- रोग व्याधि नाशी रसायनों आदि पर खर्च करते हैं परंतु यदि किसान खराब बीज न बोकर शुद्ध बीज, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज बोयें तो कृषि के अन्य खर्चों में कमी कर सकते हैं। आईये हम जाने कि अच्छा गेहूं बीज उत्पादन प्राप्त कैसेे करे। बीज स्त्रोत:- आधार बीज तैयार करने के लिए प्रजनक या आधार बीज और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये आधार बीज किसी प्रमाणीकरण संस्था के मान्य स्त्रोत से प्राप्त किया जाता है। बोने से पूर्व बीज थैलों पर लगे लेबिल आदि से बीज की किस्म की शुद्धता की जांच कर लेनी चाहिये और लेबिल संभालकर रखना चाहिए। पृथक्करण दूरी:-गेहंू एक स्व-परागित फसल हैं अत: गेहंू की सभी जातियों को आपस में अच्छे बीज उत्पादन हेतु 3 मीटर पृथक्करण दूरी अन्य जातियों से रखना चाहिए, लेकिन अनावृत कंड रोग से बचाव के लिये न्यूनतम पृथक्करण दूरी 150 मीटर रखी जाती हैं। बीजोपचार:- 2.5-3 ग्राम थायरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। लूज स्मट की रोकथाम के लिए वीटावैक्स 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज उपचारित करना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण:- खरपतवार वे अवान्छित पौधे होते हैं जो कि वहंा उगते हैं जहंा इनकी आवश्यकता नहीं होती है। खरपतवार आर्थिक दृष्टि से हानिकारक होते हैं ज...

Simple Tips To Identify Good Quality Wheat For Cultivation

Tips for Wheat Identification: भारत की प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं (Wheat) का नाम टॉप पर आता है. भारत में घरेलू खपत से लेकर बेकरी उत्पादों में गेहूं का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. यही कारण है कि इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. गेहूं की बिजाई (Wheat farming) 20 अक्टूबर से ही शुरू हो जाती है. हर किसान चाहता है कि उसकी फसलों से बेहतर उत्पादन (Wheat Production) मिल और बेहतर उत्पादन के लिये जरूरी है अच्छी क्वालिटी के बीजों (Quality Check of Wheat Seeds) से बुवाई करना. वैसे तो बाजार में कई देसी और हाइब्रिड किस्में (Wheat Hybrid Varieties) मिल जाती है, लेकिन अकसर कुछ बीज भंडार और दुकानदार किसानों को नकली यानी घटिया गेहूं का बीज पकड़ा देते हैं. जागरुकता की कमी के कारण किसान भी बिना परीक्षण किये उन्हीं बीजों को खरीदकर खेती करते हैं, लेकिन बुवाई के कुछ दिन बाद ही नकली बीजों का सच सामने आ जाता है और किसानों को भारी नुकसान भुगतना पड़ता है. अच्छा गेहूं-बुरा गेहूं सही मायनों में अच्छा बीज वही है, जिसकी अंकुरण क्षमता अधिक हो, कीट-रोगों का प्रकोप ना हो, साथ ही खरपतवार और जोखिमों से भी फसल पर बुरा असर ना पड़े. वहीं अगर बीज की क्वालिटी खराब होगी तो ना बीजों का जमाव होगा और ना ही अंकुरण ठीक से हो पायेगा. इससे पौधे भी कम संख्या में बनेंगे, साथ ही फसल को खाद-उर्वरकों की ज्यादा जरूरत पडेगी. इसके अलावा, खेत में बीज डालने के बाद खरपतवारों के साथ-साथ कीट-रोगों का भी प्रकोप रहेगा. इससे किसानों की पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है. क्या है अच्छे बीज की पहचान कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अच्छी किस्म की गेहूं के बीजों की पहचान करना बेहद आसान है. इसके लिये बीज खरीदने से पहले प्रमाणित बीज भं...