Girija kumar mathur kis kaal ke kavi hain

  1. अमीर खुसरो किस काल के कवि थे
  2. Girija Kumar Mathur. काव्यालय
  3. गिरिजा कुमार माथुर हिन्दी कविता
  4. क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता
  5. गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय, शिक्षा दीक्षा, रचनाएं, कवि परिचय, पुरस्कार, मृत्यु
  6. मीरा बाई
  7. गिरिजाकुमार माथुर


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अमीर खुसरो किस काल के कवि थे

अमीर खुसरो का पूरा नाम अबुल हसन यमीनुद्दीन था। अमीर खुसरो दहलवी का जन्म में उत्तर-प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक ग्राम में गंगा किनारे हुआ था। गाँव पटियाली उन दिनों मोमिनपुर या मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था। अमीर खुसरो दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख लेखक, गायक और संगीतकार थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था। इतिहास लेखन के अलावा अमीर खुसरो ने गायन की अनेक रागों – सनम, धोरा, तोङी, मियां की मल्हार का निर्माण किया तथा तबला, सारंगी जैसे वाद्य यंत्रों का भी निर्माण किया है। अमीर खुसरो ने 7 सुल्तानों का शासन(बलबन, मुहम्मद, कैकुबद, जलालुद्दीन खिलजी,अलाउद्दीन खिलजी,मुबारक शाह खिलजी, ग्यासुद्दीन तुगलक ) देखा था I अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I अमीर खुसरो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा I उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है I सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की है जिनका इतिहास को जानने में महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा है। ये मध्य एशिया के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र थे। खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी। खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्याश्रय में ही बिताया। राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि, कलाकार, संगीतज्ञ और सैनिक ही बने रहे। साहित्य के अतिरिक्त संगीत के क्षेत्र में भी खुसरो का महत्वपूर्ण योगदान है I भारतीय गायन में क़व्वालीऔर सितार को इन्हीं की देन माना जाता है

Girija Kumar Mathur. काव्यालय

Poet, playwright and a critic, Girija Kumar Mathur (22 August 1919 - 10 January 1994) started his writing career with Brajbhasha. Then he moved to Hindi and has many anthology of poems to his credit like- 'Nash aur Nirmaan', 'Manjeer', 'Dhoop ke Dhaan', 'Shilapankh Chamkeele', 'Jo Bandh Na Saka', 'Saakshee Rahe Vartamaan', 'Bheetar Nadi Ki Yatra', 'Main Vaqt ke Saamne Hoon', 'Chhaya Mat Chhoona Mann' etc. He was one of the poets included in 'Taar Saptak' edited by Agyeya. He was felicitated with Sahitya Akademi Puraskaar, Vyaas Sammaan and Shalaka Sammaan. (Information Credit - Kavita Kosh http://kavitakosh.org)

गिरिजा कुमार माथुर हिन्दी कविता

गिरिजा कुमार माथुर गिरिजाकुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) का जन्म ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ। वे कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता देवीचरण माथुर अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी लिखा करते थे। माता लक्ष्मीदेवी भी शिक्षित थीं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। १९४१ में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन १९४० में उनका विवाह कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ।वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए। उनके द्वारा रचित तार सप्तक, मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह तथा खंड काव्य पृथ्वीकल्प प्रकाशित हुए हैं। उनका लिखा गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।१९९१ में "मै वक्त के सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा व्यास सम्मान प्रदान किया गया।

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता

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गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय, शिक्षा दीक्षा, रचनाएं, कवि परिचय, पुरस्कार, मृत्यु

गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय गिरिजा कुमार माथुर का जन्म सन 1919 को ग्वालियर शहर के अशोकनगर मध्य प्रदेश में हुआ। आपके पिता का नाम देवी चरण माथुर था। तथा आप की माता का नाम लक्ष्मी देवी था। आपके पिता एक अध्यापक थे। और आपके पिता संगीत व साहित्य के बहुत ही बड़े प्रेमी थे। गिरिजाकुमार माथुर की पत्नी का नाम शकुंत माथुर था आपका विवाह 1940 को दिल्ली में हुआ था। आप की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय जन्म तिथि 1919 जन्म स्थान ग्वालियर शहर के अशोकनगर मध्य प्रदेश पिता का नाम देवी चरण माथुर माता का नाम लक्ष्मी देवी पत्नी का नाम शकुंत माथुर रचनाएं मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले पुरस्कार साहित्य अकादमी’, ‘व्यास सम्मान’, ‘शलाका सम्मान’ निधन 10 जनवरी 1994 को शिक्षा दीक्षा माथुर जी के प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। तथा झांसी उत्तर प्रदेश शहर से आपने इण्टर तक शिक्षा ग्रहण की। गिरिजाकुमार माथुर उच्च शिक्षा के लिए सन् 1936 को ग्वालियर शहर चले आए। और वर्ष 1938 में उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर से बीएससी की। तथा उसके बाद लखनऊ चले गए और सन 1941 में लखनऊ विश्वविद्यालय से आपने अंग्रेजी में एम ए की उपाधि प्राप्त की तथा एलएलबी की परीक्षा भी पास की। कार्यरत क्षेत्र गिरिजा कुमार माथुर जी ने कानून की उपाधि प्राप्त करने के बाद दिल्ली की रहने वाली शकुंत माथुर से सन 1940 को दिल्ली में ही विवाह कर लिया था। शकुंत माथुर अज्ञेय द्वारा प्रस्तुत ‘दूसरा सप्तक’ की पहली कवित्री रही। कानून की पढ़ाई के बाद माथुर जी ने प्रारंभ में एक वकील के तौर पर कार्य प्रारंभ किया था। बाद में आप ऑल इंडिया रेडियो में कार्यरत हुए। आपने आकाशवाणी से कार्य प्रारंभ किया बाद में आ...

मीरा बाई

मीरा बाई (Meera Bai) का जन्म संवत् 1498 राजस्थान के मेरटा शहर नज़दीक गाँव कुड़की में हुआ। मीरा बचपन में अपने पिता जी ( रतनसिंह) की कृष्ण भक्ति से बहुत प्रभावित हुईं उनकी माता का नाम वीर कुमारी था । मीरा एक संत कवि और गायक थीं। कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानती थीं इसलिए वह शादी से ख़ुश नहीं थीं। भोज राज 1527में लड़ाई में मारे गए।पति के मृत्युके बाद इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। उनके गुरू संत रविदास जी थे। मीराबाई की रचनायें : पदावली - मीरा बाई की रचनाएँ | Padavali - Meera Bai Ki Rachnaye पदावली (भाग 1) - मीरा बाई | Padavali (Part 1) - Meera Bai पदावली (भाग 2) - मीरा बाई | Padavali (Part 2) - Meera Bai पदावली (भाग 3) - मीरा बाई | Padavali (Part 3) - Meera Bai पदावली (भाग 4) - मीरा बाई | Padavali (Part 4) - Meera Bai पदावली (भाग 5) - मीरा बाई | Padavali (Part 5) - Meera Bai पदावली (भाग 6) - मीरा बाई | Padavali (Part 6) - Meera Bai पदावली (भाग 7) - मीरा बाई | Padavali (Part 7) - Meera Bai पदावली (भाग 8) - मीरा बाई | Padavali (Part 8) - Meera Bai पदावली (भाग 9) - मीरा बाई | Padavali (Part 9) - Meera Bai पदावली (भाग 1) - मीरा बाई | Padavali (Part 1) - Meera bai अखयाँ तरसा दरसण प्यासी - मीरा बाई अच्छे मीठे फल चाख चाख - मीरा बाई अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों - मीरा बाई अपणे करम को वै छै दोस - मीरा बाई अपनी गरज हो मिटी सावरे - मीरा बाई अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे - मीरा बाई अब तो निभायाँ सरेगी - मीरा बाई अब तो मेरा राम नाम दूसरा न कोई - मीरा बाई अब तौ हरी नाम लौ लागी - मीरा बाई अब मीरां मान लीजी म्हांरी - मीरा बाई अब मैं सरण तिहारी जी, मोहि राखौ कृपा निधान - मीरा बाई अरज करे छे मीरा रोक...

गिरिजाकुमार माथुर

पूरा नाम गिरिजाकुमार माथुर जन्म जन्म भूमि मृत्यु मृत्यु स्थान अभिभावक श्री देवीचरण माथुर और श्रीमती लक्ष्मीदेवी पति/पत्नी शकुन्त माथुर कर्म भूमि मुख्य रचनाएँ 'नाश और निर्माण', 'मंजीर', 'शिलापंख चमकीले', 'जो बंध नहीं सका', 'साक्षी रहे वर्तमान', 'मैं वक्त के हूँ सामने' आदि। भाषा विद्यालय शिक्षा एम.ए. पुरस्कार-उपाधि नागरिकता भारतीय संबंधित लेख अन्य जानकारी भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा इन्होंने अद्यतन‎