ग्लोबल वार्मिंग pdf in hindi

  1. New energy will reduce global warming
  2. ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण
  3. :: Drishti IAS Coaching in Delhi, Online IAS Test Series & Study Material
  4. Global Warming Impact On Cyclone Biparjoy Is The Duration Of Earlier Storms Going To Break Abpp
  5. ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध
  6. ग्लोबल वार्मिंग(Global Warming in Hindi)
  7. ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध


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New energy will reduce global warming

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि यदि 2030 तक हर साल 1.5 टेरावाट सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाए तो इससे सदी के आखिर तक तापमान बढ़ोतरी को डेढ़ डिग्री तक सीमित रखने में मदद मिल सकती है। यह तभी संभव होगा जब सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन की मौजूदा दर में पांच गुना ज्यादा तेजी से इजाफा हो। ‘क्लाइमेट एनालिटिक्स की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह अध्ययन उन प्रमुख लक्ष्यों को स्पष्ट करता है, जिन्हें 2030 तक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए दुनिया को हासिल करने की जरूरत है। इस अध्ययन के नीति प्रमुख क्लेयर फायसन ने कहा कि यूरोपीय संघ से लेकर सीओपी अध्यक्ष तक हर कोई दुनिया भर में अक्षय या नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े लक्ष्य स्थापित करने का आह्वान कर रहा, लेकिन यह सबसे सुरक्षित मार्ग पर आधारित होना चाहिए। अगर दुनिया 2030 तक जीवाश्म उपयोग में 40 फीसदी की कटौती के साथ नई सौर और पवन ऊर्जा को पांच गुना बढ़ाकर कम से कम 1.5 टेरावाट प्रति वर्ष कर देगी तो हमें भविष्य में कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की ऐसी संभावित मात्रा पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जो टिकाऊ नहीं हो। अध्ययन से जुड़े एनर्जी एंड क्लाइमेट एनालिस्ट डॉ. नील ग्रांट कहते हैं कि हमारा तरीका प्रौद्योगिकियों और लागत में सबसे नवीनतम जानकारी पर आधारित है। सौर और पवन ऊर्जा में तेजी से बढ़ोतरी संभव है और ये जीवाश्म ईंधन की कीमत से कम हो सकते हैं। इस विश्लेषण से पता चलता है कि वे इस दशक में अत्यधिक जरूरतों के एक बड़े हिस्से को पूरा कर सकते हैं। इन लक्ष्यों को करना होगा हासिल - इस दशक में नवीकरणीय ऊर्जा को तेजी से दुनिया भर में 70 फीसदी तक बढ़ाया जाए - उत्सर्जन को 2030 तक आधा करने के लिए ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में हर साल ...

ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण

ग्लोबल वार्मिंग पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on Global Warming in Hindi) भाषण 1 मेरे आदरणीय अध्यापक और अध्यापिकाएं और मेरे प्यारे साथियों, सुबह की नमस्ते। मैं इस अवसर पर ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व में निरंतर बढ़ता हुआ पर्यावरणीय विषय है। इसके लिए कोई एक देश जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इस समस्या को बढ़ाने के लिए पूरे विश्व के देश जिम्मेदार हैं। असल में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से और हमारी कुछ दैनिक गतिविधियों के कारण, पृथ्वी के तापमान में एक वैश्विक वृद्धि हुई है। हमारी बहुत सी गतिविधियाँ पृथ्वी को गरम करती हैं जो अंततः इसके तापमान में वृद्धि करती है। तापमान में अधिकता तब होती है जब ग्रीन हाउस गैसें (जैसे; कार्बन डाई ऑक्साइड, जल वाष्पीकरण, न्यूट्रीयस ऑक्साइड, मीथेन आदि) हमारे चारो ओर के प्रकाश और सूर्य की ऊष्मा के जाल को ग्रहण करती है। अंततः तापमान में वृद्धि इंसानों, पशुओं और पेड़-पौधों के जीवन को नुकसान पहुँचाती है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के बहुत से कारण है हालांकि, कुछ प्रारम्भिक और मुख्य कारकों में ग्रीन हाउस प्रभाव को माना जाता है। ग्रीन हाउस प्रभाव, ग्रीन हाउस गैसों, कार्बन डाई ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, मीथेन, नाईट्रस ऑक्साइड आदि गैसों के द्वारा उत्पन्न होता है। इस तरह की ग्रीन हाउस गैसें हमारी प्रतिदिन की गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती हैं और वातावरण में ये पृथ्वी के आवरण के रुप में उपस्थित हो जाती है जो फिर से सूर्य की गर्म किरणों को सोखती हैं और इस पृथ्वी को जलती हुई धरती बना देती हैं। अवशोषित ऊष्मा जीवमंडल के निचले घेरे में रहती है और तापमान के स्तर में वृद्धि करती है। आंकड़ों के अनुसार, ये अनुमान लगाया ...

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ग्लोबल वार्मिंग पर IPCC की रिपोर्ट संदर्भ हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल(IPCC)द्वारा एकविशेष रिपोर्टजारी की गई है। गौरतलब है कि इसे विशेष रूप सेग्लोबल वार्मिंग पर पेरिस समझौतेमें तय किये गए 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान कीवैज्ञानिक व्यवहार्यताका पता लगाने के लिये अधिकृत किया गया था। जारी की गईIPCCकी आकलन रिपोर्ट ने धरती के भविष्य की खतरनाक तस्वीर का अनुमान लगाया है। महत्त्वपूर्ण बिंदु • IPCCकी इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्सर्जन को कम करके 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पूरी तरह से प्राप्त करना असंभव हो गया है। • इस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्सर्जन की वर्तमान दर यदि बरकरार रही तो ग्लोबल वार्मिंग 2030 से 2052 के बीच 1.5 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाएगा। पूर्व-औद्योगिक युग के मुकाबले वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग 1.2 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा है। • 2015 में विभिन्न देशों ने तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के अंदर रखने की संभावनाओं का पता लगाने हेतु इस रिपोर्ट के लिये अनुरोध किया था। यह कई छोटे और गरीब देशों, विशेष रूप से छोटे द्वीप पर स्थित देशों द्वारा की गई प्रमुख मांग थी। ऐसे देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से ज़्यादा पीड़ित होते हैं। • इस रिपोर्ट के प्रमुख संदेशों में से एक यह है कि ग्लोबल वार्मिंग के मात्र 1 डिग्री सेल्सियस तापमान के कारण हम पहले से ही मौसम में उतार-चढ़ाव, समुद्र का बढ़ता जल-स्तर और आर्कटिक बर्फ के गायब होने जैसे दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हैं। पृष्ठभूमि • फिलहाल, दुनिया 2015 के पेरिस समझौते के घोषित उद्देश्य के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग में 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक वृद्धि को रोकने के लिये प्रयास कर रही है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये, 2010 के ...

Global Warming Impact On Cyclone Biparjoy Is The Duration Of Earlier Storms Going To Break Abpp

इस साल अरब सागर में बनने वाला पहला तूफान 'बिपरजॉय' तेजी से गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया है. बिपरजॉय गुजरात के पास दक्षिण पूर्व अरब सागर में पहुंचने वाला है. तूफान की वजह से 15 जून को आंधी-तूफान का अंदेशा है. 15 जून को तूफान दोपहर तक जखाऊ बंदरगाह (गुजरात), मांडवी (गुजरात) और कराची (पाकिस्तान) के बीच से होकर गुजरेगा. 16 जून को राजस्थान पहुंचने की आशंका है. आईएमडी के अनुसार हवा की अधिकतम गति 125-135 किमी प्रति घंटे से 150 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक मंगलवार को तूफान कुछ कमजोर हुआ है, लेकिन यह अब भी खतरनाक बना हुआ है. ये तूफान 15 जून की दोपहर को कच्छ जिले के जखौ पोर्ट से टकराने वाला है. मौसम विभाग के मुताबिक इस तूफान के टकराने से 150 किमी/घंटे तक की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान है. गुजरात और मुंबई के तटीय इलाकों में तूफान की वजह से आंधी-बारिश जारी है. गुजरात और महाराष्ट्र से अब तक 7 लोगों की मौत की खबर है. बता दें कि 11 जून 2023 तक तूफान बिपरजॉय को गंभीर चक्रवाती तूफान माना जा रहा था. उसके बाद ये अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया है. अत्यंत गंभीर चक्रवात तब बनते हैं जब हवा की गति 168-221 किलोमीटर प्रति घंटे (किमी प्रति घंटे) हो जाती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक 12 जून को सुबह 11.30 बजे तक हवा की गति 165-175 से 190 किमी प्रति घंटे तक थी. 10 जून को दोपहर 2.30 बजे आईएमडी ने चेतावनी दी कि चक्रवात एक अत्यंत गंभीर चक्रवात में बदल जाएगा. भविष्यवाणी सटीक थी. चक्रवात 11 जून को सुबह 5.30 बजे एक अत्यंत गंभीर चक्रवात में तब्दील हो गया, और अभी तक खतरनाक बना हुआ है. गुजरात के कई इलाकों में बिपरजॉय का असर, अरावली जिले में भारी बारिश गुज...

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के सतही तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे धरातल की जलवायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पृथ्वी के वातावरण पर ग्लोबल वार्मिंग ने बुरा असर डाला है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है जिससे पृथ्वी पर जीवन खतरे में पड़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग, जिसकी उत्पत्ति कार्बन और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है, ने पृथ्वी पर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव डाला है जिसमें समुद्र-तल के स्तर में बढ़ोतरी होना, वायु प्रदूषण में वृद्धि तथा अलग-अलग क्षेत्रों के मौसम में भयंकर बदलाव की स्थिति का पैदा होना शामिल है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Consequences of Global Warming in Hindi, Global Warming ke Parinam par Nibandh Hindi mein) निबंध 1 (300 शब्द) न्यू जर्सी के साइंटिस्ट वैली ब्रोएक्केर ने सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग को परिभाषित किया था जिसका अर्थ था ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन) के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी होना। ये गैसें वाहनों, कारखानों और अन्य कई स्रोतों से उत्सर्जित होतीं हैं। ये खतरनाक गैसें गर्मी को गायब करने की बजाए पृथ्वी के वातावरण में मिल जाती है जिससे तापमान में वृद्धि होती है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जलवायु गर्म हो रही है और यह पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों से जुड़े हुए कुछ बिन्दुओं पर विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:- वायु पर प्रभाव पृथ्वी के सतही तापमान में वृद्धि के कारण वायु प्रदूषण में भी इज़ाफा हो रहा है। इसका कारण यह है कि तापमान में वृद्धि से पृथ्वी के वायुमंडल म...

ग्लोबल वार्मिंग(Global Warming in Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग( Global Warming in hindi) या भूमंडलीय ताप एक पूर्ण रूप से मानव जनित समस्या हैं. आश्चर्य की बात हैं, मानव ने बिना प्रकृति के बारे में सोचे अंधाधुंध विकास करते हुए, इस स्वर्ग रूपी पृथ्वी को रहने लायक नहीं छोड़ा. ग्लोबल वार्मिंग के बारे में वैज्ञानिको को 1840 में सबसे पहली बार पता चला था. हालाँकि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को लेकर बहुत सी रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया गया हैं, लेकिन उन आंकड़ों में भिन्नता हैं. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं हैं की यह एक समस्या नहीं हैं. 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 1850-1900 और 1981 के तापमान की तुलना करने पर 2011 से 2020 का दशक सबसे गर्म रहा, और तापमान का अंतर 1.2 डीग्री सेल्सियस बढ़ गया हैं. इसी कारण महासागरों का जल स्तर बढ़ रहा हैं, ग्लेशियरों का द्रव्यमान कम हो रहा हैं और पिघल कर तेजी से नदियों में तब्दील हो रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग से सम्बन्धित( about global warming) इस पोस्ट में मैं आपको ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा( defination) और अर्थ( global warming meaning in hindi), ग्लोबल वार्मिंग के कारण( cause of global warming) और इसके प्रभाव सभी विषयों की चर्चा करेंगे, शुरुआत करते हैं, ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा के साथ. Jump On Query -: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • ग्लोबल वार्मिंग क्या हैं (what is global warming in Hindi) जिस तरह से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं, और वातावरण में हानिकारक घटकों की बढ़ोतरी हो रही हैं उसके अनुरूप ग्रीन हाउस गैसे बढ़ रही हैं. ग्रीह हाउस के बढ़ने से पृथ्वी के सम्पूर्ण तापमान में वृद्दि हो रही हैं, पृथ्वी के बढ़ते तापमान को ही ग्लोबल वार्मिंग(भूमंडलीय ताप) कहते हैं. 1880 में तापमन के...

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध का प्रस्तावना: ग्लोबल वार्मिंग हमारे समय की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। जैसे-जैसे दुनिया भर में तापमान बढ़ रहा है, इसके प्रभाव हर दिन अधिक से अधिक दिखाई दे रहे हैं। बढ़ते समुद्र के स्तर से लेकर बढ़ते सूखे और तूफान तक, ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम इतने गंभीर हैं कि उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस निबंध में, हम ग्लोबल वार्मिंग के कारणों और प्रभावों का बेहतर ढंग से समझने के प्रयास करेंगे और पता लगाएंगे कि कैसे हम सभी मिलकर इसका मुकाबला कर सकते हैं। हम जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली मानवीय गतिविधियों से लेकर उन संभावित समाधानों तक हर चीज़ पर चर्चा करेंगे जो हमारे पर्यावरण में संतुलन बहाल करने में हमारी मदद कर सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग क्या है? ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल और महासागरों के तापमान में क्रमिक वृद्धि है, जो कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों के उत्सर्जन के कारण होती है जो वातावरण में गर्मी को रोक लेती है। यह मौसम के पैटर्न, समुद्र के स्तर और अन्य प्रभावों में परिवर्तन कर सकता है जो हमारी धरती माँ और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ग्लोबल वार्मिंग हमारे ग्रह को और अधिक नुकसान पहुंचाएगा। ग्लोबल वार्मिंग का कारण: ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: मानवीय गतिविधियाँ और प्राकृतिक घटनाएँ। मानवीय गतिविधियाँ: कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं। ये गैसें सूर्य की किरणों से गर्मी को वायुमंडल के अंदर रोक लेती हैं जिससे पृथ्वी का...