गणेश अथर्वशीर्ष पाठ संस्कृत में

  1. गणेश अथर्वशीर्ष का महत्व
  2. Ganapati Atharvashirsha in Hindi
  3. Ganpati Atharvashirsha in संस्कृत
  4. गणपति अथर्वशीर्ष की पाठ विधि एवं लाभ ganpati atharvashirsha Worship Recitation method and Benefits
  5. Ganesh Atharvashirsha In Hindi (2023) गणेश अथर्वशीर्ष पाठ संस्कृत में
  6. गणपति अथर्वशीर्ष


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गणेश अथर्वशीर्ष का महत्व

• वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥ • (श्री गणेश को नमस्कार) जिसकी सूंड घुमावदार है, जिसका शरीर बड़ा है और जिसका वैभव अनंत सूर्य के समान है;हे देव, मेरे सभी कार्यों में अपना आशीर्वाद देकर, कृपया मेरे उपक्रमों को बाधाओं से मुक्त करें। • त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि॥ • आप पूर्ण जागरूकता हैं। आप सर्वोच्च परम बुद्धी और ज्ञान से भरे हुए हैं। वेदों में गणपति का नाम ‘ब्रह्मणस्पति’, पुराणों में ‘श्री गणेश’ तथा उपनिषद ग्रंथों में साक्षात ‘ब्रह्म’ बतलाया है। अथर्वशीर्ष का सार है ‘ऊं गं गणपतये नम:’।सर्वतोभावेन सुखी भी। वह किसी प्रकार से विघ्नों से बाधित नहीं होता तथा महापातकों से मुक्त हो जाता है क्योंकि यह मन को शांत करने की एकमात्र विद्या है। गणपति अथर्वशीर्ष संस्कृत में रचित एक लघु उपनिषद है। इस उपनिषद में गणेश को परम ब्रह्म बताया गया है। गणेश जी, जिन्हें गणपति के नाम से भी जाना जाता है। गणेश जी ज्ञान, सफलता, शांति, समृद्धि, सत्य और पूरे विश्व और पूरे ब्रह्मांड के लिए एक शुभ देवता हैं। गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं और युद्ध के देवता कार्तिकेय (या सुब्रह्मण्य) के भाई हैं। श्री गणपति अथर्वशिखर एक प्राचीन वैदिक प्रार्थना है। यह प्रिय गणेश जी को समर्पित है। गणेश, अन्य हिंदू देवताओं की तरह, परम सत्य और वास्तविकता (ब्रह्मा), सच्चिदानंद, अपने आप में (आत्मा) और हर जीवित प्राणी में आत्मा के रूप में वर्णित हैं। श्री गणपति अथर्वशीर्षम् और हिंदी में अर्थ श्री गणेशाय नमः ।अर्थात:- हे! देवता महा गणपति को मेरा प्रणाम | • श्लोक 1 ॐ नमस्ते गणपतये ।त्वमेव प्रत्यक्षन् तत्त्वमसि ।त्वमेव केवलङ् कर्ताऽसि ।त्वमेव केवलन् धर्ताऽसि ...

Ganapati Atharvashirsha in Hindi

FILE ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।। त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्तासि।। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।। त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्। ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।। अव त्वं मां।। अव वक्तारं।। अव श्रोतारं। अवदातारं।। अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।। अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।। अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।। अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।। सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।3।। त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय। त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।। त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि। त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।4। FILE सर्व जगदि‍दं त्वत्तो जायते। सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति। सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।। सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।। त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।। त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।5।। त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:। त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:। त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं। त्वं शक्ति त्रयात्मक:।। त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्। त्वं शक्तित्रयात्मक:।। त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं। त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं। वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।6।। FILE गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।। अनुस्वार: परतर:।। अर्धेन्दुलसितं।। तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।। गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं। अनुस्वारश्चान्त्य रूपं।। बिन्दुरूत्तर रूपं।। नाद: संधानं।। संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या।। गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:।। ग‍णपति देवता।। ॐ गं गणपतये नम:।।7।। एकदंताय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नोदंती प्रचोद्यात।। एकदंत चतुर्हस्तं पारामंकुशधारिणम्।। रदं च ...

Ganpati Atharvashirsha in संस्कृत

श्री गणपति अथर्वशीर्ष (Ganpati Atharvashirsha) संस्कृत में अर्थ के साथ श्री गणेशाय नमः। गणपति अथर्वशीर्ष श्लोक 1 ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षम तत्त्वमसि । त्वमेव केवलङ् कर्ताऽसि। त्वमेव केवलम धर्ताऽसि । त्वमेव केवलम् हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वङ् खल्विदम् ब्रह्मासि । त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम् ।। अर्थात:- हे ! गणेशा तुम्हे प्रणाम, तुम ही सजीव प्रत्यक्ष रूप हो, तुम ही कर्म और कर्ता भी तुम ही हो, तुम ही धारण करने वाले, और तुम ही हरण करने वाले संहारी हो | तुम में ही समस्त ब्रह्माण व्याप्त हैं तुम्ही एक पवित्र साक्षी हो | गणपति अथर्वशीर्ष श्लोक 2 ऋतं वच्मि । सत्यं वच्मि ।। अर्थात :- ज्ञान कहता हूँ सच्चाई कहता हूँ | गणपति अथर्वशीर्ष श्लोक 3 अव त्वम् माम् । अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारम् । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् । अव पश्चात्तात् । अव पुरस्तात् । अवोत्तरात्तात् । अव दक्षिणात्तात् । अव चोध्र्वात्तात् । अवाधरात्तात् । सर्वतो माम् पाहि पाहि समन्तात् ।। अर्थात :- तुम मेरे हो मेरी रक्षा करों, मेरी वाणी की रक्षा करो| मुझे सुनने वालो की रक्षा करों | मुझे देने वाले की रक्षा करों मुझे धारण करने वाले की रक्षा करों | वेदों उपनिषदों एवम उसके वाचक की रक्षा करों साथ उससे ज्ञान लेने वाले शिष्यों की रक्षा करों | चारो दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, एवम दक्षिण से सम्पूर्ण रक्षा करों | गणपति अथर्वशीर्ष श्लोक 4 त्वं वाङ्मयस्त्वञ् चिन्मयः । त्वम् आनन्दमयस्त्वम् ब्रह्ममयः । त्वं सच्चिदानन्दाद्वितीयोऽसि । त्वम् प्रत्यक्षम् ब्रह्मासि । त्वम् ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ।। अर्थात:- तुम वाम हो, तुम ही चिन्मय हो, तुम ही आनन्द ब्रह्म ज्ञानी हो, तुम ही सच्चिदानंद, अद्वितीय रूप हो , प्रत्यक्ष कर्त...

गणपति अथर्वशीर्ष की पाठ विधि एवं लाभ ganpati atharvashirsha Worship Recitation method and Benefits

गणपति अथर्वशीर्ष ( G anpati atharvashirsha) विघ्नहर्ता भगवान गणेश के गणपति अथर्वशीर्ष (ganpati atharvashirsha) को सभी अथर्वशीर्ष का शिरोमणि माना जाता है, इसका वर्णन अथर्ववेद में मिलता है इस अथर्वशीर्ष का वर्ण विन्यास बहुत ही अद्भुत तरीके का है इसके लयबद्ध पाठ से मन प्रफुल्लित हो जाता है भगवान गणपति को यह अथर्वशीर्ष सर्वाधिक प्रिय है | किसी भी बुधवार,चतुर्थी तिथि या शुभ मुहुर्त से गणपति अथर्वशीर्ष (ganpati atharvashirsha) का पाठ प्रारम्भ करना चाहिए, गणेश चतुर्थी के पावन दिन पर इस गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ का सर्वाधिक महत्व है, गणपति महोत्सव के दिनों में इसके पाठ से भगवान श्री गणेश शीघ्र ही प्रसन्न होते है | अनुष्ठान के रूप में इस गणपति अथर्वशीर्ष (ganpati atharvashirsha) का पाठ करने से विशेष प्रतिफल की प्राप्ति होती है, अनुष्ठान के रूप अपने सामर्थ्य के अनुसार इसका १०८ या १००८ पाठ को निर्धारित दिनों में(७,९,११,२१,३१ या ५१ दिनों में )पूर्ण करने का संकल्प लेना चाहिए और जिस भी प्रायोजन हेतु इसका पाठ करना हो उसका उल्लेख संकल्प में स्पष्ट रूप से करना चाहिए | गणपति अथर्वशीर्ष से लाभ ( Benefits of G anpati atharvashirsha) गणपति अथर्वशीर्ष (ganpati atharvashirsha) के पाठ को करने से हमें ये सभी लाभ मिलते हैं – • इसके पाठ से जीवन में सर्वांंगीण उन्नति की प्राप्ति होती है • इसके पाठ से सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का निर्मूलन हो जाता है • व्यापार या नौकरी में उन्नति होने लगती है • आर्थिक समस्या में इसके पाठ से धीरे धीरे परन्तु स्थिर उतरोत्तर आर्थिक समृद्धि मिलने लगती है • विद्यार्थियों की शिक्षा के क्षेत्र में रुकावट दूर होती है • विचारों से नकारात्मकता समाप्त होती है और विचार शुद्ध व पवित...

Ganesh Atharvashirsha In Hindi (2023) गणेश अथर्वशीर्ष पाठ संस्कृत में

Ganesh Atharvashirsha In Hindi– प्राचीन काल में, “गणेश अथर्वशीर्ष” नामक एक ग्रंथ था जो वैदिक ऋषियों द्वारा लिखा गया था। यह हिंदू भगवान गणेश के बारे में एक उत्कृष्ट पाठ है। यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। आपके व्यवसाय में गणेश अथर्वशीर्ष का उपयोग करने के कई लाभ हैं। पहला लाभ यह है कि आप भजन का उपयोग अपने व्यवसाय या उत्पाद विवरण के लिए कर सकते हैं। आप इसका उपयोग ब्रांडिंग और मार्केटिंग उद्देश्यों के लिए भी कर सकते हैं क्योंकि इसका उपयोग कई कंपनियों ने अपने मार्केटिंग अभियानों में किया है। Ganesh Atharvashirsha In Hindi अपने उत्पाद विवरण के रूप में गणेश अथर्वशीर्ष का उपयोग करने का दूसरा लाभ यह है कि आप इस भजन के साथ अपने ग्राहकों के लिए अपनी वेबसाइट या सोशल मीडिया प्रोफाइल पर लिंक जोड़ने की तुलना में अधिक मूल्य जोड़ सकते हैं। यह आपको अपने ग्राहकों के साथ विश्वास बनाने में मदद करेगा और साथ ही उनके दोस्तों और परिवार के सदस्यों से मौखिक रेफ़रल के माध्यम से उनसे अधिक बिक्री प्राप्त करेगा जो आपके द्वारा बेचे जा रहे उत्पाद या सेवा के बारे में जानते हैं। गणेश सभी के स्वामी हैं, जिन्हें नारायण के नाम से भी जाना जाता है। वह हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता हैं और उनकी कई तरह से पूजा की जाती है। उसके पास कई गुण हैं जो उसे परिभाषित करते हैं, जैसे: लेख भारत और विदेशों में उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में चर्चा करेगा। गणेश एक हिंदू देवता हैं, और वे फाल्गुन महीने के अधिष्ठाता देवता हैं। उन्हें सृजन सहित अच्छी और शुभ सभी चीजों के पीठासीन देवता के रूप में भी पूजा जाता है। हम गणेश अथर्वशीर्ष का जाप क्यों करते हैं? भजन एक उत्कृष्ट पाठ है जो 7वीं शताब्दी में लिखा ...

गणपति अथर्वशीर्ष

गणपति अथर्वशीर्ष | Ganpati Atharvashirsha :–गणेश अथर्वशीर्ष भगवान गणेश को समर्पित एक स्तोत्र है, जिन्हें हिंदू देवताओं में प्रमुख देवता माना जाता है। स्तोत्र बताता है कि कैसे भगवान गणेश सबसे प्रमुख ब्राह्मण, सर्वोच्च इकाई और सभी जीवित और निर्जीव चीजों का सार एक साथ हैं। इस स्तोत्र का उपयोग करके, कोई हाथी भगवान से अपनी हार्दिक प्रार्थना कर सकता है। गणपति अथर्वशीर्ष | Ganpati Atharvashirsha ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि त्वमेव केवलं कर्ताऽसि त्वमेव केवलं धर्ताऽसि त्वमेव केवलं हर्ताऽसि त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्माऽसि त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम।।1।। ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि 2 अव त्व मां। अव वक्तारं। अव श्रोतारं। अव दातारं। अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्‍चातात्। अव पुरस्तात्। अवोत्तरात्तात्। अव दक्षिणात्तातत्। अवचोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात्।। सर्वतो मॉं पाहि-पाहि समंतात।।3।। त्वं वाङ्‌मयस्त्वं चिन्मय:। त्वमानंदमसयस्त्वं ब्रह्ममय:। त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि। त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्माऽसि। त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।4।। सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते। सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति। सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति। सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति। त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ:। त्वं चत्वारि वाक्पदानि।5।। अवश्य पढ़ें :- 👉 👉 👉 यह गणेश गणेश जी का पाठ हर प्रकार की सिद्धियां देने वाला 👈👈👈 त्वं गुणत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:। त्वं देहत्रयातीत:। त्वं कालत्रयातीत:। त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यं। त्वं शक्तित्रयात्मक:। त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं। त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं त्वं रुद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव:स्वरोम।।6।। गणा...