गणेश संकटनाशन स्तोत्र

  1. संकटनाशन गणेश स्तोत्र
  2. Sankat Nashan Ganesh Stotram
  3. श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र
  4. संकटनाशन गणेश स्तोत्रं
  5. Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram
  6. budhwar ke upay chant Sankat Nashan Ganesh Stotra and ganesh mantra on wednesday to please lord ganesha
  7. Sanktnashan Ganesh Stotra


Download: गणेश संकटनाशन स्तोत्र
Size: 62.49 MB

संकटनाशन गणेश स्तोत्र

संकटनाशन गणेश स्तोत्र- श्री नारद पुराण में नारद जी, श्री गणेश जी के अर्थ स्वरुप का प्रतिपादन करते हैं। नारद जी कहते हैं कि सभी भक्त पार्वती नन्दन श्री गणेशजी को सिर झुकाकर प्रणाम करें और फिर अपनी आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये इनका नित्यप्रति स्मरण करना चाहिए। श्री गणपति जी के सर्वप्रथम वक्रतुण्ड, एकदन्त, कृष्ण पिंगाक्ष, गजवक्र, लम्बोदर, विकट, विघ्नराजेन्द्र, धूम्रवर्ण, भालचन्द्र, विनायक, गणपति तथा बारहवें स्वरुप नाम गजानन का स्मरण करना चाहिए। क्योंकि इन बारह नामों का जो मनुष्य प्रातः, मध्यान्ह और सांयकाल में पाठ करता है उसे किसी प्रकार के विध्न का भय नहीं रहता, श्री गणपति जी के इस प्रकार का स्मरण सब सिद्धियाँ प्रदान करने वाला होता है। मनचाहे धन की प्राप्ति हेतु श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे ‘संकटनाशन गणेश स्तोत्र’ जिसे की संकटविनाशन श्रीगणपति स्तोत्र भी कहा जाता है, का 11 पाठ करें। संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं नारद उवाच प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।। १ ।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिङ्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।। २ ।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।३ ।। नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४ ।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: । न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।५ ।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।६ ।। जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।७ ।। अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिख...

Sankat Nashan Ganesh Stotram

Shri Sankat Nashan Ganesh Stotram In Hindi: नारद पुराण से उद्धृत श्रीगजानंद महाराज का लोकप्रिय संकटनाशन स्तोत्र मुनि श्रेष्ठ श्री नारद जी ने कहा है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। इसलिए इस स्तोत्र को श्री संकटनाशन स्तोत्र या सङ्कटनाशन गणपति स्तोत्र कहते हैं। सभी देवताओं में गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है। इनकी उपासना से समस्त विघ्न दूर हो जाते हैं, इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता व विघ्नविनाशक भी कहते है। भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को बुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। जहां भगवान गणेश का वास होता है वहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का भी वास होता है। इनकी कृपा से घर में शुभता और समृद्धि बनी रहती है। हर देवता की तरह गणेश जी की पूजा के लिए भी कई मंत्र और स्तोत्र हैं। इन्हीं में से एक है “संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ” यह स्तोत्र बहुत ही सिद्ध माना जाता है। इसे पढ़ने में केवल पांच मिनट का समय लगता है। संकट नाशन गणेश स्तोत्र के बारे में कहा जाता है कि इसका पाठ करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। तो आइये जानते है श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Shri Sankat Nashan Ganesha Stotra) – संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Ganesh Sankat Nashan Stotra) ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ नारद उवाच प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम । भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥ प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम । तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥ लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥ द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: । न च विघ...

श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र

श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र से मन चाही इच्छा होगी पूरी। • गणेश जी का नाम सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम लिया जाता है। इसलिए इन्हें गणपति, प्रथमपूज्य के नाम से पुकारा जाता है। गणेश जी शिवजी जी और पार्वती के पुत्र। और इनका मुख हाथी के समान होने के कारण गजानन आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है। • श्री संकट नाशन गणेश स्तोत्र मैं गणेश जी के 12 नामों का वर्णन है और इस पूरे स्तोत्र का जो भी पाठ करता है उसकी मनचाही इच्छा पूरी हो जाती है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह संकट नाश करने वाला स्तोत्र है। इस गणेश स्तोत्र को विघ्ननाशक गणेश स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है। • श्री संकट नाशन गणेश स्तोत्र में 8 संस्कृत श्लोक है जिन्हें हमने हिंदी अर्थ के साथ नीचे आपके सामने प्रस्तुत किया हैं।.. श्रीसंकटनाशनगणेशस्तोत्र प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये।1 हिंदी अर्थ := मैं सर झुका के प्रणाम करता हूं देवी गौरी के पुत्र विनायक ( गणेश ) को। जो भक्त इनका नित्य स्मरण करता रहता है उनकी आयु, कामना और अर्थ सिद्ध हो जाता है। ।।1।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्। 2 हिंदी अर्थ := पहला वक्रतुण्ड ( टेढे मुख वाले ) और एकदन्त ( एक दाँतवाले ) दुसरा। तीसरा कृष्ण पिङ्गाक्ष ( काली और भूरी आँख वाले ), गजवक्त्र ( हाथी के समान मुख वाले) चौथा।।2।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्। 3 हिंदी अर्थ := लम्बोदरं ( बड़े पेट वाले ) पाँचवा और छठा विकट (भयंकर, भयानक)। साँतवा विघ्नराजेन्द्र ( विध्नों पर शासन करने वाला राजाधिराज)तथा धूम्रवर्ण (धूसर वर्ण वाले) आठवां।।3।। नवमं ...

संकटनाशन गणेश स्तोत्रं

Sankat Nashan Ganesh Stotra with Meaning in Hindi संकटों का नाश करने वाला गणेशजी का स्तोत्र इच्छाओं की पूर्ति करनेवाला और भय दूर करनेवाला गणेशजी का यह संकटनाशन गणेश मन्त्र, बहुत प्रभावी माना जाता है। इस स्तोत्र में भगवान् गणपतिजी के बारह नाम आते है, जो इस प्रकार है – 1. वक्रतुण्ड 2. एकदन्त 3. कृष्णपिंगाक्ष 4. गजवक्त्र 5. लम्बोदर 6, विकट 7. विघ्नराजेन्द्र 8. धूम्रवर्णं 9. भालचन्द्र 10. विनायक 11. गणपति 12. गजानन गणपतिजी के बारह नाम जैसा की इस स्तोत्र के आखरी श्लोक में बताया गया है कि इस स्तोत्र के पाठ से भक्त को इच्छित फल प्राप्त होता है और पूर्ण सिद्धि तक प्राप्त हो सकती है। इस पोस्ट से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण बात संकटनाशन गणेश स्तोत्र के इस पोस्ट में पहले स्तोत्र के सभी श्लोक अर्थ सहित दिए गए है और बाद में पूरा स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है। ॐ गं गणपतये नमः संकटनाशन गणेश स्तोत्र – अर्थ सहित श्री गणेश जी का स्मरण करे और प्रणाम करें 1. नारद उवाच, प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्। भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थ सिद्धये॥१॥ नारद जी कहते हैं, पार्वतीनन्दन श्रीगणेश जी को, सिर झुकाकर प्रणाम करे। और फिर, अपनी आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये, उन भक्तनिवासका (श्रीगणेशजीका) नित्य स्मरण करें। श्रीगणेश जी को प्रणाम वक्रतुण्ड, एकदन्त, कृष्णपिंगाक्ष, गजवक्त्र 2. प्रथमं वक्रतुंण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम। तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम॥॥२॥ पहला वक्रतुण्ड, दूसरा एकदन्त, तीसरा कृष्णपिंगाक्ष, चौथा गजवक्त्र • कृष्णपिंगाक्ष अर्थात – काली और भूरी आंखोवाले • गजवक्त्रं अर्थात – हाथीके से मुखवाले ॐ गं गणपतये नमः लम्बोदर, विकट, विघ्नराजेन्द्र, धूम्रवर्णं 3. लम्बोदरं पंचमं च...

Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram

श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram Ke Fayde, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram Ke Labh, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram Benefits, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram Pdf, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram Mp3 Download, Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram Lyrics. 10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678 साधना Whatsapp ग्रुप्स तंत्र-मंत्र-यन्त्र Whatsapp ग्रुप्स ज्योतिष व राशिफ़ल Whatsapp ग्रुप्स Daily ज्योतिष टिप्स Whatsapp ग्रुप्स Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram || श्री संकटनाशन गणपति स्तोत्र || Ganesh Stotram Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram स्तोत्र का वर्णित नारद पुराण में देखने को मिल जायेगा ! श्री संकट नाशन गणेश स्तोत्र भगवान श्री गणेश जी का अत्यंत प्रभावशाली स्त्रोत है ! केवल Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram पढ़ने व् स्मरण मात्र से सभी संकटों का नाश हो जाता है ! जो भी जातक संकटनाशन गणेश स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करता है उसे सभी परेशानी से मुक्ति मिलती है ! और उस जातक की सारी चिन्ताएं समाप्त हो जाती है ! जो भी जातक संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् का नियम रूप से रोजाना पाठ करता है ! उस जातक की समस्त मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है ! उस जातक के सब काम किसी भी रुकावट के साथ पूर्ण होते है ! Shri Sankat Nashan Ganapati Stotram का जो भी जातक प्रतिदिन पाठ करता है उसके समस्त प्रकार के संकटो का नाश हो जाता है और श्री गणेश जी कि कृपा एवं सुख समृद्धि कि प्राप्ति होती है !! जय श्री सीताराम !! ज...

budhwar ke upay chant Sankat Nashan Ganesh Stotra and ganesh mantra on wednesday to please lord ganesha

budhwar ke upay chant Sankat Nashan Ganesh Stotra and ganesh mantra on wednesday to please lord ganesha | Budhwar Ke Upay: बुधवार को संकटनाशन गणेश स्तोत्र का करें पाठ, विघ्नहर्ता हर लेंगे सारे कष्ट | Hindi News, Religion UP Budhwar Ke Upay: बुधवार को संकटनाशन गणेश स्तोत्र का करें पाठ, विघ्नहर्ता हर लेंगे सारे कष्ट Budhwar Ke Upay: आज 14 जून दिन बुधवार है. हिंदू धर्म में बुधवार का दिन बेहद खास होता है. यह दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) और बुध देव को समर्पित माना जाता है. इस दिन गजानन की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि गणेश जी प्रसन्न हो जाएं, तो भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. उन्हें विशेष आशीर्वाद देते हैं. बुधवार को उनकी पूजा में संकटनाशन गणेश स्तोत्र पढ़ना चाहिए. इस स्तोत्र को श्री संकटनाशन स्तोत्र अथवा सङ्कटनाशन गणपति स्तोत्र भी कहा जाता है. इसके पाठ से विघ्नहर्ता अपने भक्त के जीवन के सारे विघ्न हर लेते हैं. संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Sankat Nashan Ganesh Stotra) ॥ श्री गणेशायनमः ॥ नारद उवाच - प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम । भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥ प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम । तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥ लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥ द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: । न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥ विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥ जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते ...

Sanktnashan Ganesh Stotra

FILE मनचाहे धन की प्राप्ति हेतु श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे 'संकटनाशन गणेश स्तोत्र' के 11 पाठ करें। प्रस्तुत है श्री गणेश का लोकप्रिय संकटनाशन स्तोत्र : प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम। भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।1।। प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम। तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।2।। लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।।3।। नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम। एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।4।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:। न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।5।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्। पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।6।। जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्। संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।7।। अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत। तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।8।। ।।इति संकटनाशनस्तोत्रं संपूर्णम्।।