गणगौर के अवसर पर गाए जाने वाले गीत की दो पंक्तियां लिखिए

  1. Social religious festival Gangaur
  2. गणगौर के गीत
  3. Rajasthan ke Lokgeet
  4. राजस्थान के लोक नृत्य PDF
  5. गणगौर के 10 सबसे खास गीत, जिनके बगैर अधूरा है गणगौर पर्व
  6. गणगौर पर कविता शायरी गीत दोहे Poem On Gangaur In Hindi
  7. देखें वे गीत जो गणगौर में दोपहर के समय गाए जाते है – RamakJhamak


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Social religious festival Gangaur

बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में आजीविका के लिए बरसों पहले आए राजस्थानी प्रवासी अपनी धार्मिक सांस्कृतिक विरासत को आज भी सहेजे हुए हैं। रंगों के त्योहार होली के बाद अब गणगौर पर्व आने वाला है। इसके तहत 25 मार्च से गणगौर उत्सव शुरू होगा। महानगर में गणगौर मण्डलियों में गीत गाए जाते हैं। अलग-अलग इलाकों की गणगौर का अलग-अलग इतिहास और महत्ता है। गणगौर मंडलियों के बारे में और गाए जाने वाले गीत (जो अब लोकगीत बन चुके हैं) और उनके रचयिता के बारे में जानकारी दे रहे हैं पी शीतल हर्ष ... धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत: आस्था-प्रेम और सामाजिक सौहाद्र्र का सबसे बड़ा उत्सव गणगौर 25 से बड़ाबाजार की 9 और आसपास के क्षेत्रों की 8 मंडलियों की ओर से आयोजित होता है गणगौर उत्सव कोलकाता. आस्था-प्रेम और पारिवारिक सौहाद्र्र का सबसे बड़ा उत्सव गणगौर राजस्थान का एक ऐसा प्रमुख त्योहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 18 दिनों तक चलने वाला त्योहार गणगौर इस वर्ष 27 मार्च को मनाया जाएगा। कोलकाता में मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर बड़ाबाजार में 9 गणगौर मंडलियां गणगौर उत्सव का 3 दिवसीय भव्य आयोजन करती हैं। बड़ाबाजार से अन्यत्र जाकर बसे प्रवासी राजस्थानियों ने भी अपने-अपने इलाकों में गणगौर उत्सव प्रारम्भ कर दिया है, जिसमें वीआईपी अंचल, विधान नगर, पूर्वांचल, हावड़ा उत्तर, हावड़ा दक्षिण, आशापुरण लिलुआ, हिन्दमोटर-1 एवं हिन्द मोटर-2 प्रमुख हैं। इसी दिन कुंवारी लड़कियां, विवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गणगौर के गीत गाती हैं।

गणगौर के गीत

गणगौर के समय सबसे ज्यादा समस्या पूजन आदि के दौरान गाए जाने वाले गीतों के चयन व उनकी उपलब्धता को लेकर आती है। यहाँ हमने आपकी सुविधा के लिए गणगौर के दौरान विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीत दिए हैं। सोनी गढ़ को खड़को सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार म्हारी गार कसुम्बो रुदियो सोनी धड़जे ईश्वरजी रो मुदड़ो, वांकी राण्या रो नवसर्‌यो हार म्हांरी गोरल कसुम्बो रुदियो वातो हार की छोलना उबरी बाई सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो ( नोट- इसके आगे अपने पति का नाम लेना चाहिए) हाँजी म्हारे आँगन कुओ हाँजी म्हारे आँगन कुओ खिनयदो हिवड़ा इतरो पानी हाँजी जुड़ो खोलर न्हावा बेठी ईश्वरजी री रानी हाँजी झाल झलके झुमना रल के बोले इमरत बानी हाँजी इमरत का दो प्याला भरिया कंकुरी पिगानी ( नोट- इसके आगे अपने पति का नाम लेना चाहिए) गाढ़ो जोती न रणु बाई आया गाढ़ो जोती न रणु बाई आया यो गोडो कुण छोड़ोवे गाढ़ो छोज्ञावे ईश्वरजी हो राजा वे थारी सेवा संभाले सेवा संभाले माता अगड़ घड़ावे, सासरिये पोचावे सासरिये नहीं जाँवा म्हारी माता पिपरिया में रे वां भाई खिलावां भतीजा खिलावां, तो भावज रा गुण गांवा ( नोट- इसके आगे अपने पति का नाम लेना चाहिए) रणु बाई रणुबाई रथ सिनगारियो तो रणुबाई रणुबाई रथ सिनगारियो तो को तो दादाजी हम गोरा घर जांवा जांवो वाई जावो बाई हम नहीं बरजां लम्बी सड़क देख्या भागी मती जाजो उँडो कुओ देख्या पाणी मती पीजो चिकनी सिल्ला देखी न पाँव मती धरजो पराया पुरुष देखनी हसी मती करजो म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौर म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौर म्हारा काकाजी के मांडी गणगौर रसीया घडी दोय खेलवाने जावादो घडी दोय जावता पलक दोय आवता सहेलियाँ में बातां चितां लागी हो रसीया घडी दोय खेलवाने जावाद...

Rajasthan ke Lokgeet

लङकी की विदाई के समय गाये जाने वाले गीत। राजस्थान लोकगीत 🔷 पपैया – पपैया एक प्रसिद्ध पक्षी है। इसके माध्यम से एक युवती किसी विवाहित पुरुष को भ्रष्ट करना चाहती है, किन्तु युवक उसको अन्त में यही कहता है कि मेरी स्त्री ही मुझे स्वीकार होगी। अतः इस आदर्श में गीत में पुरूष अन्य स़्त्री से मिलने के लिए मना करता है। ♦️ पंछीङा – हाङौती व ढूंढाङ क्षेत्र में मेलों के अवसर पर अलगोजे, ढोलक व मंजीरे के साथ गाया जाता है। 🔷 सुपियारदे का गीत – इसमें एक त्रिकोणीय प्रेम कथा गीत है। ♦️ सैंजा गीत – इसमें युवतियां श्रेष्ठ वर की कामना के लिए पूजा अर्चना करती हुई गीत गाती है। 🔷 बिणजारा – इस गीत में पत्नी पति को व्यापार हेतु प्रदेश जाने की प्रेरणा देती है। यह प्रश्नोत्तर गीत है। ♦️ बीछूङा – यह हङौती क्षेत्र का गीत है। जिसमें पत्नी को बिच्छु ने डस लिया है और मरने वाली है वो पति से प्रार्थना करती है कि मेरे बच्चों के लिए दूसरा विवाह करवा लेना। 🔷 जच्चा (होलर) गीत – यह गीत पुत्र जन्म के अवसर पर गाया जाता है। ♦️ जीरों – इस गीत में पत्नी अपने पति से जीरा न बोने का अनुरोध करती है। 🔷 रसिया – यह गीत भरतपुर, धौलपुर में गाया जाता है। ♦️ लांगुरिया गीत – करौली क्षेत्र की कुल देवी ’केला देवी’ की आराधना में गाए जाने वाले गीत है। 🔷 लावणी गीत – ये बुलावा गीत है। नायक के द्वारा नायिका को बुलाने के लिए यह गीत गाया जाता है। मोरध्वज सेऊसंमन, भरथरी आदि प्रमुख लावणियां है। ♦️ गोपीचन्द – बंगाल के शासक गोपीचन्द द्वारा अपनी रानियों के साथ किया संवाद गीत है। 🔷 गणगौर का गीत – स्त्रियों द्वारा गणगौर पर गाया जाने वाला गीत है। ♦️ गोरबंद – गोरबन्द ऊँट के गले का आभूषण होता है, जिस पर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों विशेषतः मरूस्थल...

राजस्थान के लोक नृत्य PDF

राजस्थान के लोक नृत्य के प्रश्न • कत्थक नृत्य का जन्म किस राज्य में हुआ- राजस्थान • कत्थक नृत्य का आदिम घराना है- जयपुर • जयपुर घराने के प्रवर्तक थे- भानूजी • जयपुर घराने को कितनी शाखाओं में बांटा गया है- पांच • कत्थक के जयपुर घराने की विशेषता है – वीररस व भ्रमरी • कत्थक को प्रोत्साहित करने हेतु राजस्थान सरकार ने कत्थक केन्द्र, जयपुर की स्थापना की- वर्ष 1979-80 • मांगलिक अवसर पर होने से कत्थक नृत्य का अन्य नाम है- मंगलमुखी नृत्य • ‘गिंदड किस क्षेत्र का नृत्य है- शेखावटी • सुजानगढ, चुरू, रामगढ, लक्ष्मणगढ, सीकर आदि क्षेत्रों में होली के अवसर पर किस नृत्य का सामूहिक कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलता है- • गींदड नृत्य विशुद्ध रूप से पुरूषों का नृत्य है इस नृत्य में कुछ पुरूष महिलाओं के वस्त्र धारण कर भाग लेते हैं उन्हें कहा जाता है- गणगौर • डांडिया लोकनृत्य किस राज्य का है- गुजरात • मारवाड में होली के बाद किये जाने वाले किस नृत्य के अन्तर्गत लगभग बीस-पच्चीस पुरूषों की टोलियां दोनों हाथों में लम्बी छडियां धारण कर वृत्ताकार नृत्य करती है- डंडिया नृत्य • लुम्बार, वासाघोडी, घूमर किस क्षेत्र के नृत्य हैं- -जालौर • यदि मारवाड का डांडिया तो जालौर का प्रसिद्ध नृत्य है- • विशुद्ध रूप से पुरूषों द्वारा किये जाने वाले इस नृत्य में एक साथ चार-पांच ढोल बजाये जाते हैं ढोल का मुखिया इसे किस शैली में बजाना शुरू करता है- थाकना शैली • किस क्षेत्र में सरगडा और ढोली ढोल नृत्य में पेशेवर लोक गायक व ढोल वादक है- जालौर • अग्निनृत्य का संबंध किस सम्प्रदाय से है- जसनाथी • वह नृत्य जो अंगारों के ढेर पर किया जाता है- अग्नि • नृत्य का उदगम बीकानेर जिले के किस गांव में हुआ- करतियासर • गैर नृत्य राजस्थान के किस ...

गणगौर के 10 सबसे खास गीत, जिनके बगैर अधूरा है गणगौर पर्व

गणगौर के गीत गणगौर पर्व के दिनों में जहां भगवान शिव-पार्वती और गणगौर की आराधना की जाती हैं, वहीं गणगौर के गीत गाकर माता गौरी की प्रसन्न किया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा समस्या पूजन आदि के दौरान गाए जाने वाले गीतों के चयन व उनकी उपलब्धता को लेकर आती है। यहां हमने आपकी सुविधा के लिए गणगौर के दौरान विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीत दिए हैं। आइए जानें- Mangal puja Amalner : भूमि पुत्र मंगल देव का अमलनेर में बहुत ही जागृत मंदिर है। यहां पर मंगल देव के साथ ही पंचमुखी हनुमान और भू माता विराजमान हैं। यहां पर हजारों की संख्‍या में लोग मंगल दोष की शांति के लिए आते हैं। इसी के साथ ही जिन लोगों को भूमि से संबंधित कोई समस्या है वे लोग भी यहां पर मंगल देव की पूजा और अभिषेक करने के लिए आते हैं। Lal kitab for money : लाला किताब के उपाय अचूक होते हैं। यह विद्या ज्योतिष से अलग मानी जाती है। हालांकि दोनों ही विद्या में कोई खास अंतर नहीं है। यदि आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या कर्ज चढ़ गया है तो आपको लाल किताब के अचूक उपाय करना चाहिए। हालांकि यदि ये उपाय आप किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर करेंगे तो ज्यादा ठीक रहेगा। Naukri 2023 : आजकल अच्‍छी नौकरी मिलना मुश्‍किल है। देश में लाखों बेरोजगार लोग होंगे जो नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं। हालांकि उन शहरों में नौकरी ज्यादा होती है जहां पर आबादी ज्यादा है और जहां पर कारोबारी कार्य ज्यादा होता है। इसीलिए कई लोगों को नौकरी की तलाश में अपना शहर छोड़कर जाना पड़ता है। ऐसे शहरों में जाकर भी उन्हें ढंग की नौकरी नहीं मिल रही हैं तो उन्हें करना चाहिए कौनसा वार। Jagannatha rathayatra 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष आषाढ़ माह...

गणगौर पर कविता शायरी गीत दोहे Poem On Gangaur In Hindi

गणगौर पर कविता शायरी गीत दोहे Poem On Gangaur In Hindi भारतीय संस्कृति में त्योहारों का बड़ा महत्व रहा हैं तीज त्यौहार न केवल उत्साह और आनन्द के अवसर होते हैं, बल्कि हमें आध्यात्म व अपनी संस्कृति की जड़ों से भी जोड़ते हैं. राजस्थान में गणगौर भी एक ऐसा धार्मिक पर्व हैं, चैत्र शुक्ल तृतीया को महिलाओं द्वारा गणगौर का पर्व मनाया जाता हैं. 18 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा की जाती हैं. कुँवारी और सुहागन स्त्रियों द्वारा अच्छे पति की कामना के लिए व्रत रखकर पूजन किया जाता हैं.ऐसी मान्यता हैं कि माँ गौरी (पार्वती) होली के दूसरे दिन अपने मायके जाती हैं, आठ दिनों के बाद भगवान शिवजी (इसर) उन्हें वापस लेने जाते हैं तथा चैत्र शुक्ल तृतीया को गौरी की विदाई होती हैं. हमारी संस्कृति में शिव पार्वती के दाम्पत्य जीवन को आदर्श के रूप में माना जाता हैं. गणगौर के उत्सव में भी माताएं बहिनें शिव जैसे पति की कामना माँ गौरी से करती हैं. उनका उपवास रखती तथा पूजन करती हैं. राजस्थान में इस दिन हाथों पर मेहँदी लगाने की रस्म हैं. माँ म्हाने खेलण दो गणगौर इसी पर्व पर आधारित गीत हैं. आज के लेख में हम गणगौर पर कुछ हिंदी राजस्थानी कविताएँ, गीत, शायरी, दोहे आदि आपके लिए लेकर आए हैं, जिन्हें आप सोशल मिडिया पर स्टेटस के रूप में पोस्ट कर अपने प्रियजनों को गणगौर की शुभकामनाएं दे सकते हैं. Telegram Group गणगौर की कविता वैसे तो यह महिलाओं और युवतियों का पर्व हैं. सुहागन स्त्रियाँ इस दिन अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर व्रत रखती है तो वही कुँवारी कन्याएं अच्छे वर की अभिलाषा में व्रत धारण करती हैं तथा माँ गौरी की आराधना करती हैं. आज की कविता एक प्रेमी द्वारा उसकी प्...

देखें वे गीत जो गणगौर में दोपहर के समय गाए जाते है – RamakJhamak

गणगौर में दोपहर में गाए जाने वाले गीत – नौरंगी गवर म्हारी चाँद गवरजा , भलो ए नादान गवरजा रत्नों रा खम्भा दीखे दूर सू , बम्बई हालो , लाखों पर लेखण पूरब देश में , कलकते हालो , गवरयो री मोज्यों बीकानेर में गढ़न कोटां सूं उतरी सरे , हाथ कमल केरो फूल शीश नारेळां सारियो सरे , बीणी बासक नाग रे | | बम्बई . . . बम्बइ . . . . . (1) चोतीणे रा चार चाकलिया , बड़ पीपल बड़ है भारी बड़ पीपल बड़ है भारी , ईशरजी ने गवरा हद प्यारी भंवारे भंवरो फिरे सरे , लिलवट ऑगळ चार आखड़ल्यों रतने जड्यो सरे , नाक सुआ केरी चोंच रे । । बम्बई . . . . . (2) उड़ो हंस पर जाओ गिग्नार्या खबरया लाओ मेरे ईशर की खबरयों लाओ म्हारे ईशर की , म्हारे गोठ्यो घुळ रही रेशम की होठ परेवा रेखियो सरे , जीभ कमल केरो फूल मिसरायां चूने जड़ी सरे , दांत दाड़म केरो बीज रे । । बम्बई . . . . . (3) | | चांदमल ढढे का लड़का , सूरजमल पंछी का लड़का इये नयी हवेली में पोढ़े गवरजा , खसखस का पंखा । किण थोने घडी रे सिलावटेसरे , किण थाने लाल लोहार केणे जी री डीकरी सरे , केणेजी रे घर नार रे । । बम्बई . . . (4) गवरादे गोरी अलख सागर सूं भरला डोलची पातळिया ईशर पाणीड़े ने जांवती ने आवे लाजजी । जन्म दियो म्हारी मावड़ी सरे , रूप दियो किरतार हेमाचली री डीकरी सरे , पातळिये ईशर घर नार रे । । बम्बई . . . . . (5) नींबूतळा में दोय – दोय गवरियो अड़बी बाजा बाजसी अड़बी बाजा बाजसी रे , सिंह ऊभा गाजसी सिंह उभा गाजसी , पंचायत ऊभी देखसी । महाराजा देसी दायजो सरे , सौ घोड़ा असवार घेर घुमाळो घाघरो सरे , ओढण दखणी रो चीर रे । । बम्बई . . . . . (6) । । चार चवन्नी चांदी की , जै बोलो महात्मा गांधी की लाल रूमाल सिपाही का , घर घर में राज लुगाई का । कड़ाकंद केशर री भावे . रायतो...