गोधरा कांड मोदी

  1. Godhra Violence: गोधरा कांड 20 साल बाद आज भी भारत की राजनीति को आकार दे रहा है. Is Godhra Violence Still Shaping India Political Discourse 20 Years On
  2. 27 February In History: Sabarmati Express Godhra Kand 59 Kar Sevaks Killed
  3. गोधरा कांड को हादसा कहने वाले माफी मांगे: मोदी
  4. बेस्ट बेकरी कांड के आरोपी बरी, 14 लोगों को जिंदा जलाकर मारा गया था
  5. गोधरा काण्ड
  6. 17 साल में दूसरी बार मोदी को क्लीनचिट, सरकार पर सवाल उठाने वाले अफसरों के खिलाफ ही जांच की सिफारिश


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Godhra Violence: गोधरा कांड 20 साल बाद आज भी भारत की राजनीति को आकार दे रहा है. Is Godhra Violence Still Shaping India Political Discourse 20 Years On

27 फरवरी 2002 भारतीय राजनीति के इतिहास में एक ऐसा दिन था जिसे सिर्फ अतीत की एक घटना के रूप में ही नहीं देखा जा सकता बल्कि इसने योजनाबद्ध सांप्रदायिक हिंसा के एक सबसे रक्तरंजित अध्याय को भी शुरू किया. उस दिन की हिंसक घटना एक निर्धारक क्षण था क्योंकि, रामजन्मभूमि विवाद के बीच उस वक्त दो समुदायों के बीच ये एकमात्र और सबसे बड़ा नरसंहार था. आमतौर पर लोगों में ये समझ बनी कि बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने ने नफरत के एक निशान को मिटा दिया और इसने साल 1989 से 1992 के बीच सामूहिक लामबंदी को रोकने में मदद की. साल 2002 तक इस आंदोलन को भारतीय जनता पार्टी भी राजनीतिक रूप से असुविधाजनक मानने लगी. पार्टी और संघ परिवार में मौजूद कई कट्टवादियों ने कहा कि बीजेपी नेताओं ने राजनीतिक शक्ति के लिए सैद्धांतिक प्रतिबद्धता का सौदा कर लिया. मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने गठबंधन के मुखिया के तौर पर इसी शर्त पर शपथ ली कि तीन महत्वपूर्ण मुद्दे यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना, आर्टिकल 370 को हटाना और सबसे अहम राम मंदिर का निर्माण, ये सभी सरकार के एजेंडे में शामिल नहीं होंगे. बीजेपी ने इन तीनों को लेकर सहमति दी थी जबकि ये सभी मुद्दे बीजेपी के पार्टी कार्यक्रम का हिस्सा थे. गोधरा नरसंहार की घटना और उसके बाद हुए दंगों ने एक बार फिर ये तय कर दिया कि अयोध्या मुद्दा फिर सामने है और ये तभी सुलझेगा जब उस जगह पर राम मंदिर बनेगा, जहां दिसंबर 1992 तक बाबरी मस्जिद थी. इन दो घटनाओं ने एक बार फिर ये सुनिश्चित कर दिया कि अयोध्या विवाद भारत के राजनीतिक संवाद में मतभेद का एक केंद्रीय मुद्दा है. गोधरा गुजरात हिंसा और दंगे न सिर्फ अगले दशक और इसके आगे के लिए राजनीतिक विभाजन का आधार और निरंतर संदर्भ का बिंदु बने, बल्कि इसने...

27 February In History: Sabarmati Express Godhra Kand 59 Kar Sevaks Killed

अहमदाबाद को जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक ली और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया. ट्रेन में सवार लोग हिंदू तीर्थयात्री थे और अयोध्या से लौट रहे थे. घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी और जानोमाल का भारी नुकसान हुआ. हालात इस कदर बिगड़े कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी. मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर TOP 10 लोगों में शामिल, Amazon के मालिक जेफ बेजोस बने No. 1 देश दुनिया के इतिहास में 27 फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:- 1931 : देश के महान क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस के साथ मुठभेड़ में गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में खुद को गोली मार ली. 1953 : अंग्रेजी भाषा को आने वाली पीढ़ियों के लिए आसान बनाने के इरादे से ब्रिटेन की संसद में "स्पैलिंग बिल" का प्रस्ताव पेश किया गया. 1991 : अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने फारस खाड़ी युद्ध में जीत दर्ज करने की घोषणा के साथ ही युद्धविराम का ऐलान किया. अगस्त 1990 में इराक द्वारा कुवैत पर हमले के बाद यहां अमेरिका ने दखल दिया था. 1999 : नाइजीरिया में 15 साल में पहली बार असैन्य शासक चुनने के लिए मतदान. बड़ी संख्या में लोग वोट डालने पहुंचे. 2002 : गुजरात के अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस को भीड़ ने गोधरा स्टेशन पर आग के हवाले किया, 59 कार सेवकों की मौत. 2009 : अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऐलान किया कि इराक से अगस्त 2010 तक तमाम लड़ाकू सेनाओं को हटा लिया जाएगा और शेष सैनिक 2011 के ...

गोधरा कांड को हादसा कहने वाले माफी मांगे: मोदी

अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गोधरा कांड के हत्यारों को बचाने की कोशिश में लगे लोगों को सच्चाई सामने आने के बाद माफी मांगनी चाहिए। वर्ष 2002 में गुजरात में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित नानावती आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा सार्वजनिक किए जाने के बाद मोदी ने यह बात कही है। मोदी ने कहा कि इन लोगों को अब चेहरा दिखाने में शर्म आनी चाहिए। यदि वे सच्चाई और न्याय में विश्वास करते हैं तो उन्हें गुजरात की जनता से माफी मांगनी चाहिए। गुरुवार को राज्य विधानसभा में पेश नानावती आयोग की रिपोर्ट के पहले हिस्से में 27 फरवरी 2002 को हुए गोधरा ट्रेन कांड को सुनियोजित षड्यंत्र करार दिया गया था। गोधरा कांड में 59 लोग मारे गए थे, जिसमें अधिकतर अयोध्या से लौट रहे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता थे। मोदी ने कहा कि कथित धर्मनिरपेक्ष ताकतें हमारे खिलाफ हमले कर रही थीं। हम चुप इसलिए थे कि एक न एक दिन सच्चाई सबके सामने आएगी और इन धर्मनिरपेक्ष ताकतों का चेहरा उजागर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की समिति का गठन सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक किया गया था और न तो उनकी और न ही उनकी सरकार की इसमें कोई भूमिका थी। उन्होंने नानावती आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी के पास उनके अथवा मंत्रिमंडल के सदस्यों के खिलाफ कोई सबूत हो तो वे उसे सामने लेकर आएं। उन्होंने कहा कि गोधरा कांड पर राजनीतिक रोटियां सेंकी गई। .

बेस्ट बेकरी कांड के आरोपी बरी, 14 लोगों को जिंदा जलाकर मारा गया था

मुंबई की एक अदालत ने गुजरात के बेस्ट बेकरी केस (Gujarat Best Bakery Case) के दो आरोपियों को बरी कर दिया है. हर्षद रावजी सोलंकी और मफत गोहिल नाम के ये आरोपी इस केस में पिछले 10 साल से मुंबई की जेल में बंद थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2002 में हुए इस हत्याकांड में एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. फरवरी, 2002 में हुए गोधरा कांड में 59 कार सेवकों की मौत हुई थी. इसके बाद गुजरात के कई हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी. उसी दौरान मार्च 2002 में भीड़ ने वडोदरा में बनी बेस्ट बेकरी पर हमला कर दिया था. भीड़ ने बेकरी को आग लगा दी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, हिंसा में 14 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद इस मामले में बेकरी के मालिक की बेटी जाहिरा शेख ने 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. 27 जून, 2003 को वडोदरा की एक अदालत ने गवाहों के मुकर जाने के बाद सभी 21 आरोपियों को बरी कर दिया था. लेकिन कुछ गवाहों ने बाद में मीडिया को बताया कि उन्होंने दबाव में आकर अपने बयान बदले थे. इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. इसके बाद शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2004 में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया था. 24 फरवरी 2006 को मुंबई के एक कोर्ट ने 9 आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई. बाकी 8 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया था. वहीं उस समय तक मामले के 4 आरोपी फरार चल रहे थे. बाद में निचली अदालत के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. जुलाई 2012 में हाई कोर्ट ने 9 में से 4 दोषियों- संजय ठक्कर, बहादुर सिंह चौहान, सना भाई बारिया और दिनेश राजभर की उम्रकैद की सजा को बरकरार र...

गोधरा काण्ड

गोधरा काण्ड स्थान 22°45′48″N 73°36′22″E / 22.76333°N 73.60611°E / 22.76333; 73.60611 22°45′48″N 73°36′22″E / 22.76333°N 73.60611°E / 22.76333; 73.60611 तिथि 27 फ़रवरी 2002 7:43a.m. मृत्यु 59 घायल 48 27 फ़रवरी 2002 को हालांकि ग्यारह साल बाद भारत की एक अदालत ने मुसलमान बिरादरी के 31 लोगों को इस घटना के लिए दोषी ठहराया। गोधरा कांड: घटनाक्रम [ ] 27 फ़रवरी 2002: गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में मुस्लिमों द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों हिन्दुओ की मौत हो गई। इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। 28 फ़रवरी 2002: गुजरात के कई इलाकों में दंगा भड़का जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए। 03 मार्च 2002: गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (पोटा) लगाया गया। 06 मार्च 2002: गुजरात सरकार ने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत गोधरा कांड और उसके बाद हुई घटनाओं की जाँच के लिए एक आयोग की नियुक्ति की। 09 मार्च 2002: पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भादसं की धारा 120-बी (आपराधिक षड्‍यंत्र) लगाया। 25 मार्च 2002: केंद्र सरकार के दबाव की वजह से सभी आरोपियों पर से पोटा हटाया गया। 18 फ़रवरी 2003: गुजरात में भाजपा सरकार के दोबारा चुने जाने पर आरोपियों के खिलाफ फिर से आतंकवाद निरोधक कानून लगा दिया गया। 21 नवंबर: उच्चतम न्यायालय ने गोधरा ट्रेन जलाए जाने के मामले समेत दंगे से जुड़े सभी मामलों की न्यायिक सुनवाई पर रोक लगाई। 04 सितंबर 2004: राजद नेता लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान केद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यूसी बनर्जी की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन किया गया। इस ...

17 साल में दूसरी बार मोदी को क्लीनचिट, सरकार पर सवाल उठाने वाले अफसरों के खिलाफ ही जांच की सिफारिश

• 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों की जांच के लिए 6 मार्च 2002 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नानावटी-मेहता आयोग का गठन किया था • नानावटी-मेहता आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा 2008 में पेश किया गया था, इसमें भी मोदी, उनके मंत्रियों और अफसरों को क्लीन चिट दी गई थी • सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं- आयोग की सिफारिश मानना या नहीं मानना सरकार पर निर्भर, इसकी कोई कानूनी बाध्यता नहीं 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को जला दिया गया। इसमें अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की मौत हो गई। घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे, जिसमें 1,044 लोग मारे गए। इनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड की जांच के लिए 6 मार्च 2002 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नानावटी-शाह आयोग का गठन का किया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने। 2009 में जस्टिस केजी शाह के निधन के बाद उनकी जगह गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता आए। जिसके बाद इसका नाम नानावटी-मेहता आयोग पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि आयोग का काम जांच कर उसकी रिपोर्ट देना होता है। इसकी सिफारिशें मानने या नहीं मानने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। सरकार चाहे तो इन सिफारिशों को खारिज भी कर सकती है और मंजूर भी कर सकती है। नानावटी आयोग ने जिन 3 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है, यह सरकार पर निर्भर है कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई करती है या नहीं। आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 में पेश किया गया। रिपोर्ट में गोधरा कांड को सोची-समझी सा...