गोरखनाथ का जीवन परिचय pdf

  1. स्वामी विवेकानंद जीवनी फ्री PDF
  2. तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download
  3. गुरु गोरखनाथ की आरती
  4. आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान
  5. गुरु गोरखनाथ जीवनी एवं इतिहास
  6. पुस्‍तक अंश: 'गोरखगाथा' महायोगी गोरखनाथ के जीवन पर अहम किताब
  7. गोरखनाथ का जीवन परिचय(gorakhanath ka jeevan parichay)
  8. महायोगी गुरु गोरखनाथ का जीवन परिचय – Vigyanam
  9. गुरु गोरक्षनाथ जी का जीवन परिचय
  10. तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download


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स्वामी विवेकानंद जीवनी फ्री PDF

Swami Vivekananda Biography in Hindi Pdf Download स्वामी विवेकानंद का नाम दुनिया भर में ख्याति प्राप्त हैं. आज सम्पूर्ण भारत में स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं, और इसके पीछे वजह यही हैं की स्वामी विवेकानंद हमेशा युवाओं को उनके लक्ष्य के लिए प्रेरित किया करते थे. और आज भी उनके विचार करोडो युवा को प्रेरित करता हैं. आज आपको इस आर्टिकल में स्वामी विवेकानंद जीवनी या स्वामी विवेकानंद की बायोग्राफी का संग्रहित PDF दिया गया हैं. स्वामी विवेकानंद जीवनी PDF में निम्न को दर्शाया गया हैं– • स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय • स्वामी विवेकानंद का जन्म व नामकरण • स्वामी विवेकानंद जी का बचपन व निष्ठां • स्वामी विवेकानंद जी की पूर्ण शिक्षा • स्वामी विवेकानंद जी की ज्ञान प्राप्ति • स्वामी विवेकानंद जी की यात्रा और सम्मलेन • स्वामी विवेकानंद जी के विचार और अनमोल वचन Swami Vivekananda Biography in Hindi pdf Download Swami Vivekananda Biography Hindi Pdf में स्वामी विवेकानंद जी की जीवन की सिख और घटनाओं का संग्रह हैं. svami vivekanand Biography pdf में आपको अपने जीवन की सच्चाईयो और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करता हैं. स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति अथेअथ जो मनुष्य दूसरे जरूरतमन्दो मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद स्वामी विवेकानन्द ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया।

तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download

Advertisements तुलसीदास का जीवन परिचय तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Downloadतुलसीदास हिन्दी तथा भारतीय साहित्य के महान कवि थे जिन्होने महान कविताओं की रचनाए की। तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के सातवें दिन में चमकदार अर्ध चन्द्रमा के समय पर हुआ था। Tulsidas Ji History In Hindi : तुलसीदस का जन्म सवंत 1589 मे, राजापुर बाँदा उत्तर प्रदेश( यूपी ) मे हुआ था तुलसीदस की पिता का नाम आत्माराम दुबे था ओर माता का नाम हुलसी देवी था ओर तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था । तुलसीदास जी के जन्म की चौथे दिन इनके पिता की मृत्यु हो गई। तुलसीदास बचपन से ही वेद पुराण ओर उपनिषदों का अध्यन करने मे अधिक रुचि रखते थे कई इतिहासकार यह मानते है की तुलसीदास का जन्म 1532 मे हुआ था ओर उन्होने 126 साल तक अपना जीवन बिताया । तुलसीदास जी का नाम रामबोला केसे पड़ा तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download ऐसा कहा जाता है की जहा किसी बच्चे का जन्म 9 महीने मे हो जाता है वही तुलसीदास जी अपनी माँ के गर्भ मे 12 महीनो तक रहे थे जब तुलसीदास का जन्म हुआ था तब उनके जन्म के समय उनके 32 दात थे। Advertisements ऐसा कहा जाता है की वे बचपन से रोने के बजाय राम राम बोला करते थे जिसके कारण तुलसीदास जी का नाम रामबोला पड़ गया । उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने बताया तुलसीदास अशुभ समय में पैदा हुए थे ओर यह भी कहा था कि वे अपने माता-पिता के ऊपर संकट रहेगा जिसके कुछ दिन बाद उनकी माता हुलसी देवी का देहांत हो गया ओर तुलसीदास अब इस दुनिया मे अकेले रह गए इसके बाद तुलसीदास जी का पालन पोषण दसियों द्वारा किया गया ये दासियाँ तुलसीदासजी का पालन पोषण अपने बच्चे की तरह किया वहीं जब तुलसीदास करीब 5 साल के थे तब दासीयों भी संसार छोड़कर चल बसी। थोड़े ...

गुरु गोरखनाथ की आरती

उनका स्मरण मन को तेजस्विता से आप्लावित कर देता है, तन को आरोग्य देता है तथा हर प्रकार की सुख-संपत्ति जलवत् बही चली आती है। पढ़ें गुरु गोरखनाथ की आरती (Guru Gorakhnath Ki Aarti)– जय गोरख देवा जय गोरख देवा। कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा॥ शीश जटा अति सुन्दर भालचन्द्र सोहे। कानन कुण्डल झलकत निरखत मन मोहे॥ चारों युग में आप विराजत योगी तन धारी। सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी॥ विनवत बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे॥ विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गुरु गोरखनाथ की आरती (Guru Gorakhnath Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गुरु गोरखनाथ की आरती रोमन में– Guru Gorakhnath Ki Aarti jaya gorakha devā jaya gorakha devā। kara kṛpā mama ūpara nitya karū~ sevā॥ śīśa jaṭā ati sundara bhālacandra sohe। kānana kuṇḍala jhalakata nirakhata mana mohe॥ gala selī vica nāga suśobhita tana bhasmī dhārī। ādi puruṣa yogīśvara santana hitakārī॥ nātha niraṃjana āpa hī ghaṭa-ghaṭa ke vāsī। karata kṛpā nija jana para meṭata yama phāṃsī॥ ṛddhi siddhi caraṇoṃ meṃ loṭata māyā hai dāsī। āpa alakha avadhūtā uttarākhaṇḍa vāsī॥ agama agocara akatha arūpī sabase ho nyāre। yogījana ke āpa hī sadā ho rakhavāre॥ brahmā viṣṇu tumhārā niśidina guṇa gāveṃ। nārada śārada sura mila caranana cita lāveṃ॥ cāroṃ yuga meṃ āpa virājata yogī tana dhārī। satayuga dvāpara tretā kalayuga bhaya ṭārī॥ guru gorakha nātha kī āratī niśadina jo gāve! vinavata bāla trilokī mukti phala pāve॥ सन्दीप शाह सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्...

आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान

आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान ,Aryabhatta Biography in Hindi, भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय, आर्यभट्ट की जीवनी, आर्यभट्ट का जीवन परिचय pdf, aryabhatt ka jivan parichay, आर्यभट्ट केवल एक खगोलशास्त्री ही नहीं बल्कि महान गणितज्ञ भी थे। भारत में आधुनिक काल में जैसे आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम दुनियाँ को शून्य (0) का ज्ञान दिया। इस महान् खगोलशास्त्री के सम्मान में भारत सरकर ने अपना पहला उपग्रह का नाम ‘ आर्यभट्ट उपग्रह‘ रखा था। जिसे सन 1975 में छोड़ा गया था। आईये इस महान गणितज्ञ के बारें में विस्तार से जानते हैं। आर्यभट्ट कौन थे– Who is Aryabhatta in Hindi आर्यभट्ट भारत के महान खगोलज्ञ, ज्योतिषशास्त्री और गणितज्ञ थे जिसने दुनियाँ को शून्य का ज्ञान दिया। आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में उनके योगदान से पता चलता है की भले ही आज निकोलस कोपरनिकस को सौरमंडल का खोजकर्ता माना जाता है। लेकिन आज से करीव 1500 साल पहले भारत के आर्यभट्ट का जीवन परिचय – Aryabhatta Biography in Hindi सबसे पहले उन्होंने ही बताया था की पृथ्वी के घूर्णन के कारण ही दिन और रात होते है। आर्यभट्ट का मानना था की ब्रह्मांड का केंद्र विंदु पृथ्वी है। इन्हीं कारणों से आर्यभट्ट को प्राचीन भारतीय विज्ञान का सबसे चमकीला सितारा कहा जाता है। चलिए इस लेख में A ryabhatt ka jivan parichay aur unke yogdan के बारें में जानते हैं। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जीवन परिचय – Aryabhatta biography in Hindi नाम आर्यभट्ट (in English – Aryabhatta) प्रसिद्धि शून्य के अविस्कार के कारण आर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी आर्यभट्ट का जन्म स्थान ज्ञात नहीं आर्यभट्ट की शिक्षा नालंदा विश्व विध्यालय, बिहार आर्यभट्ट की पत्नी का नाम ज्ञात नहीं आर्यभट्ट के ...

गुरु गोरखनाथ जीवनी एवं इतिहास

भारत की भूमि ऋषि-मुनियो और तपस्वियों की भूमि रही है। जिन्होंने अपने बौद्धिक क्षमता के दम पर भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण सृष्टि के भलाई के लिए बहुत योगदान दिया है। ऋषि-मुनियो के शिक्षा से हमें जीवन में सही राह चुनने का ज्ञान होता है। साधु महात्माओ द्वारा दिए गए ज्ञान-विज्ञान 21 वी सदी में भी बहुत प्रासंगिक हैं। • ज़रूर पढ़ें: महापुरुषों में ऐसे कई ऋषि-मुनि हुए जो बचपन से ही दैविये गुणों के कारण या तपस्या के फलस्वरूप कई प्रकार की सिद्धियाँ व शक्तियां प्राप्त कर लेते थे, जिनका उपयोग मानव कल्याण तथा धर्म के रक्षार्थ हेतु हमेशा से किया जाता रहा है। यह सिद्धियाँ और शक्तियाँ ऋषि-मुनियों को एक चमत्कारी तथा प्रभावी व्यक्तित्व प्रदान करती हैं और ऐसे सिद्ध योगियों के लिए भौतिक सीमाए किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं कर पाती है। पर इन शक्तियों को प्राप्त करना सहज नहीं है| परमशक्तिशाली ईश्वर द्वारा इन सिद्धियों के सुपात्र को ही एक कड़ी परीक्षा के बाद प्रदान किया जाता है। आज हम ऐसे एक सुपात्र सिद्ध महापुरुष जो साक्षात् शिवरूप माने जाते हैं के बारे में बात करेंगे| इनके बारे में कहा जाता है कि आज भी वह सशरीर जीवित हैं और हमारे पुकार को सुनते हैं और हमें मुसीबतो से पार भी लगाते हैं। हम बात कर रहे हैं महादेव भोलेनाथ के परम भक्त – महान तपस्वी गुरु गोरखनाथ महाराज की। गोरखनाथ शब्द का अर्थ गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ “ गाय को रखने और पालने वाला या गाय की रक्षा करने वाला” होता है। सनातन धर्म में गाय का बहुत ही धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि गाय के शरीर में सभी 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते है। भारतीय संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। गुरु गोर...

पुस्‍तक अंश: 'गोरखगाथा' महायोगी गोरखनाथ के जीवन पर अहम किताब

गोरखनाथ (Gorakhnath) या गोरक्षनाथ प्रख्यात नाथ योगी (Yogi) थे. उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेक ग्रंथों की रचना की. गोरखनाथ का मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) में स्थित है. सत्यान्वेषी महायोगी गोरक्षनाथ का व्यक्तित्व कालातीत रहा है. भारतीय धर्म-साधना और योग-दर्शन को अपनी बौद्धिक धारणाओं से जीवन्त, वैज्ञानिक, प्रत्यक्षवाद से अभिप्रेरित आध्यात्मिकता और दार्शनिकता प्रदान करते हुए उन्होंने ऐसे योग मार्ग का प्रवर्तन किया, जिसका लक्ष्य पारमार्थिक धरातलों को परिभाषित करना था. महायोगी गोरक्षनाथ एक महान समाज-दृष्टा थे. गोरक्षनाथ योगमार्गी होते हुए भी एक महान रचनाधर्मी साधक थे. उन्होंने हिन्दी और संस्कृत भाषाओं में अनेक ग्रंथों की रचना की थी. गोरक्षनाथ के शब्दों में अनुशासन भी है और बेलाग फक्कड़पन भी. उनकी काव्याभिव्यक्तियों में कबीर की काव्य-वस्तु के स्रोत मिलते हैं. गोरक्षनाथ अन्याय और शोषण के प्रति तेजस्वी हस्तक्षेप थे. पीड़ितों और शोषितों को दुख, शोषण से मुक्ति दिलान के लिए उन्होंने जनन्दोलनों का भी प्रवर्तन किया था. वे यायावर थे. दक्षिणात्य और आर्यावर्त में भ्रमण करते रहे और जनभाषा तथा जनसंस्कृति का साक्षात्कार करते रहे. प्रस्‍तुत है डॉ. रामशंकर मिश्र द्वारा लिखी किताब 'गोरखगाथा' का अंश - ('गोरखगाथा' : पुस्‍तक अंश) मत्स्येन्द्रनाथ अपनी कुटीर में ही पद्मासन जमाए साधना कर रहे थे, ध्यानमग्न थे. तभी महासागर से तट का अभिवादन करने आई एक उत्ताल तरंग के हराने की ध्वनि हुई. मत्स्येन्द्र का ध्यान भंग हुआ और उन्होंने देखा उस विशाल लहर ने एक नाव को तट पर ला दिया है. उस नाव से एक अधेड़ पुरुष तट पर उतरकर खड़ा हो गया और उसने झुककर नाव का सिरा पकड़ लिया. नाव के स्थिर होने पर एक ...

गोरखनाथ का जीवन परिचय(gorakhanath ka jeevan parichay)

समय – 845ई. (राहुल सांकृत्यायन के अनुसार) • नौवीं शती( आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार) • 13वीं शती (आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार ) • 11वीं शती (पीतांबर दत्त बड़थ्वाल के अनुसार) • जन्म – पंजाब में( ब्रिग्स के अनुसार) • कांगड़ा में (डॉ. बच्चन सिंह के अनुसार) पश्चिमी हिमालय के रहने वाले (ग्रियर्सन के अनुसार) • नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक (डॉ. बच्चन सिंह के अनुसार) • भक्ति आंदोलन के पूर्व सबसे शक्तिशाली और धार्मिक आंदोलन गोरखनाथ का भक्ति मार्गी था। गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े नेता थे।(आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार) • गोरखनाथ ने पंजाब, गुजरात,काठियावाड़ उत्तर प्रदेश,नेपाल,असम,उड़ीसा आदि यात्रा की थी । • गोरखनाथ संप्रदाय नाथ सम्प्रदाय का कहा जाता है। • गोरखनाथ ने संस्कृत में भी लिखा है और देसी भाषा में भी। • गोरख के संस्कृत ग्रंथों की संख्या – 9 (मित्र बंधुओं के अनुसार) • गोरखपुर लिखित द्वारा – 18 पुस्तकें(आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार ) • गोरख द्वारा रचित महत्वपूर्ण पुस्तकें – सिद्ध सिद्धांत पद्धति, गोरख संहिता, अमरौघशासनम्, महार्थमंजरी। • सिद्ध सिद्धांत पद्धति को आचार्य रामचंद्र शुक्ल नाथपंथी ग्रंथ मानते हैं । • गोरखनाथ को हिंदी का प्रथम गद्य लेखक माना है। (मिश्रबन्धुओं के अनुसार ) • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने गोरखनाथ की दस हिंदी पुस्तकों का उल्लेख किया है। • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी में लिखी पुस्तकों को संस्कृत में लिखी नाथ पंथी पुस्तकों का सार माना। • पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने सर्वप्रथम गोरख की बानियों का संग्रह – गोरखबानी (1930ई.) नाम से संपादित किया । • पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने गोरख की 40 पुस्तकों का उल्लेख किया है । जिनमें ‘सबदी’ को सबसे अधिक...

महायोगी गुरु गोरखनाथ का जीवन परिचय – Vigyanam

भारत संतो की भूमि है, यहां पर संतो की बात जब भी की जाती है तो उनकी दयालुता और करूणा याद आती है। सिद्ध पुरूषों की धरा पर भगवान का हमेशा ही आशीर्वाद बना रहता है। महापुरुष ज्ञान देते हैं, गोरखपुर है। आइये जानते हैं… महायोगी गुरु गोरखनाथ जीवन परिचय गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ भी कहा जाता है। इनके नाम पर एक नगर का नाम गोरखपुर है। गोरखनाथ नाथ साहित्य के आरम्भकर्ता माने जाते हैं। गोरखपंथी साहित्य के अनुसार आदिनाथ स्वयं भगवान शिव को माना जाता है। शिव की परम्परा को सही रूप में आगे बढ़ाने वाले गुरु गोरक्षनाथ के जन्मकाल पर विद्वानों में मतभेद हैं। राहुल सांकृत्यायन इनका जन्मकाल 845 ई. की 13वीं सदी का मानते हैं। नाथ परम्परा की शुरुआत बहुत प्राचीन रही है, किंतु गोरखनाथ से इस परम्परा को सुव्यवस्थित विस्तार मिला। गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ थे। दोनों को चौरासी सिद्धों में प्रमुख माना जाता है। गोरखनाथ से पहले अनेक सम्प्रदाय थे, जिनका नाथ सम्प्रदाय में विलय हो गया। शैव एवं शाक्तों के अतिरिक्त बौद्ध, जैन तथा वैष्णव योग मार्गी भी उनके सम्प्रदाय में आ मिले थे। गोरखनाथ ने अपनी रचनाओं तथा साधना में योग के अंग क्रिया-योग अर्थात तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणीधान को अधिक महत्व दिया है। इनके माध्‍यम से ही उन्होंने हठयोग का उपदेश दिया। गोरखनाथ शरीर और मन के साथ नए-नए प्रयोग करते थे। कई आसनों का किया आविष्कार जनश्रुति अनुसार उन्होंने कई कठ‍िन (आड़े-त‍िरछे) आसनों का आविष्कार भी किया। उनके अजूबे आसनों को देख लोग अ‍चम्भित हो जाते थे। आगे चलकर कई कहावतें प्रचलन में आईं। जब भी कोई उल्टे-सीधे कार्य करता है तो कहा जाता है कि यह क्या गोरखधंधा लगा रखा है। गोरखनाथ का मानना था कि सिद्धियों के पार जाकर शून्य समा...

गुरु गोरक्षनाथ जी का जीवन परिचय

महर्षि गोरक्षनाथ जी की जीवनी- महायोगी गोरक्षनाथ ऐसे दिव्य सर्वसिद्ध साधक हैं, जो आज भी अप्रत्यक्ष रूप से योगविद्या का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। माना जाता है कि सूक्ष्म सत्ता के रूप में वे हमारा मार्ग दर्शन करने के लिए हमारे बीच विद्यमान हैं। महायोगी गोरक्षननाथ के जन्म के संबन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा अलौकिक वृतान्तों का वर्णन मिलता है। इनमें प्रायः सर्वमान्य धारणा है कि अवधूत योगी गुरु मत्स्येन्द्रनाथ भिक्षा के लिए एक निर्धन ब्राह्मण सर्वापदयाल के घर जाते हैं। भीतर ब्राह्मणी सरस्वती देवी को दुःख से व्याकुल देखकर उसे एक सुन्दर बालक की माता बनने के लिए भस्म देकर उसे खाने के लिये कहते हैं अवधूत गुरु के जाने पर लोकव्यवहार में शंका से प्रेरित होकर ब्राह्मणी भस्म को गोबर के ढेर में दबा देती है। लेकिन एक दिन अकस्मात् बारह वर्ष के पश्चात वही अवधूत वेषधारी मत्स्येन्द्रनाथ जी पुनः ब्राह्मणी के यहां आते हैं और वे उस ब्राह्मणी से मिलते हैं और उसको पूर्ववर्ती घटना का स्मरण कराते हैं। तब ब्राह्णी अवधूत वेषधारी को उसी स्थान पर ले जाती है, जहां उसने बारह वर्ष पूर्व वह भस्म फेंक दी थी। योगी की दिव्य साधना से अभिप्रेरित वह भस्म ”अलखनिरंजन“ के शब्द संघात मात्र से 12 वर्ष के सुन्दर गौर वर्ण बालक के रूप में परिणत हो जाती है। तदुपरान्त योगी मत्स्येन्द्रनाथ बालक का नामकरण गोबर से उत्पन्न होने के कारण गोरक्षनाथ कहते हैं। जन्म संदर्भ के फलस्वरूप इनके जन्म को अयोनिज कहते हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से योगी मत्स्येन्द्रनाथ, गुरू गोरक्षनाथ जी के पिता एवं गुरु माने जाते हैं। योगी गोरक्षनाथ जी भी स्वयं इस बात का स्पष्टीकरण कुछ इस प्रकार करते हैं- आदिनाथ नाती मच्छन्दरनाथ पूता। निज तत् निहारे गोरक्ष अव...

तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download

Advertisements तुलसीदास का जीवन परिचय तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Downloadतुलसीदास हिन्दी तथा भारतीय साहित्य के महान कवि थे जिन्होने महान कविताओं की रचनाए की। तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के सातवें दिन में चमकदार अर्ध चन्द्रमा के समय पर हुआ था। Tulsidas Ji History In Hindi : तुलसीदस का जन्म सवंत 1589 मे, राजापुर बाँदा उत्तर प्रदेश( यूपी ) मे हुआ था तुलसीदस की पिता का नाम आत्माराम दुबे था ओर माता का नाम हुलसी देवी था ओर तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था । तुलसीदास जी के जन्म की चौथे दिन इनके पिता की मृत्यु हो गई। तुलसीदास बचपन से ही वेद पुराण ओर उपनिषदों का अध्यन करने मे अधिक रुचि रखते थे कई इतिहासकार यह मानते है की तुलसीदास का जन्म 1532 मे हुआ था ओर उन्होने 126 साल तक अपना जीवन बिताया । तुलसीदास जी का नाम रामबोला केसे पड़ा तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download ऐसा कहा जाता है की जहा किसी बच्चे का जन्म 9 महीने मे हो जाता है वही तुलसीदास जी अपनी माँ के गर्भ मे 12 महीनो तक रहे थे जब तुलसीदास का जन्म हुआ था तब उनके जन्म के समय उनके 32 दात थे। Advertisements ऐसा कहा जाता है की वे बचपन से रोने के बजाय राम राम बोला करते थे जिसके कारण तुलसीदास जी का नाम रामबोला पड़ गया । उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने बताया तुलसीदास अशुभ समय में पैदा हुए थे ओर यह भी कहा था कि वे अपने माता-पिता के ऊपर संकट रहेगा जिसके कुछ दिन बाद उनकी माता हुलसी देवी का देहांत हो गया ओर तुलसीदास अब इस दुनिया मे अकेले रह गए इसके बाद तुलसीदास जी का पालन पोषण दसियों द्वारा किया गया ये दासियाँ तुलसीदासजी का पालन पोषण अपने बच्चे की तरह किया वहीं जब तुलसीदास करीब 5 साल के थे तब दासीयों भी संसार छोड़कर चल बसी। थोड़े ...