गोत्र शब्द से आप क्या समझते हैं

  1. शब्द अनुवाद को क्या खा सकते हैं
  2. सूफीवाद से आप क्या समझते हैं? Sufiwad Se Aap Kya Samajhte Hain?
  3. टिप्पणी से आप क्या समझते हैं?
  4. गोत्र से आप क्या समझते हैं? Gotr se aap kya samajhate hain?


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शब्द अनुवाद को क्या खा सकते हैं

Table of Contents Show • • • • • • • • • • • • अनुवाद पहले कही गई बात को दुबारा कहना होता है। अनुवाद संस्कृत का तत्सम शब्द है। संस्कृत कोशों में दिए गए अर्थ के अनुसार अनुवाद को पुनर्रुक्ति कहते हैं। पुनरूक्ति का अर्थ होता है फिर से कहना . संस्कृत की वद् धातु में घञ्य प्रत्यय जुड़ने से वाद शब्द बनता है। इसका अर्थ हुआ कहना , कहने की क्रिया या कही हुई बात फिर इसमें पीछे , बाद में आदि के अर्थ में वाला उपसर्ग अनु लगने से यह शब्द बनता है - अनुवाद । इसका अर्थ हुआ पुनरू कथन । • शब्दार्थ चिन्तामणि कोश में अनुवाद अर्थ है प्राप्तस्य पुनरू कथनम् या ज्ञातार्थस्यप्रतिपादनम्। इसका अर्थ है प्राप्त या ज्ञात बात को एक बार फिर कहना या प्रतिपादन करना । प्राचीन भारत में शिक्षा-दीक्षा की प्रयुक्त होने मौखिक परम्परा प्रचलित थी। गुरू जो कहते थे शिष्य उसे दुहराते थे। इस दुहराने को अनुवाद शब्द से जाना जाता था। • आजकल हिन्दी में अनुवाद का आशय है एक भाषा में कही हुई बात को दूसरी भाषा में कहना इसके लिए उलथा और तरजुमा शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। आजकल अनुवाद शब्द अंग्रेजी के ट्रान्सलेशन के रूप में प्रचलित है। इसका अर्थ है किसी शब्द को एक भाषा से दूसरी भाषा में ले जाना जिसका आशय निकला एक भाषा से दूसरी भाषा में भाव विचार ले जाना। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है मूल कथ्य के अर्थ की पुनरावृत्ति को ही दूसरे शब्दों में और प्रकारान्तर से अर्थ का भाषान्तरण कहा जा सकता है। इस दृष्टि से अनुवाद के तीन सन्दर्भ हैं समभाषिक अन्य भाषिक , द्विमाषिक और अन्तरसंकेतपरक • समभाषिक संदर्भ में अर्थ की पुनरावृत्ति एक ही भाषा की सीमा के भीतर होती है परन्तु इसके आयाम अलग-अलग हो सकते हैं। मुख्यत: आयाम दो है- कालक्रमिक और समकालिक ...

सूफीवाद से आप क्या समझते हैं? Sufiwad Se Aap Kya Samajhte Hain?

सूफी शब्द साधारणतः किसी मुस्लिम संत या दरवेश के लिए प्रयोग किया जाता है। इस शब्द की उत्पत्ति सफा (पवित्र) शब्द से हुई अर्थात् ईश्वर का ऐसा भक्त जो सभी सांसारिक बुराइयों से मुक्त हो। कुछ लेखकों ने सूफीशब्द को सफा (दर्जा) से जोड़ा है, अर्थातऐसा व्यक्ति जो आध्यात्मिक रूप से भगवान के साथ पहले दर्जे का संबंध रखता हो। सूफी मत के मूल सिद्धांत कुरान और हजरत मुहम्मद की हदीश में मिलते हैं। वे हजरत साहिब को अपना अवतार मानते थे और कुरान में पूरा विश्वास रखते थे। फिर भी कुछ समय पश्चात् उन्होंने दूसरे धर्मों जैसे कि ईसाई मत, फारसी धर्म, बौद्ध मत और भारतीय दर्शनों विचारों और परंपराओं को अपना लिया। सूफी मत अपने विकास के पश्चात् एक ऐसी नदी के समान बन गया जिसमें आस-पास के क्षेत्रों की छोटी नदियाँ आकर मिल जाती हैं। by Sumit kushwah

टिप्पणी से आप क्या समझते हैं?

अनुक्रम (Contents) • • • • • टिप्पणी से आप क्या समझते हैं? हिन्दी में टिप्पणी शब्द का प्रयोग अँगरेजी शब्द ‘Noting’ के हिन्दी पर्यायरूप में किया जाता है। प्रत्येक कार्यालय या विभाग में उसके कार्य से सम्बन्धित अनेक प्रकार के पत्र आते हैं। जैसे ही किसी कार्यालय में कोई पत्र प्राप्त होता है वैसे ही कार्यवाही का एक सिलसिला शुरू हो जाता है। यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक अन्तिम निपटारा नहीं हो जाता। पत्र आदि के निपटाने के लिए समय-समय पर जो अभियुक्तियाँ लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पणी कहते हैं। इस प्रकार टिप्पण के प्रक्रिया है और टिप्पणी उसका प्रतिफलित रूप है। सेन्ट्रल सेक्रेटरिएट मैल्सुअल आफ आफिस प्रोसीजर में टिप्पणी की व्याख्या करते हुए कहा गया है-“टिप्पणी वे अभियुक्तियाँ हैं जो किसी विभागाधीन कागज के सम्बन्ध में लिखी जाती हैं जिससे उनके निस्तारण में सहूलियत हो सके।” उत्तर प्रदेश सरकार की हिन्दी निर्देशिका के अनुसार- “टिप्पणी का उद्देश्य उन बातों को जिन पर निर्णय करना होता है, स्पष्ट रूप से तथा तर्कानुसारेण प्रस्तुत करना है। साथ ही वह उन बातोंकी ओर भी संकेत करता है जिनके आधार पर उसका निर्णय संभवतः लिया जा सकता है।” टिप्पण— लेखन– किसी भी विचाराधीन पत्र या आवेदन पत्र के निष्पादन को सरल बनाने के लिए जो टिप्पणियाँ सरकारी कार्यालयों में लिपिकों, सहायकों तथा कार्यालय अधिकारी द्वारा लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पण कहते हैं। इन टिप्पणों में तीन बातें रहती हैं- 1. उस पत्र से पूर्व के पत्र आदि का सारांश, 2. जिस प्रश्न पर निर्णय किया जाता है, उसका विवरण या विश्लेषण और 3. उस सम्बन्ध में क्या कार्रवाई की जाय, इस विषय में सुझाव और क्या आदेश दिये जायँ, इस विषय में भी सुझावों का उल्लेख। टिप्पण...

गोत्र से आप क्या समझते हैं? Gotr se aap kya samajhate hain?

सवाल: गोत्र से आप क्या समझते हैं? गोत्र का सीधा मतलब अपने पूर्वजों से हैं। यानी ऋषि-मुनियों से जितने ऋषि मुनि थे, उतनी गोत्र बने जैसे: वशिष्ठ, भगु, कश्यप, अंगिरा, कश्यप ऋषि, मुनि ने सबसे ज्यादा शादी की थी। उनके गोत्र के लोग सबसे ज्यादा है। गोत्र का सीधा संबंध हिंदू धर्म से है, जब शादी समारोह होता है तो वर वधू का गोत्र मिलाया जाता है, वर और वधू का दोनों का गोत्र समान नहीं होना चाहिए। समान गोत्र के लोग आपस में भाई बहन होते हैं, और हिंदू धर्म में भाई बहन की शादी आपस में नहीं होती है।