Gotra shabd se aap kya samajhte hain

  1. जाति व्यवस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
  2. संस्कृति क्या है, अर्थ परिभाषा एवं विशेषताएं
  3. Gotra
  4. गोरा शब्द का तत्सम रूप क्या है?gora ka Tatsam
  5. गोत्र से आप क्या समझते हैं? Gotra Se Aap Kya Samajhte Hain?
  6. Shabd Shakti
  7. गोत्र क्या है? अधिकतर लोगों का गोत्र कश्यप क्यों है?
  8. Caste System of India
  9. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी


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जाति व्यवस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

न्याय सूत्र के अनुसार "समान प्रसावात्मिका जाति" अर्थात् जाति का अभिप्राय समान जन्म वाले लोगों के समूह से है। जाति जन्म पर आधारित ऐसा सामाजिक समूह है जो अंतर्विवाह के नियम एवं सामाजिक सहवास के कुछ निषेधों का पालन करते हुए वंशानुगत आधार पर समाज मे व्यक्ति की प्रस्थिति का निर्धारण करती है। जाति व्यवस्था की संक्षिप्त जानकारी के बाद अब हम जाति व्यवस्था का अर्थ, जाति व्यवस्था की परिभाषाएं और जाति व्यवस्था की विशेषताएं विस्तार से जानेंगे। जाति व्यवस्था का अर्थ (jati vyavastha kya hai) अंग्रेजी में जाति के लिए Caste शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। Caste शब्द पुर्तगाली भाषा के Casta से बना है। जिसका अभिप्राय प्रजाति, नस्ल से अर्थात् जन्मगत आधार से है। जाति प्राचीनतम् संस्थाओं मे से एक है। जन्म ही मनुष्य के सामाजिक और पारिवारिक संबंधो को निर्धारित करता है। जन्म के साथ ही मानव का उस जाति से संबंध हो जाता है। जिसमें उसने जन्म लिया है तथा उसी के रहन-सहन, खान-पान, तथा वेशभूषा को अपनाता है तथा उसी जाति मे शादी-विवाह करता है। जाति व्यवस्था के अर्थ को सही तरीके से समझने के लिए जाति व्यवस्था की परिभाषाओं को जानना भी बहुत ही जरूरी हैं-- जाति व्यवस्था की परिभाषा (jati vyavastha ki paribhasha) एम.एन. श्रीनिवास " जाति एक वंशानुगत अंतर्विवाही समूह है जो कि प्रायः स्थानीय होते है, इसका एक विशिष्ट व्यवसाय से परम्परागत संबंध होता है तथा जाति के स्थानीय पदक्रम मे इसकी विशिष्ट प्रस्थिति होती है। जातियों के मध्य संबंध अन्य बातों के अलावा छुआछूत की अवधारणाओं और प्रायः खान-पान संबंधी निषेधों से नियंत्रित होते है अर्थात् जाति के अंदर ही साथ बैठकर भोजन किया जा सकता है।" मजूमदार के अनुसार, "जाति एक बंद वर्ग...

संस्कृति क्या है, अर्थ परिभाषा एवं विशेषताएं

Sanskriti ka arth paribhasha visheshtayen;समूह मे साथ-साथ जीवन व्यतीत करने के लिये आवश्यकता हैं कुछ नियम, विधान की जो व्यक्ति के पारस्परिक संबंधों, व्यवहारों व क्रियाओं को निर्देशित व नियमित कर सकें। सामूहिक जीवन के ये नियम, विधान, व्यवहार प्रणालियाँ, मूल्य, मानक एवं आचार-विचार व्यक्ति की सांस्कृतिक विरासत का अंग होते हैं। दूसरे शब्दों मे," संस्कृति हमारे द्वारा सीखा गया वह व्यवहार है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है। एडवर्ड टायलर का कथन है कि संस्कृति वह जटिल समग्रता हैं जिसमे ज्ञान, विश्वास, कला, आर्दश, कानून, प्रथा एवं अन्य किन्ही भी आदतों एवं क्षमताओं का समावेश होता है जिन्हे मानव ने समाज के सदस्य होने के नाते प्राप्त किया हैं। इस लेख मे हम संस्कृति की परिभाषा और संस्कृति की विशेषताएं जानेगें। व्यक्ति का समाज तथा संस्कृति के साथ समान रूप से संबंध है। व्यक्ति के व्यवहार के ये दोनों ही महत्वपूर्ण आधार हैं। इस रूप मे व्यक्ति, समाज एवं संस्कृति तीनों ही अन्योन्याश्रित हैं। व्यक्ति का समग्र विकास समाज तथा संस्कृति दोनों के प्रभाव से होता हैं। इस समीकरण द्वारा स्पष्ट है कि समाज का सामूहिक जीवन भी व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता हैं। तथा दूसरी तरफ संस्कृति के आर्दश नियम भी मानव-व्यवहार को दिशा प्रदान करते हैं। विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई संस्कृति की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-- रेडफील्ड के अनुसार, " रेडफील्ड ने संस्कृति की संक्षिप्त परिभाषा इस प्रकार उपस्थित कि हैं, " संस्कृति कला और उपकरणों मे जाहिर परम्परागत ज्ञान का वह संगठित रूप है जो परम्परा के द्वारा संरक्षित हो कर मानव समूह की विशेषता बन जाता हैं।" हर्षकोविट के अनुसार," संस्कृति मानव व्यवहार का सीखा हुआ भ...

Gotra

Gotra – गोत्र क्या है मानव एक सामाजिक प्राणी है, एक सामान्य मनुष्य समाज द्वारा बनाए गए नीति और नियमों का पालन करने के लिए इस समाज में स्वयं को और अपने परिवार को मान सम्मान को बनाए रख सकता है। Read more : Gotra – गोत्र कितने होते है? हमारे ग्रंथों के अनुसार, हम सभी ऋषि मुनियों के संतान है। मुख्य रूप से सप्त ऋषियों के नाम के आधार पर सात Gotra का प्रचलन हुआ। ये सात ऋषि थे- 1.अत्रि, 2. भारद्वाज, 3. भृगु, 4. गौतम, 5.कश्यप, 6. वशिष्ठ, 7.विश्वामित्र. बाद में इसमें आठवां गोत्र अगस्त्य भी जोड़ा गया बाद में यह आंकड़ा बढ़ता चला गया, लेकिन छोटे स्तर पर साधुओं से जोड़कर देखा जाए तो वर्तमान में कुल 115 Gotra की सूची पाए जाते हैं। सभी गोत्र समान होते है,इसमें कोई बड़ा गोत्र या छोटा गोत्र नहीं होता , सभी गोत्र में ब्रह्मण, छत्रिय, वैश्य और क्षुद्र होते है। उसी प्रकार अलग अलग गोत्र के अलग अलग कुलदेवी होती है। Gotra – गोत्रों में वैवाहिक स्थिति का आकलन – सात Gotra का प्रचलन सप्त ऋषि – अत्रि, भारद्वाज, वृगु ,गौतम, कश्यप, वशिष्ठ, विश्वामित्र से हुआ लेकिन समय के साथ-साथ यह भी यह सब बढ़ते गए और एक समान वाली Gotra आगे चलकर किसी एक ही ऋषि की संतान होने के कारण भाई-बहन समझाने समझाने लगे मुख्य रूप से यही कारण है कि एक के समान गोत्र वाले स्त्री-पुरुष का विवाह आप समझा जाने लगा। समाज की दृष्टि से एक समान गोत्र के लड़का लड़की का रिश्ता भाई-बहन का होता है और उनका आपस में विवाह करना सामाजिक दृष्टि से भी दंडनीय होता है। एक ही गोत्र में विवाह न करने के पीछे एक कारण यह भी है कि एक ही गोत्र में विवाह करने से संतान में अनुवांशिक दोष आने की संभावना और भी ज्यादा हो जाती है जो कि आज का मेडिकल साइंस भी यह कहता है...

गोरा शब्द का तत्सम रूप क्या है?gora ka Tatsam

Advertisement गौर का तद्भव रूप गोरा है। तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत + सम, जिसका अर्थ होता है – उसके (संस्कृत के) समान। जिन संस्कृत के मूल शब्दों को बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में ज्यों का त्यों प्रयोग किया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे – सूर्य, वर्षा, नयन, धरित्रि आदि। संस्कृत के मूल शब्दों में समय के साथ कुछ परिवर्तन आ गया है, ऐसे शब्दों को तद्भव शब्द कहते हैं, जैसे – सूरज, बारिश, नैन, धरती आदि। Advertisement तत्सम और तद्भव शब्दों के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएँ:- परीक्षा में तत्सम और तद्भव शब्द पर अनेकों प्रकार से प्रश्न पूछे जा सकते हैं। जैसे – गोरा का तत्सम क्या है? गोरा का तत्सम शब्द गोरा का तत्सम शब्द चुनिए गोरा शब्द का तत्सम रूप क्या होता है? गोरा का तत्सम रूप बताइए gora ka tatsam roop gora ka tatsam shabd kya hai? परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाने वाले 10 IMPORTANT तत्सम तद्भव शब्द के उदाहरण: • • • • • • • • • • Related Posts: • जोग शब्द का तत्सम रूप क्या है?jog ka Tatsam • बड शब्द का तत्सम रूप क्या है?bad ka Tatsam • नौ शब्द का तत्सम रूप क्या है?nau ka Tatsam • गाय शब्द का तत्सम रूप क्या है?gay ka Tatsam • जौ शब्द का तत्सम रूप क्या है?jau ka Tatsam • गुन शब्द का तत्सम रूप क्या है?gun ka Tatsam • लोग शब्द का तत्सम रूप क्या है?log ka Tatsam • जस शब्द का तत्सम रूप क्या है?jas ka Tatsam

गोत्र से आप क्या समझते हैं? Gotra Se Aap Kya Samajhte Hain?

लगभग 1000 ई० पू० में गोत्र प्रथा अस्तित्व में आया। प्रत्येक गोत्र किसी ऋषि के नाम पर होता था। उस गोत्र के सदस्य उसी ऋषि के वंशज माने जाते थे। एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह नहीं कर सकते थे। विवाह के पश्चात् स्त्रियों का गोत्र पिता के स्थान पर पति का गोत्र माना जाता था। परंतु सातवाहन इसके अपवाद कहे जा सकते हैं। पुत्र के नाम के आगे माता का गोत्र होता था। उदाहरण के लिए गौतमी पुत्र शातकर्णी अर्थात् विवाह के पश्चात् भी सातवाहन रानियों ने अपने पति के स्थान पर पिता का गोत्र ही अपनाया। by Sumit kushwah

Shabd Shakti

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Shabd Shakti | शब्द शक्ति : अर्थ एवं परिभाषा और उसके प्रकार Shabd Shakti | शब्द शक्ति और उसके प्रकार : दोस्तों ! आज की पोस्ट में हम Shabd Shakti | शब्द शक्ति और उसके प्रकार के बारे में अच्छे से समझेंगे। हम शब्द शक्ति का अर्थ, परिभाषा, उसके प्रकार, उदाहरण तथा अंतर आदि के बारे में महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा कर रहे है। Shabd | शब्द क्या है ? शब्द : भाषा में इस्तेमाल होने वाली सबसे छोटी इकाई जो अपने आप में पूर्ण होती है, वह शब्द है । उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार प्रकार माने जाते हैं : • तत्सम • तद्भव • देशी • विदेशी Shabd Shakti | शब्द शक्ति : अर्थ एवं परिभाषा Shabd Shakti : अर्थ एवं परिभाषा : शब्द किसी भी प्रकार का हो अपना अर्थ रखता है । बिना अर्थ के शब्द नहीं हो सकता और बिना शब्द के अर्थ नहीं हो सकता । प्रत्येक शब्द में अपना अर्थ बनाने की क्षमता होती है । इसी क्षमता को साहित्य शास्त्र में शब्द शक्ति कहा जाता है। परिभाषा : शब्द की वह प्रक्रिया जिसके द्वारा शब्द से किसी की अर्थ का ज्ञान होता है, शब्द शक्ति कहलाती है। Shabd Shakti | शब्द शक्ति के प्रकार : शब्द शक्ति के प्रकार : जैसा कि आप जानते हैं कि प्रत्येक शब्द में अपना अर्थ बताने की क्षमता होती है लेकिन इस अर्थ का ज्ञान अलग-अलग प्रक्रियाओं से प्राप्त करते हैं । इस प्रक्रिया की दृष्टि से शब्द शक्ति के तीन भेद किए जाते हैं : • अभिधा • लक्षणा • व्यंजना अभिधा शब्द शक्ति : अभिधा शब्द शक्ति : लोक व्यवहार में प्रसिद्ध अर्थ को व्यक्त करने वाली शब्द शक्ति अभिधा कहलाती है । साक्षात संकेतिक अर्थ को व्यक्त करने वाली शब्द शक्ति अभिधा है। • शब्द के पहले, पूर्व विधित अर्थ को बताने वाली श...

निपात

विषय सूची • • • • निपात की परिभाषा निपात किसे कहते हैं? निपात ऐसे शब्द हैं जो किसी शब्द के साथ लगकर उसके अर्थ को बल प्रदान करते हैं, उसे निपात कहते हैं। इन शब्दों को निपात अवधारक भी कहते हैं। इस तरह के शब्द किसी खास बात पर जोर देकर कहने के लिए प्रयोग किया जाता है। निपात अवधारक के उदाहरण • राधा ने मुझसे बात तक नहीं की। • कल सभी स्कूल तक जाएंगे। • शिक्षक के आने पर की गई थी जैसे ही शिक्षक वर्ग में आए सभी विद्यार्थी गण चुप हो गए। • कल शिक्षक भी आएंगे। • राम को आज रात रुकना ही पड़ सकता है। • कल से मैं भी आपके साथ स्कूल आऊंगा। • राधा ने तो हद कर दी। • गांधी जी को पूरे भारत के एक-एक बच्चे तक जानते हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों में तक, ही, भी, भर आदि जैसे शब्द वाक्यों को बल दे रहे हैं। जिससे इन शब्दों का प्रयोग किसी बात पर जोर देने के लिए किया जा रहा इस तरह के शब्द को निपात अवधारक भी कहते हैं। निपात के भेद निपात के तीन भेद बताए हैं। • उपमार्थक निपात • कर्मोपसंग्रहार्थक निपात • पदपूरणार्थक निपात हालांकि निपातओं में कोई सार्थकता नहीं होती है। फिर भी उन्हें पूरी तरह अर्थहीन नहीं कहा जा सकता। निपात एक शुद्ध नहीं है, क्योंकि जब निपात के कार्य निपात के निम्नलिखित कार्य होते हैं। • प्रश्न जैसे: क्या राधा जा रही है? • अस्वीकृति जैसे: मेरा छोटा भाई रमेश आज स्कूल नहीं जाएगा। • विस्मय बोधक जैसे: क्या आपके पास एक अच्छी सी पुस्तक है? • वाक्य में किसी शब्द पर बल देना जैसे: इसे तो बच्चा बच्चा जानता है। निपात के प्रकार निपात के निम्नलिखित नौ प्रकार या वर्ग होते हैं। निपात के नौ प्रकार या वर्ग हैं- • स्वीकार्य निपात जैसे- हाँ, जी, जी हाँ। • नकरार्थक निपात जैसे- नहीं, जी नहीं। 1. स्वीकृतिबोधक निपात हा, ...

गोत्र क्या है? अधिकतर लोगों का गोत्र कश्यप क्यों है?

व्यावहारिक रूप में गोत्र से आशय पहचान से है। जो ब्राह्मणों के लिए उनके ऋषिकुल से होती है। कालान्तर में जब वर्ण व्यवस्था ने जाति-व्यवस्था का रूप ले लिया तब यह पहचान स्थान व कर्म के साथ भी संबंधित हो गई। यही कारण है कि ब्राह्मणों के अतिरिक्त अन्य वर्गों के गोत्र अधिकांश उनके उद्गम स्थान या कर्मक्षेत्र से सम्बन्धित होते हैं। गोत्र के पीछे मुख्य भाव एकत्रीकरण का है किन्तु वर्तमान समय में आपसी प्रेम व सौहार्द की कमी के कारण गोत्र का महत्व भी धीरे-धीरे कम होकर केवल कर्मकांडी औपचारिकता तक ही सीमित रह गया है। ब्राह्मणों में जब किसी को अपने गोत्र का ज्ञान नहीं होता तब वह कश्यप गोत्र का उच्चारण करता है। ऐसा इसलिए होता क्योंकि कश्यप ऋषि के एकाधिक विवाह हुए थे और उनके अनेक पुत्र थे। अनेक पुत्र होने के कारण ही ऐसे ब्राह्मणों को जिन्हें अपने गोत्र का पता नहीं है कश्यप ऋषि के ऋषिकुल से संबंधित मान लिया जाता है। Success in politics astrology : ऐसे भी कई लोग हैं जो सेना या पुलिस में नौकरी करना चाहते हैं। कई लोग हैं जो शासन-प्रशासन में काम करना चाहते हैं। हालांकि बहुत से लोग राजनीति में अपना भविष्य चमकाना चाहते हैं परंतु वे सफल नहीं हो पाते हैं। यदि आप भी राजनीति में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं तो आपने मन में सवाल होगा कि ऐसा क्या करूं कि इस क्षेत्र में सफलता मिले तो जानिए कि कौन से वार को व्रत रखने से यह मनोकामना होगी पूर्ण। Mangal puja Amalner : भूमि पुत्र मंगल देव का अमलनेर में बहुत ही जागृत मंदिर है। यहां पर मंगल देव के साथ ही पंचमुखी हनुमान और भू माता विराजमान हैं। यहां पर हजारों की संख्‍या में लोग मंगल दोष की शांति के लिए आते हैं। इसी के साथ ही जिन लोगों को भूमि से स...

Caste System of India

• For Government • Government Home • CL-150 Platform • CL-150 Individual Licenses • Acquisition • Sustainment • CL-150 Cohorts • CL-150 Connect • CL-150 Bulletin • CL-150 Training • Points of Contact • FAQs • For Education • Education Home • K-12 • Higher Education • Homeschool • Webinars • How to Buy • Free Educator Resources • FAQs • For Libraries • Libraries Home • Library Availability • How to Buy • Marketing Materials • Spanish for Librarians • FAQs • For Businesses • Businesses Home • Professional Proficiency Training • General Proficiency Training • Self-Paced Resources • FAQs • For Individuals • Individuals Home • Library Availability • Products • Homeschool • Live Instruction & Tutoring • Languages • Success Stories Many of you might have heard about the caste system of India. Sadly yes, it is true that India has a caste based society. Though the castes are usually linked to Hindus but almost all religion in India are affected with it. Caste system (जाति व्यवस्था – Jati Vyavastha) is one of the greatest evil of Indian society (भारतीय समाज – Bhartiya Samaaj). This system is over 3000 year old social stratification (विभाजन – Vibhaajan) system of the Indian society. In many ways, this system is the best example of severe social discrimination (भेदभाव – Bhedbhaav) as well as exploitation of a class (वर्ग – Varg) by other classes in a multi-class society. The discrimination was such severe that people from one class (upper caste) would not touch the people from another...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...