गोविंद दशमी कब है 2022

  1. Govind Dwadashi 2022
  2. Shardiya Navratri 2022 Date Calendar When Is Navratri 2022 Ghatasthapana Date Time Muhurat
  3. Dussehra 2023: कब है दशहरा 2023, जानें विजयदशमी पर्व तिथि व मुहूर्त
  4. वीर तेजा दशमी 6 सितंबर मंगलवार को है: जानिए कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत
  5. महालक्ष्मी कब विराजेंगी, जानिए शुभ तिथि और पूजा विधि
  6. गोविंद द्वादशी कब है, कैसे करें पूजा...
  7. चैत्र नवरात्रि 2022 : इस बार 8 दिन की है या 9 दिन की जानिए यहां
  8. 2022 में दशमी तिथि सूची
  9. महालक्ष्मी कब विराजेंगी, जानिए शुभ तिथि और पूजा विधि
  10. चैत्र नवरात्रि 2022 : इस बार 8 दिन की है या 9 दिन की जानिए यहां


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Govind Dwadashi 2022

फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि गोविंद द्वादशी पर्व मनाया जाता है। साल 2022 गोविंद द्वादशी पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा। होली से महज चार दिन पहले आने वाली गोविंद द्वादशी पर्व उत्सव की सबसे ज्यादा धूम मथुरा-वृंदावन में होती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है गोविंद द्वादशी का भगवान कृष्ण को समर्पित है। गोविंद द्वादशी के दिन विष्णु स्वरूप भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन की सभी नकारात्मकता दूर हो जाती है। जानते हैं क्यों और कैसे करें गोविंद द्वादशी 2022 का विशेष व्रत- कब है गोविंद द्वादशी 2022 गोविंद द्वादशी – 15 मार्च 2022 गोविंद द्वादशी से पहले रंगभरी ग्यारस आती है। उस दिन से सप्ताह भर तक बृज में होली का उत्साह रहता है। क्यों करें गोविंद द्वादशी 2022 का व्रत शास्त्रों और पुराणों के अनुसार गोविंद द्वादशी व्रत करने से भगवान कृष्ण की आशीर्वाद प्राप्त होती है। गोविंद द्वादशी के व्रत करने से संतान संबंधी कोई भी चिंता दूर होती है। यह व्रत और इसकी विशेष पूजा सभी तरह की मनोकामना को पूरी करने वाली बताई गई है। यह व्रत एकादशी की तरह की सभी तरह की बीमारियों से भी मुक्ति देता है। आर्थिक उन्नति चाहने वालों को, प्रेम संबंध में सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों, बच्चों की चाह रखने वालों और भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए गोविंद द्वादशी 2022 का व्रत रखना चाहिए। साथ ही गोविंद द्वादशी की विशेष पूजा का लाभ भी उठाना चाहिए। ऐसे करें गोविंद द्वादशी का व्रत – सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें। इसके बाद स्नान करके भगवान के समक्ष पांच मिनट का ध्यान जरूर करें। – भगवान कृष्ण या बाल गोविंद की छोटी मूर्ति को स्नान करवाएं और नए वस्त्र धारण करवाएं। – भगवान को सुबह दूध और दूध से बनी...

Shardiya Navratri 2022 Date Calendar When Is Navratri 2022 Ghatasthapana Date Time Muhurat

Shardiya Navratri 2022: शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र 26 सितंबर 2022 (Shardiya Navratri 2022 date) से शुरु हो रहे हैं. इसका समापन 5 अक्टूबर 2022 को होगा. साल में चार नवरात्रि होती है दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष. हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाती है. नौ दिन तक चलने वाले शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा (Devi durga) के नौ रूपों की पूजा की जाती है औऱ दशमी तिथि के दिन दशहरा (Dusshera 2022) मनाया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना का विधान है. शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से विशेष फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं घटस्थापना मुहूर्त औऱ विधि शारदीय नवरात्रि 2022 मुहूर्त (Shardiya Navratri 2022 Muhurat) • शारदीय नवरात्रि - 26 सितंबर से 5 अक्टूबर तक • अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रांरभ - 26 सितंबर 2022, 3.24 AM • अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समापन- 27 सितंबर 2022, 03.08 AM • अभिजीत मुहूर्त- 26 सितंबर सुबह 11.54 से दोपहर 12.42 मिनट तक • घटस्थापना मुहूर्त - 26 सितंबर 2022, 06.20 AM – 10.19 AM नवरात्रि में घटस्थापन की विधि: (Navratri Ghat Isthapana Vidhi) • नवरात्रि में देवी की पूजा का फल तभी मिलता है जब नियमों का ध्यान रखा जाए. नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें. • कलश स्थापना के लिए एक मिट्‌टी के पात्र में पवित्र मिट्‌टी रखें और उसमें जौ बोएं. • पूजा स्थान या ईशान कोण में कलश स्थापन शुभ मानी जाती है. यहां गंगाजल छिड़कर साफ सफाई कर लें. पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. इस पर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें. • एक तांबे या मिट्‌टी के कलश में गंगा जल या स्वच्छ जल भरकर इ...

Dussehra 2023: कब है दशहरा 2023, जानें विजयदशमी पर्व तिथि व मुहूर्त

सनातन धर्म का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है दशहरा जो बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है।शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा के अंतिम दिन को दशहरा के रूप में मनाने का रिवाज़ है। इस पर्व को अत्यंत उत्साह, आस्था एवं धूमधाम से देशभर में मनाया जाता है। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, दशहरा को प्रतिवर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। यह प्रमुखता से सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है जिसकी रौनक उत्तरी और पश्चिमी भारत में देखने को मिलती है। दशहरा 2023 की तिथि एवं मुहूर्त दशहरा की पूजा विधि • दशहरा की पूजा सदैव अभिजीत, विजयी या अपराह्न काल में की जाती है। • अपने घर के ईशान कोण में शुभ स्थान पर दशहरा पूजन करें। • पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करके चंदन का लेप करें और आठ कमल की पंखुडियों से अष्टदल चक्र निर्मित करें। • इसके पश्चात संकल्प मंत्र का जप करें तथा देवी अपराजिता से परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। • अब अष्टदल चक्र के मध्य में 'अपराजिताय नमः' मंत्र द्वारा देवी की प्रतिमा स्थापित करके आह्वान करें। • इसके बाद मां जया को दाईं एवं विजया को बाईं तरफ स्थापित करें और उनके मंत्र “क्रियाशक्त्यै नमः” व “उमायै नमः” से देवी का आह्वान करें। • अब तीनों देवियों की शोडषोपचार पूजा विधिपूर्वक करें। • शोडषोपचार पूजन के उपरांत भगवान श्रीराम और हनुमान जी का भी पूजन करें। • सबसे अंत में माता की आरती करें और भोग का प्रसाद सब में वितरित करें। दशहरा पर संपन्न होने वाली पूजा शस्त्र पूजा: दशहरा के दिन दुर्गा पूजा, श्रीराम पूजा के साथ और शस्त्र प...

वीर तेजा दशमी 6 सितंबर मंगलवार को है: जानिए कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत

प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तेज दशमी पर्व (Teja Dashami Festival In India) मनाया जाता है। मान्यतानुसार नवमी की पूरी रात रातीजगा करने के बाद दूसरे दिन दशमी को जिन-जिन स्थानों पर वीर तेजाजी (Veer Tejaji) के मंदिर हैं, मेला लगता है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु नारियल चढ़ाने एवं बाबा की प्रसादी ग्रहण करने तेजाजी मंदिर में जाते हैं। इस वर्ष वीर तेजा दशमी पर्व 6 सितंबर 2022, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। भारत के कई प्रांतों में तेजा दशमी का पर्व श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के प्रतीकस्वरूप मनाया जाता है। मत-मतांतर से यह पर्व मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ के तलून, साततलाई, सुंद्रेल, जेतपुरा, कोठड़ा, टलवाई खुर्द आदि गांवों में नवमी एवं दशमी को तेजाजी की थानक पर मेला लगता है। बाबा की सवारी (वारा) जिसे आती है, उसके द्वारा रोगी, दुःखी, पीड़ितों का धागा खोला जाता है एवं महिलाओं की गोद भरी जाती है। सायंकाल बाबा की प्रसादी (चूरमा) एवं विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है। तेज दशमी पर्व पर तेजाजी मंदिरों में वर्षभर से पीड़ित, सर्पदंश सहित अन्य जहरीले कीड़ों की तांती (धागा) छोड़ा जाता है। माना जाता है कि सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति, पशु यह धागा सांप के काटने पर बाबा के नाम से पीड़ित स्थान पर बांध लेते हैं। इससे पीड़ित पर सांप के जहर का असर नहीं होता है और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है। दंतकथाओं में अब तक बताया जा रहा था कि तेजाजी का जन्म माघ सुदी चतुर्दशी को 1130 में हुआ था जबकि ऐसा नहीं है। तेजाजी का जन्म विक्रम संवत 1243 के माघ सुदी चौदस को हुआ था। वहीं दंतकथाओं में तेजाजी की वीर गति का साल 1160 बताया गया है जबकि सच यह है कि तेजाजी को 1292 में वीर गति अजमेर के पनेर के पास स...

महालक्ष्मी कब विराजेंगी, जानिए शुभ तिथि और पूजा विधि

वर्ष 2022 में श्री महालक्ष्मी व्रत शनिवार, 3 सितंबर से मनाया जाएगा। इस व्रत के तहत 16 दिनों तक देवी महालक्ष्मी घर में विराजेंगी। इस व्रत का समापन 17 ‍ सितंबर 2022 को होगा। महाराष्ट्रीयन परिवारों में मनाया जाने वाला यह खास श्री महालक्ष्मी व्रत कई घरों में 3 दिवसीय मनाया जाता है, जिसे तीन दिनी महालक्ष्मी पर्व के नाम से जाना जाता है। भारत के कई जगहों पर यह पर्व 8 दिन तो कई स्थानों पर 16 दिनों तक मनाया जाता है। इस व्रत में गौरी यानी माता पार्वती और देवी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। व्रत संबंधित मान्यतानुसार लक्ष्मी जी की इन मूर्तियों में कोई भी बदलाव तभी किया जा सकता है, जब घर में कोई शादी हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। इन माता की प्रतिमाओं के अंदर गेहूं और चावल भरे जाते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि घर धन-धान्य से भरा-पूरा रहे। यहां पढ़ें महालक्ष्मी व्रत की शुभ तिथियां एवं पूजन की सबसे सरल विधि- Mahalaxmi Vrat 2022

गोविंद द्वादशी कब है, कैसे करें पूजा...

वर्ष 2022 में मंगलवार, 15 मार्च 2022 को गोविंद द्वादशी (Govinda Dwadashi 2022) पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार द्वादशी तिथि का संबंध भगवान श्री विष्णु से है। इस दिन भगवान गोविंद की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है। पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला बताया गया है। व्रतधारी को यह व्रत पूर्ण श्रद्धा-विश्वास के साथ करना चाहिए। इसका पूजन भी एकादशी व्रत की तरह ही किया जाता है। इस दिन पूर्वजों का तर्पण करने की मान्यता है। फाल्गुन द्वादशी का दिन पूरे मनपूर्वक पूजा-पाठ, भजन, कीर्तन आदि करते हुए दिन व्यतीत करना चाहिए।

चैत्र नवरात्रि 2022 : इस बार 8 दिन की है या 9 दिन की जानिए यहां

Chaitra navratri 2022Chaitra Navratri 2022: हिन्दू नवर्ष का प्रारंभ चैत्र नवरात्रि से ही होता है। चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि को चैत्र इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 2 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। आओ जानते हैं कि इस बार 8 दिन की है या 9 दिन की। इस वर्ष कोई भी तिथि क्षय नहीं है इसीलिए पूरे नौ दिन की रहेगी नवरात्रि।

2022 में दशमी तिथि सूची

महत्वपूर्ण जानकारी • हिंदू कैलेंडर के अनुसार दसवां दिन को दशमी कहा जाता है। दशमी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आती है। दशमी, महीने में दो बार आती है। हिंदू धर्म में दशमी का अपना विशेष महत्व है। दशमी तिथि में पड़ने वाला प्रसिद्धत्यौहार विजय दशमी और गंगा दशहरा हैं। दशमी के दिन यमराज की पूजा की जाती है। यमराज की पूजा करने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती हैं। 2022 में दशमी तिथि सूची जनवरी में दशमी तिथि शुक्ल पक्ष दशमी 11 जनवरी दोपहर 2:22 बजे - 12 जनवरी शाम 4:49 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 27 जनवरी सुबह 4:34 बजे - 28 जनवरी दोपहर 2:16 बजे दशमी तिथि फरवरी में शुक्ल पक्ष दशमी 10 फरवरी सुबह 11:08 बजे - 11 फरवरी दोपहर 1:52 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 25 फरवरी दोपहर 12:57 बजे - 26 फरवरी सुबह 10:39 बजे मार्च में दशमी तिथि शुक्ल पक्ष दशमी 12 मार्च सुबह 8:08 बजे - 13 मार्च सुबह 10:22 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 26 मार्च रात 8:02 बजे - 27 मार्च शाम 6:04 बजे दशमी तिथि अप्रैल में शुक्ल पक्ष दशमी 11 अप्रैल सुबह 3:16 बजे - 12 अप्रैल सुबह 4:30 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 25 अप्रैल सुबह 2:53 बजे - 26 अप्रैल सुबह 1:38 बजे दशमी तिथि मई में शुक्ल पक्ष दशमी 10 मई शाम 7:25 बजे - 11 मई शाम 7:31 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 24 मई सुबह 10:45 बजे - 25 मई सुबह 10:32 बजे दशमी तिथि जून में शुक्ल पक्ष दशमी ( 09 जून सुबह 8:21 बजे - 10 जून सुबह 7:26 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 22 जून रात 8:45 बजे - 23 जून रात 9:41 बजे दशमी तिथि जुलाई में शुक्ल पक्ष दशमी 08 जुलाई शाम 6:25 बजे - 09 जुलाई शाम 4:39 बजे कृष्ण पक्ष दशमी 22 जुलाई सुबह 9:32 बजे - 23 जुलाई सुबह 11:27 बजे अगस्त में दशमी तिथि शुक्ल पक्ष दशमी 07 अगस्त दोपहर 2:11 बजे - 07 अगस्त रात 11:51 बजे कृष्ण...

महालक्ष्मी कब विराजेंगी, जानिए शुभ तिथि और पूजा विधि

वर्ष 2022 में श्री महालक्ष्मी व्रत शनिवार, 3 सितंबर से मनाया जाएगा। इस व्रत के तहत 16 दिनों तक देवी महालक्ष्मी घर में विराजेंगी। इस व्रत का समापन 17 ‍ सितंबर 2022 को होगा। महाराष्ट्रीयन परिवारों में मनाया जाने वाला यह खास श्री महालक्ष्मी व्रत कई घरों में 3 दिवसीय मनाया जाता है, जिसे तीन दिनी महालक्ष्मी पर्व के नाम से जाना जाता है। भारत के कई जगहों पर यह पर्व 8 दिन तो कई स्थानों पर 16 दिनों तक मनाया जाता है। इस व्रत में गौरी यानी माता पार्वती और देवी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। व्रत संबंधित मान्यतानुसार लक्ष्मी जी की इन मूर्तियों में कोई भी बदलाव तभी किया जा सकता है, जब घर में कोई शादी हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। इन माता की प्रतिमाओं के अंदर गेहूं और चावल भरे जाते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि घर धन-धान्य से भरा-पूरा रहे। यहां पढ़ें महालक्ष्मी व्रत की शुभ तिथियां एवं पूजन की सबसे सरल विधि- Mahalaxmi Vrat 2022

चैत्र नवरात्रि 2022 : इस बार 8 दिन की है या 9 दिन की जानिए यहां

Chaitra navratri 2022Chaitra Navratri 2022: हिन्दू नवर्ष का प्रारंभ चैत्र नवरात्रि से ही होता है। चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि को चैत्र इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 2 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। आओ जानते हैं कि इस बार 8 दिन की है या 9 दिन की। इस वर्ष कोई भी तिथि क्षय नहीं है इसीलिए पूरे नौ दिन की रहेगी नवरात्रि।