गोविंद सखाराम सरदेसाई

  1. हडपसर घोरपडी कोंढवा मुंढवा ही नावे कशी पडली?
  2. गोविंद सखाराम सरदेसाई
  3. File:Facsimile of the handwriting of Bajirao Ballal (1720
  4. छत्रपति शिवाजी महाराज की वो ताकतवर पत्नी, जिसे उनके बेटे ने मृत्युदंड दे दिया
  5. गोविन्द सखाराम सरदेसाई
  6. File:Facsimile of the handwriting of Bajirao Ballal (1720
  7. छत्रपति शिवाजी महाराज की वो ताकतवर पत्नी, जिसे उनके बेटे ने मृत्युदंड दे दिया
  8. गोविन्द सखाराम सरदेसाई
  9. गोविंद सखाराम सरदेसाई
  10. हडपसर घोरपडी कोंढवा मुंढवा ही नावे कशी पडली?


Download: गोविंद सखाराम सरदेसाई
Size: 5.42 MB

हडपसर घोरपडी कोंढवा मुंढवा ही नावे कशी पडली?

उत्तरेत मराठेशाहीचा दरारा कायम करणारे दोन महत्वाचे सरदार घराणे म्हणजे शिंदे आणि होळकर. महादजी शिंदे यांच्या पराक्रमामुळे दिल्लीवरही मराठी सत्ता प्रस्थापित होऊ शकली. पण उत्तर पेशवाईतील राजकारणामुळे हळूहळू या दोन्ही घराण्यात तंटे सुरू झाले. इंदूरच्या गादीच्या वादातून पुण्याला आलेल्या दुसऱ्या मल्हारराव होळकर यांची दौलतराव शिंदेंनी हत्या केली. त्यांची गरोदर पत्नी जिजाबाई याना कैदेत टाकले. होळकरी साम्राज्य घशात घालण्याचा हा प्रयत्न होता. याला पेशव्यांचे अनुमोदन होते. यशवंतराव होळकर म्हणजे दुसऱ्या मल्हारराव होळकरांचे सावत्र भाऊ. ते पराक्रमी होते. अवघ्या १९ व्या वर्षी त्यांनी खर्ड्याच्या लढाईत निजामाला पाणी चाखायला भाग पाडल होतं. पण स्वकीयांच्या राजकारणामुळे त्यांना रानोमाळ भटकावे लागले. यशवंतराव हे नागपूरच्या रघुजी भोसल्यांकडे आश्रयास गेले दुसरा बाजीराव आणि दौलतराव शिंदे यांनी रघुजी भोसल्यांस यशवंतरावांस कैद करण्यास भाग पाडले परंतु यशवंतराव मोठ्या चातुर्याने कैदेतून निसटले आणि धारच्या आनंदराव पवार यांच्याकडे तीनशे स्वारांसह चाकरीस राहिले. पुढे त्यांनी गनिमी काव्याने मध्य प्रांतातील मुलखात लुटालूट करून आसपासच्या संस्थानिकांकडून द्रव्य संपादन केले आणि त्यातून पेंढारी, भिल्ल, राजपूत, अफगाण वगैरेंची मोठी फौज तयार केली. दौलतराव शिंद्यांचा सूड घेऊन होळकरांची सत्ता पूर्ववत स्थापण्याचा त्यांचा कृतसंकल्प होता. पेशवाईच्या गादीवर बसलेले दुसरे बाजीराव हे स्वभावाने चंचल व हलक्या कानाचे होते. त्यांचा बराचसा काळ विलासी जीवनात व्यतीत होत असे. दूरदृष्टी नसल्यामुळे त्यांनी घेतलेले अनेक निर्णय चुकले. आपल्या दोन पराक्रमी सरदार घराण्यातील वाद मिटवण्याकडे त्यांनी लक्ष द्यायला हवे होते मात्र तसे घडले ...

गोविंद सखाराम सरदेसाई

रियासतकार गोविंद सखाराम सरदेसाई (जन्म : गोविल, गोविंद सखाराम सरदेसाई जन्म नाव गोविंद सखाराम सरदेसाई जन्म गोविल, मृत्यू कामशेत, राष्ट्रीयत्व भारतीय कार्यक्षेत्र इतिहास, साहित्य भाषा विषय प्रसिद्ध साहित्यकृती मराठी रियासत (८ खंड) मुसलमानी रियासत (२ खंड) ब्रिटिश रियासत (२ खंड) वडील सखाराम पुरस्कार पद्मभूषण पुरस्कारविजेते

File:Facsimile of the handwriting of Bajirao Ballal (1720

English: Dated: 31 Mar 1739; Bajirao asks his brother Chimaji to finish up the Bassein business and send him reinforcements post haste: "Remember the magnitude of the situation. If the new invader (Nadirshah) roots himself in the soil it will be disastrous for all. But you appreciate the danger better than I can explain to you." Date 1931 Source पेशवे दफ्तरातून निवडलेले कागद, खंड १५, बाजीरावाची दिल्लीवरील स्वारी. संपादक: गोविंद सखाराम सरदेसाई प्रकाशन वर्ष: १९३१ Author Baji Rao I Licensing Public domain Public domain false false This work is in the The Indian Copyright Act applies in India to works first published in India. According to • Anonymous works, photographs, cinematographic works, sound recordings, government works, and works of corporate authorship or of international organizations enter the public domain 60 years after the date on which they were first published, counted from the beginning of the following calendar year (i.e. as of 2023, works published prior to 1 January 1963 are considered public domain). • Posthumous works (other than those above) enter the public domain after 60 years from publication date, counted from the beginning of the following calendar year. • Any kind of work other than the above enters the public domain 60 years after the author's death (or in the case of a multi-author work, the death of the last surviving author), counted from the beginning of the following calendar year. • Text of laws, judicial opinions, and other government rep...

छत्रपति शिवाजी महाराज की वो ताकतवर पत्नी, जिसे उनके बेटे ने मृत्युदंड दे दिया

आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है. 19 फरवरी 1630 को उनका जन्म शिवनेरी किले में हुआ था. शिवाजी की बहादुरी और संगठन क्षमता के साथ योजना और चातुर्य की मिसाल आज भी दी जाती है. शिवाजी ने 08 शादियां कीं. उनकी दूसरी पत्नी सोयराबाई के बारे में बाद में काफी कुछ लिखा गया. वो शिवाजी की दूसरे नंबर की पत्नी थीं. राजकाज के कामों में काफी दखल रखती थीं. असरदार भी थीं. हालांकि बाद में जब छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद संभलजी ने उत्तराधिकार संभाला तो सोयराबाई पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा. इसके चलते उन्हें मृत्युदंड की सजा दी गई. इतिहास में सोयराबाई को दबंग और असरदार महिला के तौर पर चित्रित किया जाता है. बाद में उन पर फिल्म भी बनी. दरअसल सोयराबाई छत्रपति शिवाजी महाराज के दूसरे बेटे राजमराम की मां थीं. वो हर हाल में अपने बेटे को गद्दी पर देखना चाहती थीं. साजिश के रचने के आरोप में मृत्युदंड जाने-माने मराठा इतिहासकार गोविंद सखाराम सरदेसाई ने अपनी किताब “New History of the Marathas, Vol 01” में लिखा, “सोयराबाई को संभाजी ने छत्रपति बनने के बाद जेल में डाल दिया. बाद में साजिश के आरोपों के चलते उन्हें 1681 में मृत्युदंड की सजा दी गई. क्या छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन में भी था उनका हाथ सोयराबाई को मराठा सेना के ताकतवर सेनापति हमबीरराव मोहिते की बहन बताया जाता है. हालांकि बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि वो उनकी बहन नहीं थीं. सरदेसाई ने भी उन्हें वाघोजी सिरके परिवार का बताया. जाने माने इतिहासकार नीलकंठ तकाखव (Nilkanth Takakhav) ने अपनी किताब ठद लाइफ ऑफ शिवाजी महाराज फाउंडर ऑफ द मराठा एंपायर” (The life of Shivaji Maharaj Founder of The Maratha Empire) में लिखा, संभाजी के छत्रपति क...

गोविन्द सखाराम सरदेसाई

• Disclaimer: (Please Read the Complete Disclaimer • DMCA Notice: All Material available on this site which is available for download is collected from Various OpenSource platforms. Backlink/Reference to the original content source is provided below each Book with "Ebook Source" Label. • For Copyrighted Material, Only Ratings and Reviews are provided. If you want us to remove your material, please • आवश्यक सूचना :(सम्पूर्ण डिस्क्लेमर • कॉपीराइट सम्बंधित सूचना : इस साईट की सभी पुस्तकें OpenSource माध्यम से ली गयी हैं | प्रत्येक पुस्तक के नीचे एक "Ebook Source" नामक लिंक दिया गया है, जहाँ से आप उस पुस्तक के मूल स्त्रोत के बारे में जान सकते हैं | कोई भी पुस्तक ई पुस्तकालय के सर्वर पर अपलोड नहीं की गयी है | कुछ ऐसी भी पुस्तकें हैं जो Copyright में हैं, ऐसी पुस्तकों पर कोई भी डाउनलोड लिंक नहीं दिया गया है, ऐसी पुस्तकों पर सिर्फ Review तथा रेटिंग दिए गए हैं | • यदि किसी त्रुटिवश आपकी कोई पुस्तक जो Copyright दायरे में आती हो, और आप उसे हटवाना चाहते हों तो

File:Facsimile of the handwriting of Bajirao Ballal (1720

English: Dated: 31 Mar 1739; Bajirao asks his brother Chimaji to finish up the Bassein business and send him reinforcements post haste: "Remember the magnitude of the situation. If the new invader (Nadirshah) roots himself in the soil it will be disastrous for all. But you appreciate the danger better than I can explain to you." Date 1931 Source पेशवे दफ्तरातून निवडलेले कागद, खंड १५, बाजीरावाची दिल्लीवरील स्वारी. संपादक: गोविंद सखाराम सरदेसाई प्रकाशन वर्ष: १९३१ Author Baji Rao I Licensing Public domain Public domain false false This work is in the The Indian Copyright Act applies in India to works first published in India. According to • Anonymous works, photographs, cinematographic works, sound recordings, government works, and works of corporate authorship or of international organizations enter the public domain 60 years after the date on which they were first published, counted from the beginning of the following calendar year (i.e. as of 2023, works published prior to 1 January 1963 are considered public domain). • Posthumous works (other than those above) enter the public domain after 60 years from publication date, counted from the beginning of the following calendar year. • Any kind of work other than the above enters the public domain 60 years after the author's death (or in the case of a multi-author work, the death of the last surviving author), counted from the beginning of the following calendar year. • Text of laws, judicial opinions, and other government rep...

छत्रपति शिवाजी महाराज की वो ताकतवर पत्नी, जिसे उनके बेटे ने मृत्युदंड दे दिया

आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है. 19 फरवरी 1630 को उनका जन्म शिवनेरी किले में हुआ था. शिवाजी की बहादुरी और संगठन क्षमता के साथ योजना और चातुर्य की मिसाल आज भी दी जाती है. शिवाजी ने 08 शादियां कीं. उनकी दूसरी पत्नी सोयराबाई के बारे में बाद में काफी कुछ लिखा गया. वो शिवाजी की दूसरे नंबर की पत्नी थीं. राजकाज के कामों में काफी दखल रखती थीं. असरदार भी थीं. हालांकि बाद में जब छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद संभलजी ने उत्तराधिकार संभाला तो सोयराबाई पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा. इसके चलते उन्हें मृत्युदंड की सजा दी गई. इतिहास में सोयराबाई को दबंग और असरदार महिला के तौर पर चित्रित किया जाता है. बाद में उन पर फिल्म भी बनी. दरअसल सोयराबाई छत्रपति शिवाजी महाराज के दूसरे बेटे राजमराम की मां थीं. वो हर हाल में अपने बेटे को गद्दी पर देखना चाहती थीं. साजिश के रचने के आरोप में मृत्युदंड जाने-माने मराठा इतिहासकार गोविंद सखाराम सरदेसाई ने अपनी किताब “New History of the Marathas, Vol 01” में लिखा, “सोयराबाई को संभाजी ने छत्रपति बनने के बाद जेल में डाल दिया. बाद में साजिश के आरोपों के चलते उन्हें 1681 में मृत्युदंड की सजा दी गई. क्या छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन में भी था उनका हाथ सोयराबाई को मराठा सेना के ताकतवर सेनापति हमबीरराव मोहिते की बहन बताया जाता है. हालांकि बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि वो उनकी बहन नहीं थीं. सरदेसाई ने भी उन्हें वाघोजी सिरके परिवार का बताया. जाने माने इतिहासकार नीलकंठ तकाखव (Nilkanth Takakhav) ने अपनी किताब ठद लाइफ ऑफ शिवाजी महाराज फाउंडर ऑफ द मराठा एंपायर” (The life of Shivaji Maharaj Founder of The Maratha Empire) में लिखा, संभाजी के छत्रपति क...

गोविन्द सखाराम सरदेसाई

• Disclaimer: (Please Read the Complete Disclaimer • DMCA Notice: All Material available on this site which is available for download is collected from Various OpenSource platforms. Backlink/Reference to the original content source is provided below each Book with "Ebook Source" Label. • For Copyrighted Material, Only Ratings and Reviews are provided. If you want us to remove your material, please • आवश्यक सूचना :(सम्पूर्ण डिस्क्लेमर • कॉपीराइट सम्बंधित सूचना : इस साईट की सभी पुस्तकें OpenSource माध्यम से ली गयी हैं | प्रत्येक पुस्तक के नीचे एक "Ebook Source" नामक लिंक दिया गया है, जहाँ से आप उस पुस्तक के मूल स्त्रोत के बारे में जान सकते हैं | कोई भी पुस्तक ई पुस्तकालय के सर्वर पर अपलोड नहीं की गयी है | कुछ ऐसी भी पुस्तकें हैं जो Copyright में हैं, ऐसी पुस्तकों पर कोई भी डाउनलोड लिंक नहीं दिया गया है, ऐसी पुस्तकों पर सिर्फ Review तथा रेटिंग दिए गए हैं | • यदि किसी त्रुटिवश आपकी कोई पुस्तक जो Copyright दायरे में आती हो, और आप उसे हटवाना चाहते हों तो

गोविंद सखाराम सरदेसाई

रियासतकार गोविंद सखाराम सरदेसाई (जन्म : गोविल, गोविंद सखाराम सरदेसाई जन्म नाव गोविंद सखाराम सरदेसाई जन्म गोविल, मृत्यू कामशेत, राष्ट्रीयत्व भारतीय कार्यक्षेत्र इतिहास, साहित्य भाषा विषय प्रसिद्ध साहित्यकृती मराठी रियासत (८ खंड) मुसलमानी रियासत (२ खंड) ब्रिटिश रियासत (२ खंड) वडील सखाराम पुरस्कार पद्मभूषण पुरस्कारविजेते

हडपसर घोरपडी कोंढवा मुंढवा ही नावे कशी पडली?

उत्तरेत मराठेशाहीचा दरारा कायम करणारे दोन महत्वाचे सरदार घराणे म्हणजे शिंदे आणि होळकर. महादजी शिंदे यांच्या पराक्रमामुळे दिल्लीवरही मराठी सत्ता प्रस्थापित होऊ शकली. पण उत्तर पेशवाईतील राजकारणामुळे हळूहळू या दोन्ही घराण्यात तंटे सुरू झाले. इंदूरच्या गादीच्या वादातून पुण्याला आलेल्या दुसऱ्या मल्हारराव होळकर यांची दौलतराव शिंदेंनी हत्या केली. त्यांची गरोदर पत्नी जिजाबाई याना कैदेत टाकले. होळकरी साम्राज्य घशात घालण्याचा हा प्रयत्न होता. याला पेशव्यांचे अनुमोदन होते. यशवंतराव होळकर म्हणजे दुसऱ्या मल्हारराव होळकरांचे सावत्र भाऊ. ते पराक्रमी होते. अवघ्या १९ व्या वर्षी त्यांनी खर्ड्याच्या लढाईत निजामाला पाणी चाखायला भाग पाडल होतं. पण स्वकीयांच्या राजकारणामुळे त्यांना रानोमाळ भटकावे लागले. यशवंतराव हे नागपूरच्या रघुजी भोसल्यांकडे आश्रयास गेले दुसरा बाजीराव आणि दौलतराव शिंदे यांनी रघुजी भोसल्यांस यशवंतरावांस कैद करण्यास भाग पाडले परंतु यशवंतराव मोठ्या चातुर्याने कैदेतून निसटले आणि धारच्या आनंदराव पवार यांच्याकडे तीनशे स्वारांसह चाकरीस राहिले. पुढे त्यांनी गनिमी काव्याने मध्य प्रांतातील मुलखात लुटालूट करून आसपासच्या संस्थानिकांकडून द्रव्य संपादन केले आणि त्यातून पेंढारी, भिल्ल, राजपूत, अफगाण वगैरेंची मोठी फौज तयार केली. दौलतराव शिंद्यांचा सूड घेऊन होळकरांची सत्ता पूर्ववत स्थापण्याचा त्यांचा कृतसंकल्प होता. पेशवाईच्या गादीवर बसलेले दुसरे बाजीराव हे स्वभावाने चंचल व हलक्या कानाचे होते. त्यांचा बराचसा काळ विलासी जीवनात व्यतीत होत असे. दूरदृष्टी नसल्यामुळे त्यांनी घेतलेले अनेक निर्णय चुकले. आपल्या दोन पराक्रमी सरदार घराण्यातील वाद मिटवण्याकडे त्यांनी लक्ष द्यायला हवे होते मात्र तसे घडले ...