गुण संधि के 100 उदाहरण

  1. गुण संधी किसे कहते है
  2. संधि किसे कहते हैं? संधि के भेद, उदाहरण, परिभाषा, शब्द, अर्थ, वाक्य sandhi in hindi, in sanskrit
  3. गुण संधि : परिभाषा एवं उदाहरण
  4. गुण स्वर संधि की परिभाषा एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India


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गुण संधी किसे कहते है

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का अपनी वेबसाइट गुण संधि किसे कहते हैं इस बारे में हम आपको आज विस्तार से समझाएंगे और यदि आप ऐसे और टॉपिक की जानकारी पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट के होम पेज पर जाकर उन टॉपिको की भी जानकारी ले सकते हैं। गुण संधि की परिभाषा जब संधि करते समय अ,आ, के बाद इ, ई आता है, तो “ए” बनता है। जब अ, आ के बाद उ,ऊ, आता है तो यह ओ हो जाता है। जब अ ,आ के बाद ऋ आता है, तो अर बनता है। गुण संधि के उदाहारण:- ऊमा + ईश (आ + ई) ऊमेश (ए) ऊपर दिए गए उदाहरण में, जिसमें आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जब शब्दों को एक साथ जोड़ा जाता है, तो आ और ‘ई’ मिलकर ‘ए’ बनाते हैं।तो यह उदाहरण संपत्ति सम्मेलन के अंतर्गत आएगा। नर + ईश (अ + ई) नरेश (ए) जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में दिखाया गया है, जब शब्दों को आपस में जोड़ा जाता है, तो अ और ‘ई’ मिलकर ए बनाते हैं।जब इस शब्द का व्यवहार किया जाता है, तब एक परिवर्तन आता है और इस परिवर्तन के कारण पूरे शब्द में परिवर्तन दिखाई देता है। इसलिए, इस उदाहरण को विशेषता सम्मेलन के तहत रखा जाएगा। मह + इंद्र (अ + इ) महेंद्र (ए) उपरोक्त उदाहरण में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जब शब्द अ और ‘इ एक साथ जुड़कर ‘ए’ बनाते हैं।तो यह उदाहरण संपत्ति सम्मेलन के अंतर्गत आएगा। मन + उपदेश (अ + उ) मनोपदेश (ओ) उपरोक्त उदाहरण में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जब दो आकाश आपस में जुड़ते हैं, तो तीसरा स्वर बनता है।जब शब्द संयुक्त होते हैं, तो ‘अ’ और ‘उ’ मिलकर ‘ओ’ बनाते हैं।संधि के बाद पूरे समय परिवर्तन दिखाई देते हैं।अतः इस शब्द को गुण यौगिक का उदाहरण माना जाएगा। महा + ऋषि (अ + ऋ) महर्षि (अर्) उपरोक्त उदाहरण में, आप देख सकते हैं कि जब शब्दों को जोड़ा जाता है, ...

संधि किसे कहते हैं? संधि के भेद, उदाहरण, परिभाषा, शब्द, अर्थ, वाक्य sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • • • संधिकीपरिभाषा • संधिकाअर्थहोताहै मेलयाफिर मिलना।जबहमडोशब्दोंकोमिलातेहैंतोपहलेशब्दकीअंतिमध्वनीएवंदुसरेशब्दकिपहलीध्वनीमिलकरजोपरिवर्तनलातीहै, उसेहीसंधिकहतेहैं। • जबसंधिकियेगएदोशब्दोंकोहमअलगअलगकरकेलिखतेहैंतोवह संधिविच्छेदकहलाताहै। संधिकेकुछउदाहरण • तथास्तु : तथा + अस्तु इसउदाहरणमें आएवं अमिलकर आबनगएएवंअकालोपहोगया। • पदोन्नति : पद + उन्नति इसउदाहरणमें अएवं उमिलकर ओबनगए।उकालोपहोगया। • सर्वोच्च : सर्व + उच्च इसउदाहरणमेंभी अएवं उमिलकर ओबनगएवउकालोपहोगया। • चिरायु : चिर + आयु ऊपरदिएगएउदाहरणमें रएवं आमिलकर राबनादेतेहैं। • समानांतर : समान + अंतर ऊपरदिएगएउदाहरणमें नएवं अनेमिलकर नाबनादियाहै। • प्रत्येक : प्रति + एक जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं तिएवं एनेमिलकरत्येबनादिया। संधिकेभेद : संधिकेमुख्यतःतीनभेदहोतेहैं : • स्वरसंधि • व्यंजनसंधि • विसर्गसंधि 1. स्वरसंधि जबदोस्वरआपसमेंजुड़तेहैंयादोस्वरोंकेमिलनेसेउनमेंजोपरिवर्तनआताहै, तोवहस्वरसंधिकहलातीहै।जैसे : • विद्यालय : विद्या + आलय इसउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैकिजबदोस्वरोंकोमिलायागयातोमुख्यशब्दमेंहमेंअंतरदेखनेकोमिला।दोआमिलेएवंउनमेसेएकआकालोपहोगया। (स्वरसंधिकेबारेमेंगहराईसेजाननेकेलिएयहाँक्लिककरें– स्वरसंधिकेभेद: • दीर्घसंधि • गुणसंधि • वृद्धिसंधि • यणसंधि • अयादिसंधि 1. दीर्घसंधि संधिकरतेसमयअगर(अ, आ) केसाथ (अ, आ) होतो‘आ‘बनताहै, जब (इ, ई) केसाथ (इ , ई) होतो‘ई‘बनताहै, जब (उ, ऊ) केसाथ (उ ,ऊ) होतो‘ऊ‘बनताहै।जबऐसाहोताहैतोहमइसेदीर्घसंधिकहतेहै। (दीर्घसंधिकेबारेमेंगहराईसेजाननेकेलिएयहाँक्लिककरें– 2. गुणसंधि जबसंधिकरतेसमय (अ, आ) केसाथ (इ , ई) होतो‘ए‘बनताहै, जब (अ ,आ)केसाथ (उ , ऊ) होतो‘ओ‘बनताहै, जब (अ, आ) केसाथ (ऋ) होतो‘अ...

गुण संधि : परिभाषा एवं उदाहरण

गुण संधि की परिभाषा जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है। गुण संधि के कुछ उदाहरण • महा + ईश : महेश (आ + ई = ए) ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि जब शब्दों की संधि होती है तब आ एवं ई मिलकर ए बना देते हैं। यह परिवर्तन होने से पूरे शब्द में संधि होने के बाद परिवर्तन हो जाता है। इन स्वरों से परिवर्तन होता है। अतः यह उदाहरण गुण संधि के अंतर्गत आयेगा। • नर + ईश : नरेश (अ + ई = ए) जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं अ एवं ई मिलकर संधि होते समय ए बना देते हैं। इस परिवर्तन की वजह से ही पूरे शब्द में संधि होते समय परिवर्तन आ जाता है। अतः यह उदाहरण गुण संधि के अंतर्गत आएगा। • नर + इंद्र : नरेन्द्र (अ + इ = ए) ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आपने देखा अ एवं इ मिलकर संधि होते समय ए बना देते हैं। जब यह परिवर्तन स्वरों के बीच होता है तो संधि होते समय शब्द में भी परिवर्तन आ जाता है। अ, अ जैसा कि हमें पता है कि जब अ, ई आदि से संधि में कुछ परिवर्तन परिवर्तन आता है तो वहाँ पर गुण संधि होती है। अतः यह उदाहरण गुण संधि के अंतर्गत आएगा। • ज्ञान + उपदेश : ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ) जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं स्वर अ एवं उ मिलकर ओ बना देते हैं। इसी परिवर्तन कि वजह से जब पूरे शब्द की संधि होती है तो पूरे शब्द में भी परिवर्तन आ जाता है। यहाँ हम देख सकते हैं कि परिवर्तन भी अ एवं उ की वजह से आ रहा है। अतः यह उदाहरण गुण संधि के अंतर्गत आएगा। • देव + ऋषि : देवर्षि (अ + ऋ = अर्) ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि वाक्य में अ ओर ...

गुण स्वर संधि की परिभाषा एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India

आज के इस लेख में आप गुण स्वर सन्धि के बारे में पढ़ने वाले हैं। गुण स्वर सन्धि, स्वर संधि का एक महत्वपूर्ण भाग है तथा यह आपकी परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े। गुण स्वर संधि की परिभाषा ऐसे शब्द जहाँ संधि करते समय अ या आ के पश्चात इ या ई का प्रयोग किया गया हो तब दोनो को मिलाकर ए का निर्माण होता है, अ या आ के पश्चात उ या ऊ का प्रयोग हो तो इन दोनों को मिलाकर ओ का निर्माण होता है तथा अ या आ के पश्चात यदि ऋ का प्रयोग होता है तो इन दोनों से मिलकर अर् का निर्माण होता है। इस तरह से बनने वाले शब्द गुण स्वर संधि के अंतर्गत आते हैं। गुण स्वर संधि के उदाहरण गुण स्वर संधि के महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित दिए गए हैं- (अ + इ = ए) के उदाहरण • इतर + इतर = इतरेतर • गज + इंद्र = गजेन्द्र • उप + इंद्र = उपेन्द्र • नृप + इंद्र = नृपेंद्र • अंत्य + इष्टि = अंत्येष्टि • न + इष्ट = नेष्ट • भारत + इंदु = भारतेंदु • न + इति = नेति (अ + ई = ऐ) के उदाहरण • प्राण + ईश्वरी = प्राणेश्वरी • ज्ञान + ईश = ज्ञानेश • परम + ईश्वर = परमेश्वर • गण + ईश = गणेश • प्र + ईक्षा = प्रेक्षा • गोप + ईश = गोपेश • धन + ईश = धनेश • उप + ईक्षा = उपेक्षा • जीव + ईश = जीवेश • अप + ईक्षा = अपेक्षा (आ + ई = ए) के उदाहरण • अलका + ईश्अ = लकेश् • कमला + ईश = कमलेश • महा + ईश = महेश • ऋषिका + ईश = ऋषिकेश • उमा + ईश = उमेश • रमा + ईश = रमेश • गुडाका + ईश = गुडाकेश (आ + इ = ए) के उदाहरण • महा + इंद्र = महेंद्र • यथा + इष्ठ = यथेष्ठ • यथा + इच्छा = यथेच्छ (अ + उ = ओ) के उदाहरण • दर्प + उक्ति = दर्पोक्ति • ग्राम + उत्थान = ग्रामोत्थान • आद्य + उपांत = आद्योपांत • अतिशय + उक्ति = अतिश्योक्ति • गर्व + उन्नत...