गुप्तजी की रचनाओं में व्याप्त ... के फलस्वरूप इन्हें राष्ट्रकवि का सम्मान मिला।

  1. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय चेतना जगाने धरती पर आए थे
  2. MP Board Class 12th Special Hindi स्वाति कवि परिचय (Chapter 6
  3. रानी केतकी की कहानी के रचयिता या रचनाकार
  4. UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 मैथिलीशरण गुप्त (काव्य
  5. रामधारी सिंह 'दिनकर'


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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय चेतना जगाने धरती पर आए थे

इतिहास और साहित्य में ऐसी प्रतिभाएं कभी-कभी ही जन्म लेती हैं जो बनी बनाई लकीरों को पोंछकर नई लकीरें बनाते हैं। वे अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीते हुए नया जीवन-दर्शन निरुपित करते हैं और कुछ विलक्षण सृजन करते हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का व्यक्तित्व और कृतित्व भी इसका अपवाद नहीं हैं। यह शब्द सिद्धा अपने वजूद के रेशे-रेशे में, अपनी सांस-सांस में कविता की सिहरनें जीता हुआ राष्ट्रीय चेतना को बलशाली बनाता गया। शायद इसीलिये उनका बोला हर शब्द कविता बनकर जन-जन में राष्ट्र के प्रति आन्दोलित करता रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के उस दौर के अधिकांश कवि आजादी के गीत गा रहे थे, उनके कंठों में स्वतंत्रता का संगीत एवं क्रांतिकारी ज्वाला थी। मैथिलीशरण गुप्त भी अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति को स्वर देते आ रहे थे। आजादी की अनुगूंजें उनके काव्य का प्रमुख स्वर बनती गयीं। आजादी के लिये उनके क्रांतिकारी एवं आन्दोलनकारी शब्दों की ज्वाला ने देशभक्ति की अलख जगाई और वे जेल की सलाखों के पीछे भेज दिये गये। फिर भी उनकी शब्द-ज्वाला मंद नहीं पड़ी। हिन्दी साहित्याकाश के दैदीप्यमान नक्षत्रों में से एक मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झांसी के एक भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण काव्यानुरागी परिवार में 1886 में हुआ था। पिता सेठ रामचरण कनकने, माता कौशल्याबाई की वे तीसरी सन्तान थे। संस्कृत, बांग्ला, मराठी आदि कई भाषाओं का अध्ययन इन्होंने मुख्यतया घर पर ही किया। तत्पश्चात् आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आने से इनकी काव्य रचनाएं प्रतिष्ठित ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित होने लगीं। द्विवेदीजी की प्रेरणा और सान्निध्य से इनकी रचनाओं में गंभीरता तथा उत्कृष्टता का विकास हुआ। इनके काव्यधारा राष्ट्रीयता से ओतप्रोत ह...

MP Board Class 12th Special Hindi स्वाति कवि परिचय (Chapter 6

MP Board Class 12th Special Hindi स्वाति कवि परिचय (Chapter 6-10) 11. बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ [2017] • जीवन परिचय बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का काव्य राष्ट्रीय चेतना और जनजागृति का काव्य है। इन्होंने जहाँ परतन्त्र भारत के सोते हुए लोगों को जगाने का काम किया वहीं मानवीय भावना से ओतप्रोत प्रेमाकुल काव्य की रचना भी की। इन्होंने वीर एवं श्रृंगार दोनों में समान रूप से लिखकर हिन्दी काव्य को अमर रचनाएँ प्रदान की। राष्ट्रवादी चिन्तक, जुझारु पत्रकार एवं ओजस्वी कवि पंडित बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जन्म सन् 1897 ई. में शाजापुर जिले के शुजालपुर के मयाना गाँव में हुआ था। इन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी के सानिध्य में पत्रकारिता और महात्मा गाँधी के सम्पर्क में गाँधीवादी विचारों को अपनाया। नवीनजी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभायी, साथ ही भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय चेतना और नवयुवकों को प्रेरणा देने वाली ओजस्वी रचनाओं को भी लिखते रहे। इन्होंने प्रेम व श्रृंगारपरक गीत भी लिखे। नवीनजी भारतीय संविधान निर्मात्री परिषद के सदस्य भी रहे। संविधान में हिन्दी को राजभाषा का पद दिलाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। 1952 से 1960 ई. तक ये संसद सदस्य भी रहे। 1960 में भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि से विभूषित किया। सन् 1960 में हृदय गति रुक जाने से इनका देहावसान हो गया। • साहित्य सेवा नवीनजी ने अपना साहित्यिक जीवन पत्रकारिता से प्रारम्भ किया। गणेशशंकर विद्यार्थी के सम्पर्क में आने के बाद ‘प्रताप के प्रधान सम्पादक बने। राष्ट्रीय स्वर को प्रधानता देने वाली पत्रिका ‘प्रभा’ के भी ये सम्पादक रहे। इन्होंने प्रेम, श्रृंगार, राष्ट्रीय भावना, भारतीय संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन आदि विषयों पर...

रानी केतकी की कहानी के रचयिता या रचनाकार

रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता रानी केतकी की कहानी (Raanee Ketakee Kee Kahani) के लेखक/रचयिता (Lekhak/Rachayitha) " मुंशी इंशा अल्ला खां" ( Munshi Insha Alla Khaan) हैं। Raanee Ketakee Kee Kahani (Lekhak/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता को लेखक तथा रचना के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/रचना लेखक/रचयिता रानी केतकी की कहानी मुंशी इंशा अल्ला खां Raanee Ketakee Kee Kahani Munshi Insha Alla Khaan रानी केतकी की कहानी किस विधा की रचना है? रानी केतकी की कहानी (Raanee Ketakee Kee Kahani) की विधा का प्रकार " रचना" ( Rachna) है। आशा है कि आप " रानी केतकी की कहानी नामक रचना के लेखक/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 मैथिलीशरण गुप्त (काव्य

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 मैथिलीशरण गुप्त (काव्य-खण्ड) These Solutions are part of विस्तृत उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए : (पंचवटी) 1. चारु चन्द्र की … …………………………………. झोंकों से। शब्दार्थ- चारु = सुन्दर । अवनि = धरती। अम्बरतले = आकाश। पुलक = आनन्दमय रोमांचित । तृण = घास । झीम = झूमना । सन्दर्भ- प्रस्तुत पद ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित खण्डकाव्य ‘पंचवटी’ से लिया गया है। प्रसंग- यहाँ कवि ने पंचवटी के प्राकृतिक सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या- गुप्त जी कहते हैं कि सुन्दर चन्द्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। पृथ्वी और आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। हरी-हरी घास की नोकें (UPBoardSolutions.com) ऐसी लगती हैं मानो वे पृथ्वी के सुख से रोमांचित हो रही हैं। वहाँ के सभी वृक्ष मन्दमन्द वायु के झोंकों से झूमते प्रतीत होते हैं। काव्यगत सौन्दर्य • भाषा- खड़ीबोली । चाँदनी रात का बड़ा सुन्दर शब्द-चित्र प्रस्तुत किया गया है। • अलंकार- अनुप्रास, उत्प्रेक्षा एवं मानवीकरण । रस- श्रृंगार । गुण- माधुर्य । 2. पंचवटी की छाया … …………………………………. दृष्टिगत होता है। शब्दार्थ- पर्णकुटीर = पत्तों की कुटिया। सम्मुख = सामने । स्वच्छ = साफ, निर्मल । शिला = पत्थर । निर्भीकमना = निर्भय मनवाला। धनुर्धर = धनुष धारण करनेवाला। भुवन-भर = सम्पूर्ण संसार। भोगी = भोग करनेवाला, राजा। कुसुमायुध = कामदेव। सन्दर्भ- प्रस्तुत पद्यांश ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित ‘पंचवटी’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। प्रसंग- इसमें प्रहरी के रूप में लक्ष्मण को सुन्दर च...

रामधारी सिंह 'दिनकर'

रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल शृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। अनुक्रम • 1 जीवनी • 2 प्रमुख कृतियाँ • 2.1 काव्य • 2.2 गद्य • 2.3 निबंध संग्रह • 2.4 अन्य लेखकों के विचार • 2.5 रचनाओं के कुछ अंश • 3 सम्मान • 3.1 मरणोपरान्त सम्मान • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें • 6 बाहरी कड़ियाँ जीवनी 'दिनकर' जी का जन्म भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने उन्हें संस्कृति के चार अध्याय उर्वशी के लिये 1947 में देश स्वाधीन हुआ और वह रामधारी सिंह दिनकर स्वभाव से सौम्य और मृदुभाषी थे, लेकिन जब बात देश के हित-अहित की आती थी तो वह बेबाक टिप्पणी करने से कतराते नहीं थे। रामधारी सिंह दिनकर ने ये तीन पंक्तियाँ पंडित जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध संसद में सुनायी थी, जिससे देश में भूचाल मच गया था। दिलचस्प बात यह है कि राज्यसभा सदस्य के तौर पर दिनकर का चुनाव पणृडित नेहरु ने ही किया था, इसके बावजूद नेहरू की नीतियों का विरोध करने से वे नहीं चूके। देखने में देवता सदृश्य लगता है बंद कमरे में बैठकर गलत हुक्म लिखता है। जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्यारा हो समझो उसी ने हमें मारा है॥ 1962 में चीन से हार के बाद संसद में दिनकर ने इस कविता का पाठ किया जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू का सिर झुक गया था. यह घटना आज भी भारतीय राजनीती के इतिहास...