गुरु गोविंद सिंह

  1. गुरु गोविंद सिंह पर निबंध Essay on Guru Gobind Singh in Hindi
  2. Guru Gobind Singh Ji
  3. जयंती : गुरु गोविंद सिंह, जिन्होंने गुरु ग्रंंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया
  4. Guru Gobind Singh Jayanti : गुरु गोविंद सिंह का जीवन परिचय
  5. गुरु गोबिंद सिंह जयंती : यूं ही नहीं बने थे महान योद्धा, जानिए पूरी वीरगाथा : Guru Gobind Singh Jayanti: Know the complete heroic story of the 10th Guru of Sikhs
  6. गुरु गोविन्द सिंह की जयंती
  7. गुरु गोबिंद सिंह का जीवन परिचय, जयंती व इतिहास
  8. गुरु गोविन्द सिंह के 20 अनमोल विचार
  9. Guru Gobind Singh Jayanti 2022 Congratulate Everyone By Sending Messages And Photos On The Birth Anniversary Of Guru Gobind Singh
  10. गुरु गोविन्द सिंह की जयंती


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गुरु गोविंद सिंह पर निबंध Essay on Guru Gobind Singh in Hindi

गुरु गोविंद सिंह पर निबंध Essay on Guru Gobind Singh in Hindi सिक्खों के दसवें धार्मिक गुरु तथा खालसा के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह एक महान तेजस्वी और शूरवीर नेता थे। सन् 1699 में विचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोविंद सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है। गुरू गोविंद सिंह ने सिखों के पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। गुरु गोविंद सिंह पर निबंध Essay on Guru Gobind Singh in Hindi गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म सन् 5 जनवरी 1666 (विक्रम संवत 1727) को बिहार के पाटलिपुत्र (पटना) में हुआ था। इनके पिता जी का नाम गुरु तेगबहादुर सिंह था, जो सिखों के नवें गुरु थे तथा इनकी माता जी का नाम गुजरी था। गुरु गोविन्द सिंह के जन्म के समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश के लिए गय थे। मार्च सन् 1672 में गुरु गोविंद सिंह का परिवार आनंदपुर में आया, यहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा ली। जिसमें उन्होंने पंजाबी, संस्कृत और फारसी की शिक्षा प्राप्त की। 11 नवंबर सन् 1675 को कश्मीरी पंडितों को जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने के विरुद्ध शिकायत करने पर औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेगबहादुर सिंह का सर कटवा दिया। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात 29 मार्च सन् 1676 को बैशाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह को सिख धर्म का दसवां गुरु बनाया गया। मात्र नौ वर्ष की अल्प आयु में ही वे एक वीर योद्धा बन चुके थे। अपने पिता गुरु तेगबहादुर के बलिदान ने उनके अन्दर अत्याचारों से लड़ने और उसका डटकर मुकाबला करने की असीम शक्ति भर दी थी। उन्होने मुगलों, शिवालिक तथा पहाडियों के राजा के ...

Guru Gobind Singh Ji

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम सिख धर्म के दसवें धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh Ji) जी के बारे में पढेंगे। जिसके अन्तर्गत गुरु गोविंद सिंह की जीवनी (Guru Gobind Singh Biography in Hindi), गुरु गोविंद सिंह का इतिहास (Guru Gobind Singh History in Hindi), खालसा पंथ की स्थापना (Khalsa Panth ki Sthapna), गुरु गोविंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) के बारे में जानेंगे। गुरु गोविंद सिंह – Guru Gobind Singh Ji गुरु गोविन्द सिंह की जीवनी – Guru Gobind Singh Biography in Hindi जन्म 22 दिसंबर 1666 जन्मस्थान पटना, बिहार (भारत) मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 मृत्युस्थान हजूर साहिब नांदेङ, भारत बचपन का नाम गोबिन्द राय उपाधि सिखों के दसवें गुरु, सर्बांस दानी, मर्द अगम्र, दशमेश पिताह, बाजन बाले पिता गुरु तेग बहादुर (सिक्खों के नवें गुरु) माता गुजरी विवाह 1677, 1684, 1700 पत्नी माता जीतो, माता सुंदरी, माता साहिब देवन पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह, साहिबजादा फतेह सिंह उपलब्धि खालसा पंथ के संस्थापक भाषा बिहारी, बंग्ला, पंजाबी, ब्रज (अरबी, फारसी, संस्कृत) रचनाएँ श्री ग्रंथ साहिब (संग्रहित), कृष्ण अवतार, चण्डी दीवार, विचित्र नाटक (आत्मकथा), जफरनामा (फारसी भाषा)। नारा वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह गुरु गोविंद सिंह का जन्म कब हुआ था – Guru Gobind Singh ji Ka Janam Kab Hua गुरु गोविंद सिंह का जन्म (Guru Gobind Singh Birth Place) 22 दिसम्बर, 1666 को बिहार के पटना साहिब (भारत) में हुआ। आपजी का नाम गोबिंद राय रखा गया था। गुरु गोविंद सिंह का परिवार – Guru Gobind Singh j...

जयंती : गुरु गोविंद सिंह, जिन्होंने गुरु ग्रंंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया

गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना साहिब में हुआ था. उनका बचपन का नाम गोविंद राय था. पटना में जिस स्थान पर गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ, वह जगह अब पटना साहिब के नाम से जानी जाती है. पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवंबर 1675 को वे गुरु बने, तब उनकी उम्र केवल 9 साल थी. उनके पिता की मृत्यु भी सामान्य ढंग से नहीं, बल्कि औरंगजेब के धर्म-परिवर्तन की मुहिम को रोकते हुए हुई. पिता की औरंगजेब ने करा दी थी हत्या असल में औरंगजेब तब हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवा रहा था. सताए हुए लोग गुरु तेग बहादुर के पास फरियाद लेकर पहुंचे, तब विरोध करने पर औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया था. इसके तुरंत बाद ही उनके बेटे यानी गुरु गोबिंद सिंह ने जिम्मेदारी ली. इसके बाद से उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दिया. गुरु प्रथा को समाप्त किया गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु प्रथा को समाप्त किया और गुरु ग्रंथ साहिब को सर्वोच्च बताया जिसके बाद से ही ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा की जाने लगी और गुरु प्रथा खत्म हो गई. ये सिख समाज में काफी बड़ा पड़ाव माना जाता है. साथ ही गोबिंद सिंह जी ने खालसा वाणी – “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह” भी दी. खालसा पंथ की की रक्षा के लिए गुरु गोबिंग सिंह जी मुगलों और उनके सहयोगियों से कई बार लड़े. खालसा पंथ के साथ नए युग की शुरुआत की गुरु गोबिंद सिंह जी का नेतृत्व सिख समुदाय के इतिहास में बहुत कुछ नया ले कर आया, जिनमें से एक खालसा पंथ की स्थापना मानी जाती है. खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 को बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की. इस दिन उन्होंने पांच प्यारों क...

Guru Gobind Singh Jayanti : गुरु गोविंद सिंह का जीवन परिचय

Biography of Guru Gobind Singh: सिख धर्म के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए जो कार्य किया उसे कोई भी नहीं भूला सकता है। उनका जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को 1666 में हुआ था। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार उनकी जयंती 9 जनवरी 2022 को मनाई जाएगी। आओ जानते हैं उनका संक्षिप्त जीवन परिचय। - कहते हैं कि सन्न 1675 की शुरुआत में जब कश्मीरी हिंदुओं का मुगलों की सेना द्वारा जबरन धर्मान्तरण किया जा रहा था तब वहां के हिन्दुओं ने गुरु तेगबहादुर जी से सहायता मांगी थी। हिंदुओं की दुर्दशा का पता चलने पर गुरु तेगबहादुरजी राजधानी दिल्ली चले गए, परंतु जाने से पूर्व उन्होंने अपने 9 वर्षीय पुत्र श्री गोबिंद रायजी को सिखों का उत्तराधिकारी और 10वां गुरु नियुक्त कर दिया। - इसके बाद गुरु जी ने धर्म और देश की रक्षार्थ लोगों को एकत्रित किया। तब गुरु गोविंद सिंहजी ने ही पंज प्यारे की परंपरा की शुरुआत की थी। इसके पीछे एक बहुत ही मार्मिक कहानी है। गुरु गोविंद सिंह के समय मुगल बादशाह औरंगजेब का आतंक जारी था। उस दौर में देश और धर्म की रक्षार्थ सभी को संगठित किया जा रहा था। हजारों लोगों में से सर्वप्रथ पांच लोग अपना शीश देने के लिए सामने आए और फिर उसके बाद सभी लोग अपना शीश देने के लिए तैयार हो गए। जो पांच लोग सबसे पहले सामने आए उन्हें पंज प्यारे कहा गया। - फिर गुरु जी ने धर्म, समाज और देखा की रक्षार्थ 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की। इन पंच प्यारों को गुरुजी ने अमृत (अमृत यानि पवित्र जल जो सिख धर्म धारण करने के लिए लिया जाता है) चखाया। इसके बाद इसे बाकी सभी लोगों को भी पिलाया गया। इस सभा में हर जाती और संप्रदाय के लोग मौजूद थे। सभी ने अमृत चखा और खालसा पंथ के सदस्य बन गए। अमृ...

गुरु गोबिंद सिंह जयंती : यूं ही नहीं बने थे महान योद्धा, जानिए पूरी वीरगाथा : Guru Gobind Singh Jayanti: Know the complete heroic story of the 10th Guru of Sikhs

highlights • सिखों के दसवें गुरु थे गुरु गोबिंद सिंह • प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है उनकी जयंती • वह एक आध्यात्मिक नेता, योद्धा, कवि और दार्शनिक थे दिल्ली: Guru Govind singh Jayanti 2022 : गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Govind Singh Jayanti) के शुभ अवसर को सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन, दुनिया भर से भक्त एक दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं और गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं और मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती हर साल दिसंबर या जनवरी में पड़ती है, लेकिन गुरु की जयंती का वार्षिक उत्सव नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होता है. इस वर्ष गुरु गोबिंद सिंह जयंती 9 जनवरी, 2022 को पड़ रही है. यह दिन महान योद्धा, कवि, दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु के सम्मान और स्मरण में मनाया जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार पौष शुक्ल सप्तमी को गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था. 2022 में पौष शुक्ल सप्तमी तिथि 8 जनवरी 2022 को सुबह 10:42 बजे से शुरू होकर 9 जनवरी 2022 को रात 11:08 बजे समाप्त होगी. यह भी पढ़ें : ट्विटर से धार्मिक भावनाएं भड़काने में लगा था पाक, बड़ी साजिश नाकाम गुरु गोबिंद सिंह का इतिहास "चिड़ियां नाल मैं बाज लड़ावां गिदरां नुं मैं शेर बनावां सवा लाख से एक लड़ावां तां गोविंद सिंह नाम धरावां" सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह द्वारा 17 वीं शताब्दी में कहे गए ये शब्द आज भी सुनने को मिलती है. गुरु गोबिंद सिंह जी गोबिंद राय के रूप में पटना में पैदा हुए जो दसवें सिख गुरु बने. वह एक आध्यात्मिक नेता, योद्धा, कवि और दार्शनिक थे. वह औपचारिक रूप से नौ साल की उम्र में सिखों के नेता और रक...

गुरु गोविन्द सिंह की जयंती

जब कोई भी व्यक्ति गुरु गोबिंद सिंह जी का नाम सुनता है तो उसके मन में सिर्फ एक ही व्याख्या आती है--संत-सिपाही। शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना में हुआ। उनके बचपन का नाम गोविंद राय था और वे दसवें सिख गुरु थे। एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ वे एक निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। जब उनके पिता, गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार कर दिया, तो उनका सिर काट दिया गया। तब 9 वर्ष के गुरु गोबिंद सिंह को औपचारिक रूप से सिखों के गुरु के रूप में स्थापित किया गया। दिन तारीख रविवार १३ जनवरी २० १९ गुरूवार २ जनवरी २०२० बुधवार २० जनवरी २०२१* रविवार ९ जनवरी २०२२* गुरूवार २९ दिसंबर २०२२* बुधवार १७ जनवरी २०२४* *तिथि बदल सकती हैं। (Dates may change) गुरु गोविन्द सिंह की जयंती के अवसर पर श्री श्री रविशंकर जी के साथ हुए सत्संग के सारांश यदि आज भारत में संस्कार और धर्म स्थापित हैं, तो उसका पूरा श्रेय गुरु गोबिंद सिंह जी को जाता है। सभी १० गुरुओं ने भारत और भारत के वासियों के लिए बहुत कुछ किया है, उन्हें मार्ग दिखाया है। जिस प्रकार से वे देश में इतना परिवर्तन लाये, उसके लिए भारत की धरती सदैव गुरु गोबिंद सिंह जी की कृतज्ञ रहेगी। इस देश के साधु, संत और महात्मा हमेशा अपने मठ में या अपने मंदिरों में ही रहे, वे अपनी पूजा-पाठ और परम्पराओं में ही उलझे रहे और समाज के लिए कुछ नहीं किया। जो लोग समाज सेवा करते थे और सच्चे सिपाही थे – वे धर्म से कोसों दूर थे। उनके अन्दर कोई साधुत्व नहीं था। तब गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा, ‘मन में साधु बनो, व्यवहार में मधुरता लाओ और भुजाओं में सैनिक की वीरता लाओ’। तब उन्होंने ‘संत-सिपाही’ का ना...

गुरु गोबिंद सिंह का जीवन परिचय, जयंती व इतिहास

खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह के जीवन व इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें, जयंति रचनाएं, ग्रंथ, युद्ध (Guru Gobind Singh Biography hindi, Jayanti 2022, sikh guru govind ki jivan katha, history, fights, battle) गुरु गोबिंद सिंह सिख समुदाय के दसवें और अंतिम सिख गुरु थे जिन्होंने सिख समाज को एक नई दिशा प्रदान करी। गुरु गोविंद सिंह एक महान आध्यात्मिक गुरु व अद्वितीय योद्धा तथा कवि और एक महान दार्शनिक भी थे। गुरु गोविंद सिंह ने मानवता व धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े और कई बलिदान दिये। उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। • • • • • • • • • • • • • • • • गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती 2023 गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती हर वर्ष २२ दिसंबर को आती है। तथा गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाने का सिखों के आखिरी व दसवें गुरु की गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंति 2023 में 5 जनवरी के दिन है। यह दिन नानकशाही कैलेंडर के अनुसार निर्धारित किया जाता है। गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती मनाने का उद्देश्य पूरे भारत तथा विश्व में शांति का सन्देश देना है। और गुरु गोविन्द सिंह जी की बहादुरी, उनके द्वारा लगे गए महान युद्धों, उनके द्वारा दिये गये बलिदानों को याद रखने के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। • गुरु गोबिंद सिंह का जीवन परिचय (Guru Gobind Singh Biography hindi) गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रारंभिक जीवन गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर था, जो कि सिख समाज के बहुतबडेयोद्धा थे। लेकिन औरंगजेब गुरु तेग बहादुर को धोखे से कत्ल कर दिया था। इसके...

गुरु गोविन्द सिंह के 20 अनमोल विचार

सिख धर्म के 10वे गुरु गुरु गोविन्द सिंह थे जिन्होंने खालसा पन्थ की स्थापना किया था, गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था गुरु गोविन्द सिंह महान धर्म गुरु होने के साथ साथ महान योद्धा, महान दार्शनिक, कवि, भक्त और आध्यात्मिक गुरु भी थे उन्होंने अपने जीवन में ऐसी तमाम बाते कही जो सभी को जीवन जीने की राह सिखाती है तो आईये हम सब गुरु गोविन्द सिंह के अनमोल विचारो को जानते है. प्रसिद्धि : खालसा पंथ के संस्थापक, भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम, मृत्यु : 7 अक्टूबर 1708 (नांदेड़, महाराष्ट्र, भारत) महज 42 साल की उम्र में गुरु गोविन्द सिंह के 20 अनमोल विचार Guru Gobind Singh Ji Quotes In Hindi अनमोल विचार – 1 हमे सबसे महान सुख और स्थायी शांति तभी प्राप्त हो सकती है जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते है. गुरु गोविन्द सिंह | Guru Gobind Singh अनमोल विचार – 2 अगर आप सिर्फ भविष्य की सोचते है तो वर्तमान को भी खो देंगे. Guru Gobind Singh Motivational Quotes In Hindi अनमोल विचार – 3 मेरी बात सुनो जो लोग दुसरे से प्रेम करते है वही लोग प्रभु को महसूस कर सकते है. अनमोल विचार – 4 मै उन सभी लोगो को पसंद करता हु जो सच्चाई के मार्ग पर चलते है Guru Gobind Singh Bani In Hindi अनमोल विचार – 5 भगवान स्वय उनके मार्ग बनाते है जो लोग अच्छाई का कर्म करते है. अनमोल विचार – 6 उन्ही लोगो का जीवन पूर्ण है जिनके अंदर भगवान के नाम की महसूस करते है. Guru Govind Singh Ke Dohe अनमोल विचार – 7 अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अँधा होता है वह गहना के मूल्य की सराहना नही करता है बल्कि उसके चकाचौंध की तारीफ करता है. अनमोल विचार – 8 मैं लोगो को के पैरो में गिरता हु जो लोग सच्चाई पर विश्वास रखते है. अनमो...

Guru Gobind Singh Jayanti 2022 Congratulate Everyone By Sending Messages And Photos On The Birth Anniversary Of Guru Gobind Singh

Guru Gobind Singh Jayanti quotes​: गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों से 10वें गुरु माने जाते हैं. उन्होंने ही खालसा वाणी - "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" दी. गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) को पूरा किया. इसके अलावा वे खालसा पंथ की रक्षा के लिए मुगलों और उनके सहयोगियों से 14 बार लड़े. इसी वजह से उनकी जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल यानी 2022 में गुरु गोविंद सिंह जयंती 29 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में कीर्तन और लंगर आयोजित किए जाते हैं. इसी के साथ ही उनके अनमोल वचन पढ़े जाते हैं. आप भी इस बार गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2022) की खुशी सबसे बांटें और यहां दिए गए मैसेजेस (Guru Gobind Singh Messages) से बधाई दें. यह भी पढ़ें • Happy Guru Nanak Jayanti 2022: गुरु पर्व पर इन Wishes, Messages और Quotes के जरिए अपनों को भेजें गुरु नानक जयंती की बधाई • Guru Gobind Singh Jayanti 2022 Wishes : गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पर मैसेज और फोटो भेजकर सभी को दें लख-लख बधाई • Guru Gobind Singh Jayanti 2022 : कौन थे गुरु गोबिंद सिंह ? उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें आप भी जान लें लख-लख बधाई आपको, गुरु गोविंद सिंह का आशीर्वाद मिले आपको!! खुशी का जीवन से रिश्‍ता हो ऐसा, दीए का बाती संग रिश्‍ता जैसे!! हैप्‍पी गुरु गोविंद सिंह जयंती 2022 वाहे गुरु का आशीष सदा मिले, ऐसी है कामना मेरी!! गुरु की कृपा से आएगी, घर-घर में खुशहाली!! गुरु गोविंद सिंह जयंती की बधाइयां!!! वाहे गुरु! आशीष सदा रहे तेरी, तेरी दया पर चलती जिन्‍दगी मेरी!! जब भी आए कोई मुश्किल, तू ही दिखाए ...

गुरु गोविन्द सिंह की जयंती

जब कोई भी व्यक्ति गुरु गोबिंद सिंह जी का नाम सुनता है तो उसके मन में सिर्फ एक ही व्याख्या आती है--संत-सिपाही। शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना में हुआ। उनके बचपन का नाम गोविंद राय था और वे दसवें सिख गुरु थे। एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ वे एक निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। जब उनके पिता, गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार कर दिया, तो उनका सिर काट दिया गया। तब 9 वर्ष के गुरु गोबिंद सिंह को औपचारिक रूप से सिखों के गुरु के रूप में स्थापित किया गया। दिन तारीख रविवार १३ जनवरी २० १९ गुरूवार २ जनवरी २०२० बुधवार २० जनवरी २०२१* रविवार ९ जनवरी २०२२* गुरूवार २९ दिसंबर २०२२* बुधवार १७ जनवरी २०२४* *तिथि बदल सकती हैं। (Dates may change) गुरु गोविन्द सिंह की जयंती के अवसर पर श्री श्री रविशंकर जी के साथ हुए सत्संग के सारांश यदि आज भारत में संस्कार और धर्म स्थापित हैं, तो उसका पूरा श्रेय गुरु गोबिंद सिंह जी को जाता है। सभी १० गुरुओं ने भारत और भारत के वासियों के लिए बहुत कुछ किया है, उन्हें मार्ग दिखाया है। जिस प्रकार से वे देश में इतना परिवर्तन लाये, उसके लिए भारत की धरती सदैव गुरु गोबिंद सिंह जी की कृतज्ञ रहेगी। इस देश के साधु, संत और महात्मा हमेशा अपने मठ में या अपने मंदिरों में ही रहे, वे अपनी पूजा-पाठ और परम्पराओं में ही उलझे रहे और समाज के लिए कुछ नहीं किया। जो लोग समाज सेवा करते थे और सच्चे सिपाही थे – वे धर्म से कोसों दूर थे। उनके अन्दर कोई साधुत्व नहीं था। तब गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा, ‘मन में साधु बनो, व्यवहार में मधुरता लाओ और भुजाओं में सैनिक की वीरता लाओ’। तब उन्होंने ‘संत-सिपाही’ का ना...