गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का सूत्र

  1. स्थितिज ऊर्जा : प्रत्यास्थ ,गुरुत्वाकर्षण (गुरुत्वीय), विद्युत स्थितिज उर्जा (potential energy in hindi)
  2. गुरुत्वीय विभव क्या है, गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा तथा गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता को समझाइए
  3. UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation – UP Board Solutions
  4. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा क्या है, सूत्र, विमीय सूत्र
  5. [Gujrati] Obtain an expression of gravitational potential at a point i
  6. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
  7. स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं, सूत्र, परिभाषा, उदाहरण Potential energy example in Hindi


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स्थितिज ऊर्जा : प्रत्यास्थ ,गुरुत्वाकर्षण (गुरुत्वीय), विद्युत स्थितिज उर्जा (potential energy in hindi)

(potential energy in hindi) स्थितिज ऊर्जा क्या है , परिभाषा , सूत्र , प्रकार , स्थितिज ऊर्जा के उदाहरण : प्रत्येक वस्तु में इसकी स्थिति के कारण एक ऊर्जा निहित रहती है , वस्तु में इसकी स्थिति के कारण निहित इस ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते है। जब कोई वस्तु विराम अवस्था में होती है तो इसमें स्थितिज ऊर्जा विद्यमान रहती है। जैसे किसी झील में भरा हुआ पानी , ड्रम में भरा हुआ तेल , कोयला तथा टेबल पर रखी किताब में स्थितिज ऊर्जा विद्यमान रहती है। जब भी जरुरत पड़ती है इस स्थितिज ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है। स्थितिज ऊर्जा एक उदाहरण : किसी पहाड़ी पर रखे पत्थर में इसकी स्थिति के कारण इसमें स्थितिज ऊर्जा निहित रहती है , पत्थर जितनी ऊपर होता है उसमे इस स्थितिज का मान उतना ही होता है , जब एक ही पत्थर को अलग अलग ऊंचाई से किसी चीज पर गिराई जाए या लुढ़काया जाए तो अधिक ऊंचाई वाला पत्थर अधिक घातक होता है क्यूंकि अधिक ऊँचाई पर स्थित पत्थर पर इसकी ऊर्जा अधिक होती है। जब पत्थर को लुढ़काया जाता है तो पत्थर में निहित स्थितिज ऊर्जा , गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है अत: किसी पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा अधिक होगी तो इसकी इसी प्रकार तीर को धनुष में इसकी स्थिति के कारण इसमें स्थितिज ऊर्जा निहित रहती है , धनुष को जब छोड़ा जाता है तो इसमें विद्यमान स्थितिज ऊर्जा , गतिज उर्जा में परिवर्तित होने लगती है। धनुष को जितना अधिक खिंचा जाए इसकी स्थितिज ऊर्जा उतनी ही अधिक होती है और जब छोड़ा जायेगा तो उतनी अधिक मात्रा में गतिज ऊर्जा होगी इसलिए जोर से खिंचकर छोड़ने से तीर अधिक दूर जाकर गिरता है।

गुरुत्वीय विभव क्या है, गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा तथा गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता को समझाइए

3.1 पृथ्वी तल पर किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा गुरुत्वीय विभव क्या है “एकांक द्रव्यमान को अनन्त से गुरुत्वीय क्षेत्र के अन्दर किसी बिन्दु तक लाने में गुरुत्वीय बल द्वारा किए गए कार्य का ऋणात्मक मान उस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव (Gravitational Potential in Hindi) कहलाता है।” अतः गुरुत्वीय विभव V सदैव ऋणात्मक होता है। अर्थात् यदि द्रव्यमान m के किसी पिण्ड को अनन्त से गुरुत्वीय क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में कार्य W प्राप्त हो, तो उस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव, \footnotesize \boxed यह अदिश राशि है। इसका S.I. मात्रक⇒ जूल/किग्रा तथा विमीय सूत्र⇒ [L 2T -2] होता है। गुरुत्वीय विभव माना पिण्ड के गुरुत्वीय क्षेत्र में बिन्दु O से r दूरी पर स्थित बिन्दु R पर गुरुत्वीय विभव ज्ञात करना है। इसके लिए हमें द्रव्यमान m के एक पिण्ड को अनन्त से बिन्दु R तक लाने में इस पर लगने वाला गुरुत्वीय बल, F = G \frac गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा क्या है किसी गुरुत्वीय क्षेत्र में स्थित किसी पिण्ड में अपनी स्थिति के कारण जो ऊर्जा उत्पन्न होती है उस उर्जा को उस पिण्ड की "गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (gravitational potential energy in Hindi)" कहते हैं। इसे U से दर्शाते हैं। किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा सदैव ऋणात्मक होती है। यह अदिश राशि है। तथा गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मात्रक⇒ जूल तथा इसका विमीय सूत्र⇒ [ML 2T -2] होता है। पृथ्वी तल पर किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा माना पृथ्वी का द्रव्यमान M e व त्रिज्या R e है तथा द्रव्यमान m के पिण्ड की पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करनी है। जैसा की चित्र-2 में दिखाया गया है। गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा माना m द्रव्यमान का पिण्ड पृथ्वी के केन्द...

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation (गुरुत्वाकर्षण ) are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Physics Chapter Chapter 8 Chapter Name Gravitation Number of Questions Solved 77 UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation (गुरुत्वाकर्षण ) अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए (a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिण्ड का परिरक्षण, निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों द्वारा कर सकते हैं? (b) पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशंन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है? (c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें, तो आप यह पाएँगे कि सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिए गए आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों? उत्तर- (a) गुरुत्वीय प्रभाव से किसी पिण्ड का परिरक्षण किसी भी प्रकार से अथवा साधन से नहीं किया जा सकता। (b) हाँ, यदि अन्तरिक्ष स्टेशन पर्याप्त रूप में बड़ा है तो (UPBoardSolutions.com) यात्री उस स्टेशन के कारण गुरुत्व बल का संसूचन कर सकता है। (c) किसी ग्रह के कारण ज्वारीय प्रभाव दूरी क...

गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा क्या है, सूत्र, विमीय सूत्र

माना पृथ्वी के केंद्र से x दूरी पर m द्रव्यमान का एक पिंड, बिंदु C पर स्थित है। जिसकी O से दूरी x है। यदि पृथ्वी का द्रव्यमान M e तथा त्रिज्या R e है तो पिंड पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल F = G \large \frac पढ़ें… गुरुत्वीय बल द्वारा पिंड को अनंत से पृथ्वी तल तक लाने में किया गया कार्य ही पिंड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है। जिसे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। अतः पृथ्वी की सतह पर m द्रव्यमान के पिंड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा इस कार्य के ऋणात्मक मान के बराबर होगी। तब U = -W \footnotesize \boxed

[Gujrati] Obtain an expression of gravitational potential at a point i

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गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा

गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (gravitational Potential energy) की परिभाषा : किसी पिंड को अनंत से गुरुत्वीय क्षेत्र के अंतर्गत किसी बिंदु O तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर उस वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की इसे U से प्रदर्शित करते हैं। आयर इसका मात्रक जूल होता है। यह एक अदिश राशि है। पृथ्वी तल से ऊपर किसी वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा दर्शाती है, कि गुरुत्व बल के विरुद्ध पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर किए गए काल में वृद्धि होती है।

स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं, सूत्र, परिभाषा, उदाहरण Potential energy example in Hindi

सामान्यतः स्थितिज ऊर्जा वस्तु की वह ऊर्जा है जो वस्तु की स्थिति या अवस्था के कारण उसमें संचित होती है। इसी ऊर्जा के कारण वस्तु में कार्य करने की क्षमता आ जाती हैं। वस्तु को सामान्य स्थिति में किसी अन्य अवस्था तक लाने में जितना कार्य किया गया है,उसका परिमाप ही नवीन अवस्था में उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा के बराबर होगा। स्थितिज ऊर्जा एक अदिश राशि है अर्थात इसकी दिशा को परिभाषित नही किया जा सकता है। तथा ऊर्जा के लिए केवल परिमाण को दर्शाया जा सकता है स्थितिज ऊर्जा के प्रकार (types of potential energy)तीन प्रकारो में बांटा गया है– • प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा (Elastic Potential Energy) • गुरुत्वाकर्षण (गुरुत्वीय) स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy) • विद्युत स्थितिज उर्जा (electrical Potential Energy) • हम सभी को यह अनुभव है किइसी प्रकार जब एक स्प्रिंग को थोड़ा सा खींचकर छोड़ दें तो स्प्रिंग पुनः अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाती है। यदि हम स्प्रिंग को थोड़ा संपीडित करके मुक्त करें तो भी वह पुनः अपनी सामान्य स्थिति की तरह लौट आती है। स्प्रिंग के अपनी सामान्य अवस्था में वापस आने में कुछ कार्य होता है। यह कार्य तभी संभव हो सकता है जब एक अवस्था से मुक्त करते समय उस वस्तु में कार्य करने की क्षमता हो। • जब एक कसे हुए धनुष से तीर को छोड़ा जाता है तो तीर दूर तक चला जाता है। जब हम तीर को चलाने के लिये हम धनुष को खींचते हैं तो हमारे द्वारा जितना कार्य धनुष खींचने में किया जाता है उसके तुल्य ऊर्जा ही कसी हुई अवस्था में कमान की स्थितिज ऊर्जा होगी। इसी कार्य के फलस्वरूप वस्तु में ऊर्जा स्थानांतरित हो जाती है जिसे स्थितिज ऊर्जा कहते है। इस गतिज ऊर्जा के कारण लोलक माध्य स्थिति से आगे दू...