हाल ही में तम्बाकू नियंत्रण के लिए विश्व स्वस्थ्य संगठन के द्वारा किस राज्य को प्राप्त हुआ ?

  1. तम्बाकू सेवन के आदी लोगों की संख्या में गिरावट, लक्ष्य प्राप्ति के लिये लम्बा सफ़र बाक़ी
  2. Other states of the country will adopt Rajasthan's tobacco control mod
  3. क्या सरकारें तम्बाकू उद्योग की कोविड वैक्सीन को अस्वीकार करेंगी?
  4. किशोर उम्र से ही तम्बाकू सेवन की लत से बचाने की मुहिम
  5. तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त होने का घोषणापत्र क्यों है सरकारों के लिए ज़रूरी
  6. तम्बाकू


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तम्बाकू सेवन के आदी लोगों की संख्या में गिरावट, लक्ष्य प्राप्ति के लिये लम्बा सफ़र बाक़ी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में तम्बाकू सेवन करने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है, और यह वर्ष 2015 में एक अरब 32 करोड़ से कम हो कर, अब एक अरब 30 करोड़ पर पहुँच गई है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने तम्बाकू सेवन के वैश्विक रुझानों पर अपनी चौथी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि 2025 तक यह आँकड़ा, एक अरब 27 करोड़ तक पहुँच जाएगा. रिपोर्ट बताती है कि 60 देश अब, वर्ष 2010 से 2025 के बीच, तम्बाकू का सेवन करने वालों लोगों की संख्या में, 30 प्रतिशत की कमी लाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं. यह लक्ष्य स्वैच्छिक रूप से निर्धारित किया गया है. दो साल पहले 32 देश इस रास्ते पर थे. संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि यह आँकड़ा उत्साहजनक है, मगर अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है. FCTCofficial “हमें अभी एक लम्बा रास्ता तय करना है, और तम्बाकू कम्पनियाँ, इन घातक सामग्रियों के सेवनों के ज़रिये प्राप्त होने वाले विशाल मुनाफ़े को बनाए रखने के लिये हर तिकड़म का इस्तेमाल करना जारी रखेंगी.” यूएन एजेंसी के मुताबिक़, नए तथ्य दर्शाते हैं कि तम्बाकू उद्योग जगत ने, कोविड-19 महामारी का इस्तेमाल 80 देशों की सरकारों के साथ अपना प्रभाव बढ़ाने के लिये किया. रिपोर्ट में सदस्य देशों से तम्बाकू नियंत्रण पर स्वास्थ्य संगठन की फ़्रेमवर्क सन्धि (WHO FCTC) में उल्लेखित उपायों को तेज़ी से लागू किये जाने का आग्रह किया गया है. बताया गया है कि यूएन एजेंसी की सन्धि के अनुरूप उपायों की मदद से प्रगति तो सम्भव हुई है, मगर इस सफलता को बरक़रार रख पाना सरल नहीं है. तम्बाकू के इस्तेमाल पर रोक और रोकथाम हस्तक्षेपों के लिये वैश्विक निवेश का सुझाव भी पेश किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार,...

कोविड

कोविड- 19 महामारी ने वैश्विक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए जिम्मेदार संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक विशेष एजेंसी , विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) की कार्य पद्धति पर चौकस ध्यान केंद्रित किया है। प्रकोप की शुरुआत से , संगठन कई विवादों के केंद्र में रहा है। इस पर कर्तव्यत्याग ; प्रकोप के बारे में अपने प्रारंभिक कवर अप में चीनी सरकार का साथ देना ; महामारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा में देरी और महामारी के लिए समय पर समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया तैयार करने में असमर्थता का आरोप लगाया गया है। यह 1948 में स्वास्थ्य सेवा में सार्वजनिक वस्तुओं की आपूर्ति के एक महत्वाकांक्षी जनादेश के साथ स्थापित किया गया था और डब्ल्यूएचओ "अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्य" पर एक निदेशन और समन्वय करने वाला प्राधिकरण रहा है। [i] समय के साथ , इसके दायरे और भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। हाल के दशकों में , हालांकि , वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के समन्वय में डब्ल्यूएचओ की क्षमताएं बहुपक्षीय स्वास्थ्य पहल , सार्वजनिक-निजी भागीदारी , गैर-सरकारी संगठनों आदि की बढ़ती संख्या के कारण तेजी से कमजोर हुई हैं। यद्यपि वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन में सक्रियकों का फैलाव संगठन के कामकाज को मजबूत करने के लिए था , लेकिन विभिन्न सक्रियकों के बीच समन्वय और बेमेल प्राथमिकताओं की कमी ने तंत्र को अप्रभावी बना दिया है। [ii] इसके अलावा , स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिकताओं को निर्धारित करने की डब्ल्यूएचओ की क्षमता सदस्य देशों के साथ-साथ निजी संस्थाओं से भी कम बजटीय योगदान की चुनौतियों का सामना कर रही है। [iii] ऐसे कई कारणों की वजह से , संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के रूप में डब्ल्यूएचओ की विश्वसनीयता संकट में आ ...

Other states of the country will adopt Rajasthan's tobacco control mod

कोटा. भारत सरकार ने तम्बाकू नियंत्रण के लिए राजस्थान के तम्बाकू नियंत्रण मॉडल को अपनाने की सलाह राज्यों को दी है। चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशन में तम्बाकू नियंत्रण के लिए 100 दिवसीय विशेष अभियान फरवरी 2022 में शुरू किया गया था। जिसका समापन विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई 2022 के अवसर पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार के लिए आमजन का स्वास्थ्य सबसे ज्यादा प्राथमिकता पर है और यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि भारत सरकार द्वारा राजस्थान के तम्बाकू नियंत्रण मॉडल को सराहा गया है। शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पृथ्वी ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 18 मई 2022 के पत्र में देश के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे भी अपने राज्य में तम्बाकू नियंत्रण के लिए कोटपा अधिनियम 2003 के तहत राजस्थान की तरह विशेष अभियान चलाएं। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक और नोडल अधिकारी डॉ. एस.एन. धौलपुरिया ने बताया कि प्रदेश में तम्बाकू का उपभोग लगभग 8 प्रतिशत कम हुआ है। नेशनल फैमेली हैल्थ सर्वे-5 के अनुसार किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का प्रयोग (15 साल से ज्यादा) करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत 42 है। जबकि एनएफएसएच-4 में यह 46.9 प्रतिशत था। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और चिकित्सा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बिड़ला ऑडिटोरियम में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई को राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में तम्बाकू नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे 100 दिवसीय विशेष ...

क्या सरकारें तम्बाकू उद्योग की कोविड वैक्सीन को अस्वीकार करेंगी?

Special on गौर करें कि कनाडा समेत दुनिया के 180 से अधिक देशों ने वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि ( इसी संधि के अनुपालन करते हुए सरकारें तम्बाकू उद्योग से चंदा, प्रयोजन, आदि नहीं ले सकतीं और साझेदारी आदि भी नहीं कर सकतीं। विश्व तम्बाकू नियंत्रण संधि के अंतर्गत , तम्बाकू उद्योग के साथ साझेदारी करने पर सख़्त रोक लगी है। तम्बाकू उद्योग की यह चाल सफल हो गयी तो न केवल उसको सरकार से जनता का पैसा मिलेगा, बल्कि मेडीकागो के साथ सरकारी अनुबंध से दुनिया की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी को राजनीतिक लाभ भी मिलेगा। डब्ल्यूएचओ ने जताई थी चिंता विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में कहा था कि तम्बाकू उद्योग के उत्पाद वैश्विक तम्बाकू महामारी के मूल कारण हैं, इसीलिए इस उद्योग को दूसरी महामारी कोविड-19 से लाभान्वित नहीं होने देना चाहिए। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च स्वास्थ्य एजेंसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने तम्बाकू उद्योग के पैसे से बनी वैक्सीन को ख़ारिज कर दिया, उसको स्वीकृति नहीं दी है क्योंकि इसमें तम्बाकू उद्योग शामिल है - जिसके कारण लगभग 90 लाख लोग हर साल जान गवाँ बैठते हैं। आख़िर विश्व स्वास्थ्य संगठन ऐसी कम्पनी की वैक्सीन को अनुमति कैसे देता जो अधिकांश ग़ैर-संक्रामक रोगों का जनक है? जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, दीर्घकालिक श्वास सम्बन्धी रोग, आदि? तम्बाकू सिर्फ़ ग़ैर संक्रामक रोगों का ही जनक नहीं है बल्कि अनेक संक्रामक रोगों को भी अधिक प्राणघातक बनाता है - जैसे कि टीबी या टुबर्क्युलोसिस (तपेदिक), एचआईवी, और कोविड-19। कनाडा सरकार के ऊपर दबाव बढ़ रहा है कि वह तम्बाकू उद्योग के साथ अपने सम्बंध का अंत करे क्योंकि यह विश्व तम्बाकू नियंत्रण संधि अनुच्छेद 5.3 का घोर उल्लंघन है। यदि...

किशोर उम्र से ही तम्बाकू सेवन की लत से बचाने की मुहिम

संगठन का कहना है कि यहाँ तक कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के दौर में भी तम्बाकू और निकोटीन उद्योग जगत अपने उत्पादों को बढ़ावा देने में लगा हुआ है, जबकि ये मालूम है कि इन उत्पादों के सेवन से नए कोरोनावायरस का मुक़ाबला करने और बीमारी से उबरने में लोगों की क्षमता सीमित होती है. संगठन ने बात 31 मई को विश्व तम्बाकू निषिद्ध दिवस के मौक़े पर कही. इस बार इस दिवस पर एजेंसी ने ख़ासतौर से किशोरों पर ध्यान केन्द्रित किया जिन्हें तम्बाकू उद्योग अपना निशाना बना रहा है. संगठन का अनुमान है कि 13 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग चार करोड़ किशोर अब तक तम्बूक सेवन का आदी हो चुके हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने वक्तव्य में आगाह करते हुए कहा कि धूम्रपान फेफड़ों व अन्य अंगों को दबोचता है और उनमें ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित करता है जिसकी उन्हें अच्छी तरह काम करने के लिए बहुत ज़रूरत होती है. “हम युवाओं को ऐसी जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं कि वो तम्बाकू उद्योग जगत द्वारा किए जा रहे जोड़-तोड़ के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलन्द कर सकें.” विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 13 से 17 वर्ष की उम्र के किशोर-किशोरियों को तम्बाकू सेवन की लत से बचाने के लिए उन चालाकियों की तरफ़ ख़ास ध्यान आकर्षित किया है जो उन्हें इस लत की तरफ़ खींचने के लिए तम्बाकू उद्योग जगत द्वारा अपनाई जाती हैं. ई-सिगरेट और हुक्का हानिकारक हैं संगठन का कहना है कि जिन ई-सिगरेट व हुक्का-पाइप को सिगरेट का सुरक्षित विकल्प कहा जाता है, वो हानिकारक हैं, उनकी लत लगती है, और उनके इस्तेमाल से भी हृदय और फेफड़ों की बीमारियाँ होने का ख़तरा बढ़ता है. यूएन स्वास्थ्य एजेन्सी ने ध्यान दिलाया है कि तम्बाकू उत्पादों में इस समय लगभग 15 हज़ार ज़ायक़े उपलब्ध हैं जिनमे...

तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त होने का घोषणापत्र क्यों है सरकारों के लिए ज़रूरी

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता। छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद्र दवारिके।। वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठकों में सरकारों ने गत वर्षों में मजबूरन निर्णय लिया कि चूँकि तम्बाकू उद्योग इन बैठकों में जन स्वास्थ्य नीति में निरंतर हस्तक्षेप करता रहा है और जन हितैषी नीतियों को बनने में एक बड़ा अड़ंगा है, इसलिए जन स्वास्थ्य नीति में उद्योग के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसीलिए सरकारों ने 2008 में वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया और आर्टिकल 5.3 की मार्गनिर्देशिका पारित की। पर बीबीसी समेत अनेक ऐसे रिपोर्ट ने खुलासा किया कि तम्बाकू उद्योग चूँकि अब सीधे तौर पर बैठक में नहीं हस्तक्षेप कर पा रहा तो अनेक अन्य हथकंडे अपना रहा है जैसे कि सरकारी दल कि सदस्यों को रिश्वत देना आदि। पिछले महीने सम्पन्न हुई वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि बैठक के 9वें सत्र में, भारत समेत 182 देशों की सरकारों ने सर्वसहमति से यह एलान किया कि तम्बाकू उद्योग द्वारा जन-स्वास्थ्य नीतियों में हस्तक्षेप पर अंकुश लगा कर, हर प्रकार के तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप को जड़ से बाहर किया जाये, तथा तम्बाकू नियन्त्रण पर बजट बढ़ाया जाए. वैश्विक तम्बाकू नियंत...

तम्बाकू

अनुक्रम • 1 भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू के प्रकार • 2 तम्बाकू के दुष्प्रभाव • 3 सिगरेट बीड़ी छोड़ने के उपाय • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें • 6 बाहरी कड़ियाँ भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू के प्रकार [ ] यह सर्वविदित है कि पूरे संसार में तम्बाकू का दुरूपयोग भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू कई प्रकार के होते है:- धुंआरहित तम्बाकू • तम्बाकू वाला पान • पान मसाला • तम्बाकू, सुपारी और बुझे हुए चूने का मिश्रण • मैनपुरी तम्बाकू • मावा • तम्बाकू और बुझा हुआ चूना (खैनी) • चबाने योग्य तम्बाकू • सनस • मिश्री • गुल • बज्जर • गुढ़ाकू • क्रीमदार तम्बाकू पाउडर • तम्बाकू युक्त पानी ध्रूमपान वाला तम्बाकू • • • • चैरट (एक प्रकार का सिगार) • चुट्टा • चुट्टे को उल्टा पीना • धुमटी • धुमटी को उल्टा पीना • पाइप • हुकली • चिलम • तम्बाकू के दुष्प्रभाव [ ] तम्बाकू को जब गुल, गुड़ाकु,पान मसाला या खैनी, के रूप में प्रयोग करते है तो इसके कारण मुंह मे अनेक रोग उत्पन्न हो सकते है। किशोरावस्था में उत्सुकता वश या मित्रों के साथ इन पदार्थो का सेवन शुरू होता है फिर इसके नशा का आनन्द आने लगता है। इसकी मात्रा बढ़ाई जाती है। जो लोग बार-बार लोग इसका सेवन करते है, उनका शरीर इस मादक पदार्थ का आदी हो जाता है और फिर वह उसको छोड़ नहीं पाते। छोड़ने से कई प्रकार के लक्षण जैसे- बेचैनी, घबराहट होने लगती है। इस कारण लोग इसके आदी हो जाते है, उसी प्रकार जैसे लोग शराब या अन्य पदार्थों के आदी हो जाते है और जब कोई किसी पदार्थ का आदि हो जाए तो उसका नियमित सेवन उसकी बाध्यता हो जाती है। सिगरेट बीड़ी छोड़ने के उपाय [ ] सिगरेट पीने वाले सिगरेट द्वारा न केवल स्वयं को शारीरिक हानि पहुँचा रहे है बल्कि अप्रत...