Health education in hindi

  1. बच्‍चे का स्‍वास्‍थ्‍य जानकारी
  2. स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व
  3. शारीरिक शिक्षा
  4. मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, मेंटल हेल्‍थ, Mental Health in Hindi, Mansik Swasthya in Hindi
  5. स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध (Essay on Health Education in Hindi): Health Education Nibandh


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बच्‍चे का स्‍वास्‍थ्‍य जानकारी

माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को स्वास्थ रखने के लिए (Children Health Tips) क्या कुछ नहीं करते लेकिन कई बार जानकारी का आभाव, उनके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अगर हम शुरुआत से ही ये जानें कि बच्चे को कब, किस उम्र में स्वास्थ्य से जुड़ी कौन सी परेशानियां हो सकती हैं, तो हम उन्हें हमेशा मानसिक और शारीरिक (Child health issues) रूप से फिट रख सकते हैं। इसके लिए हम बच्चों को आमतौर पर हम 5 एज ग्रुप कैटेगरी में बांट सकते हैं और उसी के अनुसार उनके स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं। 1. टॉडलर (toddlers) - 1 से 3 वर्ष की उम्र के बच्चे इस उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा मां की देखभाल की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्यों इस उम्र में ही बच्चा चलना, बोलना और खाना सीखता है। इस दौरान बच्चे की शारीरिक (Children Health) और मानसिक विकास (how to improve child mental health)पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। साथ ही इसी दौरान मां-पिता को बच्चे को कई बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें हर तरह का जरूरी टीके (vaccination chart for babies in India)लगवा देने चाहिए। जैसे कि: • जन्म के 1 साल के दौरान बच्चे को बीसीजी (BCG), ओरल पोलियो वैक्‍सीन (OPV 0), हिपेटाइटिस बी (Hep – B1), Typhoid Conjugate Vaccine (TCV#), Measles, Mumps, and Rubella (MMR – 1) आदि ये सभी टीके लगवा दें। • 12 महीने की उम्र में Hepatitis A (Hep – A1), Influenza का टीका हर साल लगवा लें। • 16 से 18 महीने की उम्र में Diphtheria, Pertussis, and Tetanus (DTP B1)का टीका लगवा दें। 2. प्रीस्कूलर (preschool age)- 3 से 5 वर्ष की उम्र के बच्चे इस उम्र के बच्चों में उनके आहार और पोषण को खास ध्यान देने की जरूरत होती है। जैसे कि इस उम्र में बच्चो...

स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व

स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व यह सर्वविदित है कि केवल स्वास्थ्य सूचनाओं और ज्ञान के प्रसार से लोगों द्वारा अपनाये जाने वाले स्वास्थ्य व्यवहार में कोई दूरगामी परिवर्तन नहीं आता है। व्याख्यानों और वार्त्ताओं के माध्यम से दी गई स्वास्थ्य जानकारी लोग शीघ्र ही भूल जाते हैं। दूसरी ओर ऐसा अनुभव किया गया है कि ऐसी स्वास्थ्य गतिविधियाँ जिनमें लोग स्वयं भागीदारी करते हैं वे स्वास्थ्य शिक्षा के अधिक स्थायी साधन हैं। स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए या स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए लोगों को स्वास्थ्यप्रद व्यवहार को अपनाने हेतु प्रेरित करना होगा। स्वास्थ्य शिक्षा, परिवार नियोजन, मलेरिया उन्मूलन, तपेदिक नियंत्रण, स्वच्छ पेयजल आपूर्ति, कचरे का उचित निस्तारण, संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों का निदान आदि विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की संभावित सफलता का मूलाधार है। स्वास्थ्य शिक्षा, लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं और इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले संस्थानों के मध्य एक सेतु का कार्य करती है। स्वास्थ्य शिक्षा-रूपी यह सेतु ही किसी भी स्वास्थ्य कार्यक्रम में लोगों की भागीदारी प्राप्त करने का प्रमुख उपागम है। जनभागीदारी के बिना कोई भी स्वास्थ्य कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता और स्वास्थ्य शिक्षा ही वह साधन है जो जनभागीदारी को सुनिश्चित करती है। स्वास्थ्य शिक्षा को शिक्षा की गुणात्मक, व्यावहारिक एवं गतिशील प्रक्रिया माना जाता है, क्योंकि 7. यह लोगों को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में सही जानकारी प्राप्त करने के अधिकार को सुनिश्चित करती है। यदि इस तरह की जानकारी लोगों को सुलभता से उपलब्ध नहीं होती है तो उसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। लोगों की मान्यताओं, आदतों, प्रथाओं एवं व्यवहार में ज्ञान के माध्यम...

शारीरिक शिक्षा

अनुक्रम • 1 शारीरिक शिक्षा का परिचय • 2 इतिहास • 3 इन्हेंभीदेखें • 4 बाहरीकड़ियाँ • 5 संदर्भ शारीरिक शिक्षा का परिचय [ ] किसी भी समाज में शारीरिक शिक्षा का महत्व उसका अकटायुद्धोन्मुख प्रवृत्तियों, धार्मिक विचारधाराओं, आर्थिक परिस्थिति तथा आदर्श पर निर्भर होती है। प्राचीन काल में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य मांसपेशियों को विकसित करके शारीरिक शक्ति को बढ़ाने तक ही सीमित था और इस सब का तात्पर्य यह था कि मनुष्य आखेट में, भारवहन में, पेड़ों पर चढ़ने में, लकड़ी काटने में, नदी, तालाब या समुद्र में गोता लगाने में सफल हो सके। किंतु शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य में भी परिवर्तन होता गया और शारीरिक शिक्षा का अर्थ शरीर के अवयवों के विकास के लिए सुसंगठित कार्यक्रम के रूप में होने लगा। वर्तमान काल में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम, खेलकूद, मनोरंजन आदि विषय आते हैं। साथ साथ वैयक्तिक स्वास्थ्य तथा जनस्वाथ्य का भी इसमें स्थान है इतिहास [ ] संसार के सभी देशों में शारीरिक शिक्षा का महत्व दिया जाता रहा है। ईसा से २५०० वर्ष पहले उन्नीसवीं शताब्दी में स्वीडन देश में शारीरिक शिक्षा का श्रेय पर हैनरिक लिंग (Per Henrik Ling) को प्राप्त हुआ। आप शारीररचना तथा शरीर-क्रिया-विज्ञान के विद्यार्थी थे। आपने एक व्यायामपद्धति निकाली जिसने बाद में चलकर चैकित्सिक व्यायाम की संज्ञा पाई। सन् १८१४ में आपने स्टाकहोम में रॉयल जिम्नास्टिक सेंट्रल इंस्टीट्यूट की स्थापना की। इस संस्था के अनुसंधान कार्य शारीरिक जगत् में विख्यात हैं। जर्मनी, स्वीडन तथा डेनमार्क देशों के शारीरिक शिक्षापद्धति के सिद्धांत हॉलैंड, बेल्जियम, स्विटजरलैंड आदि देशों में भी पहुँचे। किंतु इन देशों में समुचित नेतृत्व के अभाव से उन सि...

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, मेंटल हेल्‍थ, Mental Health in Hindi, Mansik Swasthya in Hindi

Mental Health in Hindi (मेंटल हेल्‍थ), Mansik Swasthya in Hindi (मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य): किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो उसे अपने जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार, फैसले, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार आदि को प्रभावित करता है और शारीरिक रोगों के खतरे को बढ़ाता है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ही व्यक्ति को बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का सेवन और संबंधित अपराध का सहभागी बनना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा तो उसका जीवन भी सही रहेगा। इसलिए हम आपको अपने इस खंड में मानसिक विकारों से जुड़ें हर पहलू के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा। पर आइए सबसे पहले जान लेते हैं, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जरूरी बातें। मानसिक बीमारियों का कारण - Causes of Mental Illness मानसिक स्वास्थ्य में हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण (emotional, psychological, and social well-being) शामिल हैं। यह प्रभावित करता है कि हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कार्य करते हैं। आपका मानसिक स्वास्थ्य उम्र बढ़ने के साथ बदलता चला जाता है। अपने जीवन के दौरान, अगर आप मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते...

स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध (Essay on Health Education in Hindi): Health Education Nibandh

Health Education Essay in Hindi: यहां स्वास्थ्य शिक्षा पर सबसे सरल और आसान शब्दों में हिंदी में निबंध पढ़ें। नीचे दिया गया स्वास्थ्य शिक्षा निबंध हिंदी में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है। Essay on Health Education in Hindi (स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध): Short and Long वे सभी बातें जो मानव को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देती हैं, स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत आतीं हैं। स्वास्थ्य शिक्षा हमें जीने की काला सिखाती है। स्वास्थ्य शिक्षा हमारी आदतों और व्यवहार में परिवर्तन लाने की एक वह विधि है। जिससे हमें रोगों का ज्ञान होता है, कौन – कौन से नियमों का पालन करना है। जिनके द्वारा हम रोगों से बचाव कर सकें या रोगों से मुक्त हो सकें कौन – कौन सी आदतें व व्यवहार हम अपने जीवन में परिवर्तित करके स्वास्थ्य रह सकते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा हमें व्यक्ति, समुदाय और जाती की स्वास्थ्य संबंधी आदतों और दृष्टिकोणो को अच्छा बनाने में सहायक होती है। कोई भी कार्य जो जन साधारण को स्वास्थ्य के विषय में नया सिखये या नई जानकारी दे वह स्वास्थ्य शिक्षा है। सरल शब्दों में हम अगर बात करें तो लोगों को स्वास्थ्य व बीमारियों से संबन्धित जानकारी देना, उनका स्वास्थ्य सुधारने का प्रयत्न करना, रोगों पर किस तरह से नियंत्रण करना है। इस योग्य बनाना स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य है. • • • स्वास्थ्य ही धन है। (“Health is wealth”) व्यक्ति हमारे समाज कि इकाई है। यदि व्यक्ति स्वस्थ होगा तो हमारा समाज स्वस्थ होगा और किसी भी देश की प्रगति तभी संभव है, जब उस देश के व्यक्ति स्वस्थ हो। अरस्तू कि एक कहावत है “एक स्वास्थ्य मस्तिष्क सदैव एक स्वास्थ्य शरीर में निवास करता है।” (“A healthy mind in lives in a healthy body”) स्वस्थ ...