हनुमान बाहुक पाठ हिंदी में

  1. हनुमान बाहुक पाठ हिंदी में अर्थ सहित
  2. हनुमान बाहुक Download
  3. असहनीय पीड़ा और बीमारियों को दूर कर सकता है हनुमान जी का ये शक्तिशाली पाठ, जानिए इसके चमत्कार
  4. हनुमान बाहुक पाठ – Hanuman Bahuk Path PDF Hindi – InstaPDF
  5. हनुमान चालीसा का पाठ हिंदी में (PDF File के साथ)
  6. सम्पूर्ण हनुमान बाहुक अर्थ सहित पाठ.. सभी रोगों को दूर करने वाला हनुमान जी का चमत्कारी पाठ
  7. [PDF] हनुमान बाहुक संपूर्ण पाठ


Download: हनुमान बाहुक पाठ हिंदी में
Size: 67.70 MB

हनुमान बाहुक पाठ हिंदी में अर्थ सहित

हनुमान बाहुक पाठ को लोग हनुमान बाहुक चालीसा, श्री हनुमान बाहुक, हनुमान बाहुक मंत्र, श्री हनुमान बाहुक पाठ, बजरंग बाहुक पाठ के नाम से बी जानते हे। संवत् 1664 विक्रमाब्द के लगभग गोस्वामी तुलसीदासजी की बाहुओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई थी और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा शरीर वेदना का स्थान – सा बन गया था। औषध, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये गये, किन्तु घटने के बदले रोग दिनोंदिन बढ़ता ही जाता था। असहनीय कष्टों से हताश होकर अन्त में उसकी निवृत्ति के लिये गोस्वामी तुलसीदासजी ने हनुमान् जी की वन्दना आरम्भ की। अंजनीकुमार की कृपा से उनकी सारी व्यथा नष्ट हो गयी। यह वही 44 पद्यों का ‘हनुमानबाहुक’ नामक प्रसिद्ध स्तोत्र है। असंख्य हरिभक्त श्रीहनुमान् जी के उपासक निरन्तर इसका पाठ करते हैं और अपने वांछित मनोरथ को प्राप्त करके प्रसन्न होते हैं। संकट के समय इस सद्यः फलदायक स्तोत्र का श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करना रामभक्तों के लिये परमानन्ददायक सिद्ध हुआ है। आशा है रामानुरागी सज्जनों को बाहुक के पद्यों का भावार्थ समझने में इससे बहुत कुछ सहायता प्राप्त होगी। हम इस पोस्ट की माध्यम से हनुमान बाहुक पाठ हिंदी में अर्थ सहित ( हनुमान बाहुक पाठ को हिंदी में अर्थ सहित पड़ेंगे और श्री हनुमान जी के कृपा पाएंगे। Table of Contents • • • • • • • • श्री हनुमान बाहुक पाठ ॥ छप्पय ॥ सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बालबरन-तनु। भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु॥ गहन-दहन-निरदहन-लंक नि:संक, बंक-भुव। जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव॥ कह तुलसिदास सेवत सुलभ, सेवक हित संतत निकट। गुनगनत, नमत, सुमिरत, जपत, समन सकल-संकट-बिकट ॥1॥ भावार्थ – जिनके शरीरका रंग उदयकालके सूर्यके समान है, जो समुद्र लाँघक...

हनुमान बाहुक Download

Hanuman Bahuk Download -छप्पय- सिंधु तरन, सिय-सोच हरनू, रबि बाल बरनू तनु । भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु ॥ गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव ॥ कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट । गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट ॥१॥ स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रवि त और रुन तेज घन । उर विसाल भुज दण्ड चण्ड नख-वज्रतन ॥ पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन । कपिस केस करकस लंगूर, खल-दल-बल-भानन ॥ कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूर ति विकट । संताप पाप तेहि पुरुष पहि सपनेहुँ नहिं आवत निकट ॥२॥ -झूलना- पञ्चमुख-छःमु़ख भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व सरि समर समरत्थ सूरो । बांकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो ॥ जासु गुनगाथ रघुनाथ कह जासुबल, बिपुल जल भरित जग जलधि झूरो । दुवन दल दमन को कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो ॥३॥ -घनाक्षरी- भानुसों पढ़न हनुमान गए भानुमन, अनुमानि सिसु केलि कियो फेर फारसो । पाछिले पगनि गम गगन मगन मन, क्रम को न भ्रम कपि बालक बिहार सो ॥ कौतुक बिलोकि लोकपाल हरिहर विधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खबार सो। बल कैंधो बीर रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि सार सो ॥४॥ भारत में पारथ के रथ केथू कपिराज, गाज्यो सुनि कुरुराज दल हल बल भो । कह्यो द्रोन भीषम समीर सुत महाबीर, बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो ॥ बानर सुभाय बाल केलि भूमि भानु लागि, फलँग फलाँग हूतें घाटि नभ तल भो । नाई-नाई-माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जो हैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो ॥५॥ गो-पद पयोधि करि, होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निःसंक पर पुर गल बल भो । द्रोन सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक ज्यों कपि खेल बेल कैसो फल भो ॥ संकट समाज असमंजस भो राम राज, काज जुग पूग...

असहनीय पीड़ा और बीमारियों को दूर कर सकता है हनुमान जी का ये शक्तिशाली पाठ, जानिए इसके चमत्कार

आज मंगलवार का दिन है. हिंदू धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं. ऐसे में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना जाता है. हनुमान बाबा को बजंरगबली, महावीर और संकट मोचन जैसे नामों से पुकारा जाता है. मान्यता है कि हनुमान जी की प्रेम और भक्ति से पूजन करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे संकटमोचन हनुमान के हनुमान बाहुक पाठ की महिमा. मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार चल र​हा है, या काफी समय से असहनीय पीड़ा सह रहा है, तो उसे हनुमान बाहुक का पाठ जरूर करना चाहिए. माना जाता है कि हनुमान बाहुक के पाठ में शारीरिक व्याधियों को हर लेने की क्षमता होती है. ये व्यक्ति के कष्टों को दूर कर देता है. यहां जानिए हनुमान बाहुक से जुड़ी खास बातें. तुलसीदास ने की थी रचना मान्यता है कि हनुमान बाहुक भी तुलसीदास रचित रचना है. कथानुसार एक बार गोस्वामी तुलसी दास जी बहुत ज्यादा बीमार हो गए थे. उनकी तकलीफ बहुत बढ़ चुकी थी और उनके हाथ में दर्द असहनीय था. तब उन्होंने हनुमान बाबा से अपनी तकलीफ को दूर करने की विनती की और 44 चरणों की हनुमान स्तुति को पूरे भक्ति भाव से पढ़ा. उनकी भक्ति को देखकर हनुमान जी को उनके कष्टों को दूर करने के लिए आना पड़ा. 44 चरणों की वो स्तुति हनुमान बाहुक ही थी. तब से ये मान्यता है कि यदि घर में कोई बीमार व्यक्ति हनुमान बाहुक के पाठ को पूरी श्रद्धा के साथ करे, तो उसके सारे कष्ट मिट जाते हैं. ऐसे करना चाहिए हनुमान बाहुक का पाठ हनुमान बाहुक का पाठ 26 या 21 दिनों तक लगातार किया जाता है. इसे हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर पढ़ना चाहिए. पढ़ते समय प्रतिमा के सामने एक तांबे के पात्र में जल रखें. उस जल में तुलसी का पत...

हनुमान बाहुक पाठ – Hanuman Bahuk Path PDF Hindi – InstaPDF

हनुमान बाहुक पाठ - Hanuman Bahuk Path Hindi हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप हनुमान बाहुक पाठ - Hanuman Bahuk Path हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। हनुमान बाहुक श्री गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अध्यात्मिक भगवान श्री हनुमान को समर्पित स्रोत है। जनश्रुति के अनुसार एक बार की बात है जब कलियुग के प्रकोप से तुलसीदास जी की भुजा में अत्यंत पीड़ा हुई तो उसके निवारण के लिये तुलसीदास जी ने इस स्रोत की रचना की थी। हनुमान बाहुक पाठ – Hanuman Bahuk Path छप्पय सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु । भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु ॥ गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव ॥ कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट । गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट ॥१॥ स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रवि तरुन तेज घन । उर विसाल भुज दण्ड चण्ड नख-वज्रतन ॥ पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन । कपिस केस करकस लंगूर, खल-दल-बल-भानन ॥ कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति विकट । संताप पाप तेहि पुरुष पहि सपनेहुँ नहिं आवत निकट ॥२॥ झूलना पञ्चमुख-छःमुख भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व सरि समर समरत्थ सूरो । बांकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो ॥ जासु गुनगाथ रघुनाथ कह जासुबल, बिपुल जल भरित जग जलधि झूरो । दुवन दल दमन को कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो ॥३॥ घनाक्षरी भानुसों पढ़न हनुमान गए भानुमन, अनुमानि सिसु केलि कियो फेर फारसो । पाछिले पगनि गम गगन मगन ...

हनुमान चालीसा का पाठ हिंदी में (PDF File के साथ)

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पाठ हिन्दू धर्म में श्री राम भक्त हनुमान जी को आराधना करनेवाली श्लोक है। यह चालीसा हनुमान जी की महिमा और उनकी कृपा को याद करने के लिए पठने या गाने का भक्तो का एक विशेष तरीका है। हनुमान चालीसा को संत तुलसीदास जी ने लिखा है और यह हिन्दी भाषा में लिखी गई मंत्र है। यह 40 दोहों से मिलकर बनी हुई है और इसका पाठ करने से मान्यता है कि हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और सभी आपदाओं से बचाव होता है। हनुमान चालीसा के पाठ का अभ्यास अनेक लोग करते हैं और इसे रोज़ाना पढ़ने या सुनने का आदत भी होती है। इस पोस्ट की माध्यम से हम हनुमान चालीसा का पाठ हिंदी में उपलब्ध किये गए हे। आईये हनुमान चालीसा का पाठ हिंदी में (hanuman chalisa hindi mein) पड़ेंगे और हनुमान जी की कृपा पाएंगे। चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै। संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।। विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। र...

सम्पूर्ण हनुमान बाहुक अर्थ सहित पाठ.. सभी रोगों को दूर करने वाला हनुमान जी का चमत्कारी पाठ

सम्पूर्ण हनुमान बाहुक अर्थ सहित पाठ ॐ श्री गणेशाय नमः ॐ श्री जानकीवल्लभो विजयते श्रीमद्-गोस्वामी-तुलसीदास-कृत सभी रोगों को दूर करने वाला हनुमान जी का चमत्कारी पाठ सम्पूर्ण हनुमान बाहुक पाठ अर्थ सहित - छप्पय- सिंधु-तरन , सिय-सोच-हरन , रबि-बाल-बरन तनु। भुज बिसाल , मूरति कराल कालहुको काल जनु।। गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक , बंक-भुव। जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव।। कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट। गुन-गनत , नमत , सुमिरत , जपत समन सकल-संकट-विकट।। १।। हिंदी में अर्थ – जिनके शरीर का रंग उदयकाल के सूर्य के समान है , जो समुद्र लाँघकर श्री जानकीजी के शोक को हरने वाले , आजानु-बाहु , डरावनी सूरत वाले और मानो काल के भी काल हैं। लंका-रुपी गम्भीर वन को , जो जलाने योग्य नहीं था , उसे जिन्होंने निःसंक जलाया और जो टेढ़ी भौंहो वाले तथा बलवान् राक्षसों के मान और गर्व का नाश करने वाले हैं , तुलसीदास जी कहते हैं – वे श्रीपवनकुमार सेवा करने पर बड़ी सुगमता से प्राप्त होने वाले , अपने सेवकों की भलाई करने के लिये सदा समीप रहने वाले तथा गुण गाने , प्रणाम करने एवं स्मरण और नाम जपने से सब भयानक संकटों को नाश करने वाले हैं।। १।। स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन। उर बिसाल भुज-दंड चंड नख-बज्र बज्र-तन।। पिंग नयन , भृकुटी कराल रसना दसनानन। कपिस केस , करकस लँगूर , खल-दल बल भानन।। कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति बिकट। संताप पाप तेहि पुरुष कह सपनेहुँ नहिं आवत निकट।। २।। हिंदी में अर्थ – वे सुवर्ण-पर्वत (सुमेरु) – के समान शरीरवाले , करोड़ों मध्याह्न के सूर्य के सदृश अनन्त तेजोराशि , विशाल-हृदय , अत्यन्त बलवान् भुजाओं वाले तथा वज्र के तुल्य नख और शरीरवाले हैं , पीले नयन तथा , जीभ , दाँत और म...

[PDF] हनुमान बाहुक संपूर्ण पाठ

हनुमान बाहुक पाठ अर्थ सहित श्रीमद्-गोस्वामी-तुलसीदास-कृत हनुमान बाहुक (हिन्दी भावार्थ सहित) गुरु वंदना छप्पय: सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बाल-बरन तनु । भुजबिसाल, मूरतिकरालकालहुकोकालजनु ॥ गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव ॥ कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट । गुन-गनत, नमत, सुमिरत, जपत समन सकल-संकट-विकट ॥ १ ॥ जिनके शरीर का रंग उदयकाल के सूर्य के समान है, जो समुद्र लाँघकर श्रीजानकीजी के शोक को हरने वाले, आजानु-बाहु, डरावनी सूरत वाले और मानो काल के भी काल हैं। लंका-रुपी गम्भीर वन को, जो जलाने योग्य नहीं था, उसे जिन्होंने निःसंक जलाया और जो टेढ़ी भौंहो वाले तथा बलवान् राक्षसों के मान और गर्व का नाश करने वाले हैं, तुलसीदास जी कहते हैं – वे श्रीपवनकुमार सेवा करने पर बड़ी सुगमता से प्राप्त होने वाले, अपने सेवकों की भलाई करने के लिये सदा समीप रहने वाले तथा गुण गाने, प्रणाम करने एवं स्मरण और नाम जपने से सब भयानक संकटों को नाश करने वाले हैं ॥ १ ॥ स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन । उर बिसाल भुज-दंड चंड नख-बज्र बज्र-तन ॥ पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन । कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन ॥ कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति बिकट । संताप पाप तेहि पुरुष पहिं सपनेहुँ नहिं आवत निकट ॥ २ ॥ वे सुवर्ण-पर्वत (सुमेरु) – के समान शरीरवाले, करोड़ों मध्याह्न के सूर्य के सदृश अनन्त तेजोराशि, विशाल-हृदय, अत्यन्त बलवान् भुजाओं वाले तथा वज्र के तुल्य नख और शरीरवाले हैं, भौंह, जीभ, दाँत और मुख विकराल हैं, बाल भूरे रंग के तथा पूँछ कठोर और दुष्टों के दल के बल का नाश करने वाली है। तुलसीदासजी कहते हैं – श्रीपवनकुमार की डरावनी मूर्ति जिसके हृदय में निवास ...