हनुमान चालीसा

  1. 11 din Hanuman Chalisa Sankalp Vidhi
  2. Shri Hanuman Chalisa
  3. हनुमान चालीसा
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11 din Hanuman Chalisa Sankalp Vidhi

5/5 - (6 votes) कई लोगों का कहना होता है की हनुमान जी (Hanuman chalisa Sankalp) की पूजन और हनुमान चालीसा का पाठ बहुत समय से कर रहे हैं लेकिन उन्हें हनुमान जी की कृपा नहीं मिल रहा है। तो चलिए जानते हैं ( Hanuman Chalisa Sankalp-Image अगर आपके मन में विशेष कोई मनोकामना है तो आपको विशेष नियमों के साथ हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। चलिए जानते हैं ( हनुमान चालीसा इतनी ही शक्तिशाली है निश्चित ही विधिपूर्वक अगर पूजा-पाठ किया जाता है तो आपकी हर इच्छा पूरी हो जाती है । चलिए जानते हैं ( Table of Contents • • • • • • • 11 दिन हनुमान चालीसा संकल्प | 11 din Hanuman Chalisa Sankalp Vidhi यदि हनुमान चालीसा संकल्प विधि अनुसार पालन किया जाए तो साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। लेकिन ध्यान रखें संकल्प पूरी होनी चाहिए। मनोकामना पूर्ति के बाद कोई लोग संकल्प पूरी नहीं करते है। तो चलिए जानते है हनुमान चालीसा संकल्प (Hanuman Chalisa Sankalp ) कैसे करें। 11 दिन हनुमान चालीसा संकल्प बिधि नियम 1:- यह नियम आप किसी भी मंगल या शनिवार कर सकते हैं। उपाय शुरू करने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि समय निश्चित होना चाहिए। सुबह या शाम जो समय आपको अनुकूल हो। उसी समय हनुमान जि कि पुजा और पाठ करना चाहिए। सुबह करे तो सूर्योदय के एक-दो घंटे के अंदर स्नान इत्यादि करने के बाद आप पाठ कर लीजिए। और अगर आप शाम को करना चाहते हैं तो 7:00 बजे के पहले पाठ कर लीजिए। लेकिन ध्यान रखिए समय एक ही होना चाहिए। अगर आप शाम 7:00 बजे पूजासन पर बैठते हैं तो उसी समय हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आज आप 7:00 बजे बैठे पाठ करने तो अगले दिन 8:00 बजे और दूसरा दिन 6:00 पूजासन पर...

Shri Hanuman Chalisa

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हनुमान चालीसा

हनुमान जानकारी धर्म लेखक भाषा पद्य ४० हनुमान चालीसा ओना तँ सम्पूर्ण भारत ओ हिन्दू समाजमे ई लोकप्रिय अछि मुदा विशेष रूपसँ उत्तर दोहा [ ] श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुर सुधार । वर्णौ रघुवर विमल यश जो दायक फल चार ।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार । बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु क्लेश विकार ।। चौपाई [ ] जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥१॥ महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा ॥२॥ हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे शंकर स्वयं केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन ॥३॥ विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया ॥४॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे ॥५॥ लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥६॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥७॥ यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥८॥ तुम्हरो मंत्र विभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना युग सहस्त्र योजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥९॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥१०॥ राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डरना ॥११॥ आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक ते काँपै भूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर ज...

Hanuman Chalisa Hindi Lyrics PDF Download

Hanuman Chalisa Hindi Lyrics दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥ हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥ शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥ विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया॥८॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥ लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥ तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥ तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥ जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥ राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥ सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥ आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥ भूत पिशाच निकट नहि आवै महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥ नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥ संकट ...