हनुमान जी का पुत्र कैसे हुआ

  1. क्या आप जानते हैं हनुमान जी की पत्नी का नाम, कैसे हुआ था उनका विवाह
  2. क्या हनुमान जी के एक पुत्र था? आइये जानें...
  3. हनुमान के पुत्र मकरध्वज का जन्म कैसे हुआ
  4. Do You Know How Anjaniputra Hanuman Were Born, Read The Mythological Story Behind Lord Hanumans Birth Here
  5. Pauranik Kathayen कैसे हुआ था पवन पुत्र हनुमान का जन्म पढ़ें यह पौराणिक कथा


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क्या आप जानते हैं हनुमान जी की पत्नी का नाम, कैसे हुआ था उनका विवाह

दरअसल, तेलंगाना के खम्मम जिले में एक मंदिर बना है जहां पर हनुमानजी की प्रतिमा उनकी पत्नी के साथ विराजमान है। अर्थात उनका उनकी पत्नी के साथ एक मंदिर भी है। बहुत कम लोग इस मंदिर के बारे में जानते होंगे। यहां पर हनुमानजी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। मान्यता है कि उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं।मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार उनकी पत्नी सूर्य भगवान की पुत्री थीं। हनुमानजी की पत्नी सुवर्चला भगवान सूर्य की पुत्री थीं। कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा। हनुमान जी के सभी भक्त यही मानते आए हैं की वे बाल ब्रह्मचारी थे और वाल्मीकि, कम्भ, सहित किसी भी रामायण और रामचरित मानस में बालाजी के इसी रूप का वर्णन मिलता है। दरअसल हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था। हनुमान, सूर्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे इसलिए हनुमान जी को सारा दिन भगवान सूर्य के रथ के साथ साथ उड़ना पड़ता और भगवान सूर्य उन्हें तरह-तरह की विद्याओं का ज्ञान देते। लेकिन हनुमान जी को ज्ञान देते समय सूर्य के सामने एक दिन धर्मसंकट खड़ा हो गया। कुल 9 तरह की विद्या में से हनुमान जी को उनके गुरु ने 5 तरह की विद्या तो सिखा दी लेकिन बची 4 तरह की विद्या और ज्ञान ऐसे थे जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे। हनुमान जी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वो मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वह धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखला सकते थे।

क्या हनुमान जी के एक पुत्र था? आइये जानें...

यह बहुत चौकाने वाली बात है ना! हमने हमेशा सुना है हनुमान जी ब्रह्मचारी और अविवाहित थे| लोग हनुमान जी नाम लेकर ब्रह्मचर्य की सौगंध की प्रतिज्ञा लेते हैं| तो ऐसा कैसे हो सकता है की ब्रह्मचर्य के देवता का पुत्र हो? इस आर्टिकल में हम जिस रहस्य से पर्दा उठा रहें हैं वह चौकाने वाला है| यह बहुत आश्चर्यजनक बात है हनुमान जी के एक पुत्र था जिसका पता उन्हें भी बाद में चला जब वह युद्ध के मैदान में एक दुश्मन की भांति मिला| पौराणिक हिन्दू कथाओं में कई चमत्कारी बातें हैं जो कि सुनने और पढ़ने में बहुत अजीब लगती हैं| महाभारत में कुंती ने अर्ध - देवता का आह्वान किया जिससे उसे पांडवों की प्राप्ति हुई, इसके अलावा कुंती के एक साथ 101 बच्चे प्राप्त होने की कल्पना की गई है| हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज का जन्म भी ऐसी ही चमत्कारिक अवधारणा पर आधारित है| यह कहानी अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से कही जाती है कि हनुमान जी को पुत्र की प्राप्ति कैसे हुई| लेकिन सभी कहानियां आखिर में इसी बात की पुष्टि करती हैं कि हनुमान के एक पुत्र था| मकरध्वज ना केवल हनुमान जी का पुत्र था बल्कि वह एक कुशल योद्धा भी था| क्या हुआ जब हनुमान जी एक पिता के रूप में अपने पुत्र से पहली बार मिले? आइये जानें... हनुमान जी और मछली वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार एक बार हनुमान जी नदी में स्नान कर रहे थे तब शरीर में पैदा हुई गर्मी के कारण उनका पसीना पानी में गिर गया| यह बहता हुआ एक मछली जैसे जीव के पास जाकर उसके शरीर में प्रवेश कर गया और इससे उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई| इसके बाद, रावण के भाइयों अहिरावण और महिरावण को यह बच्चा नदी के किनारे मिला जिसका आधा शरीर एक वानर का और आधा एक मछली का था| इस प्रकार मकरध्वज की उत्पत्ति हुई...

हनुमान के पुत्र मकरध्वज का जन्म कैसे हुआ

वनवास काल के दौरान जब रावण सीता का अपहरण कर लेता हैं, तब सीता की खोज में श्री राम की मुलाकात हनुमान जी से होती है । और वे सीता के खो जाने की कथा हनुमान को सुनाते हैं । तब हनुमान और उनके सखा सुग्रीव और उसकी वानर सेना सीता की खोज में श्री राम एवम लक्ष्मण की मदद करते हैं । बहुत प्रयासो के बाद जब श्री राम और उनके साथियों को यह पता चलता हैं कि सीता का अपहरण लंका पति रावण ने किया हैं । तब वे हनुमान को समुद्र पार सीता की खोज में भेजते हैं । हनुमान मायावी थे वे अपनी शक्ति की सहायता से आकाश मार्ग से लंका पहुँचते हैं और लंका की अशोक वाटिका में बैठी सीता से मुलाकात करते हैं जिसके लिए वे सीता को श्री राम के दूत होने के प्रमाण के रूप में श्री राम द्वारा दी हुई मुद्रिका दिखाते हैं जिसे देखते ही सीता समझ जाती हैं और उन्हें यकीन हो जाता हैं कि उनके पति श्री राम उन्हें लेने आ चुके हैं । हनुमान सीता की खबर लेने के बाद अशोक वाटिका में लगे वृक्षों के फल खाकर अपना पेट भरते हैं । और पूरी अशोक वाटिका को उजाड़ देते हैं । तब रावण के सेना के राक्षस हनुमान से युद्ध करते हैं लेकिन कोई उन्हें पकड़ नहीं पाता । तब उन्हें रावण का पुत्र मेघनाद पकड़ने जाता हैं और पकड़ कर दरबार में रावण के सामने बंधी बनाकर लाता हैं । तब हनुमान को सभा में बैठने के लिये स्थान नहीं दिया जाता इसलिए वे अपनी पूंछ का सिंहासन बनाकर बैठ जाते हैं । उनके ऐसे उपद्रव के कारण रावण उनकी पूँछ में आग लगाने का हुक्म देते हैं और सभी सेना मिलकर बड़ी जद्दोजहद के बाद हनुमान की पूंछ में आग लगाते हैं जिसके बाद हनुमान किसी के काबू में नहीं आते और उड़-उड़ कर सारी लंका में आग लगा देते हैं । अंत में वे अपनी पूछ में लगी आग को बुझाने के लिये समुद्र में जाते है...

Do You Know How Anjaniputra Hanuman Were Born, Read The Mythological Story Behind Lord Hanumans Birth Here

Lord Hanuman: उन्हें हम पवनपुत्र कहते हैं क्योंकि वे वायु के पुत्र हैं. उन्हें अंजनीसुत और केसरीनंदन के नाम से भी पहचाना जाता है क्योंकि वे माता अंजनी और वानरराज केसरी (Kesari) की संतान हैं. वे कोई और नहीं बल्कि भगवान हनुमान हैं. आपने हनुमान जी की शरारतों के बारे में बहुत कुछ सुना होगा,लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी (Hanuman Ji)का जन्म किस तरह हुआ था और इन कथाओं में क्या-क्या समाहित है?असल मेंसंकटमोचनबजरंगबली (Bajrangbali) के जन्म के पीछे बहुत ही रोचक पौराणिक कहानियांछुपी हैं.आइए जानते हैंकौन-कौन सी हैं ये कथाएं. पुंजिकास्थली की कथा माना जाता है कि एक बार इंद्रलोक में देवों और ऋषि दुर्वासा के बीच कोई महत्वपूर्ण मंत्रणाचल रही थी. उसी मंत्रणा के बीच इंद्रलोक की एक अप्सरा जिसका नाम पुंजिकास्थलीथा अनजाने में कुछ व्यवधान उत्पन्न कर गई. ऋषि दुर्वासा काफी क्रोधीस्वभाव के थे, उन्होंने कुपित होकर पुंजिकास्थलीको श्राप दे दिया की वह वानर के रूप में परिवर्तित हो जाएगी. दुर्वासा का श्राप सुनकर पुंजिकास्थली दुखी हो गई. उसने ऋषिवर से क्षमा मांगते हुए कहा कि उसकी मंशा किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न करने की नहीं थी. तब ऋषि दुर्वासा ने कहा कि दुखी मत हो, नियति के अनुसार तुम अगले जन्म में वानरराज की पत्नी बनोगी और एक दिव्य और महान पुत्र तुम्हारे गर्भ से जन्म लेगा. पौराणिक कथाओं केअनुसार कालांतर में पुंजिलास्थली का जन्म अंजनी के रूप में हुआ और उनका विवाह वानरराज केसरी से हुआ और उन्होंने हनुमान जी (Lord Hanuman) को जन्म दिया. राजा दशरश का यज्ञ और हनुमान जी का जन्म एक और प्रचलित कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ संतान प्राप्ति के यज्ञ कर रहे थे. इस यज्ञ से प्राप्त प्रसाद को उनकी तीनों रानि...

Pauranik Kathayen कैसे हुआ था पवन पुत्र हनुमान का जन्म पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: आज मंगलवार है और आज का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इसी के चलते हम आपको हनुमान जी से संबंधित एक पौराणिक कथा लाए हैं जिसमें यह वर्णित किया गया है कि हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था। वेदों और पुराणों के अनुसार, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म चैत्र मंगलवार के ही दिन पूर्णिमा को नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। इनके पिता का नाम वानरराज राजा केसरी थे। इनकी माता का नाम अंजनी थी। रामचरितमानस में हनुमान जी के जन्म से संबंधित बताया गया है कि हनुमान जी का जन्म ऋषियों द्वारा दिए गए वरदान से हुआ था। मान्यता है कि एक बार वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के पास पहुंचे। वहां उन्होंने ऋषियों को देखा जो समुद्र के किनारे पूजा कर रहे थे। तभी वहां एक विशाल हाथी आया और ऋषियों की पूजा में खलल डालने लगा। सभी उस हाथी से बेहद परेशान हो गए थे। वानरराज केसरी यह दृश्य पर्वत के शिखर से देख रहे थे। उन्होंने विशालकाय हांथी के दांत तोड़ दिए और उसे मृत्यु के घाट उतार दिया। ऋषिगण वानरराज से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छानुसार रुप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र का वरदान दिया। एक अन्य कथा के अनुसार, माता अंजनी एक दिन मानव रूप धारण कर पर्वत के शिखर की ओर जा रही थीं। उस समय सूरज डूब रहा था। अंजनी डूबते सूरज की लालीमा को निहारने लगी। इसी समय तेज हवा चलने लगी और उनके वस्त्र उड़ने लगे। हवा इतनी तेज थी वो चारों तरफ देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। हवा से पत्ते भी नहीं हिल रहे थे। तब माता अंजनी को लगा कि शायद कोई मायावी राक्षस अदृश्य होकर यह सब कर रहा था। उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कहा कि आखिर कौन है ऐसा जो एक पतिपरायण ...