हनुमान जी का सुंदरकांड pdf

  1. श्री हनुमान अष्टोत्तर
  2. Sunderkand Pdf Download
  3. [Free PDF] Sunderkand PDF In Hindi
  4. सुंदरकाण्ड सम्पूर्ण पाठ PDF
  5. [ Free PDF] हनुमान जी की आरती


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श्री हनुमान अष्टोत्तर

Read in English श्री हनुमान के 108 नाम मंत्र सुंदरकांड पाठ, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा और बूढ़े मंगलवार में प्रमुखता से पाठ किया जाता है। ॐ आञ्जनेयाय नमः । ॐ महावीराय नमः । ॐ हनूमते नमः । ॐ मारुतात्मजाय नमः । ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः । ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः । ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः । ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः । ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः । ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः । 10 ॐ परविद्या परिहाराय नमः । ॐ परशौर्य विनाशनाय नमः । ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः । ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः । ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः । ॐ भीमसेन सहायकृथे नमः । ॐ सर्वदुखः हराय नमः । ॐ सर्वलोकचारिणे नमः । ॐ मनोजवाय नमः । ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः । 20 ॐ सर्वमन्त्र स्वरूपवते नमः । ॐ सर्वतन्त्र स्वरूपिणे नमः । ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः । ॐ कपीश्वराय नमः । ॐ महाकायाय नमः । ॐ सर्वरोगहराय नमः । ॐ प्रभवे नमः । ॐ बल सिद्धिकराय नमः । ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः । ॐ कपिसेनानायकाय नमः । 30 ॐ भविष्यथ्चतुराननाय नमः । ॐ कुमार ब्रह्मचारिणे नमः । ॐ रत्नकुण्डल दीप्तिमते नमः । ॐ चञ्चलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वलाय नमः । ॐ गन्धर्व विद्यातत्वज्ञाय नमः । ॐ महाबल पराक्रमाय नमः । ॐ काराग्रह विमोक्त्रे नमः । ॐ शृन्खला बन्धमोचकाय नमः । ॐ सागरोत्तारकाय नमः । ॐ प्राज्ञाय नमः । 40 ॐ रामदूताय नमः । ॐ प्रतापवते नमः । ॐ वानराय नमः । ॐ केसरीसुताय नमः । ॐ सीताशोक निवारकाय नमः । ॐ अन्जनागर्भ सम्भूताय नमः । ॐ बालार्कसद्रशाननाय नमः । ॐ विभीषण प्रियकराय नमः । ॐ दशग्रीव कुलान्तकाय नमः । ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः । 50 ॐ वज्रकायाय नमः । ॐ महाद्युथये नमः । ॐ चिरञ्जीविने नमः । ॐ रामभक्ताय नमः । ॐ दैत्यकार्य विघातकाय नमः ॐ अक्षहन्त...

Sunderkand Pdf Download

Sunderkand Pdf Download : दोस्तों आज की इस लेख में हम लोग सुंदरकांड का पीडीएफ उपलब्ध कराने वाले हैं दोस्तों सुंदरकांड श्री हनुमान जी के बचपन के कथाएं और वीर कांड का वर्णन है जो कि श्री तुलसीदास जी ने लिखा था और सुंदरकांड सभी मनुष्य को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए| सुंदरकांड रामचरितमानस का सबसे उत्कृष्ट अंश माना जाता है, जो भगवान हनुमान के ज्ञान, बुद्धि और साहस की कहानी बताता है। भगवान राम का अवतार सहज होना चाहिए, जो शायद भगवान हनुमान के रुद्र अवतार का उद्देश्य हो सकता है। उत्तर भारत में, सुंदरकांड के नियमित पाठ की परंपरा है। रामचरितमानस लिखते समय, गोस्वामी तुलसीदास ने कई संस्कृत शब्दों का उपयोग किया। हालांकि महाराष्ट्र में सुंदरकांड का नियमित पाठ नहीं होता है, लेकिन मराठी भाषा और काव्य रूप में मराठी पाठकों के लिए सुंदरकांड उपलब्ध होता है। भगवान हनुमान के भक्त नारायण नरहर भिसे ने सुंदरकांड का मराठी में अनुवाद किया है और पारंपरिक रूप से हनुमान जयंती कार्यक्रमों को आयोजित करते हैं। WhatsApp Group नारायण भिसे 36 वर्षों तक सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की में काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने शोध पर अधिकतम 80 विवाद-पूर्ण लेख प्रकाशित किए हैं और गीता प्रेस गोरखपुर के कई टेक्स्टों का मराठी में अनुवाद भी किया है। उन्होंने मराठी भाषी पाठकों के लिए सुन्दरकांड का भी अनुवाद किया है। नारायण भिसे का सुंदरकांड Sunderkand Pdf Download का अनुवाद शब्दों में नहीं, बल्कि गोस्वामी तुलसीदास की भावनाओं को दर्शाता है। किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक पाठ के अर्थ को समझना और आगे बढ़ाना जरूरी होता है, जो भिसे के अनुवाद से संभव होता है। भिसे के पास दोनों भाषाओं के प्रति उत्साह है, जो उनके मराठी में...

[Free PDF] Sunderkand PDF In Hindi

Page Contents • • • • • • • रामायण काल में श्रीराम भक्त भगवान् हनुमान जी ने अनेको ऐसे असंभव कार्य किए जिनको करने के बारे में देवता भी नहीं सोच पाते थे। सुंदरकांड में उन सभी कार्यो के द्वारा हनुमान जी के बल, बुद्धि और विवेक का बहुत ही सुंदरता से वर्णन किया गया है। “सुंदरे सुंदरो रामा, सुंदरे सुंदरी कथा || सुंदरे सुंदरी सीता, सुंदरे किम ना सुंदरम || अर्थात: श्रीराम सुंदर है उनकी कथा सुंदर है, श्री सीताजी सुंदर है जब यह सब सूंदर है तो यह सुंदरकांड सुंदर कैसे ना हो। इस अत्यंत प्रभावशाली सुंदरकांड का पाठ करने से साधक का मन, वाणी, चरित्र इत्यादि सभी सुंदर हो जाता है। Sunderkand PDF Download Link ऑफ़लाइन पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और मुफ्त Sunderkand PDF डाउनलोड करें। सुंदरकांड पाठ के लाभ– Sunderkand Paath Ke Labh सुंदरकांड के पाठ से होने वाले अनंत लाभो का वर्णन पाठ के दोहो द्वारा सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुणगान | सादर सुनहि हो तरहि भव सिंधु बिना जल जान || अर्थात: प्रभु श्रीरघुनाथजी का गुणगान संपूर्ण सुमंगल देने वाला है। जो भी इसे आदर पूर्वक भाव से सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज के ही इस संसार रूपी भवसागर को तर जाएँगे। सुंदरकांड के निम्लिखित दोहे में भी शरणागत वत्सल प्रभु श्रीराम किस प्रकार अपनी शरण में आए हुए पर उदार व् दयालु होते है इसके संबंध तुलसीदास जी कहते है। रावन क्रोध अनल निज स्वास समीर प्रचंड । जरत बिभीषनु राखेउ दीन्हेहु राजु अखंड ।। जो संपति सिव रावनहि दीन्हि दिएँ दस माथ । सोइ संपदा बिभीषनहि सकुचि दीन्ह रघुनाथ ।। प्रभु श्री रामजी की शरण लेने पर प्रभु शरणागत की ना सिर्फ सुरक्षा करते है बल्कि उन्हें धन-धान्य से भी परिपूर्ण कर देते है। जैसा की विभीषण को उन्हो...

सुंदरकाण्ड सम्पूर्ण पाठ PDF

Download Sunderkand Path complete PDF – सुंदरकाण्ड सम्पूर्ण पाठ अर्थ सहित पीडीएफ डाउनलोड करें हमारे नए पोस्ट में आपका स्वागत है। यह पोस्ट आपको Complete Sunderkand Path प्रदान करेगी। आप सुंदरकाण्ड सम्पूर्ण पाठ अर्थ सहित पा सकते हैं, जिसे आप इस पोस्ट के अंत में पीडीएफ प्रारूप में भी डाउनलोड कर सकते हैं। Checkout: • • • Sunderkand PDF शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥ शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरने वाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की में वंदना करता हूँ ॥ नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च ॥ भावार्थ:-हे रघुनाथजी। मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ | मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए ॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥ भावार्थ:- अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में...

[ Free PDF] हनुमान जी की आरती

Free download श्री हनुमान जी की आरती PDF | Hanuman Ji Ki Aarti PDF Lyrics in Hindi, scroll down & click on the download link given below. स्वामी तुलसीदास जी हनुमान आरती में कहते है कि जो भी व्यक्ति श्री हनुमान जी आरती प्रेम व श्रद्धा पूर्वक गाता है। अंत में वह व्यक्ति बैकुंठ धाम को जाता है और प्रभु श्री राम के चरणों में स्थान पाता है। हनुमान जी की आरती– Hanuman Ji Ki Aarti Page Contents • • • • • • श्री हनुमान जी की आरती (Aarti Kije Hanuman Lala Ki Lyrics) को, हनुमान जी के अन्य सभी पूजा व पाठ जैसे हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, संकट मोचन हनुमान अष्टक और सुंदरकाण्ड इत्यादि सभी के बाद किया जाता है| यदि आप समय के अभाव में केवल हनुमान जी की आरती भी प्रेम से गाते है तो इतना भी उनको प्रसन्न करने के लिए काफी अच्छा माना जाता है| इस आरती का पाठ सप्ताह के किसी भी दिन करना शुभकारी होता है फिर भी यदि संभव हो मंगलवार व शनिवार के दिन संध्या के समय हनुमान जी की आरती जरूर करनी चाहिए| ऑफलाइन पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल कर आप इसे Hanuman Ji Ki Aarti PDF in Hindi & English डाउनलोड कर सकते है| आरती कीजै हनुमान लला की लिरिक्स– Aarti Kije Hanuman Lala Ki Lyrics in Hindi ।। हनुमान जी की आरती ।। आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।। जाके बल से गिरिवर कांपे । रोग दोष जाके निकट न झांके ।। अंजनि पुत्र महा बलदाई । सन्तन के प्रभु सदा सहाई ।। दे बीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाए ।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।। लंका जारि असुर संहारे । सियारामजी के काज सवारे ।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे । आनि संजीवन प्राण उबारे ।। पैठि पाताल तोरि जम-कारे । अहिरावण की भुजा उखारे ।। ...