हनुमान जी के कितने पुत्र थे

  1. Hanuman Jayanti: हनुमान जी का जन्म कहां हुआ? क्‍या वो अजन्मा हैं? क्या वो प्रगट हुए?
  2. Hanuman's son
  3. Hanuman jayanti 2021 know about lord hanuman wife suvarchala and son makardhwaj unknown facts
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Hanuman Jayanti: हनुमान जी का जन्म कहां हुआ? क्‍या वो अजन्मा हैं? क्या वो प्रगट हुए?

Hanuman Jayanti: हनुमान जी का जन्म कहां हुआ? क्‍या वो अजन्मा हैं? क्या वो प्रगट हुए? महावीर हनुमान जी (Hanuman) का जन्म किस स्थान पर हुआ था, इसको लेकर काफी मतभेद हैं. हनुमान जी के जन्म स्थान (Birth Place) को लेकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों के बीच काफी विवाद हैं. हर एक राज्य का कहना है कि हनुमान जी का जन्म उनके ही राज्य में हुआ था. महावीर हनुमान जी का जन्म किस स्थान पर हुआ था, इसको लेकर काफी मतभेद हैं. हनुमान जी के जन्म स्थान को लेकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों के बीच काफी विवाद हैं. हर एक राज्य का कहना है कि हनुमान जी का जन्म उनके ही राज्य में हुआ था. आखिरक्या है हनुमान जी के जन्म का सच और किन ग्रंथों से जाना जा सकता है हनुमान जी के जन्म स्थान का असली रहस्य? हनुमान जी दक्षिण भारतीय हैं? ऐसी सामान्य मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म दक्षिण भारत में हुआ था और इसलिए उन्हें दक्षिण भारतीय कहना गलत नहीं होगा. इस बात पर ज्यादातर लोग सहमत हैं कि हनुमान जी का जन्म दक्षिण भारत के किसी स्थान पर हुआ था. हनुमान जी और श्रीराम जी का पहली बार आमना-सामना भी दक्षिण भारत मे ही हुआ था. जब श्रीराम माता जानकी की खोज में दक्षिण भारत की तरफ आगे बढ़े थे. जब श्रीराम पंपा सरोवर के पास ऋष्यमुख पर्वत के पास पहुंचे. तब उन्हें देख कर सुग्रीव ने श्रीराम के पास हनुमान जी को दूत बना कर भेजा था. वालि और सुग्रीव का राज्य किष्किंधा आज के आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के क्षेत्रों तक फैला हुआ था. लेकिन, क्या सारे वानर एक ही स्थान पर रहते थे और इसी तर्क से हनुमान जी का जन्म भी इसी स्थान के आस-पास हुआ था. अगर वाल्मीकि रामायण के किष्किंधाकांड को ध्यान से पढ़ें, तो पता चलता है कि वानरों का...

Hanuman's son

FILE उस समय हनुमानजी सीता की खोज में लंका पहुंचे और मेघनाद द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें रावण के दरबार में प्रस्तुत किया गया, तब रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी थी और हनुमान ने जलती हुई पूंछ से लंका जला दी। जलती हुई पूंछ की वजह से हनुमानजी को तीव्र वेदना हो रही थी जिसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक बड़ी मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई। FILE एक दिन पाताल के असुरराज अहिरावण के सेवकों ने उस मछली को पकड़ लिया। जब वे उसका पेट चीर रहे थे तो उसमें से वानर की आकृति का एक मनुष्य निकला। वे उसे अहिरावण के पास ले गए। अहिरावण ने उसे पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त कर दिया। यही वानर हनुमान पुत्र ‘मकरध्वज’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था, तब श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए हनुमान पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट मकरध्वज से हुई।

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पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी को भगवान सूर्य ने शिक्षित किया था. जब सूर्यदेव उन्हें तमाम विद्याएं सिखा रहे थे, तब बीच में वे धर्मसंकट में पड़ गए क्योंकि कुछ विद्या ऐसी थीं जो सिर्फ शादीशुदा पुरुष को ही दी जा सकती थीं. लेकिन हनुमान जी अविवाहित थे. ऐसे में सूर्यदेव ने उन्हें विवाह करने का प्रस्ताव दिया. सूर्यदेव ने अपनी बेटी से कराया विवाह सूर्यदेव के सुझाव को हनुमान जी ने मान लिया, लेकिन अब उनके लिए विवाह योग्य कन्या ढूंढने की समस्या थी. तब सूर्यदेव ने बजरंग बली से कहा कि वे उनकी तेजस्वी और तपस्वी बेटी सुवर्चला से विवाह कर लें. इसके बाद हनुमान जी का विवाह सुवर्चला से हुआ और इसके बाद उन्होंने सूर्यदेव से पूरी शिक्षा ग्रहण की. विवाह के बाद सुवर्चला हमेशा के लिए तपस्या में लीन हो गईं. वहीं हनुमान जी भी विवाहित होने के बावजूद हमेशा ब्रह्मचारी रहे. पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख किया गया है. वाल्मीकि रामायण में है पुत्र का जिक्र हनुमान जी के पुत्र का जिक्र वाल्मीकि जी ने रामायण में मिलता है. कथा के अनुसार जब अहिरावण राम-लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल पुरी ले गया था, तब राम-लक्ष्मण की सहायता के लिए पाताल पुरी पहुंचे हनुमान जी का सामना पाताल के द्वार पर अपने पुत्र मकरध्वज से होता है. जो देखने में बिल्कुल वानर जैसा दिखता है और हनुमान जी को अपना परिचय देते हुए कहता है कि मैं हनुमान पुत्र मकरध्वज हूं और पातालपुरी का द्वारपाल हूं. मकरध्वज का परिचय सुनकर हनुमान जी क्रोधित हो जाते हैं, तब मकरध्वज उन्हें अपनी उत्पत्ति की कहानी सुनाते हुए कहते हैं कि जब आपने रावण की लंका दहन की थी, तब आपको तेज आग की लपटों की वजह से पसीना आने लगा था. आप पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए सम...

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चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हनुमान जी का नाम हनुमान एक कार चोपड़ा की एक बार हनुमान जी बैठे हुए थे अचानक बेटू बेटू भूख लगी तो उन्होंने सूर्य को सूर्य देव को आकाश रोते हुए देखा अब क्योंकि पवन पुत्र थे उड़ने की शक्ति हमें पवन पुत्र के कारण से थी इसलिए उन्होंने सूर्य को एक अच्छा फल समझा और इस फल को खाने के लिए चंचल हनुमान जी ऊपर करके सूर्य को आज चले गए और वहां जाकर कि उन्होंने सूर्य को फल समझकर के अपने मुंह में रख लिया अब जो सूर्य को मुंह में रख लिया तो समस्त जगत में अंधेरा हो गया हो गया जनता में कहा कार मच गई तब देवताओं ने भगवान जल्दी से जा करके कहा यही दे अब क्या करें सारी जनता सारी पति पर हाहाकार मचा है जनता हल्ला मचा रही है सूर्य देव हनुमानजी ने निकल लिया है तब इंद्रदेव आए और उन्होंने आते ही सूर्य को मुक्त कराने के लिए हनुमान जी पर अपने पद का प्रयोग किया और उस पद से थोड़ी गलत थोड़ी मिलेगी सूर्यदेव बाहर निकल गए और हनुमान जी पर सो कर के प्रति पत्र पढ़े तब पवन देव ने अपने पुत्र का जब यह हाल देखा इसे उन्होंने अपनी कृति को रोक दिया और सारे संसार में पाइप आसमा बंद हो गया प्रणाम सर उपरोक्त अभी मरने लगी ऐसी हालात में तब इंद्र ने आकर के और समस्त देवता आए और पवन देव को अपना प्रभाव प्रारंभ करने के लिए कहां पर पवन देव में कहां के अंदर सबसे पहले अपने पत्र के प्रहार के प्रभाव को हटाए अनुमान से दिन पालक से तब मैं अपना प्रभात चालू करूंगा तब इंद्र ने वरदान दिया नमन जी को यह अंजलि कुमार पवन पुत्र आज के बाद नहीं क्योंकि तुम्हारी यादों पर मैंने यह अदरक का प्रहार का यह है इसलिए सारे संसार में तो हनुमान न...