होली के तारीख की है

  1. 2021 में होली कब है New Delhi, India में
  2. Holi Kab Hai 2024 (होली कब है 2024), 25 मार्च 2024, होलिका दहन का मुहूर्त
  3. होली कितने तारीख को है 2022, 2023, 2024, 2025
  4. Holi 2022: कब है होली और होलिका दहन? जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त
  5. होली
  6. Holi 2024: जानें कब है होली व होलिका दहन मुहूर्त 2024


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2021 में होली कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2021 में होली कब है व होली 2021 की तारीख व मुहूर्त। हिन्दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो तो पहले दिन को ही धुलण्डी (वसन्तोत्सव या होली) के तौर पर मनाया जाता है। इस त्योहार को बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाते हैं। बसंत ऋतु में प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है। विशेषतः हरियाणा में इस पर्व को धुलंडी भी कहा जाता है। होली का इतिहास होली का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में १६वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से ३०० वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। होली से जुड़ी पौराणिक कथाएँ होली से जुड़ी अनेक कथाएँ इतिहास-पुराण में पायी जाती हैं; जैसे हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद की जनश्रुति, राधा-कृष्ण की लीलाएँ और राक्षसी धुण्डी की कथा आदि। रंगवाली होली से एक दिन पहले रंगवाली होली को राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है। कथानक के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वे स्वयं राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। यशोदा ने मज़ाक़ में उनसे कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह पर्व रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव के श्राप के कारण धुण्डी नामक राक्षसी को पृथु के लोगों ने इस दिन भगा दिया था, जिसकी या...

Holi Kab Hai 2024 (होली कब है 2024), 25 मार्च 2024, होलिका दहन का मुहूर्त

होली को ‘ रंगों का त्योहार’ या ‘प्यार का त्यौहार’ भी कहा जाता है। यह आनंदित कर देने वाला हिंदुओं का धार्मिक त्योहार है जो अच्छाई की (भगवान विष्णु ) बुराई (दानवी होलिका) पर जीत के रूप में पूरे भारत में मनाया जाती है। 2024 में होली मार्च में 25 को पड़ेगी और जश्न 24 से शुरू होंगे । 24 मार्च को पूर्ण रूप से चांदनी रात है जब लगभग सभी धार्मिक रस्मों रिवाज होंगे। जैसे होलिका दहन - आग लगाने की रस्म| 25 मार्च का दिन रंगों के खेल का दिन होगा जिसे मनाने के लिए पूरा देश सड़कों पर उतर आएगा। • होलिका दहन का मुहूर्त 24 मार्च को 19:19 से 21:38 तक ज्यादातर भारतीय लोग राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश का आनंद 25 मार्च को उठायेंगे जो कि होली का मुख्य दिन है । होली कब तक रहती है लगभग सारे भारत में होली 2 दिन तक मनाई जाती है। पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है या होलिका दहन( होलिका की मृत्यु) । ये तब होती है जब होलिका दहन की धार्मिक रस्म पूरी की जाती है । दूसरे दिन को दुलेंडी, रंगों का त्योहार कहा जाता है और रंग वाली होली कहा जाता है जब रंगों का खेल शुरू होता है। भारत के कुछ भागों में इस त्यौहार को 2 दिनों से ज्यादा समय तक मनाया जाता है। मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के नाम पर प्रसिद्ध है। (भगवान विष्णु का अवतार ) जोकि होली में सम्मानित सर्व प्रथम के भगवान हैं। मथुरा और उसके निकट वृंदावन में 1 सप्ताह से ज्यादा समय तक यह त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें विभिन्न रंगों से खेलना और धार्मिक रस्में शामिल होती हैं 24 मार्च 2024 - छोटी होली / होलिका दहन होली से एक दिन पूर्व, शाम को बड़ी-बड़ी लकड़ियों में आग लगाई जाती है और दानवी होलिका का पुतला उस आग में जला दिया जाता है जो अच्छाई की बुराई पर विजय को दर्शाता है।...

होली कितने तारीख को है 2022, 2023, 2024, 2025

2022 में होली 18 मार्च दिन शुक्रवार को है। इससे एक दिन पूर्व 17 मार्च को होलिका दहन होगा। रंगों का त्यौहार होली (Holi) फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन धुलेंडी या धूलिवंदन में लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। वही, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी से होलाष्टक की शुरुआत हो जाएगी। होलाष्टक आठ दिनों को होता है। होलिका दहन भद्रा के बाद ही करना शुभ है। ऐसा माना जाता है कि भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है। होलिका दहन कब है? होलिका दहन मार्च 17, 2022, बृहस्पतिवार होलिका दहन मार्च 7, 2023, मंगलवार होलिका दहन मार्च 24, 2024, रविवार होलिका दहन मार्च 13, 2025, बृहस्पतिवार होलिका दहन मार्च 3, 2026, मंगलवार होलिका दहन मार्च 21, 2027, रविवार होलिका दहन मार्च 10, 2028, शुक्रवार होलिका दहन फरवरी 28, 2029, बुधवार होलिका दहन मार्च 19, 2030, मंगलवार होलिका दहन मार्च 8, 2031, शनिवार होलिका दहन मार्च 26, 2032, शुक्रवार होली कब है? होली मार्च 18, 2022, शुक्रवार होली मार्च 8, 2023, बुधवार होली मार्च 25, 2024, सोमवार होली मार्च 14, 2025, शुक्रवार होली मार्च 4, 2026, बुधवार होली मार्च 22, 2027, सोमवार होली मार्च 11, 2028, शनिवार होली मार्च 1, 2029, बृहस्पतिवार होली मार्च 20, 2030, बुधवार होली मार्च 9, 2031, रविवार होली मार्च 27, 2032, शनिवार Tags :

Holi 2022: कब है होली और होलिका दहन? जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त

Holi 2022: रंगों का त्योहार होली हर साल फाल्गुन माह में मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार होली मार्च में खेली जाती है. दुनियाभर में भारत की होली मशहूर है. फाल्गुन माह चल रहा है और होली भी आने वाली है. होली से एक दिन पूर्व रात्रि में होलिका दहन होता है. उसके अगले दिन होली और धुलेंडी होती है. इस साल होली (Holi) और होलिका दहन (Holi Dahan) कब है, आइए जानते हैं उसकी सही तारीख (Date) और शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) के बारे में. होलिका दहन 2022 तारीख और शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन होता है. होलिका दहन के लिए प्रदोष काल का समय चुना जाता है, जिसमें भद्रा का साया न हो. इस साल होलिका दहन 17 मार्च दिन गुरुवार को है. 17 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त रात 09 बजकर 06 मिनट से रात 10 बजकर 16 मिनट तक है. इस समय में भद्रा की पूंछ रहेगी. यह भी पढ़ें: ज्योतिषशास्त्र में भद्रा के मुख समय में होलिका दहन अशुभ होता है, लेकिन भद्रा पूंछ में होलिका दहन कर सकते हैं, ऐसे में 17 मार्च को रात 09 बजकर 06 मिनट से होलिका दहन हो सकता है. इस दिन भद्रा का समापन देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर होगा. यदि भद्रा के बाद होलिका दहन करना चाहते हैं, तो इसके लिए मुहूर्त देर रात 01:12 बजे से 18 मार्च को सुबह 06:28 बजे तक है. 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ होगा और इसका समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होना है. यह भी पढ़ें: होली 2022 तारीख और शुभ मुहूर्त होलिका दहन के अगली सुबह होली और धुलेंडी खेली जाती है. 17 मार्च को होलिका दहन है, तो होली का त्योहार 18 मार्च को मनाया जाएगा. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग और ...

होली

होली आधिकारिक नाम होली अन्य नाम फगुआ, धुलेंडी, छारंडी( अनुयायी उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन उत्सव रंग खेलना, गाना-बजाना, हुड़दंग अनुष्ठान आरम्भ अत्यंत प्राचीन तिथि समान पर्व होली होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस पर्व का प्रचलन था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इनमें प्रमुख हैं, जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र। सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था। इसके अतिरिक्त प्राचीन चित्रों, भित्तिचित्रों और मंदिरों की दीवारों पर इस उत्सव के चित्र मिलते हैं। कहानियाँ [ ] होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में होलिका दहन की मुख्य कथा होली से सम्बन्धित मुख्य कथा के अनुसार एक नगर में हिरण्यकश्यप नाम का दानव राजा रहता था। वह सभी को अपनी पूजा करने को कहता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद यह बात सुनकर अहंकारी हिरण्यकश्यप क्रोध से लाल पीला हो गया और नौकरों सिपाहियों से बोला कि इसको ले जाओ मेरी आँखों के सामने से और जंगल में सर्पों में डाल आओ। सर्प के डसने से यह मर जाएगा। ऐसा ही किया गया। परंतु प्रहलाद मरा नहीं, क्योंकि सर्पों ने डसा नहीं। प्रह्लाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षसी परंपराएँ [ ] होली के पर्व की तरह इसकी परंपराएँ भी अत्यंत प्राचीन हैं और इसका स्वरूप और उद्देश्य समय क...

Holi 2024: जानें कब है होली व होलिका दहन मुहूर्त 2024

होली को रंगों और खुशियों का त्यौहार कहा जाता है जो लोगों में प्रेम व सद्भावना का संचार करता है। आने वाले नए साल में कब मनाया जाएगा होली का पर्व? जानने के लिए पढ़ें। होली रंग, उमंग और खुशियों का त्यौहार है जो हिन्दू धर्म का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है। इस पर्व को पूरे देश में प्रतिवर्ष बसंत ऋतु में अत्यंत उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होली (Holi) को प्रेम का प्रतीक माना जाता है और इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे भूलाकर एक हो जाते है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाते है। कब है होली? होलिका दहन तिथिएवं मुहूर्त पंचांग के अनुसार, होली का त्यौहार प्रतिवर्ष चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। अगर प्रतिपदा तिथि दो दिन पड़ रही हो तो प्रथम दिन पर ही धुलण्डी (वसन्तोत्सव या होली) को मनाया जाता है। होली के पर्व को बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए मनाते हैं। बसंत ऋतु में वातावरण में व्याप्त रंगों-बिरंगी छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है। हरियाणा में होली को मुख्यतः धुलंडी के नाम से भी जाना जाता है। होली का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व रंग और उमंग का पर्व होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है और इसका अपना धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। सनातन धर्म में हर मास की पूर्णिमा की अत्यंत महत्ता है और यह किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। पूर्णिमा पर मनाने वाले त्यौहारों के इसी क्रम में होली को वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाते है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को वर्ष की अंतिम पूर्णिमा माना जाता है। इस पूर्णिमा से आठ दिन पूर्व होलाष्टक की शुरुआत हो जाती हैं। शास्त्र...