हरि कीर्तन

  1. लहचौड़ा में पांच दिवसीय हरि कीर्तन दंगल का समापन
  2. Watch Video: पूर्वी राजस्थान में निराला है हरि कीर्तन का अंदाज़, देखने को उमड़ता जनसैलाब, गाने के साथ पुरुष मंडली देती मनमोहक डांस प्रस्तुति
  3. तिघरिया हरि कीर्तन दंगल में धार्मिक और पौराणिक कथाएं सुनकर श्रोता भाव विभोर
  4. baby Black bulk dancing infront of children people surprised to see this
  5. हरि कीर्तन
  6. Puja Path Niyam Clapping Benefits In Bhajan Know Its Significance
  7. पूर्वी राजस्थान में निराला है हरि कीर्तन का अंदाज़, यहां सुनता है इसे सर्वसमाज


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लहचौड़ा में पांच दिवसीय हरि कीर्तन दंगल का समापन

उन्होंने दंगल गायन में रामचरित मानस के लंका दहन प्रसंग पर प्रस्तुति देते हुए सोने की लंका, करम बुरे तो हो गई खाक व प्रीत निभाने वालो की मिटती नही मिठास को हारमोनियम के साथ प्रस्तुति दी। आयोजन समिति से जुड़े सदस्यों ने बताया कि पांच दिवसीय आयोजन के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में लक्खीराम जाटव शामिल हुए।

Watch Video: पूर्वी राजस्थान में निराला है हरि कीर्तन का अंदाज़, देखने को उमड़ता जनसैलाब, गाने के साथ पुरुष मंडली देती मनमोहक डांस प्रस्तुति

मोहित शर्मा / करौली. राजस्थान अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए देश दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है. इन्हीं धार्मिक कार्यक्रमों में से एक है हरि कीर्तन. जिसका सबसे ज्यादा प्रचलन पूर्वी राजस्थान के क्षेत्रों और इसका सर्वाधिक चलन गुर्जर और मीणा समाज में देखने को मिलता है. यहां के क्षेत्रों में जहां भी हरि कीर्तन आयोजित होती है. वहां आज भी हजारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. हरि कीर्तन के नाम से पहचाने जाने वाले इस कार्यक्रम में रामायण और महाभारत के रोचक दृश्यों को दर्शाया जाता है. यहां अक्सर देखे जाने वाले इस धार्मिक कार्यक्रम में पुरुष मंडली द्वारा श्रोताओं को गीत सुनाने के साथ-साथ पुरुष मंडली द्वारा ही रोमांचक नृत्य की भी प्रस्तुति पेश की जाती है. दंगलों के माध्यम से किया जाता है आयोजित हरि कीर्तन के बारे में व्याख्याता अमर सिंह गुर्जर का कहना है कि हरि कीर्तन पूर्वी राजस्थान में दंगलों के माध्यम से आयोजित किया जाता है. जिसमें रामायण और महाभारत संबंधी जो रोचक प्रसंग हैं. उनको यहां पुरुष मंडली के कलाकारों द्वारा सुनाया जाता है. उनका कहना है कि जब रामायण और महाभारत के रोचक प्रसंग हरि कीर्तन में आते हैं, तो पुरुष मंडली के सदस्य पूर्णत आनंदित होकर अपने अंगों के प्रदर्शन के माध्यम से इन कथाओं को प्रस्तुत करते हैं. युवा पीढ़ियों में आते हैं इससे संस्कार हरि सिंह गुर्जर ने बताया कि यह धार्मिक कीर्तन हमारी संस्कृति और धरोहर है. वर्षों से आयोजित होने वाले इस हरि कीर्तन के माध्यम से बच्चे धर्म की ओर बढ़ते हैं और युवा पीढ़ी में इसके आयोजन से संस्कार आते हैं. अकीर्तन से ज्ञानता हो जाती दूर 5 गांव के लोगों को इकट्ठा कर हरि कीर्तन आयोजन कराने वाले हजारी ला...

तिघरिया हरि कीर्तन दंगल में धार्मिक और पौराणिक कथाएं सुनकर श्रोता भाव विभोर

सिंघनिया समीपवर्ती गांव तिघरिया में दो दिवसीय हरि कीर्तन दंगल के समापन पर गायन पार्टियों ने धार्मिक व पौराणिक कथाएं सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। बालाजी मंदिर परिसर में चल रहे हरि कीर्तन दंगल के दूसरे दिन गोविंदपुरा की गायन पार्टी ने भगवान देवनारायण की कथा का वृत्तांत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, तो वही देवलेन की गायन पार्टी ने महाभारत की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी। इसी प्रकार मदनपुर की हरि कीर्तन पार्टी ने राजा मोरध्वज की कथा का प्रसंग सुनाया। जगनत्था की गायन पार्टी ने शिव पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इसी प्रकार तालचिड़ी की हरिकीर्तन पार्टी ने लव कुश की कथा का प्रसंग सुनाया। हरि कीर्तन दंगल के दौरान गायक कलाकारों ने सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन पर रचनाओं की प्रस्तुतियां दी।

baby Black bulk dancing infront of children people surprised to see this

Viral Video: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें एक हिरण कीर्तन करती नजर आ रही है. इस हिरण का नाम है 'रमणी' जो बालगोपालों के साथ झुमती नजर आ रही है. ये वीडियो शेवगांव तालुका में कन्हैया आश्रम का है, जहां लोगों के साथ साथ ये हिरण भी हरि कीर्तन में हिस्सा लेती है, और जमकर नाचती है.

हरि कीर्तन

कोई बन गया धनवान तो कोई रह गया निर्धन कोई खाता रहता रोज पकवान तो किसी को न मिलता अन्न जीवन मुक्ति के लिए प्यारे करना पड़ेगा हरि कीर्तन। कोई करता रहता भोग विलास तो कोई करता धन अर्जन कोई बन जाता है सज्जन तो कोई बन जाता दुर्जन कोई लगा रहता सेवा भाव में तो कोई करता रहता अनाचरन जीवन मुक्ति के लिए प्यारे करना पड़ेगा हरि कीर्तन। मोह माया को त्याग कर टटोलो अपना अंतर्मन सुख दुःख से जीवन है तो कहीं भरे पड़े हैं उलझन कहीं संबंध अच्छे बने हैं तो कहीं पर है अनबन जीवन मुक्ति के लिए प्यारे करना पड़ेगा हरि कीर्तन। जीवन अमूल्य है करना होगा इसके लिए चिंतन बेकार के भाग दौड़ में मत नष्ट करो अपना तन मन शांत भाव से बैठकर करना होगा अनुशीलन जीवन मुक्ति के लिए प्यारे करना पड़ेगा हरि कीर्तन। छोड़ना पड़ेगा लोभ लालच और जन -धन सदमार्ग में चलकर करना होगा जीवन यापन अधर्म को छोड़कर धर्म रह में करना होगा गमन जीवन मुक्ति के लिए प्यारे करना पड़ेगा हरि कीर्तन। लक्ष्य एक रखकर कि परमात्मा से करना है मिलन भव सागर से पार कर सकते हैं श्री हरि पद्म लोचन चैतन्य महाप्रभु सीखा गए जपना नाम संकीर्तन जीवन मुक्ति के लिए प्यारे करना पड़ेगा हरि कीर्तन। राजेश मिश्रा कोरबा (छ.ग.) - हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए विशेष • Kavya Cafe: Rachit Dixit Poetry- ब्रेक अप के बाद लड़के • Hindi Kavita: नवीन सागर की कविता 'अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ' • Urdu Poetry: नसीर तुराबी की ग़ज़ल 'दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ' • Parveen Shakir Poetry: ...

Puja Path Niyam Clapping Benefits In Bhajan Know Its Significance

Clapping benefits in bhajan: किसी भी पूजा-पाठ या भजन-कीर्तन में लोग ताली जरूर बजाते हैं. आरती गाते समय भी ताली बजाना बहुत शुभ माना जाता है. भजन-कीर्तन में बजाने के लिए कई तरह के वाद्य यंत्र हैं फिर भी लोग भक्तिभाव में डूबकर ताली ही बजाते हैं. आइए जानते हैं किन इन मौकों पर ताली बजाने की परंपरा कैसा शुरू हुई और इसके क्या फायदे हैं. ऐसे हुई ताली बजाने की शुरुआत ताली बजाने की परंपरा से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा बहुत प्रसिद्ध है. इसके अनुसार, ताली बजाने की शुरुआत भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद ने की थी. प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप को उसकी विष्णु भक्ति अच्छी नहीं लगती थी. इसे रोकने के लिए हिरण्यकश्यप ने कई प्रयास किए लेकिन प्रहलाद पर इसका कोई असर नहीं हुआ. थक-हारकर हिरणयकश्यप ने प्रहलाद के सारे वाद्य यंत्र नष्ट कर दिए. हिरण्यकश्यप को लगा कि ऐसा करने के बाद प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति नहीं कर पाएगा लेकिन प्रहलाद ने भी हार नहीं मानी. वह दोनों हाथों को आपस मे पीट कर श्री हरि के भजनों को ताल देने लगा. इससे एक ताल का निर्माण हुआ जिसे ताली कहा जाने लगा. माना जाता है कि इसके बाद से ही हर भजन-कीर्तन में ताली बजाने की परंपरा शुरू हुई. ताली बजाने का धार्मिक महत्व माना जाता कि भजन, कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने के माध्यम से भक्त भगवान को अपने कष्टों को सुनने के लिए पुकारते हैं. ऐसा करने से भगवान का ध्यान भक्तों की तरफ जाता है. भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से सारे पाप नष्ट होते हैं और नकारात्मकता दूर होती है. भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से व्यक्ति की आत्मा चेतना में रहती है और उसका ध्यान भगवान की ओर लगा रहता है. वहीं इसके वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो ताली बजान...

पूर्वी राजस्थान में निराला है हरि कीर्तन का अंदाज़, यहां सुनता है इसे सर्वसमाज

मैनपुरी में 8 साल का बच्चा नानी को बता रहा पत्नी, पूर्वजन्म का किया जा रहा दावा © News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "पूर्वी राजस्थान में निराला है हरि कीर्तन का अंदाज़, यहां सुनता है इसे सर्वसमाज" मोहित शर्मा / करौली. राजस्थान अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए देश दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है. इन्हीं धार्मिक कार्यक्रमों में से एक है हरि कीर्तन. जिसका सबसे ज्यादा प्रचलन पूर्वी राजस्थान के क्षेत्रों और इसका सर्वाधिक चलन गुर्जर और मीणा समाज में देखने को मिलता है. यहां के क्षेत्रों में जहां भी हरि कीर्तन आयोजित होती है. वहां आज भी हजारों की संख्या में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. हरि कीर्तन के नाम से पहचाने जाने वाले इस कार्यक्रम में रामायण और महाभारत के रोचक दृश्यों को दर्शाया जाता है. यहां अक्सर देखे जाने वाले इस धार्मिक कार्यक्रम में पुरुष मंडली द्वारा श्रोताओं को गीत सुनाने के साथ-साथ पुरुष मंडली द्वारा ही रोमांचक नृत्य की भी प्रस्तुति पेश की जाती है. दंगलों के माध्यम से किया जाता है आयोजित हरि कीर्तन के बारे में व्याख्याता अमर सिंह गुर्जर का कहना है कि हरि कीर्तन पूर्वी राजस्थान में दंगलों के माध्यम से आयोजित किया जाता है. जिसमें रामायण और महाभारत संबंधी जो रोचक प्रसंग हैं. उनको यहां पुरुष मंडली के कलाकारों द्वारा सुनाया जाता है. उनका कहना है कि जब रामायण और महाभारत के रोचक प्रसंग हरि कीर्तन में आते हैं, तो पुरुष मंडली के सदस्य पूर्णत आनंदित होकर अपने अंगों के प्रदर्शन के माध्यम से इन कथाओं को प्रस्तुत करते हैं. युवा पीढ़ियों में आते हैं इससे संस्कार हरि सिंह गुर्जर ने बताया कि यह धार्मिक कीर्तन हमारी संस्कृति और धरोहर है. वर्षों से आयोजित होने वाले इस हरि क...