हरित क्रांति किससे संबंधित है

  1. सदाबहार क्रांति किससे संबंधित है?
  2. [Solved] भारत में हरित क्रांति निम्नलिखित में से किसस�
  3. हरित क्रांति किससे संबंधित है Doubt Answers
  4. भारत में हरित क्रांति और उसके प्रभाव
  5. हरित क्रांति (UPPET) – Naukri Aspirant
  6. हरित क्रांति (harit kranti)
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सदाबहार क्रांति किससे संबंधित है?

Explanation : सदाबहार क्रांति समग्र कृषि विकास से संबंधित है। हरित क्रांति (Green Revolution) की सफलता के पश्चात् भारत सदाबहार क्रांति (Evergreen Revolution) की ओर बढ़ा, ताकि देश के सालाना खाद्यान्न उत्पादन को मौजूदा स्तर से दोगुना करके 420 मिलियन टन किया जा सके। यह विचार प्रमुख कृषि वैज्ञानिक व किसानों पर राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष एम.एस. स्वामीनाथन ने 25 जनवरी, 2006 को कोयंबटूर में एक व्याख्यान में व्यक्ति किया था। इसके लिए विज्ञान की सर्वश्रेष्ठ तकनीकों के इस्तेमाल व ऑर्गेनिक फार्मिंग में शोध को बढ़ावा देने पर उन्होंने बल दिया था। मिट्टी के स्वास्थ्य (Soil Health) का उन्नयन करने, लैब टु लैंड प्रदर्शनों को बढ़ावा देने, रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाने तथा किसानों को उचित मूल्य पर साख उपलब्ध कराने की आवश्यकता भी आयोग के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में बताई थी। Tags :

[Solved] भारत में हरित क्रांति निम्नलिखित में से किसस�

सही उत्तर खाद्य और कृषि उत्पादन है। Key Points • भारत में हरित क्रांति का संबंध खाद्य और कृषि उत्पादन से है। • एम. एस. स्वामीनाथन एक भारतीय आनुवंशिकीविद् ने हरित क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई। • हरित क्रांति को उच्च उपज देने वाले किस्म के बीजों और आधुनिक तरीकों की शुरूआत द्वारा खाद्यान्न (विशेषकर गेहूं और चावल) के उत्पादन में वृद्धि के लिए संदर्भित किया जाता है। • ट्रैक्टर, सिंचाई सुविधाओं, कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग मुख्य रूप से होने लगा। • स्वामीनाथन ने भारतीय खेतों में मैक्सिकन अर्धवार्षिक गेहूं के पौधों को प्रस्तुत करने में सहायता की और आधुनिक कृषि विधियों को अधिक स्वीकार्य बनाने में सहायताकी। • इसे बेहतर और कुशल सिंचाई और फसल को बढ़ावा देने के लिए उर्वरकों के सही उपयोग के साथ जोड़ा गया था। • हरित क्रांति का परिणाम खाद्यान्न के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाना था।

हरित क्रांति किससे संबंधित है Doubt Answers

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भारत में हरित क्रांति और उसके प्रभाव

टैग्स: • • पृष्ठभूमि: • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत खाद्यान्नों तथा अन्य कृषि उत्पादों की भारी कमी से जूझ रहा था। वर्ष 1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने से पहले बंगाल में भीषण अकाल पड़ा था, जिसमें 20 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसका मुख्य कारण कृषि को लेकर औपनिवेशिक शासन की कमज़ोर नीतियाँ थीं। • उस समय कृषि के लगभग 10% क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध थी और नाइट्रोजन- फास्फोरस- पोटैशियम (NPK) उर्वरकों का औसत इस्तेमाल एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से भी कम था। गेहूँ और धान की औसत पैदावार 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के आसपास थी। • वर्ष 1947 में देश की जनसंख्या लगभग 30 करोड़ थी जो कि वर्तमान की जनसंख्या का लगभग एक-चौथाई है लेकिन खाद्यान्न उत्पादन कम होने के कारण उतने लोगों तक भी अनाज की आपूर्ति करना असंभव था। • रासायनिक उर्वरकों का उपयोग अधिकतर रोपण फसलों में किया जाता था। खाद्यान्न फसलों में किसान गोबर से बनी खाद का ही उपयोग करते थे। पहली दो पंचवर्षीय योजनाओं (1950-60) में सिंचित क्षेत्र के विस्तार व उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया लेकिन इन सबके बावजूद अनाज संकट का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका। • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वैश्विक स्तर पर अनाज व कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये शोध किये जा रहे थे तथा अनेक वैज्ञानिकों द्वारा इस क्षेत्र में कार्य किया जा रहा था। इसमें प्रोफेसर नार्मन बोरलाग प्रमुख हैं जिन्होंने गेहूँ की हाइब्रिड प्रजाति का विकास किया था, जबकि भारत में हरित क्रांति का जनक एमएस स्वामीनाथन को माना जाता है। हरित क्रांति: • वर्ष 1960 के मध्य में स्थिति और भी दयनीय हो गई जब पूरे देश में अकाल की स्थिति बनने लगी। उन परिस्थितियों में भारत सरकार ने विदेश...

हरित क्रांति (UPPET) – Naukri Aspirant

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हरित क्रांति (harit kranti)

हरित क्रांति क्या है? | harit kranti kya hain भारत में पहली हरित क्रांति (harit kranti) 1960 के दशक में प्रारंभ हुई जिसका उद्देश्य भारत के कृषि उत्पादन में वृद्धि करके भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था। 1968 ई० में अमेरिका के 'विलियम गाउड' ने सर्वप्रथम हरित क्रांति (green revolution in hindi) का नाम दिया। यद्यपि यह सत्य है कि हरित क्रांति (green revolution in hindi) से सभी किसान पूरा लाभ नहीं ले पाए किंतु कमोबेश इससे सभी किसानों को परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से लाभ हुआ है। इस अर्थ में यह एक बड़ा बदलाव रहा जिसने किसानों की आर्थिक हालात में सुधार किया एवं ग्रामीण विकास के लिए वृहद पैमाने पर कार्य किया। हरित क्रांति के जनक | harit kranti ke janak दुनिया में हरित क्रान्ति के जनक थे प्रो० नॉरमन बोरलॉग, जिन्हें इसके लिए नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत में हरित क्रान्ति का आरम्भ 1960 के दशक में हुआ । भारत में डा० स्वामीनाथनको इसका जनक माना जाता है। भारत में हरित क्रांति कब चलाई गई - देश में हरित क्रांति दो चरणों में आयी - • पहला चरण1966-67ई० से1980-81ई०तक चला • दूसरा चरण1980-81ई० से1996-97ई०तक चला। हरित क्रांति (green revolution in hindi)के पहले चरण के अंतर्गत संकर जाति के बीजों के उपयोग एवं रासायनिक खाद आदि पर जोर रहा‌ जबकि दूसरे चरण में नवीन तकनीकों एवं भारी मशीनों के उपयोग पर बल दिया गया। पहले प्रगतिशील किसानों नेहरित क्रांतिअपनाया लेकिन बाद में लगभग सम्पूर्ण भारतवर्ष में इसका बोलबाला हो गया। दूसरे शब्दों में, हरित क्रांति (harit kranti)का भारत के सभी क्षेत्रों के सभी किसानों पर प्रभाव पड़ा। हरित क्रांति का क्या अर्थ है? | harit kranti ka arth हरित...

भारत में हरित क्रांति किससे संबंधित है?

Explanation : भारत में हरित क्रांति खाद्य और कृषि उत्पादन से संबंधित है। हरित क्रांति का संबंध कृषि उत्पादन के तीव्र विस्तार से है, 1960 के दशक के मध्य में भारत की अनाज उपलब्धता की स्थिति दयनीय हो गई, पूरे देश में अकाल की स्थिति बनने लगी। उन परिस्थितियों में भारत सरकार ने विदेशों से हाइब्रिड प्रजाति के बीज मंगाए। अपनी उच्च उत्पादकता के कारण इन बीजों को उच्च उत्पादकता किस्में (High Yielding VarietiesHYV) कहा जाता था। सर्वप्रथम HYV को वर्ष 1960-63 के दौरान देश के 7 राज्यों के 7 चयनित जिलों में प्रयोग किया गया और इसे गहन gafa fetare dorest (Intensive Agriculture district programme- IADP) नाम दिया गया। यह प्रयोग सफल रहा तथा वर्ष 1966-67 में भारत में हरित क्रांति को औपचारिक तौर पर अपनाया गया। मुख्य तौर पर हरित क्रांति देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये लागू की गई एक नीति थी।पारंपरिक बीजों के स्थान पर HYVs के प्रयोग में सिंचाई के लिये अधिक पानी, उर्वरक, कीटनाशक की आवश्यकता होती थी। अतः सरकार ने इनकी आपूर्ति हेतु सिंचाई योजनाओं का विस्तार किया तथा उर्वरकों आदि पर सब्सिडी देना प्रारंभ किया। परिणामस्वरूप भारत में अनाज उत्पादन में अत्यंत वृद्धि हुई और भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया। Tags : Explanation : मेहसाणा मुर्रा और सूरती नस्लों के बीच की नस्ल है। इस नस्ल के पशुओं का मूल स्थान गुजरात राज्य का मेहसाणा जिला है, जो मेहसाना (Mehsana) भी कहलाता है। उसके निकटवर्ती स्थानों; जैसे–सिद्धपुर, सटन एवं राधनपुर आदि जिलों में ये पशु काफी • नागपुरी भैंस कितना दूध देती है | Nagpuri Buffalo Milk Per Day कूठ का पौधा अनेक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद के अनुसार, सेहत से जुड़...