हरिवंश राय बच्चन का जन्म कहां हुआ था

  1. हरिवंश राय बच्चन: जीवन शैली, साहित्यिक योगदान, प्रमुख रचनाएँ
  2. Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi
  3. हरिवंश राय बच्चन ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ का ‘सैड वर्जन’ भी लिखा था
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हरिवंश राय बच्चन: जीवन शैली, साहित्यिक योगदान, प्रमुख रचनाएँ

हरिवंश राय बच्चन भारतीय कवि थे, जो 20वीं सदी में भारत के सर्वाधिक प्रशिक्षित हिंदी भाषी कवियों में से एक थे । इनकी 1935 में प्रकाशित हुई लंबे लिरिक वाली कविता“मधुशाला” ने उन्हें एक अलग प्रसिद्धि दिलाई। दिल को छू जाने वाली कार्यशैली वर्तमान समय में भी हर उम्र के लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ती है। डॉ हरिवंश राय बच्चन जी ने हिंदी साहित्य में अविस्मरणीय योगदान दिया है। प्रसिद्ध साहित्यकार कवि हरिवंश राय बच्चन के जीवन के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें। बच्चन साहब का जन्म 27 नवंबर 1907 को गांव बाबू पट्टी, ज़िला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव एवं उनकी माता का नाम सरस्वती देवी था। बचपन में उनके माता-पिता उन्हें बच्चन नाम से पुकारते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘ बच्चा ‘ होता है। डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन का शुरुआती जीवन के ग्राम बाबू पट्टी में ही बीता।हरिवंश राय बच्चन का सरनेम असल में श्रीवास्तव था, पर उनके बचपन से पुकारे जाने वाले नाम की वजह से उनका सरनेम बच्चन हो गया था। नाम डॉ हरिवंश राय बच्चन जन्म 27 नवंबर 1907 आयु 95 वर्ष मृत्यु तक जन्म स्थान गांव बाबू पट्टी,जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव माता का नाम सरस्वती देवी पत्नी का नाम श्यामा देवी (पहली पत्नी), तेजी बच्चन ( दूसरी पत्नी) पेशा लेखक,कवि ,साहित्यकार शैली हिंदी छायावाद बच्चे अमिताभ बच्चनअभिताभ बच्चन मृत्यु 18 जनवरी सन 2003 मृत्यु स्थान मुंबई अवार्ड पद्मभूषण ,साहित्य अकादमी, आदि आरंभिक जीवन हरिवंश राय बच्चन ने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिन्दी की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जा...

Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi

नमस्कार मित्रो लेख में आपका स्वागत है आज हम Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi में हिंदी भाषा के प्रमुख कवी और प्रतापगढ़ जिले में एक छोटे से गांव बाबूपट्टी में जन्मे हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय इन हिंदी बताने वाले है। 27 नवम्बर 1907 को जन्मे हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया और कवि और लेखक बने थे। साथ ही भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रह चुके है। उनका देहांत 18 जनवरी 2003 को मुंबई में सांस की बीमारी के कारन हुई थी। इलाहाबाद के धरती में जिस दिवाकर ने जन्म लेकर अपनी कलम से पूरी दुनिया को रौशन किया। उन महानुभाव, हिंदी के सपूत का नाम हरिवंशराय बच्चन है। Shyama Harivansh Rai Bachchan in hindi में हालावाद के प्रवर्तक एवं मूर्धन्य कवि छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। आज Kavi harivansh rai bachchan ki kahani में सब को harivansh rai bachchan son , harivansh rai bachchan father और harivansh rai bachchan ki kavyagat visheshta in hindi की जानकारी देने वाले है। हाला प्याला और मधुशाला के प्रतीकों से जो बात इन्होंने कही है, वह हिंदी की सबसे अधिक लोकप्रिय कविताएं स्थापित हुई। हरिवंशराय बच्चन का वास्तविक नाम हरिवंश श्रीवास्तव था। हरिवंश राय जी को बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था। बाद में वे इसी नाम से मशहूर हुए थे ,आज आपको हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा ,हरिवंश राय बच्चन का साहित्यिक योगदान और हरिवंश राय बच्चन की जीवन शैली की रोचक तथ्य से आपको ज्ञात करवाते है। Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi – नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन जन्म 27 नवम्बर 1907 हरिवंश राय बच्चन का जन्म स्थान बाबुपत्ति गाव। (प्रतापगढ़ जि.) ...

हरिवंश राय बच्चन ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ का ‘सैड वर्जन’ भी लिखा था

15 अगस्त, 1947 को जब देश आज़ाद हुआ तो इलाहाबाद स्थित एडेल्फी में रहने वाले हरिवंश राय बच्चन और उनका परिवार समझ नहीं पा रहा था कि वे आज़ादी की खुशियां मनाएं या उदास हों. तीन महीने पहले ही बच्चन की पत्नी तेजी दूसरे बेटे की मां बनी थीं. लेकिन उसी दौरान तेजी के कई रिश्तेदार पंजाब सूबे के पाकिस्तानी हिस्से से भागकर भारत में शरण ले रहे थे. तेजी एक सिख परिवार से आती थीं और उनका जन्म पंजाब के लायलपुर में हुआ था जो बंटवारे के दौरान पाकिस्तान का हिस्सा बननेवाला था. तेजी के बहन-बहनोई यानी अमिताभ-अजिताभ के मौसा-मौसी भी भारत भाग आए थे और इलाहाबाद में एडेल्फी स्थित उनके घर में शरण लिए हुए थे. अमिताभ पांच साल के थे. फिर भी उनको इतना याद है कि घर में गमगीन माहौल था और इसके बावजूद मन हल्का करने के लिए उस दिन एडेल्फी में भी तिरंगा झंडा लहराया गया था. सत्याग्रह पर मौजूद चुनी हुई सामग्री को विज्ञापनरहित अनुभव के साथ हमारी नई वेबसाइट - अपनी आत्मकथा, ‘दशद्वार से सोपान तक’ में एडेल्फी के अपने घर को याद करते हुए बच्चन लिखते हैं- ‘एडेल्फी, जहां रहते हुए हमने प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाया था जहां विभाजन के फलस्वरूप तेजी के कितने ही संबंधियों ने पंजाब से भागकर शरण ली थी; जहां महात्मा गांधी की हत्या का हृदय-विदारक समाचार हमने सुना था; और जहां मैंने उनके बलिदान से संबद्ध ‘सूत की माला’ और ‘खादी के फूल’ की रचना की थी.’ महात्मा गांधी की हत्या पर रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविताओं पर हमने इसी मंच पर चर्चा की थी. ठीक उसी समय यानी 1948 में हरिवंश राय बच्चन भी अपनी तरह से उन्हें काव्यात्मक श्रद्धांजलि दे रहे थे. ‘सूत की माला’ काव्य-संग्रह जो जुलाई 1948 में छपा, उसके प्राक्कथन में बच्चन लिखते हैं- ‘कविता लिखना मेरे...

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‘मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन मेरा परिचय’, इन पंक्तियों के लेखक हरिवंश राय का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के नज़दीक प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव पट्टी में हुआ. घर में प्यार से उन्हें ‘बच्चन’ कह कर पुकारा जाता था. आगे चल कर यही उपनाम विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ. बच्चन की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा गाँव की पाठशाला में हुई. उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद और फिर कैम्ब्रिज गए जहाँ से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध किया. हरिवंश राय ने 1941 से 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया. वर्ष 1955 में कैम्ब्रिज से वापस आने के बाद वे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त हुए. 1926 में हरिवंश राय की शादी श्यामा से हुई. टीबी की लंबी बीमारी के बाद 1936 में श्यामा का देहांत हो गया. 1941 में बच्चन ने तेजी सूरी से शादी की. ये दो घटनाएँ बच्चन के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी जो उनकी कविताओं में भी जगह पाती रही है. 1939 में प्रकाशित ‘ एकांत संगीत’ की ये पंक्तियाँ उनके निजी जीवन की ओर ही इशारा करती हैं- कितना अकेला आज मैं, संघर्ष में टूटा हुआ, दुर्भाग्य से लूटा हुआ, परिवार से लूटा हुआ, किंतु अकेला आज मैं. हालावादी कवि बच्चन व्यक्तिवादी गीत कविता या हालावादी काव्य के अग्रणी कवि थे. बच्चन को उनकी मधुशाला ने खूब प्रसिद्धि दिलाई उमर ख़ैय्याम की रूबाइयों से प्रेरित 1935 में छपी उनकी मधुशाला ने बच्चन को खूब प्रसिद्धि दिलाई. आज भी मधुशाला पाठकों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है. अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में इस काव्य का अनुवाद हुआ. इसके अतिरिक्त मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, खादि के फूल, सूत की माला...