हरिवंश राय बच्चन का साहित्यिक परिचय

  1. आत्म परिचय
  2. Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi
  3. हरिवंश राय बच्चन Harivansh Rai Bachchan जीवन परिचय, साहित्य परिचय
  4. जन्मदिन विशेष डॉ. हरिवंशराय बच्चनः प्रेम और मस्ती के कवि
  5. हरिवंश राय बच्चन – कवि परिचय : आत्म
  6. हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएं
  7. हरिवंश राय बच्चन जी का कवि परिचय
  8. हरिवंश राय बच्चन की जीवनी
  9. हरिवंश राय बच्चन का जीवन व साहित्यिक परिचय


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आत्म परिचय

परिचय • कवि हरिवंश राय बच्चन ने अपने प्रेममय व्यक्तित्व पर स्वयं प्रकाश डाला है | • वह जीवन के कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति सचेत हैं | • कवि ने अपने जीवन के बारे में बताया है | मैं जग-जीवन भार लिए लिए फिरता हूँ, फिर भी जीवन में प्यार लिए लिए फिरता हूँ; कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूं प्रसंग :- • इन काव्य पंक्तियों में कवि अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं कर वर्णन कर रहे हैं - • कवि कहता है की वह सांसारिक कठिनाइयों से जूझ रहा है, फिर भी वह इस जीवन से प्यार करता है | वह अपनी आशाओं और निराशाओं से संतुष्ट है • कवि बताते हैं की मैं सांसों के तार लगे ह्रदय रुपी वाद्य यंत्र को लिए हुए हूँ, जिसे किसी ने छूकर झंकृत कर दिया है, कम्पित कर दिया है | • यहाँ किसी ने कवि के प्रिय का प्रतीक है, यह प्रिय प्रेमिका हो सकती है, कोई मित्र हो सकता है • कवि चाहता है की वह अपने प्रिय के प्रति प्रेम व्यक्त करे, उसे अपना स्नेह दे प्यार दे, वह अपने जीवन में प्रेम की ललक के लिए घूम रहा है • कवि आगे कहते हैं की मेरा मन प्रेम की मदिरा पीकर मस्त है, कवि के ह्रदय में प्रेम की भावना है और कवि कहता है की ये दुनिया वाले मेरे बारे में चाहे कुछ भी कहें, मैं प्रेम का प्याला पीकर अपने में मग्न रहता है हूँ तथा प्रेम की मस्ती में झूमता हूँ | • लोग सामाजिक सरोकारों वाले कवियों को पसंद करते हैं लेकिन मैं तो अपने गीतों में अपने मन के भावों को व्यक्त करता हूँ और अपनी कविताओं का विषय भी मैं खुद ही हूँ | मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ, मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ; है यह अपूर्ण संसार मुझको भाता स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूँ प्रसंग :- • यहाँ कवि अपने उद्गारों, सपनों को उजाकर...

Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi

Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi : हरिवंशराय बच्चन एक प्रसिद्ध भारतीय कवि और लेखक थे, जिन्हें व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे प्रमुख माना जाता है। अपने पूरे जीवन में हरिवंशराय बच्चन ने कई कविताएँ, निबंध और किताबें लिखीं, जो आज भी पाठकों की पीढ़ियों को प्रेरित और प्रभावित करती हैं। चलिए Harivansh Rai Bachchan Biography और उनका जीवन कैसा रहा इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। Table of Contents • • • • • • • • • • • • Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi : हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता का नाम सरस्वती देवी था। उनके पिता एक प्रसिद्ध अवधी भाषी अधिवक्ता थे जबकि उनकी माँ एक गृहिणी थीं। हरिवंशराय बच्चन का परिवार ब्राह्मण था और उनकी एक समृद्ध साहित्यिक विरासत थी। उनके नाना क्षेत्र के जाने-माने कवि थे, जबकि उनके पिता की साहित्य में गहरी रुचि थी और उन्होंने छोटी उम्र से ही हरिवंशराय बच्चन को पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। हरिवंशराय बच्चन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में पूरी की, और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए चले गए, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वह एक उत्कृष्ट छात्र थे और उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए उन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था। हरिवंश राय बच्चन का कैरियर : अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। हालाँकि, उन्होंने जल्द ही अपनी नौकरी छोड़ दी और लेखन के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई चले गए। मुंबई ...

हरिवंश राय बच्चन Harivansh Rai Bachchan जीवन परिचय, साहित्य परिचय

हरिवंश राय बच्चन Harivansh Rai Bachchan हरिवंश राय बच्चन Harivansh Rai Bachchan जीवन-परिचय, साहित्यिक योगदान, हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं, भाषा व काव्य शैली | Harivansh Rai Bachchan जीवन परिचय जन्म- 27 नवम्बर 1907 इलाहाबाद, आगरा, ब्रितानी भारत (अब उत्तर प्रदेश, भारत) मृत्यु -18 जनवरी 2003 (उम्र 95) मुम्बई, महाराष्ट्र, अभिभावक – प्रताप नारायण श्रीवास्तव, सरस्वती देवी पति/पत्नी – श्यामा बच्चन, तेजी सूरी संतान- अमिताभ बच्चन, अजिताभ बच्चन उपजीविका- कवि, लेखक, प्राध्यापक भाषा- अवधी, हिन्दी काल- आधुनिक काल, छायावादी युग (व्यक्ति चेतना प्रधान काव्यधारा या हालावाद ) हालावाद के प्रवर्तक हरिवंश राय बच्चन का साहित्यिक योगदान इस विषय में कोई दो राय नहीं है कि छायावादोत्तर गीति काव्य में बच्चन का श्रेष्ठ स्थान है। बच्चन को इस पंक्ति का अग्रिम सूत्रधार माना जायेगा। बच्चन की कविता की सबसे बड़ी पूंजी है ‘अनुभूति’ उसके क्षीण होते उनकी कविता नंगी हो जाती है। क्योंकि अनुभूति की रिक्तता को कल्पना के फूलों और चिन्तन की छूपछांही की जाली से ढकने की कला से वह अनभिज्ञ हैं। यही कारण है कि उनकी रचनाएं शुद्ध गीतों में लक्षित की जा सकती है। शुद्धता के सभी तत्व, व्यैक्तिकता, भावान्विति , संगीतात्मकता टेक, छन्द – विधान लय गीत सा उतार – चढ़ाव इत्यादि आलोच्य कवि के गीतों में गठित है। अपने सर्वश्रेष्ठ गीतों के आधार पर ही बच्चन का स्थान हमारी पीढ़ी के कवियों में बहुत ऊँचा है। छायावाद के कल्पनावैभव और अलंकृत बिम्ब – विधान से बच्चन के गीत बहुत दूर रहे हैं। बच्चन की कल्पना का स्वर्ण – महल अनुभूति की दृढ़ – नींव पर स्थित है। कवि के अप्रस्तुत – किसान , बिम्ब , प्रतीक आदि का मुख्य कारण अनुभूति और कल्पना का अमूल्य ...

जन्मदिन विशेष डॉ. हरिवंशराय बच्चनः प्रेम और मस्ती के कवि

जन्मदिन विशेष डॉ. हरिवंशराय बच्चनः प्रेम और मस्ती के कवि हरिवंश जी को बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा या संतान होता है। बाद में वे इसी नाम से मशहूर हुए। बच्चन ने सीधी, सरल भाषा मे साहित्यिक रचना की। 'आत्म परिचय' व 'दिन जल्दी जल्दी ढलता है' इनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है' में उन्होंने मानव जीवन की नश्वरता को स्पष्ट करते हुए दर्शन तत्व को उद्घाटित करने का सार्थक प्रयास किया है। बच्चन मुख्यतः मानव भावना, अनुभूति, प्राणों की ज्वाला तथा जीवन संघर्ष के आत्मनिष्ट कवि हैं। उनकी कविताओं में भावुकता के साथ ही रस और आनंद भी दिखाई देता है। उनके गीतों में बौद्धिक संवेदन के साथ ही गहन अनुभूति भी है। साहित्य शिल्पी बच्चन की कविता सुनकर श्रोता झूमने लगते थे। वे कहा करते थे सच्चा पाठक वही है जो सहृदय हो। विषय और शैली की दृष्टि से स्वाभाविकता बच्चन की कविताओं की विशेषता है। उनकी कविताओं में रूमानियत और कसक है। वहीं गेयता, सरलता, सरसता के कारण इनके काव्य संग्रहों को काफी पसंद किया गया। बच्चन ने सन 1935 से 1940 के बीच व्यापक निराशा के दौर में मध्यम वर्ग के विक्षुब्ध और वेदनाग्रस्त मन को वाणी दी। हरिवंश राय बच्चन का जीवन सफर बच्चन का जन्म 27 नवंबर, 1907 में इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले में एक छोटे से गांव बाबूपट्टी में कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रतापनारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया और पीएचडी की उपाधि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की तथा प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। कुछ समय तक वे आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से भी संबद्ध रहे।...

हरिवंश राय बच्चन – कवि परिचय : आत्म

हालावादी कवि के रूप में प्रतिष्ठित हरिवंशरायबच्चनका जन्म 27 नवम्बर 1907 ई. को इलाहाबाद (उ., प्र.) में हुआ। बच्चन जी को हिंदी में हालावाद (1932-1937) का सर्वश्रेष्ठ कवि कहा गया है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद और स्वाधीनता-संघर्ष के हर आदोलन की असफलता से उपजे अवसाद, पराजय बोध, आर्थिक एवं सामाजिक विडंबनाओं ने व्यक्ति समाज और राष्ट्र के जीवन को बहुत हद तक कुंठाग्रस्त एवं विषादग्रस्त कर दिया था। उस समय जनमानस विक्षुब्ध, कुपित और कुंठित था। ऐसे वातावरण में हरिवंशराय बच्चन सहज सुबोध भाषा-शैली में ऐसी लयपूर्ण गीत-रचनाएँ लेकर सामने आए जिन्होंने तत्कालीन जन-मानस के मन में आशा-विश्वास और उन्मुक्त जीवन- भोग के प्रति उत्कंठा जागृत की। उस समय के कवि-सम्मेलनों के मंचों पर अपनी रसाभिषिक्त कविताओं का सस्वर पाठ भी करने लगे थे। उस् समय हताश मध्यवर्गीय समाज को इन कविताओ में एक नई ताजगी जिजीविषा और जीवन- भोग की सच्चाई का पता लगा। बच्चन जी हिंदी काव्य-जगत में प्रतिष्ठित हो गए। 1954 में बच्चन जी कैब्रिज विश्वविद्यालय से ईट्स ‘पर अपना शोध कार्य पूर्ण करके स्वदेश लौटे। एक वर्ष तक अध्यापन कार्य करने के पश्चात् कुछ समय तक आकाशवाणी प्रयाग में काम किया। इसके बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में विशेष अधिकारी बना दिए गए। 1955 से 65 तक इसी पद पर कार्य करते रहे। 1966 में बच्चन जी को तत्कालीन राष्ट्रपति की ओर से राज्यसभा का सदस्य चुना गया। इसी वर्ष इनको ‘चौंसठ रूसी कविताएँ’ पर ‘ सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार’ मिला। 1969 में ‘ दो चट्टानें’ पर साहित्य अकादमीपुरस्कार मिला। 1976 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा ‘ पद्य भूषण’ से अलंकृत किया गया। 1992 में उन्हें ‘ सरस्वती पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। हरिवंशराय बच्चन जी...

हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएं

हरिवंश राय बच्चन उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवि रहे हैं। वे अपनी काव्य-यात्रा के प्रारम्भिक दौर में मध्ययुगीन फ़ारसी कवि उमर खय्याम के जीवन-दर्शन से बहुत प्रभावित रहे। उमर खय्याम की रुबाइयों से प्रेरित उनकी प्रसिद्ध कृति मधुशाला को कवि-मंच पर जबरदस्त लोकप्रियता मिली। कवि की विलक्षण प्रतिभा इश्क, मोहब्बत, पीड़ा जैसी रूमानियत से भरी हुई थी। वे परस्पर झगड़ने के बजाय प्यार को महव देते थे। हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं - मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल-अंतर, मिलनयामिनी, सतरंगिणी, आरती और अंगारे, नए पुराने झरोखे तथा टूटी-फूटी कडि़याँ। इनके चार आत्मकथा खण्ड हैं- क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर तथा दशद्वार से सोपान तक। इनके द्वारा लिखित ‘प्रवासी की डायरी’ तथा अनुवाद ग्रंथ हैमलेट, जनगीता व मैकबेथ भी लोकप्रिय रहे। हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचयहरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को प्रयाग के कटरा मोहल्ले में हुआ था। हरिवंश राय बच्चन के पिता का नाम प्रतापनारायण था। माता का नाम सुरसती था। इनसे ही हरिवंशराय को उर्दू व हिंदी की शिक्षा मिली थी। हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1938 में एम.ए. और सन् 1954 में केंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। वे फौज में‘लेफ्एिटनैंट’ के रैंक तक गए थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ये प्राध्यापक थे। मंत्रालय में इन्होंने विशेषज्ञ की नौकरी की। सत्यप्रकाश की‘हिंदीविज्ञान’ पत्रिका में इनका पहला लेख छपा था। हरिवंश राय बच्चन की पहली कहानी‘हृदय की आँखें’ प्रेमचंद की‘हंस’ पत्रिका में छपी थी। सम्मान व पुरस्कार के बारे में वे कहते थे कि‘‘जिसे जनता मानती हो, वही बड़ा साहित्यकार है।’’...

हरिवंश राय बच्चन जी का कवि परिचय

नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट jcdclasses.com पर आपका स्वागत है आज हम इस पोस्ट के माध्यम से Harivansh Rai Bachchan जी का कवि परिचय देखेंगे जिसमें हम चर्चा करेंगे इनकी रचनाएं , भाव पक्ष, कला पक्ष और साहित्य में स्थान । परीक्षा की दृष्टि से हरिवंश राय बच्चन जी का कवि परिचय बहुत ही महत्वपूर्ण है। Harivansh Rai Bachchan जी का कवि परिचय बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है जो कि आपको एक बार में ही याद हो जाएगा। आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों में शेयर करें ताकि उनको भी इस पोस्ट के माध्यम से लाभ प्राप्त हो सके। हरिवंश राय बच्चन वैसे तो हाला वादी कवि के रूप में प्रख्यात हैं किंतु इनकी रचनाओं में हालावाद के साथ-साथ रहस्यवादी भावना का भी अनूठा एवं अद्भुत संगम देखने को मिलता है। हालावाद की प्रतिनिधि कवि हरिवंश राय बच्चन की रचनाओं में प्रेम और सौंदर्य का अनूठा संगम देखने को मिलता है। हरिवंश राय बच्चन सामाजिक चेतना की एक सुप्रसिद्ध कवि हैं। उनकी रचनाओं में प्रभावी सामाजिक चित्रण दृष्टिगोचर होता है। हरिवंश राय बच्चन जी प्रेम और सौंदर्य की कवि हैं। अतः इनके साहित्य में श्रृंगार रस के दर्शन होते हैं। हरिवंश राय बच्चन एक प्रखर मेधा के कवि थे। इनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है। संस्कृत की दशम शब्दावली का आपकी रचनाओं में प्रचुरता में प्रयोग हुआ है। आपने सदैव सीधी-सादी जीवंत भाषा को ही अपनाया। बच्चन जी ने मुख्यतः प्रांजल शैली का प्रयोग किया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों का सफल प्रयोग किया है। इनके साहित्य में यमक , अनुप्रास , पुनरुक्ति प्रकाश , उपमा , रूपक , पदमैत्री , मानवीकरण आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है।

हरिवंश राय बच्चन की जीवनी

Harivansh Rai Bachchan ki Jivani : आप मे से कितने लोग बॉलीवुड के शहनशाह अमिताभ बच्चन के बारे मे जानते है ? हमारे ख्याल से आप सब उनके बारे मे जानते होंगे। क्या आपको पता है की उनके पिता भी स्वयं एक कवि थे और अपने जीवन मे कविताओं से लोगों के मन को मोह लेते थे। अगर आपको उनके बारे मे नहीं पता तो आप इस लेख को अंत तक पढ़ें ताकि आपको इसके संदर्भ मे पूरी जानकारी प्राप्त हो सके। इस लेख मे आपको ‘‘हरिवंश राय बच्चन’’ के बारे मे बताया जाएगा। हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय (Harivansh Rai Bachchan Life Story in Hindi) अमिताभ बच्चन के पिता श्री हरिवंश राय बच्चन का जन्म इलाहाबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक गाँव बाबूपट्टी मे 27 नवम्बर 1907 हुआ था। आपको बता दे की वह एक लेखक और कवि भी थे। हरिवंश राय बच्चन के पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव था व उनके माता का नाम सरस्वती देवी था। हरिवंश राय बच्चन को बच्चन शब्द की पहचान उनको उनके बचपन से मिली है, उनको बचपन मे ‘‘बच्चन’’ कहा जाता था आपको बता दे की यह उनका बचपन का नाम था न ही उनका सरनाम। बच्चन शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है ‘‘बच्चा’’ या “संतान” जो की एक छोटे बच्चे का सूचक है। बाद मे वे अपने जीवन मे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए, यह नाम आज भी उनके वंशजों के नाम के साथ शान से लिया जाता है। अगर उनकी शिक्षा की बात करे तो उन्होंने ‘‘ कायस्थ पाठशाला’’ में पहले उर्दू की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था, यह डिग्री पूरी होने के बाद उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय जो की उत्तर प्रदेश मे है, से अंग्रेजी में एम. ए. और इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कई सारी कविताओं पर शोध करना शुरू किया और उस विषय मे ...

हरिवंश राय बच्चन का जीवन व साहित्यिक परिचय

हरिवंश राय बच्चन का जीवन व साहित्यिक परिचय हरिवंश राय जी का जन्म 27 नवंबर 1907 ई० को इलाहाबाद में हुआ था। हरिवंश राय जी के पिता का नाम प्रताप नारायण और माता का नाम सरस्वती देवी था। इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में एम० ए० किया और इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे। ये छायावाद काल के लोकप्रिय कवि थे। दो चट्टाने कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया तथा साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इनकी मृत्यु सन् 2003 में मुम्बई में हुआ। रचनाएं: तेरा हार , मधुशाला , मधुबाला , मधुकलश , बंगाल का काल , बुद्ध और नाचघर , बहुत दिन बीते आदि