हरिवंश राय बच्चन साहित्य में स्थान

  1. हरिवंश राय बच्चन
  2. हरिवंशराय बच्चन
  3. Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi
  4. ‘मधुशाला’ वो रचना जिसने हरिवंश राय बच्‍चन को साहित्‍य में किया ‘अमर’
  5. हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएं
  6. हरिवंश राय बच्चन


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हरिवंश राय बच्चन

अनुक्रम • 1 जीवन • 2 मृत्यु • 3 प्रमुख कृतियाँ • 3.1 कविता संग्रह • 3.2 आत्मकथा • 3.3 विविध • 4 पुरस्कार/सम्मान • 5 बच्चन जी से संबंधित पुस्तकें • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ जीवन [ ] हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवम्बर 1907 को प्रयाग में एक मृत्यु [ ] प्रमुख कृतियाँ [ ] कविता संग्रह [ ] • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985) आत्मकथा [ ] • • • • • प्रवासी की डायरी विविध [ ] • बच्चन के साथ क्षण भर (1934), • खय्याम की मधुशाला (1938), • सोपान (1953), • मैकबेथ (1957), • जनगीता (1958), • ओथेलो (1959), • उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959), • कवियों में सौम्य संत: पंत (1960), • आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960), • आधुनिक कवि (1961), • नेहरू: राजनैतिक जीवनचरित (1961), • नये पुराने झरोखे (1962), • अभिनव सोपान (1964) • चौंसठ रूसी कविताएँ (1964) • नागर गीता (1966), • बच्चन के लोकप्रिय गीत (1967) • डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म (1968) • मरकत द्वीप का स्वर (1968) • हैमलेट (1969) • भाषा अपनी भाव पराये (1970) • पंत के सौ पत्र (1970) • प्रवास की डायरी (1971) • किंग लियर (1972) • टूटी छूटी कड़ियाँ (1973) पुरस्कार/सम्मान [ ] उनकी कृति बच्चन जी से संबंधित पुस्तकें [ ] हरिवंश राय बच्चन पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं। इनमें उनपर हुए शोध, आलोचना एवं रचनावली शामिल हैं। सन्दर्भ [ ] • टिप्पणी : यहाँ स्पष्ट रूप से नहीं लिखा कि यह तेरा हार नामक रचना 1929 में छपी थी किन्तु यह पहली रचना थी और रचना-यात्रा की शुरूआत 1929 में हुई लिखित है अतः यह माना जा सकता है कि इस रचना का प्रकाशन 1929 में हुआ)। • • Jośī, Jīvanaprakāśa (1976). Gadyakāra Baccana. ...

हरिवंशराय बच्चन

हरिवंशरायबच्चनजीहिन्दीकेएकविख्यातभारतीयकविऔरहिंदीकेलेखकथे, जिन्होंनेअपनीमहानरचनाओंऔरकृतियोंकेमाध्यमसेहिन्दीसाहित्यमेंएकनएयुगकासूत्रपातकियाथाउन्हेंनईसदीकारचयिताभीकहाजाताथा।ऊनकीसबसेप्रसिद्धकृति“मधुशाला”है। उन्होंनेअपनीकृतियोंमेंबेहदशानदारढंगसेजीवनकीसच्चाईकावर्णनकियाहै, उनकीरचनाएंदिलकोछूजानेवालीहैं, जोभीउनकीरचनाओंकोपढ़ताहै, मंत्रमुग्धहोजाताहै। 1976 में, उन्हेंउनकेहिंदीलेखननेप्रेरणादायककार्यकेलिएपद्मभूषणसेसम्मानितकियागया।तोआइएजानतेहैंहरिवंशरायबच्चनजीकेजीवनकेबारेमेंकुछमहत्वपूर्णबातें- हिन्दीसाहित्यकेमहानकविहरिवंशरायबच्चनकीजीवनी– Harivansh Rai Bachchan Biography in Hindi हरिवंशरायबच्चनकाजीवनपरिचयएकनजरमें– Harivansh Rai Bachchan Information in Hindi नाम (Name) हरिवंशरायश्रीवास्तव (बच्चन) जन्म (Birthday) 27 नवंबर, 1907, बापूपट्टीगाँव, प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश पिता (Father Name) प्रतापनारायणश्रीवास्तव माता (Mother Name) सरस्वतीदेवी पत्नी (Wife Name) • श्यामाबच्चन (1926-1936), • तेजीबच्चन (1941-2003) बच्चे (Childrens Name) • अमिताभबच्चन( बॉलीवुडकेमशहूरअभिनेता) • अजिताभबच्चन (बिजनेसमैन) शैक्षणिकयोग्यता (Education) पीएचडी मृत्यु (Death) 18 जनवरी, 2003, मुंबई, महाराष्ट्र उपलब्धि (Awards) बीसवींसदीकेनवीनतमऔरसुप्रसिद्धकवि, ”मधुशाला”केरचयिता, पद्मश्रीसेसम्मानित हरिवंशरायजीकाजन्म, प्रारंभिकजीवनएवंशिक्षा– Harivansh Rai Bachchan Life Story हिन्दीसाहित्यकेप्रमुखएवंनएसदीकेरचयिताहरिवंशरायजी 27 नवंबर, 1907 में बचपनमेंसभीइन्हेंप्यारसे”बच्चन”कहकरबुलातेथेऔरबादमेंयहीनामउनकेनामकेआगेजुड़गयाऔरपूरीदुनियामेंप्रसिद्धहुआ। हरिवंशरायजीशुरुआतीशिक्षाकायस्थस्कूलसेहुई।बादमेंउन्होंनेअपनीआगेकीपढ़ाईप्रयागमेंरहकरइलाहाब...

Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi

नमस्कार मित्रो लेख में आपका स्वागत है आज हम Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi में हिंदी भाषा के प्रमुख कवी और प्रतापगढ़ जिले में एक छोटे से गांव बाबूपट्टी में जन्मे हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय इन हिंदी बताने वाले है। 27 नवम्बर 1907 को जन्मे हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया और कवि और लेखक बने थे। साथ ही भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रह चुके है। उनका देहांत 18 जनवरी 2003 को मुंबई में सांस की बीमारी के कारन हुई थी। इलाहाबाद के धरती में जिस दिवाकर ने जन्म लेकर अपनी कलम से पूरी दुनिया को रौशन किया। उन महानुभाव, हिंदी के सपूत का नाम हरिवंशराय बच्चन है। Shyama Harivansh Rai Bachchan in hindi में हालावाद के प्रवर्तक एवं मूर्धन्य कवि छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। आज Kavi harivansh rai bachchan ki kahani में सब को harivansh rai bachchan son , harivansh rai bachchan father और harivansh rai bachchan ki kavyagat visheshta in hindi की जानकारी देने वाले है। हाला प्याला और मधुशाला के प्रतीकों से जो बात इन्होंने कही है, वह हिंदी की सबसे अधिक लोकप्रिय कविताएं स्थापित हुई। हरिवंशराय बच्चन का वास्तविक नाम हरिवंश श्रीवास्तव था। हरिवंश राय जी को बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था। बाद में वे इसी नाम से मशहूर हुए थे ,आज आपको हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा ,हरिवंश राय बच्चन का साहित्यिक योगदान और हरिवंश राय बच्चन की जीवन शैली की रोचक तथ्य से आपको ज्ञात करवाते है। Harivansh Rai Bachchan Biography In Hindi – नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव उर्फ़ बच्चन जन्म 27 नवम्बर 1907 हरिवंश राय बच्चन का जन्म स्थान बाबुपत्ति गाव। (प्रतापगढ़ जि.) ...

‘मधुशाला’ वो रचना जिसने हरिवंश राय बच्‍चन को साहित्‍य में किया ‘अमर’

हरिवंश राय बच्चन का जन्‍म 27 नवम्बर 1907 को हुआ था। जबकि 18 जनवरी 2003 को उनका निधन हुआ था। वे हिन्दी भाषा के एक महत्‍वपूर्ण कवि और लेखक थे। बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक माने जाते हैं। बचपन में लोग उनको बच्चन कहते थे, जिसे बाद में वे अपने नाम के बाद में श्रीवास्तव की जग​ह लिखने लगे। वह हिन्दी में बच्चन नाम से ही रचनाएं लिखते थे। बच्चन का अर्थ होता है बच्चा। हरिवंश राय बच्चन भाषा के धनी थे। अंग्रेजी के प्राध्यापक होने के साथ ही हिन्दी, उर्दू, अरबी और अवधी भाषा का भी उन्हें अच्छा ज्ञान था। उन्होंने कई वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया। साथ ही वे इलाहाबाद आकाशवाणी में भी काम करते रहे। बच्चन जी की कविताओं का उपयोग हिन्दी फिल्मों में भी किया गया। उनकी कविता अग्निपथ को 1990 में आई फिल्म अग्निपथ में में प्रयोग किया गया, जिसमें उनके बड़े बेटे अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे। बच्चन जी की ​कविता संग्रह दो चट्टानें 1965 में प्रकाशित हुई, जिसके लिए 1968 में हिन्दी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से उनको नवाजा गया। हिन्दी साहित्य में अविस्मरणीय योगदान के लिए हरिवंश राय बच्चन को 1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनकी रचना मधुशाला पूरी दुनिया में बेहद लोकप्रि‍य हुई। आइए पढते हैं इस रचना की कुछ बेहद लोकप्रि‍य पंक्‍तियां। लाल सुरा की धार लपट सी कह न इसे देना ज्वाला , फेनिल मदिरा है , मत इसको कह देना उर का छाला , दर्द नशा है इस मदिरा का विगत स्मृतियां साकी हैं , पीड़ा में आनंद जिसे हो , आए मेरी मधुशाला।। जगती की शीतल हाला सी पथिक , नहीं मेरी हाला , जगती के ठंडे प्याले सा पथिक , नहीं मेरा प्याला , ज्वाल सुरा जलते प्या...

हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएं

हरिवंश राय बच्चन उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवि रहे हैं। वे अपनी काव्य-यात्रा के प्रारम्भिक दौर में मध्ययुगीन फ़ारसी कवि उमर खय्याम के जीवन-दर्शन से बहुत प्रभावित रहे। उमर खय्याम की रुबाइयों से प्रेरित उनकी प्रसिद्ध कृति मधुशाला को कवि-मंच पर जबरदस्त लोकप्रियता मिली। कवि की विलक्षण प्रतिभा इश्क, मोहब्बत, पीड़ा जैसी रूमानियत से भरी हुई थी। वे परस्पर झगड़ने के बजाय प्यार को महव देते थे। हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं - मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल-अंतर, मिलनयामिनी, सतरंगिणी, आरती और अंगारे, नए पुराने झरोखे तथा टूटी-फूटी कडि़याँ। इनके चार आत्मकथा खण्ड हैं- क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर तथा दशद्वार से सोपान तक। इनके द्वारा लिखित ‘प्रवासी की डायरी’ तथा अनुवाद ग्रंथ हैमलेट, जनगीता व मैकबेथ भी लोकप्रिय रहे। हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचयहरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को प्रयाग के कटरा मोहल्ले में हुआ था। हरिवंश राय बच्चन के पिता का नाम प्रतापनारायण था। माता का नाम सुरसती था। इनसे ही हरिवंशराय को उर्दू व हिंदी की शिक्षा मिली थी। हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1938 में एम.ए. और सन् 1954 में केंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। वे फौज में‘लेफ्एिटनैंट’ के रैंक तक गए थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ये प्राध्यापक थे। मंत्रालय में इन्होंने विशेषज्ञ की नौकरी की। सत्यप्रकाश की‘हिंदीविज्ञान’ पत्रिका में इनका पहला लेख छपा था। हरिवंश राय बच्चन की पहली कहानी‘हृदय की आँखें’ प्रेमचंद की‘हंस’ पत्रिका में छपी थी। सम्मान व पुरस्कार के बारे में वे कहते थे कि‘‘जिसे जनता मानती हो, वही बड़ा साहित्यकार है।’’...

हरिवंश राय बच्चन

जीवन परिचय: श्री हरिवंश राय बच्चन ‘हालावाद’ के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के प्रयाग (इलाहाबाद) में एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। कायस्थ पाठशाला तथा गवर्नमेंट स्कूल में हुई थी। इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. (अंग्रेजी) में दाखिला लिया लेकिन असहयोगआंदोलन से प्रेरित होकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। आपने सन 1939 में काशी विश्वविद्यालय से बी.टी.सी. की डिग्री प्राप्त की। एम.ए. की उपाधि प्राप्त करने के बाद आप 1942 से1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत रहे। इसके बाद यह इंग्लैंड चले गए। वहां उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। सन 1955 ईस्वी में भारत सरकार ने इन्हें विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के पद पर नियुक्त किया। जीवन के अंतिम क्षणों तक वे स्वतंत्र लेखन करते रहे। इन्हें सोवियत लैंड तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।‘ दसद्वार से सोपान तक’ रचना पर इन्हें ‘ दिया गया। इनकी प्रतिभा और साहित्य सेवा को देखकर भारत सरकार ने इनको‘ पदमभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया था। 18 जनवरी सन 2003 में वे इस संसार को छोड़कर चिरनिद्रा में लीन हो गए। मानवतावाद: मानवतावाद एक ऐसी विराट भावना है जिसमें संपूर्ण जगत के प्राणियों का हित चिंतन किया जाता है। बच्चन जी ने अपने प्रेम और मस्ती में डूबे कवि नहीं थे बल्कि उनके साहित्य में ऐसी विराट भावना के भी दर्शन होते हैं। उनके साहित्य में मानव के प्रति प्रेम भावना अभिव्यक्त हुई है। उन्होंने निरंतर स्वार्थी मनुष्यों पर कटु व्यंग किए हैं। श्री हरिवंश राय बच्चन जी क...