इंडियन ओवरसीज बैंक शेयर प्राइस

  1. सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक हो सकते हैं प्राइवेट
  2. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया इंडियन ओवरसीज बैंक के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता लगभग साफ, दोनों में हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
  3. Two psu banks gave special facility to their customers how to avail
  4. इण्डियन ओवरसीज़ बैंक
  5. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का होगा प्राइवेटाइजेशन, 51% हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
  6. RBI के एक फैसले से इस सरकारी बैंक का शेयर 20 फीसदी उछला, निवेशकों को हुआ 7750 करोड़ का फायदा
  7. इंडियन ओवरसीज बैंक का कर्ज महंगा, रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंक ने दिया झटका, कितनी बढ़ गई EMI


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सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक हो सकते हैं प्राइवेट

मुंबई– दो सरकारी बैंक प्राइवेट बैंक बन सकते हैँ। इसमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज का नाम शामिल है। इस खबर से इन बैंको दे शेयरों में आज जबरदस्त उछाल दिखा है। दोनों के शेयरों में 6 से 12% की तेजी दिखी है। दरअसल इस साल के बजट में सरकार ने दो सरकारी बैंकों को प्राइवेट बनाने की घोषणा की थी। इस संबंध में हालांकि कुछ दिन पहले 4 बैंकों के नाम आए थे। इसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया का नाम था। उस समय इन बैंकों के शेयरों में तीन दिन तक 10-20% तक की तेजी दिखी थी। इसमें से दो बैंकों के नाम आज फिर सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने इन दोनों बैंकों के नाम को चुना है। हालांकि बैंक ऑफ इंडिया अभी भी संभावित नामों की सूची में है। नीति आयोग ने इन दोनों सरकारी बैंकों और एक जनरल बीमा कंपनी का नाम विनिवेश की कमिटी के सचिवालय को भेज दिया है। इन सभी को इसी वित्तवर्ष के अंत तक प्राइवेट किया जाएगा। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेच कर 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को भी प्राइवेट करने का लक्ष्य रखा गया है। पर अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। एयर इंडिया जहां भारी-भरकम कर्ज और घाटे वाली कंपनी है, वहीं शिपिंग कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम लगातार मुनाफा देने वाली कंपनियां हैं। सेंट्रल बैंक का शेयर आज BSE पर 12% बढ़ कर 23.70 रुपए पर पहुंच गया जबकि इंडियन ओवरसीज बैंक का शेयर 6% उछलकर 20.35 रुपए पर पहुंच गया। बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शेयर 4% ऊपर कारोबार कर रहा था। अकाउंट होल्डर्स का जो भी ...

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया इंडियन ओवरसीज बैंक के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता लगभग साफ, दोनों में हिस्सेदारी बेचेगी सरकार

सरकार ने दो बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India)और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank)के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता लगभग साफ कर दिया है. कैबिनेट सचिव की अगुआई में हाल में हुई बैठक में इससे जुड़े तमाम नियामकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा हुई. अब इसकी मंजूरी के लिए विनिवेश पर गठित मंत्रियों के समूह या वैकल्पिक मैकेनिज्म के सामने पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री ने बजट में किया था निजीकरण का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के बजट भाषण में सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का ऐलान किया था. इसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनट सचिव की अगुवाई में बने सचिवों के कोर ग्रुप को कुछ बैंकों के नाम प्राइवेटाइजेशन के लिए सुझाए. सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. इस साल फरवरी में रिपोर्ट आई थी कि केंद्र सरकार ने 4 मिड साइज बैंकों को प्राइवेटाइजेशन के लिए शॉर्टलिस्ट किया है. इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (BoI), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank)और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) का नाम शामिल है. इन चार बैंकों में से दो का निजीकरण वित्त वर्ष 2021-22 में होगा. बैंक यूनियन की ओर से निजीकरण का विरोध कमेटी ने निजीकरण की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया. एएम की मंजूरी के बार इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण के लिए जरूरी नियामकीय बदलाव किए जाएंगे. बैंक यूनियन इन दोनों बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का वि...

Two psu banks gave special facility to their customers how to avail

बैंक की ओर से डिजिटल पेमेंट विजन 2025 के तहत इस सेवा को शुरू किया गया है। बैंक के एमडी और सीईओ ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में आज भी कीपैड फोन का इस्तेमाल होता है। इस सेवा से ग्राहक पूरे भारत में किसी को भी भुगतान कर पाएगा। ऐसे करना होगा इस्तेमाल • सबसे पहले बैंक के ग्राहकों को आईवीआर नंबर 9188123123 डायल करना होगा। • इसके बाद लाभार्थी का चयन करना होगा। फिर लेनदेन को सत्यापित करना होगा। • यह सेवा कई भाषाओं में उपलब्ध होगी। ग्राहक सुविधानुसार चयन कर सकते हैं। बैंक खाते में संख्या की जगह नाम इस्तेमाल कर सकेंगे इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) ने 'मेरा खाता मेरा नाम' नाम से नई सुविधा शुरू की है। इसके तहत बैंक के ग्राहक खाता संख्या के रूप में कोई भी नाम इस्तेमाल कर सकेंगे। इस योजना की शुरुआत चेन्नई स्थित केंद्रीय कार्यालय से की गई है। यह सुविधा पूरे देश में आईओबी के सभी 49 क्षेत्रीय कार्यालयों में उपलब्ध होगी। शुरू में यह सेवा बचत और वेतन खाते के ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी। बैंक सीईओ ने कहा कि बैंकिंग उद्योग में यह अपनी तरह की पहली योजना है। ऐसे बदल सकेंगेखाते का नाम:योजना के अनुसार, खाते का नाम सात अक्षरों, या सात संख्याओं, या सात अक्षरों और संख्याओं का मिश्रण हो सकता है। ग्राहकों को अपने 15 अंकों की खाता संख्या को याद रखने की आवश्यकता नहीं होगी।

इण्डियन ओवरसीज़ बैंक

अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 शुरुआत • 1.2 पूर्व राष्ट्रीयकरण युग (1947-69) • 1.3 उत्तर-राष्ट्रीयकरण युग (1969-1992) • 2 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] शुरुआत [ ] इण्डियन औवरसीज़ बैंक (आइओबी) की स्थापना 10 फ़रवरी 1937 को श्री एम.सीटीएम.चिदंबरम चेट्टियार ने की जो बैंकिंग, बीमा व उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी थे। बैंक की स्थापना उन्होंने दो उद्देश्यों से की थी - विदेशी विनिमय व्यवसाय तथा विदेशी बैंकिंग में विशिष्टता। आइओबी की यह एक अनोखी विशेषता थी कि 10 फ़रवरी 1937 (उद्घाटन दिवस को ही) को एक साथ 3 शाखाओं में व्यवसाय की शुरुआत की गई - भारत में कारैक्कुडि व चेन्नै में तथा बर्मा मेंरंगून नें जहाँ दूसरी शाखा पेनांग में खुली। स्वतंत्रता के समय आइओबी की भारत में 38 शाखाएँ तथा विदेश में 7 शाखाएँ थीं। उस समय जमा रकम रु.3.23 करोड़ थी। पूर्व राष्ट्रीयकरण युग (1947-69) [ ] इस अवधि के दौरान, आइओबी ने अपने देशी गतिविधियों का विस्तार किया तथा अपने अन्तरराष्ट्रीय बैंकिंग परिचालन को बढ़ाया। बैंक ने एक प्रशिक्षण केद्र स्थापित किया जो विकसित होकर चेन्नै में स्टाफ़ कालेज बना। इसके अतिरिक्त देश में 9 स्टाफ़ प्रशिक्षण केंद्र हैं। आइओबी उपभोक्ता ऋण शुरु करनेवाला पहला बैंक था। बैंक ने लोकप्रिय वैयक्तिक ऋण योजना शुरु की 1964 में, अंतर-शाखा लेखा समाधान के क्षेत्रों में कंप्यूटरीकरण की शुरुआत की 1968 में। कृषकों की आवश्यकताओं को विशेष रूप से पूरा करने के लिए आइओबी ने एक संपूर्ण विभाग की स्थापना की। राष्ट्रीयकरण (1969) के समय आइओबी 14 बड़े बैंकों में एक था जो 1969 में राष्ट्रीयकृत हुआ। 1969 में राष्ट्रीयकरण के समय, आइओबी की भारत में 195 शाखाएँ तथा कुल जमा राशि रु.44.90 करोड़ थी। उत्तर-राष्ट्रीयकरण यु...

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का होगा प्राइवेटाइजेशन, 51% हिस्सेदारी बेचेगी सरकार

केंद्र सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank Of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) का चयन किया है। केंद्र सरकार इन दोनों सरकारी बैंकों मे अपने हिस्से का विनिवेश (Disinvestment) करेगी। पहले चयण में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। इस खबर के बाद स्टॉक मार्केट में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंकों के शेयर में 20% अपर सर्किट लगा है। IOB के शेयर इस खबर के पहले 19.85 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे जो अचानक 19.80% चढ़कर 23.60 रुपये पर पहुंच गए। वहीं सेंट्रल बैंक के शेयर 20 रुपये से 19.80% चढ़कर 24.20 रुपये पर पहुंच गए। COVID- 19 की तीसरी लहर से ना डरें, बाजार में तेजी रहेगी जारी: राकेश झुनझुनवाला CNBC Awaaz के मुताबिक, इन दोनों बैंको के प्राइवेटाइजेशन के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में बदलाव करेगी। साथ ही RBI के साथ भी चर्चा होगी। नीति आयोग ने इन दोनों बैंकों के नाम की सिफारिश थी। आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी। सराकर ने FY22 के लिए विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की लक्ष्य रखा है। अमेरिकन बाजारों का न ताकें मुंह, भारतीय बाजार ही कराएंगे जोरदार कमाई: राकेश झुनझुनवाला प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक, 44,000 करोड़ रुपये है। जिसमें इंडियन ओवरसीज ...

RBI के एक फैसले से इस सरकारी बैंक का शेयर 20 फीसदी उछला, निवेशकों को हुआ 7750 करोड़ का फायदा

सावर्जनिक क्षेत्र के इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) के शेयर में 20 फीसदी का अपर सर्किट लगा. गुरुवार को बीएसई पर Indian Overseas Bank का शेयर 20 फीसदी बढ़कर 24.60 रुपये के भाव पर पहुंच गया. IOB के शेयरों में तेजी आरबीआई के एक बड़े फैसले के बाद आई है. दरअसल, बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इंडियन ओवरसीज बैंक को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA Framework) से बाहर निकाल दिया. पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर निकलने की खबर से गुरुवार को शेयर में तेज उछाल आया जिससे निवेशकों को करीब 7750 करोड़ रुपये का फायदा हुआ. रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि आईओबी के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद वित्तीय निगरानी बोर्ड ने 2020-21 के वित्तीय नतीजों के प्रकाशन के आधार पर पाया है कि बैंक पीसीए मानकों का उल्लंघन नहीं कर रहा है. बैंक को 2015 में पीसीए के तहत डाला गया था. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसी के मद्देनजर आईओबी को पीसीए अंकुशों से बाहर करने का फैसला किया गया है. इसके लिए बैंक को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा और उसकी निरंतर निगरानी की जाएगी. अक्टूबर 2015 में लागू किया गया था PCA फ्रेमवर्क PCA फ्रेमवर्क से बाहर निकाले जाने के बाद अब बैंक खुलकर लोन बांट सकेगा और कारोबार कर सकेगा. अगर कोई बैंक रिजर्व बैंक के पीसीए फ्रेमवर्क के अंतर्गत रहता है तो उसपर लोन बांटने और कारोबार करने संबंधी कई तरह के अंकुश लगाए गए होते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अक्टूबर 2015 में इंडियन ओवरसीज बैंक पर इसे लागू किया था. 20 फीसदी का लगा अपर सर्किट गुरुवार को कारोबार के दौरान बीएसई पर शेयर में 20 फीसदी अपर सर्किट लगा. बुधवार को शेयर 20.50 रुपये के भाव पर बंद हुआ था, जो आज 20 फीसदी बढ़कर 24.60 रुपये के भाव पर पहुंच गया. शेयर म...

इंडियन ओवरसीज बैंक का कर्ज महंगा, रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंक ने दिया झटका, कितनी बढ़ गई EMI

इंडियन ओवरसीज बैंक ने MCLR और RLLR दरों में 35 बेसिस पॉइंट्स तक बढ़ोतरी की है. बैंक की नई MCLR और RLLR दरें 10 दिसम्बर से लागू होंगी. बैंक की दरों में बढ़ोतरी के साथ ही इसके शेयरों में उछाल देखा गया. नई दिल्ली. रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के बाद पब्लिक सेक्टर के इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) ने लोन की दरों, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लैंडिंग रेट (MCLR) और रेपो-लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) में इजाफा कर दिया है. बैंक की नई उधार दरें 10 दिसंबर से लागू होंगी. इससे टर्म लोन की ईएमआई आगे बढ़ने की संभावना है. दरअसल, 7 दिसंबर को हुई रिज़र्व बैंक की पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला किया गया. इसे देखते हुए इंडियन ओवरसीज बैंक ने MCLR दरों में 35 बेसिक पॉइंट्स तक बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही बैंक ने अपनी RLLR में भी बदलाव किया है. ये भी पढ़ें – Landmark Cars IPO : मर्सिडीज कारें बेचने वाली कंपनी ला रही आईपीओ, कीमत तय अब कितना होगा बैंक का एमसीएलआर इंडियन ओवरसीज बैंक की रेग्युलेटरी फाइलिंग के मुताबिक 1 साल की MCLR दर को 20 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 8.05 प्रतिशत से 8.25 प्रतिशत कर दिया है. जबकि 2 साल की MCLR दर को 8.10 प्रतिशत से 25 बेसिक पॉइंट्स बढ़ाकर 8.35 प्रतिशत कर दिया है. वहीं 3 साल की MCLR दर 10 दिसंबर से 30 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी के साथ मौजूदा दर 8.10 प्रतिशत से 8.40 प्रतिशत हो जाएगी. छोटी अवधि के लिए नई MCLR दरें इंडियन ओवरसीज बैंक ने छोटी अवधि के लिए MCLR दरों को भी बढ़ा दिया है. छह महीने की अवधि के लिए मौजूदा 7.95 प्रतिशत में 20 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी से 8.15 प्रतिशत कर दिया है. जबकि तीन महीने के लिए MCLR 15 बेसिक पॉइंट्स बढ़ाकर 7.85 प्रतिशत से 8 प्...