इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे

  1. International Girls Child Day
  2. Focus24news
  3. National Girl Child Day 2023: क्यों मनाया जाता है ये दिन, बेटियों के लिए क्यों है इतना खास? यहां जानिए
  4. International Girl Child Day 2022: आज मनाया जा रहा 'इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे', जानें इस खास दिन का उद्देश्य
  5. National Girl Child Day: National Girl Child Day 202
  6. इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे बेटा ही नहीं बेटी पैदा होने पर भी खुशी मनाने लगे हैं लोग
  7. Focus24news
  8. National Girl Child Day: National Girl Child Day 202
  9. International Girl Child Day 2022: आज मनाया जा रहा 'इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे', जानें इस खास दिन का उद्देश्य
  10. इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे बेटा ही नहीं बेटी पैदा होने पर भी खुशी मनाने लगे हैं लोग


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International Girls Child Day

International Girls Child Day- बेटियों को महत्व देने के लिए हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड के रूप में मनाया जाता है। ये खास दिन किशोरियों के लिए नए अवसर लेकर आता है और उन्हें उनकी क्षमता और शक्ति की पहचान कराने में प्रयास करता है। इसका मुख्य उद्देश्य है दुनियाभर में लड़कियों की आवाज़ उठाना और उनकी आवाज़ को बुलंद करना। इसी के साथ इसका उद्देश्य है लड़कियों को सशक्त बनाना। इस दिन को इसलिए मनाया जाता है ताकि इस एक दिन लड़कियों से जुड़े मुद्दे के बारे में बात की जा सके और उन्हें सुलझाया जा सके। इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे का इतिहास International Girls Child Day History)- इसकी सबसे पहले शुरुआत एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा की गई थी। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत ‘Plan international’ प्रोजेक्ट के तौर पर की गई थी। दरअसल इस गैर सरकारी संगठन ने एक अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का नाम ‘क्योंकि मैं लड़की हूँ’ था। फिर इस अभियान को इंटरनेशनल स्तर पर पहुंचाने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया। इसके बाद 55वें आम सभा में कनाडा सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को रखा गया था। फिर 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को पारित किया और उसके बाद हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड के तौर पर मनाया जाने लगा। इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे का महत्व (International Girls Child Day Importance)- सतत विकास के लक्ष्यों में एक लक्ष्य लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का भी है। इसी दृष्टि से सतत विकास के लक्ष्यों को 2030 तक पूरा करने के लिए इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे एक परफेक्ट स्टेप है। इसके तहत महिलाओं से जुड़े मुद्दों के बारे में जानने का प्रयत्न किया जाता है और उन्हें सशक्त बनाने की कोशिश की जाती...

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रेलवे में निकली सीधी भर्ती:10वीं के नंबर के आधार पर होगा सिलेक्शन, जाने क्या है योग्यता skin Brightening के लिए कमाल की तकनीक है ओरिजिन Beauty Cocktail drip , जल्दी चाहिए ग्लो तो जरूर करें ट्राई पति का शव फंदे से लटका देख पत्नी ने दूसरे पेड़ से लटककर दे दी जान, पढ़ें पूरी खबर गर्मी की छुट्टियों में मायके गई थी पत्नी, इधर इंजीनियर ने झांसी से बुला ली गर्लफ्रेंड, पढ़ें फिर क्या हुआ बेटे की शादी के बहाने ओपी राजभर ने दिखाई ताकत फीचर्स डेस्क। शिक्षा सभी का समान अधिकार और सफल जीवन की नींव भी है ।आज भी हमारे देश में लड़कियों की शिक्षा को ले कर भेदभाव होता है। कई बच्चों में महंगी फीस के चलते जो बच्चा सबसे पहले ड्राप आउट होता है वो अमूमन घर की लड़कियां ही होती है। एक शिक्षित लड़की ना सिर्फ अपनी जिंदगी सवांरती है बल्कि दो घर और आगे आपने वाली पीढ़ी भी। CBSC ने हाल ही में सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप स्कीम ले कर आयी है। इस छात्रवृत्ति का मुख्य उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा की ओर बढ़ावा देना है। ये मुख्यतयः उन लड़कियों के लिए है जो गरीबी की वजह से 10 वीं के बाद की पढ़ाई कर पाने में असमर्थ हैं। आइए जानें इस योजना से जुड़ी डिटेल्स स्कीम का मोटिव भारत में लिटरेसी रेट में पुरुष और महिलाओं में काफ़ी अंतर है। जहां पढ़े लिखे पुरुषों का प्रतिशत 82.14 है वहीं महिलाओं में इसका प्रतिशत केवल 65.46 है। महिलाओं में कम साक्षरता का कारण परिवार की आर्थिक स्थिति ,मानयताएं और जानकारी कमी है। हालांकि भारत मे साक्षरता का स्तर पहले की अपेक्षा काफी बेटर हुआ है। लेकिन अभी इसमें और ज्यादा सुधार की गुंजाईश है। इसी वजह से मुख्य रूप से लड़कियों के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी कि CBSC ने खास...

National Girl Child Day 2023: क्यों मनाया जाता है ये दिन, बेटियों के लिए क्यों है इतना खास? यहां जानिए

National Girl Child Day 2023: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ... ऐसे ही बेटियों के नाम कुछ खास विज्ञापन इस दिन के लिए तैयार किए गए हैं. वैसे तो पूरा साल बेटियों के नाम है. लेकिन, ये दिन खास है. इस दिन लगभग सभी चैनल्स, न्यूजपेपर्स और रेडियो स्टेशन पर ये स्लोगन दिखाई और सुनाई देगा. लोगों को जागरुक किया जाता है कि बेटियां क्यों खास हैं. • • • • • National Girl Child Day 2023: हर साल 24 जनवरी को भारत में नेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता हैं. भारत सरकार और मिनिस्ट्री ऑफ वुमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट (Ministry of Women and Child Development) ने साथ मिलकर सोसाइटी में जो लड़कियों के साथ जेंडर बेस्ड भेदभाव होता है, उसके बारे में जागरुक किया जाता है. साल 2008 में इसकी शुरुआत की गई. नेशनल गर्ल चाइल्ड डे का महत्व लड़कियों के अधिकारों के बारे में लोगों में अवेयरनेस बढ़ाने के लिए नेशनल गर्ल चाइल्ड डे का बहुत ही महत्व है. ये दिन लड़कियों के लिए उनके परिवार, समुदाय और राष्ट्र में अपनी पहचान को उभारने में मदद करता है. ये दिन इस बात की गारंटी देता है कि पुरे देश में लड़कियों का अधिकार और सम्मान अभी भी कायम है. लड़कियों की बेहतरी के लिए भारत सरकार द्वारा कई पहल और अभियान चलाए गए हैं. 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' (Beti Bachao, Beti Padhao) देश में काफी प्रसिद्द नारा हैं. यह अभियान लड़कियों को बचाने और मुफ्त शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए है. इस अभियान ने बहुत से लोगों की मदद की है. क्यों आज ही के दिन नेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है? नेशनल गर्ल चाइल्ड डे 24 जनवरी को पहले महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की याद में मनाया जाता है. इसी दिन पहली बार इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी...

International Girl Child Day 2022: आज मनाया जा रहा 'इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे', जानें इस खास दिन का उद्देश्य

11 अक्टूबर को लड़कियों के सम्मान में यह दिन घोषित किया गया था. महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज पहली बार 1995 में उठी थी. International Girl Child Day 2022: दुनियाभर में हर साल 11 अक्टूबर को ‘इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे’ मनाया जाता है. यूनाईटेड नेशंस (UN) महासभा में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें लड़कियों के सम्मान के दिन के रूप में यह घोषित किया गया था. तब से ही इस दिन को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के रूप में मनाया जाता है. महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिए आवाज पहली बार 1995 में बीजिंग में महिलाओं पर विश्व सम्मेलन में बीजिंग घोषणा में उठाई गई थी और तब ही यह अधिकार इस घोषणा द्वारा प्राप्त किया गया था. विश्व के इतिहास में यह दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाले आवश्यकता की पहचान करने वाला पहला ब्लूप्रिंट था. यह भी पढ़ें- क्या है इतिहास? इंटरनेशनल गर्ल्स चाइल्ड डे की शुरुआत गैर-सरकारी संगठन प्लान इंटरनेशनल के अभियान ‘क्योंकि मैं एक लड़की हूं’ के रूप में हुई. यह इंटरनेशनल गैर-सरकारी संगठन है जो लगभग 70 देशों के लिए काम करता है. जो लड़कियों को जागरूक बनाता है और उनकी आवाज़ को बढ़ाता है. क्या है इस साल की थीम? इस वर्ष 11 अक्टूबर 2022 की थीम को डे फॉर गर्ल चाइल्ड नाम दिया गया है. जैसा कि यह भी जाना जाता है आज की पीढ़ी डिजिटल पीढ़ी है. हमारी पीढ़ी इस दिन को हर साल इंटरनेशनल स्तर पर मनाती है. यह दिन पूरे विश्व की लड़कियों को ऑनलाइन होने वाले नुकसान या हानि के बारे में बोलने के लिए एक मंच प्रदान करने का काम करता है. एक रिपोर्ट में सामने आया है कि आज के समय में 25 वर्ष से कम उम्र के 2 बिलियन लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है. यह भी पढ़ें- क्या है इस दिन को मनाने का उद्देश...

National Girl Child Day: National Girl Child Day 202

National Girl Child Day: 24 जनवरी को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस, जानिए इसका इतिहास और उद्देश्य भारत में आज के दिन यानी 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2008 में पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने की थी. राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य बालिकाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है. आइए जानते हैं आज के दिन का इतिहास और महत्व. नई दिल्ली: राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है. समाज में समानता लाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की थी. इस अभियान का उद्देश्य लड़कियों को जागरूक करना है. इसके साथ ही लोगों को यह बताना है कि समाज के निर्माण में महिलाओं का समान योगदान है. इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने साल 2008 में की थी. आज के दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेश्यो और बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं. ज्ञात हो कि आज के ही दिन (24 जनवरी) साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. इस वर्ष भारत में 14वां राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं आज के दिन का इतिहास और महत्व. राष्ट्रीय बालिका दिवस, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने साल 2008 में की थी. राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, साथ ही देश भर की लड़कियों को सशक्त बनाना था. लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं और उनके सश...

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे बेटा ही नहीं बेटी पैदा होने पर भी खुशी मनाने लगे हैं लोग

लखनऊ[कुसुम भारती]।बेटियां न केवल मां-बाप से प्यार करती हैं, बल्कि विषम परिस्थितियों में बेटों से पहले उनके पास पहुंचती हैं। लोगों की सोच में बेटा-बेटी को लेकर अब बहुत बदलाव आया है। आज बेटी के जन्म पर पूरा परिवार खुशी मनाता है। मुझे शुरू से बेटियां पसंद हैं। अगर मेरे सामने एक ही उम्र के दो बच्चे खड़े कर दिए जाएं तो मेरी नजर बेटी पर पहले जाएगी। बेटियां होती ही हैं इतनी मोहिनी और प्यारी। यह कहना है, आरजे वीरा सिंह का। वह कहती हैं, मैं न केवल एक बेटी हूं बल्कि अब तो एक बेटी की सिंगल मदर भी हूं। मेरी बेटी वर्णिका जिसे प्यार से वासु बुलाती हूं, वह सात साल की हो गई है। इस वक्त वह सेकेंड क्लास में पढ़ रही है। 11 महीने की थी जब मैंने उसे एडॉप्ट किया था। केवल बेटे ही वंश चलाते हैं या फिर मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बनते हैं, यह अब बीती बातें हो गई हैं। आज बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं करता। समाज में इसे लेकर जागरूकता बढ़ी है। खासतौर से माता-पिता की सोच बदल रही है। वह कहती हैं, एडॉप्शन सेंटर में पहली बार वासु को देखते ही मेरे मन में प्यार उमड़ पड़ा और उसे अपनाने का फैसला लिया। उसको देखने के बाद और कोई बच्चा नहीं देखा। एक वर्किंग वुमेन होने के नाते वह अपनी बेटी को प्रॉपर समय दे पाती हैं, इस सवाल पर वह कहती हैं कि बेटी के लिए ही मैंने अपनी जॉब से समझौता किया है। अब सिर्फ फ्रीलॉन्सिंग करती हूं। अपनी पूरी अटेंशन बेटी को देती हूं। जब से वासु मेरी जिंदगी में आई है, मेरी जिंदगी खुशियों से भर गई है। उसकी हर एक चीज खूब संभाल कर रखती हूं। बेटी का पहली बार चलना, तोतली भाषा में मां कहकर बुलाना, पहली बार चॉकोपाइ खाने और प्ले ग्रुप स्कूल में पहली बार जाने जैसी बातें एक ऐसा अहसास हैं, जिसे कभी भुलाया ...

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National Girl Child Day: National Girl Child Day 202

National Girl Child Day: 24 जनवरी को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस, जानिए इसका इतिहास और उद्देश्य भारत में आज के दिन यानी 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2008 में पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने की थी. राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य बालिकाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है. आइए जानते हैं आज के दिन का इतिहास और महत्व. नई दिल्ली: राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है. समाज में समानता लाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की थी. इस अभियान का उद्देश्य लड़कियों को जागरूक करना है. इसके साथ ही लोगों को यह बताना है कि समाज के निर्माण में महिलाओं का समान योगदान है. इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने साल 2008 में की थी. आज के दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेश्यो और बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं. ज्ञात हो कि आज के ही दिन (24 जनवरी) साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. इस वर्ष भारत में 14वां राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं आज के दिन का इतिहास और महत्व. राष्ट्रीय बालिका दिवस, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने साल 2008 में की थी. राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, साथ ही देश भर की लड़कियों को सशक्त बनाना था. लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं और उनके सश...

International Girl Child Day 2022: आज मनाया जा रहा 'इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे', जानें इस खास दिन का उद्देश्य

11 अक्टूबर को लड़कियों के सम्मान में यह दिन घोषित किया गया था. महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज पहली बार 1995 में उठी थी. International Girl Child Day 2022: दुनियाभर में हर साल 11 अक्टूबर को ‘इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे’ मनाया जाता है. यूनाईटेड नेशंस (UN) महासभा में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें लड़कियों के सम्मान के दिन के रूप में यह घोषित किया गया था. तब से ही इस दिन को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के रूप में मनाया जाता है. महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिए आवाज पहली बार 1995 में बीजिंग में महिलाओं पर विश्व सम्मेलन में बीजिंग घोषणा में उठाई गई थी और तब ही यह अधिकार इस घोषणा द्वारा प्राप्त किया गया था. विश्व के इतिहास में यह दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाले आवश्यकता की पहचान करने वाला पहला ब्लूप्रिंट था. यह भी पढ़ें- क्या है इतिहास? इंटरनेशनल गर्ल्स चाइल्ड डे की शुरुआत गैर-सरकारी संगठन प्लान इंटरनेशनल के अभियान ‘क्योंकि मैं एक लड़की हूं’ के रूप में हुई. यह इंटरनेशनल गैर-सरकारी संगठन है जो लगभग 70 देशों के लिए काम करता है. जो लड़कियों को जागरूक बनाता है और उनकी आवाज़ को बढ़ाता है. क्या है इस साल की थीम? इस वर्ष 11 अक्टूबर 2022 की थीम को डे फॉर गर्ल चाइल्ड नाम दिया गया है. जैसा कि यह भी जाना जाता है आज की पीढ़ी डिजिटल पीढ़ी है. हमारी पीढ़ी इस दिन को हर साल इंटरनेशनल स्तर पर मनाती है. यह दिन पूरे विश्व की लड़कियों को ऑनलाइन होने वाले नुकसान या हानि के बारे में बोलने के लिए एक मंच प्रदान करने का काम करता है. एक रिपोर्ट में सामने आया है कि आज के समय में 25 वर्ष से कम उम्र के 2 बिलियन लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है. यह भी पढ़ें- क्या है इस दिन को मनाने का उद्देश...

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे बेटा ही नहीं बेटी पैदा होने पर भी खुशी मनाने लगे हैं लोग

लखनऊ[कुसुम भारती]।बेटियां न केवल मां-बाप से प्यार करती हैं, बल्कि विषम परिस्थितियों में बेटों से पहले उनके पास पहुंचती हैं। लोगों की सोच में बेटा-बेटी को लेकर अब बहुत बदलाव आया है। आज बेटी के जन्म पर पूरा परिवार खुशी मनाता है। मुझे शुरू से बेटियां पसंद हैं। अगर मेरे सामने एक ही उम्र के दो बच्चे खड़े कर दिए जाएं तो मेरी नजर बेटी पर पहले जाएगी। बेटियां होती ही हैं इतनी मोहिनी और प्यारी। यह कहना है, आरजे वीरा सिंह का। वह कहती हैं, मैं न केवल एक बेटी हूं बल्कि अब तो एक बेटी की सिंगल मदर भी हूं। मेरी बेटी वर्णिका जिसे प्यार से वासु बुलाती हूं, वह सात साल की हो गई है। इस वक्त वह सेकेंड क्लास में पढ़ रही है। 11 महीने की थी जब मैंने उसे एडॉप्ट किया था। केवल बेटे ही वंश चलाते हैं या फिर मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बनते हैं, यह अब बीती बातें हो गई हैं। आज बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं करता। समाज में इसे लेकर जागरूकता बढ़ी है। खासतौर से माता-पिता की सोच बदल रही है। वह कहती हैं, एडॉप्शन सेंटर में पहली बार वासु को देखते ही मेरे मन में प्यार उमड़ पड़ा और उसे अपनाने का फैसला लिया। उसको देखने के बाद और कोई बच्चा नहीं देखा। एक वर्किंग वुमेन होने के नाते वह अपनी बेटी को प्रॉपर समय दे पाती हैं, इस सवाल पर वह कहती हैं कि बेटी के लिए ही मैंने अपनी जॉब से समझौता किया है। अब सिर्फ फ्रीलॉन्सिंग करती हूं। अपनी पूरी अटेंशन बेटी को देती हूं। जब से वासु मेरी जिंदगी में आई है, मेरी जिंदगी खुशियों से भर गई है। उसकी हर एक चीज खूब संभाल कर रखती हूं। बेटी का पहली बार चलना, तोतली भाषा में मां कहकर बुलाना, पहली बार चॉकोपाइ खाने और प्ले ग्रुप स्कूल में पहली बार जाने जैसी बातें एक ऐसा अहसास हैं, जिसे कभी भुलाया ...